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'राजनीति ने रजनीकांत को ज्वाइन किया है', बस बात खत्म !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 जनवरी, 2018 11:28 AM
  • 31 दिसम्बर, 2017 08:12 PM
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रजनी अन्ना राजनीति में आ रहे हैं मगर जब इस बात को गहनता से देखें तो मिलेगा कि ये रजनीकांत का राजनीति में आना नहीं, बल्कि राजनीति का रजनीकांत को ज्वाइन करना है और इस बात के लिए राजनीति को रजनीकांत का एहसानमंद होना चाहिए.

हां तो साहेबान, कद्रदान, मेहरबान आखिरकार वो वक़्त आ ही गया जिसका कई बूढ़ी और जवान आंखों को इंतजार था. जी हां, जो गुजरा वो इतिहास है, जो भविष्य में गुजरेगा वो ऐतिहासिक होगा. ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि साल 2017 के आखिरी दिन जो हुआ वो कुछ ऐसा है जिसे आज से 25-30 साल बाद सुनाकर देश की माएं अपने उस बच्चे को सुलाएंगी जो सबसे ज्यादा शरारती और सबसे उधम्मी हैं. आज राजनीति ने 'रजनीकांत' को जॉइन किया है. जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. आम आदमी राजनीति ज्वाइन करता है मगर जब शख्सियत रजनीकांत जैसी हो तो वो राजनीति नहीं बल्कि राजनीति उसे ज्वाइन करती है और इस बात का एहसान जताने के लिए वो सरसों के खेत के किनारे वाली बुजुर्ग पीर की मजार पर 3 पाव सरसों का तेल, आधा किलो गेंदे का फूल और बजट के अनुसार गुलाब जामुन या पेठा चढ़ाती है.

बतौर एक फैन मैं रजनी अन्ना के इस फैसले का खुले दिल से स्वागत करता हूं

देखिये साहब बात बहुत छोटी और सिंपल है मगर इसके अर्थ बड़े गहरे हैं. रजनीकांत कोई मामूली हस्ती नहीं हैं. रजनी अन्ना का शुमार शताब्दी के उन शूरवीरों में है जो एक गोली के दो टुकड़े कर चार लोगों को मार सकते हैं. जो चम्मच और कटोरी फेंक फेंक के दुश्मन की पूरी सेना को नष्ट कर सकते हैं. जिन्होंने अपनी एक लात से कई तूफानों को रोका है. जिनके एक मुक्का मारते ही विलेन के गिरोह की हड्डियों का सुरमा बन जाता है. जो सिर्फ घूरने मात्र से बहते हुए पानी को ठहरने के लिए मजबूर कर दें.

सच में मैं आज अपने रजनी अन्ना के इस फैसले से बहुत खुश हूं. मेरी खुशी का अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि इतनी खुशी मुझे तब नहीं मिली जब मैंने नया मोबाइल खरीदा था और उसके साथ मुझे उसका कवर, टेम्पर्ड ग्लास और एक मेमोरी कार्ड फ्री मिला था. लोगों के दिलों में रजनी अन्ना का क्या प्रभाव है इसका अंदाजा...

हां तो साहेबान, कद्रदान, मेहरबान आखिरकार वो वक़्त आ ही गया जिसका कई बूढ़ी और जवान आंखों को इंतजार था. जी हां, जो गुजरा वो इतिहास है, जो भविष्य में गुजरेगा वो ऐतिहासिक होगा. ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि साल 2017 के आखिरी दिन जो हुआ वो कुछ ऐसा है जिसे आज से 25-30 साल बाद सुनाकर देश की माएं अपने उस बच्चे को सुलाएंगी जो सबसे ज्यादा शरारती और सबसे उधम्मी हैं. आज राजनीति ने 'रजनीकांत' को जॉइन किया है. जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. आम आदमी राजनीति ज्वाइन करता है मगर जब शख्सियत रजनीकांत जैसी हो तो वो राजनीति नहीं बल्कि राजनीति उसे ज्वाइन करती है और इस बात का एहसान जताने के लिए वो सरसों के खेत के किनारे वाली बुजुर्ग पीर की मजार पर 3 पाव सरसों का तेल, आधा किलो गेंदे का फूल और बजट के अनुसार गुलाब जामुन या पेठा चढ़ाती है.

