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तो क्या सच में रजनीकांत, बीजेपी के तरकश के तीर हैं ?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 जनवरी, 2018 07:33 PM
  • 01 जनवरी, 2018 07:33 PM
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रजनीकांत ने राजनीति में कदम क्या रखा तमाम तरह की अफवाहें उड़ने लग गयीं. अफवाह है कि डीएमके और एआईएडीएमके के वोटबैंक को प्रभावित करने के लिए रजनीकांत को भाजपा द्वारा लॉन्च किया गया है.

व्यक्ति राजनीति में बाद में आता है, अफवाह पहले उड़ती है. दक्षिण के मशहूर सुपर स्टार रजनीकांत राजनीति में आ गए हैं अफवाह और सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया. अफवाह उड़ रही है कि राजनीति में रजनी की लॉन्चिंग खुद भाजपा ने कराई है. अफवाहों के अनुसार इस लॉन्चिंग का उद्देश्य एआईएडीएमके और डीएमके को कड़ी चुनौती देना और भाजपा द्वारा तमिलनाडु की कुर्सी में बैठना बताया जा रहा है. अगर इस अफवाह को दरकिनार कर पूरे मामले पर नजर डालें तो मिल रहा है कि रजनीकांत के तमिलनाडु की राजनीति में आने के चलते मामला बहुत पेचीदा हो गया है. ध्यान रहे कि रजनीकांत के इस फैसले से न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि खुद सियासी पंडितों के बीच पशो पेश की स्थिति बनी हुई है जिससे तमिलनाडु का सियासी चौपड़ और भी दिलचस्प नजर आ रहा है. 

रजनीकांत का इस तरह राजनीति में आना राज्य की पूरी सियासत को प्रभावित करेगा

तमिलनाडु के सन्दर्भ में देखने वाली बात ये है कि यहां द्रविड़ समुदाय की अधिकता और उनका बड़ा वोटबैंक है जिस पर भाजपा अपनी नजरे गड़ाए थी और इस पर अपना झंडा बुलंद करना चाह रही थी. ऐसे में रजनी के इस बड़े फैसले से भाजपा के सभी मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. यही हाल डीएमके और एआईएडीएमके का भी है. कहीं न कहीं दोनों ही इस बात से चिंता में हैं कि यदि रजनी चुनाव लड़ते हैं तो वो अवश्य ही उनकी सीटों को प्रभावित करेंगे.

इस पूरे मामले के तार इंडियन एक्सप्रेस से जारी हुई एक खबर ने और उलझा दिए हैं. खबर के मुताबिक जहां एक तरफ लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी और अपनी पार्टी की भागीदारी से रजनीकांत खुद कन्फ्यूज हैं तो वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष तमिलसाय सुंदरराजन का ये कहना कि रजनीकांत की पार्टी साल 2019 के लोकसभा चुनावों में एनडीए का हिस्सा होगी अपने आप में तमिलनाडु की सियासी हलचल दर्शा रहा...

व्यक्ति राजनीति में बाद में आता है, अफवाह पहले उड़ती है. दक्षिण के मशहूर सुपर स्टार रजनीकांत राजनीति में आ गए हैं अफवाह और सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया. अफवाह उड़ रही है कि राजनीति में रजनी की लॉन्चिंग खुद भाजपा ने कराई है. अफवाहों के अनुसार इस लॉन्चिंग का उद्देश्य एआईएडीएमके और डीएमके को कड़ी चुनौती देना और भाजपा द्वारा तमिलनाडु की कुर्सी में बैठना बताया जा रहा है. अगर इस अफवाह को दरकिनार कर पूरे मामले पर नजर डालें तो मिल रहा है कि रजनीकांत के तमिलनाडु की राजनीति में आने के चलते मामला बहुत पेचीदा हो गया है. ध्यान रहे कि रजनीकांत के इस फैसले से न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि खुद सियासी पंडितों के बीच पशो पेश की स्थिति बनी हुई है जिससे तमिलनाडु का सियासी चौपड़ और भी दिलचस्प नजर आ रहा है. 

रजनीकांत का इस तरह राजनीति में आना राज्य की पूरी सियासत को प्रभावित करेगा

तमिलनाडु के सन्दर्भ में देखने वाली बात ये है कि यहां द्रविड़ समुदाय की अधिकता और उनका बड़ा वोटबैंक है जिस पर भाजपा अपनी नजरे गड़ाए थी और इस पर अपना झंडा बुलंद करना चाह रही थी. ऐसे में रजनी के इस बड़े फैसले से भाजपा के सभी मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. यही हाल डीएमके और एआईएडीएमके का भी है. कहीं न कहीं दोनों ही इस बात से चिंता में हैं कि यदि रजनी चुनाव लड़ते हैं तो वो अवश्य ही उनकी सीटों को प्रभावित करेंगे.

इस पूरे मामले के तार इंडियन एक्सप्रेस से जारी हुई एक खबर ने और उलझा दिए हैं. खबर के मुताबिक जहां एक तरफ लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी और अपनी पार्टी की भागीदारी से रजनीकांत खुद कन्फ्यूज हैं तो वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष तमिलसाय सुंदरराजन का ये कहना कि रजनीकांत की पार्टी साल 2019 के लोकसभा चुनावों में एनडीए का हिस्सा होगी अपने आप में तमिलनाडु की सियासी हलचल दर्शा रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की उस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि रजनीकांत का मास्टरस्ट्रोक 2019 में न सिर्फ डीएमके के लिए एक बड़ी चुनौती होगा, बल्कि भविष्य में उभरने वाली छोटी पार्टियों पर भी करारा प्रहार करेगा. राजनीतिक पंडितों के अनुसार इसके पीछे की वजह खुद रजनीकांत हैं जिनकी एक जबरदस्त फैन फॉलोविंग है और यही फैन फॉलोविंग आगे चलके रजनी को वोट देगी जिससे डीएमके और एआईएडीएमके के नंबर कम आएंगे और इसका सीधा असर सीटों पर देखने को मिलेगा. गौरतलब है कि डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन इस बात से बेफिक्र हैं कि उनको रजनीकांत के राजनीति में आने और पार्टी बनाने से कोई नुकसान होगा. स्टालिन ने इस बात को नकार दिया है कि रजनीकांत उनका वोट बैंक उनसे छीन पाएंगे.

बहरहाल, अब जो भी हो. चाहे भाजपा, रजनी को राजनीति में लाई हो या फिर जनसेवा के उद्देश से रजनी, राजनीति में आए हों. मगर एक बात तो साफ है कि तमिलनाडु का सियासी दंगल देखने योग्य होगा. दक्षिण की इस चुनौती पर उत्तर का भी दर्शक उतना ही गंभीर रहेगा जितना दक्षिण की राजनीति से कोई दक्षिण भारतीय प्रभावित होता है. अंत में इतना ही कि इस पूरे गुणा भाग को और अधिक गहराई से समझने के लिए हमें आने वाले वक़्त का इन्तेजार करना होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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