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बेहतर हो कि HRD मिनिस्टर निशंक अपने बयान न दोहराएं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 मई, 2019 10:16 PM
  • 31 मई, 2019 10:16 PM
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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक मोदी 2.0 में एचआरडी मिनिस्टर बनाए गए हैं. मगर बड़ा सवाल ये है कि क्या पूर्व में अपने बयानों के चलते चर्चा में आए निशंक इस बार अपने पद की गरिमा मेंटेन कर अपनी जुबान को काबू में कर पाएंगे?

57 मंत्रियों की बदौलत मोदी 2.0 देश को आगे ले जाने को तैयार है. 2014 में पीएम मोदी की कैबिनेट में 45 लोग थे. इसबार देश का दारोमदार 57 कन्धों पर है. बात अगर मोदी 2.0 कैबिनेट पर हो तो 57 लोगों में 36 पुराने हैं जबकि 2019 में पीएम मोदी ने 21 नए लोगों को मौका दिया है और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है. इस बार की कैबिनेट का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि एक तरफ जहां कुछ लोग ऐसे हैं जो अपना पड़ डिजर्व करते हैं तो वहीं उन लोगों की भी संख्या ठीक ठाक है जो या तो किसी दबाव में या फिर अपनी पुरानी वफादारी के कारण नए मंत्रिमंडल में शामिल किये गए हैं.

यूं तो नए मंत्रिमंडल में तमाम लोग हैं. मगर मोदी 2.0 में यदि वाकई किसी का साथ उसके भाग्य ने दिया है, तो वो और कोई नहीं बल्कि भाग्य पर भरोसा रखने और उसी के चलते विवादों में आने वाले रमेश पोखरियाल निशंक हैं.

निशंक के एचआरडी मिनिस्टर बनाए जाने के बाद बड़ा सवाल ये है कि क्या वो इस दौरान अपनी जुबान पर लगाम रखेंगे

अब इसे किस्मत की मेहरबानी कहें, मोदी की सुनामी कहें या फिर इनकी खुद की मेहनत और लोकप्रियता उत्तराखंड के हरिद्वार से कांग्रेस के अंबरीश कुमार के खिलाफ चुनाव लादे और उन्हें 2. 5 लाख वोटों से हराकर सांसद बने निशंक मोदी 2. 0 में मानव संसाधन मंत्री बनाए गए हैं.

बात यदि निशंक की खासियतों पर हो तो इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये मस्तिष्क से साहित्यकार और मन से कवि हैं. राष्ट्रवादी कवि के रूप में मशहूर निशंक कितने बड़े साहित्य प्रेमी है इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अब तक निशंक के 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 6 बाल...

57 मंत्रियों की बदौलत मोदी 2.0 देश को आगे ले जाने को तैयार है. 2014 में पीएम मोदी की कैबिनेट में 45 लोग थे. इसबार देश का दारोमदार 57 कन्धों पर है. बात अगर मोदी 2.0 कैबिनेट पर हो तो 57 लोगों में 36 पुराने हैं जबकि 2019 में पीएम मोदी ने 21 नए लोगों को मौका दिया है और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है. इस बार की कैबिनेट का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि एक तरफ जहां कुछ लोग ऐसे हैं जो अपना पड़ डिजर्व करते हैं तो वहीं उन लोगों की भी संख्या ठीक ठाक है जो या तो किसी दबाव में या फिर अपनी पुरानी वफादारी के कारण नए मंत्रिमंडल में शामिल किये गए हैं.

यूं तो नए मंत्रिमंडल में तमाम लोग हैं. मगर मोदी 2.0 में यदि वाकई किसी का साथ उसके भाग्य ने दिया है, तो वो और कोई नहीं बल्कि भाग्य पर भरोसा रखने और उसी के चलते विवादों में आने वाले रमेश पोखरियाल निशंक हैं.

निशंक के एचआरडी मिनिस्टर बनाए जाने के बाद बड़ा सवाल ये है कि क्या वो इस दौरान अपनी जुबान पर लगाम रखेंगे

अब इसे किस्मत की मेहरबानी कहें, मोदी की सुनामी कहें या फिर इनकी खुद की मेहनत और लोकप्रियता उत्तराखंड के हरिद्वार से कांग्रेस के अंबरीश कुमार के खिलाफ चुनाव लादे और उन्हें 2. 5 लाख वोटों से हराकर सांसद बने निशंक मोदी 2. 0 में मानव संसाधन मंत्री बनाए गए हैं.