बतौर एक फैन मैं रजनी अन्ना के इस फैसले का खुले दिल से स्वागत करता हूं

देखिये साहब बात बहुत छोटी और सिंपल है मगर इसके अर्थ बड़े गहरे हैं. रजनीकांत कोई मामूली हस्ती नहीं हैं. रजनी अन्ना का शुमार शताब्दी के उन शूरवीरों में है जो एक गोली के दो टुकड़े कर चार लोगों को मार सकते हैं. जो चम्मच और कटोरी फेंक फेंक के दुश्मन की पूरी सेना को नष्ट कर सकते हैं. जिन्होंने अपनी एक लात से कई तूफानों को रोका है. जिनके एक मुक्का मारते ही विलेन के गिरोह की हड्डियों का सुरमा बन जाता है. जो सिर्फ घूरने मात्र से बहते हुए पानी को ठहरने के लिए मजबूर कर दें.

सच में मैं आज अपने रजनी अन्ना के इस फैसले से बहुत खुश हूं. मेरी खुशी का अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि इतनी खुशी मुझे तब नहीं मिली जब मैंने नया मोबाइल खरीदा था और उसके साथ मुझे उसका कवर, टेम्पर्ड ग्लास और एक मेमोरी कार्ड फ्री मिला था. लोगों के दिलों में रजनी अन्ना का क्या प्रभाव है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि मेरे एक मित्र हैं, जो इस खबर के बाद इतना प्रभावित हुए कि फौरन सब्जी मंडी से 10 किलो गाजर ले आए और भाभी जी से प्लेटिनम की अंगूठी और आईफोन एक्स का वादा करके उसका हलवा बनवाया और पूरे मुहल्ले में बांटा, हर आते जाते को खिलाया और हलवे का एकदम असली रिव्यू लेकर भाभी जी का मन मोहने का प्रयास किया.

रजनी अन्ना कुछ तूफानी करने के लिए जानें जाते हैं राजनीति में आकर उन्होंने तूफ़ान खड़ा कर दिया है

मेरे मित्र मुझसे कहने लगे कि आम लोगों की बीच हलवा बांटने के बाद उन्होंने ट्विटर पर अकाउंट बनाया और वहां रजनीकांत सर की शान में उन्होंने कई कसीदे पढ़े. मेरे मित्र ने मुझसे कहा कि मैं ट्विटर पर जाऊं और उसकी बातों को रिट्वीट करूं. मैं ट्विटर पर गया तो मुझे मेरे मित्र का तो नहीं हां मगर कुछ ऐसे ट्वीट ज़रूर मिलें जो ये बताने के लिए काफी हैं कि मेरे अलावा भी तमाम लोग ऐसे हैं जो अन्ना पर जान छिड़कते हैं और जिन्होंने उनके इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया है.

बहरहाल, अपने अन्ना को राजनीति में आते देख मेरा सीना चौड़ा हो गया है. साथ ही मेरे अन्ना ने मुझे इस बात के लिए भी मोटिवेट किया है कि अगर व्यक्ति चाह ले तो कुछ भी संभव है. मेरे अन्ना ने राजनीति ज्वाइन की है इस खबर के बाद मैंने भी अपने आप से वादा किया है कि राजनीति तो नहीं हां मगर दुबला, पतला और छरहरा दिखने के लिए मैं भी फेसबुक पर किसी दिन जिम ज्वाइन करने की घोषणा करूंगा. भगवान ने चाहा तो आने वाले वक़्त में मेरे रजनी अन्ना तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और मैं स्लिम ट्रिम हो जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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