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टॉम वडक्कन नहीं तो राहुल गांधी ही बताएंगे कांग्रेस में बड़ा नेता कौन है?

    • आईचौक
    • Updated: 17 मार्च, 2019 11:48 AM
  • 17 मार्च, 2019 11:48 AM
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टॉम वडक्कन को कांग्रेस का बड़ा नेता बताये जाने की बातों को राहुल गांधी ने खारिज कर दिया है. राहुल गांधी का कहना है कि टॉम वडक्कन बड़े नेता नहीं थे. फिर तो राहुल गांधी ही बता सकेंगे कांग्रेस में बड़ा नेता कौन है?

टॉम वडक्कन अब बीजेपी के नेता हो चुके हैं. अब से पहले करीब 20 साल तक वो कांग्रेस नेता रहे. टॉम वडक्कन के बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर मीडिया में कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताते हुए उन्हें बड़े नेता के तौर पर पेश किया गया.

टॉम वडक्कन केरल से आते हैं जहां फिलहाल वाम मोर्चे की पी. विजयन की सरकार है. बीजेपी केरल में पांव जमाने की कोशिश कर रही है - और उसके लिए टॉम वडक्कन जैसे नेता बड़े काम के साबित हो सकते हैं. बीजेपी ने ऐसा ही सोच कर ही उन्हें भगवा पहनाया है.

टॉम वडक्कन को लेकर विवाद इतना नहीं बढ़ता अगर राहुल गांधी की जगह उनके बीजेपी ज्वाइन करने पर कांग्रेस के किसी और नेता ने बयान दिया होता. बयानों में भी कुछ ऐसा वैसा जैसे मायावती अपने नेताओं के बीएसपी छोड़ने पर समझाने की कोशिश करती हैं - 'निकाल दिया गया था', या 'पार्टी से बाहर किया जाने वाला था', या फिर 'पार्टी ने निकाला है और खुद नहीं छोड़ा है'.

टॉम वडक्कन के बारे में राहुल गांधी की टिप्पणी से मामला महत्वपूर्ण हो गया है. दरअसल, टॉम वडक्कन को बड़ा नेता बताये जाने पर राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति जतायी है. राहुल गांधी का साफ तौर पर कहना है कि टॉम वडक्कन बड़े नेता नहीं हैं.

सवाल ये है कि कांग्रेस में किसी नेता का कद किन मानदंडों के आधार पर तय होता है? किसी भी नेता के कांग्रेस में बड़े या छोटे होने के क्या मापदंड होते हैं?

कांग्रेस के बड़े नेता कौन?

राहुल गांधी द्वारा टॉम वडक्कन को कमतर करके बताये जाने के क्या कारण हो सकते हैं? टॉम वडक्कन के कांग्रेस छोड़ने मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने जैसा समझा गया. ऐसे नेता जो पार्टी नेतृत्व के करीबियों में शुमार किया जाता हो. ऐसे नेता जो नेतृत्व का भरोसेमंद माना जाता हो. फिर तो ऐसे नेताओं को राजदारों की कैटेगरी में रखा जा सकता है. मुकुल रॉय कभी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के बेहद करीबी लोगों में हुआ करते थे. अगर टॉम वडक्कन भी कांग्रेस में वैसे ही रहे तो चर्चा होना भी लाजिमी...

टॉम वडक्कन अब बीजेपी के नेता हो चुके हैं. अब से पहले करीब 20 साल तक वो कांग्रेस नेता रहे. टॉम वडक्कन के बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर मीडिया में कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताते हुए उन्हें बड़े नेता के तौर पर पेश किया गया.

टॉम वडक्कन केरल से आते हैं जहां फिलहाल वाम मोर्चे की पी. विजयन की सरकार है. बीजेपी केरल में पांव जमाने की कोशिश कर रही है - और उसके लिए टॉम वडक्कन जैसे नेता बड़े काम के साबित हो सकते हैं. बीजेपी ने ऐसा ही सोच कर ही उन्हें भगवा पहनाया है.

टॉम वडक्कन को लेकर विवाद इतना नहीं बढ़ता अगर राहुल गांधी की जगह उनके बीजेपी ज्वाइन करने पर कांग्रेस के किसी और नेता ने बयान दिया होता. बयानों में भी कुछ ऐसा वैसा जैसे मायावती अपने नेताओं के बीएसपी छोड़ने पर समझाने की कोशिश करती हैं - 'निकाल दिया गया था', या 'पार्टी से बाहर किया जाने वाला था', या फिर 'पार्टी ने निकाला है और खुद नहीं छोड़ा है'.

टॉम वडक्कन के बारे में राहुल गांधी की टिप्पणी से मामला महत्वपूर्ण हो गया है. दरअसल, टॉम वडक्कन को बड़ा नेता बताये जाने पर राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति जतायी है. राहुल गांधी का साफ तौर पर कहना है कि टॉम वडक्कन बड़े नेता नहीं हैं.

सवाल ये है कि कांग्रेस में किसी नेता का कद किन मानदंडों के आधार पर तय होता है? किसी भी नेता के कांग्रेस में बड़े या छोटे होने के क्या मापदंड होते हैं?

कांग्रेस के बड़े नेता कौन?