बात यदि निशंक की खासियतों पर हो तो इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये मस्तिष्क से साहित्यकार और मन से कवि हैं. राष्ट्रवादी कवि के रूप में मशहूर निशंक कितने बड़े साहित्य प्रेमी है इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अब तक निशंक के 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 6 बाल साहित्य सहित कुल 40 से ज्यादा किताबें छप चुकी हैं. निशंक कहानी, कविता, लघुकथा, खण्ड काव्य, बाल साहित्य, ट्रेवल, उपन्यास सब कुछ लिख लेते हैं.

निशंक भले ही साहित्य प्रेमी हों मगर इनका विवादों से पुराना नाता है. बात 2014 की है. संसद में फुल अटेंडेंस रखने वाले निशंक 2014 में दी स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर बिल पर चर्चा कर रहे थे. चर्चा अच्छी चली मगर उस वक़्त उन्होंने सबको हैरत में डाल दिया जब उन्होंने ये कहा कि 'विज्ञान ज्योतिष के सामने बौना है. ज्योतिष ही सबसे बड़ी साइंस है. असल में तो ज्योतिष, साइंस से बहुत ऊपर है. हमें इसे प्रमोट करना चाहिए. हम आज न्यूक्लियर साइंस की बात करते हैं लेकिन कश्यप ऋषि ने एक लाख साल पहले ही न्यूक्लियर टेस्ट कर लिया था. हमें ट्रांसप्लांट की भी जानकारी थी.'

निशंक का इतना कहना भर था विवाद शुरू हो गए. एक ऐसा बड़ा वर्ग सामने आ गया जिसने कहा कि निशंक अपनी दकियानूसी बातों  के दम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं.

तब उन्होंने देश के प्रधानमंत्री मोदी की उस बात का भी समर्थन किया था जिसमें उन्होंने भगवान गणेश के सिर को प्लास्टिक सर्जरी और कर्ण के मामले को जेनेटिक साइंस से जोड़ा था. निशंक ने दावा किया, 'लोग मोदी जी के भगवान गणेश की सर्जरी वाले बयान पर सवाल उठा रहे हैं. वह वास्तव में सर्जरी ही थी. जो विज्ञान हमारे पास उपलब्ध रहा है, वह दुनिया के पास नहीं है. एक क्षत-विक्षत सिर को ट्रांसप्लांट करने का ज्ञान-विज्ञान सिर्फ भारत के पास है.'

जैसा कि हम बता चुके हैं निशंक का विवादों से पुराना नाता है. तो यहां ये भी बताना बहुत जरूरी है कि निशंक के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. चाहे उत्तराखंड में बिजली परियोजनाओं के आवंटन का घोटाला रहा हो या फिर कुंभ के आयोजन में ठेकेदारों और प्रभावशाली लोगों और कंपनियों को फ़ायदा पंहुचाने के आरोप हों पूर्व में ऐसे तमाम मौके आए हैं जब निशंक की वजह से न सिर्फ पार्टी बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी तक शर्मिंदा हुए हैं.

ध्यान रहे कि साल 2011 में देहरादून की सीजीएम कोर्ट ने उत्तराखंड में बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पर कुम्भ घोटाले को लेकर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस मामले में निशंक के अलावा तत्कालीन आवास विकास मंत्री समेत कुल 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. मामले को अदालत तक लाने वाले याचिकाकर्ता का कहना था  कि कुम्भ आयोजन के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार की तरफ से 480 करोड़ रुपये हासिल हुए थे मगर इस रकम में से 200 करोड़ रुपये का घोटाला तब की निशंक सरकार ने किया था.

भले ही तब निशंक ने अपना पक्ष रखते हुए सफाई दी हो और अपने को बेदाग बताया हो मगर इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण ही केंद्र सरकार ने उन्हें हटाकर खंडूरी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था. बहरहाल अब जबकि एक लम्बे वक़्त के बाद निशंक फिर चर्चा में हैं. तो देखना दिलचस्प रहेगा कि उनकी सोच बदली है या अब भी वो अपने कोमल ह्रदय के आगे मजबूर हैं और विज्ञान, ज्योतिष, राजनीति सब एक करेंगे.

बात बहुत साफ है. देश और देश की जनता दोनों ही गुजरी बातों को भूल चुकी है. ऐसे में निशंक के लिए भी ये जरूरी हो गया है कि वो एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की तरह बर्ताव करें. हम ऐसा इसलिए भी कह कह रहे हैं क्योंकि भारत एक विशाल लोकतंत्र है और देश के प्रधानमंत्री मोदी के कारण दुनिया भर की नजरे भारत पर हैं ऐसे में अगर फिर निशंक ने कुछ अनाप शनाप कह दिया तो फिर इस बार उसे सही करना खुद देश के प्रधानमंत्री के लिए भी बहुत मुश्किल होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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