राहुल गांधी द्वारा टॉम वडक्कन को कमतर करके बताये जाने के क्या कारण हो सकते हैं? टॉम वडक्कन के कांग्रेस छोड़ने मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने जैसा समझा गया. ऐसे नेता जो पार्टी नेतृत्व के करीबियों में शुमार किया जाता हो. ऐसे नेता जो नेतृत्व का भरोसेमंद माना जाता हो. फिर तो ऐसे नेताओं को राजदारों की कैटेगरी में रखा जा सकता है. मुकुल रॉय कभी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के बेहद करीबी लोगों में हुआ करते थे. अगर टॉम वडक्कन भी कांग्रेस में वैसे ही रहे तो चर्चा होना भी लाजिमी है.

देखना होगा बीजेपी टॉम वडक्कन को कैसा नेता मानती है?

कांग्रेस न तो कभी सीताराम केसरी का नाम लेती है, न ही पीवी नरसिम्हा राव की कोई चर्चा पसंद करती है. सीताराम केसरी ने कांग्रेस की कमान संभाले रखी तो राव ने पांच साल तक कांग्रेस को सत्ता में बनाये रखा. साफ कारण तो इन नेताओं का गांधी परिवार से नहीं होना ही है. मालूम नहीं राहुल गांधी के हिसाब से कांग्रेस में बड़े नेता की क्या परिभाषा है? मालूम नहीं अहमद पटेल, मोतीलाल वोरा या गांधी परिवार के करीबियों को भी वो बड़ा नेता मानते हैं या सिर्फ दरबारी समझते हैं? वैसे फेमिली पॉलिटिक्स में बड़ा नेता तो परिवार से ही होना चाहिये और इस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिये.

राहुल गांधी छोटी छोटी बातों का ख्याल रखते हैं. जब राहुल गांधी को अध्यक्ष बनना हुआ तो वो सारी रस्में निभायी गयीं जो कांग्रेस के संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया कहलाएगी. अंतिम सच तो ये है कि अध्यक्ष राहुल गांधी ही बने.

मालूम नहीं कि हिमंत बिस्वा सरमा को कांग्रेस में किस स्तर का नेता समझा जाता रहा? ये तो सच है कि बीजेपी ज्वाइन करने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने असम ही नहीं पूरे नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस का भट्टा बैठा दिया है. अभी इस पैमाने पर टॉम वडक्कन को खरा उतरना होगा. मुकुल रॉय तो कोई खास करामात नहीं दिखा पाये हैं.

काफी पहले बीजेपी ज्वाइन कर लेने वाले एसएम कृष्णा का भी कद राहुल गांधी की नजर में कितना रहा होगा? वैसे कांग्रेस में उन्हें शशि थरूर का सीनियर बनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुके होने के कारण शशि थरूर को एसएम कृष्णा के मुकाबले दुनिया के ज्यादातर लोग जानते तो होंगे ही. मगर, एसएम कृष्णा तो दुनिया को भी ठीक से नहीं जानते लगे, खासकर तब जब संयुक्त राष्ट्र में भारत की जगह किसी और देश का ही भाषण पढ़े जा रहे थे.

कांग्रेस में ऐसे कई नेता हैं जो फिलहाल राहुल गांधी के साथ साथ लगे रहते हैं. ऐसे नेताओं में अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट, रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं.

या फिर जैसा बीजेपी आरोप लगाती रहती है - सिर्फ राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा ही कांग्रेस के बडे नेता हैं.

ये तो हैं कांग्रेस के बड़े नेता, इनके बाद कौन?

कांग्रेस में बड़े नेता की परिभाषा क्या है?

पहला सवाल तो यही है कि कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी में किसी भी नेता की हैसियत किस आधार पर तय होती है? आखिर वे कौन से गुण होते हैं जो किसी भी नेता को किसी पार्टी में बड़ा बनाते हैं? क्या किसी खास खूबी वाला कोई भी नेता किसी राजनीतिक पार्टी में बड़ा नेता होता है?

राजनीति में कोई भी नेता अपनी लोकप्रियता के चलते बड़ा बनता है. नेता अपने जनाधार के चलते बड़ा माना जाता है. संगठन में जिसकी हर स्तर पर पहुंच होती है उसे भी बड़ा नेता माना जाता है.

राजनीतिक रूप से जटिल मुद्दों पर सही फैसला लेने वाला नेता बड़ा माना जा सकता है. मौजूदा दौर में चुनाव जिताने वाले बड़े नेता माने जाते हैं. अमित शाह और प्रशांत किशोर इसके जीते जागते मिसाल हैं. आखिर सफल चुनावी अभियानों के बूते ही तो प्रशांत किशोर जेडीयू में सीधे उपाध्यक्ष बन गये. ये तो सामान्य पैमाना हुआ लेकिन उन पार्टियों पर ये लागू नहीं होता जिनका आधार ही वंशवाद हो. लालू प्रसाद जैसे नेता इसे एनडोर्स भी करते हैं - वारिस बेटा नहीं होगा तो क्या भैंस चराएगा?

कांग्रेस भी वंशवाद की राजनीति के लिए ही जानी जाती है और खुद राहुल गांधी भी ये बात स्वीकार कर चुके हैं. तो क्या कांग्रेस में उसी परंपरा से आने वाले नेताओं को बड़े नेता की कैटेगरी हासिल होती है?

क्या कांग्रेस में ऐसे नेताओं को बड़ा माना जाता है जो बदलते पीढ़ीगत नेतृत्व से साम्य बैठाते हुए हर खांचे में फिट हो जाते हैं? क्या वे नेता कांग्रेस में बड़े माने जाते हैं जो तात्कालिक नेतृत्व के खांचों में फिट न हो पाने पर भी गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान बने रहते हैं?

या फिर कांग्रेस में बड़ा नेता होने के लिए उसका गांधी परिवार का ही होना जरूरी है?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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