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Howdy Modi से बड़ा है उर्जा के मामले में भारत-अमेरिका समझौता, समझिए...

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 22 सितम्बर, 2019 02:50 PM
  • 22 सितम्बर, 2019 02:50 PM
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पीएम मोदी ने 5 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा था, जिसे पूरा करने की कोशिशें अमेरिका में भी दिख रही हैं. इंडिया की पेट्रोनेट एलएनजी का टेल्यूरियन इंक के साथ 53 हजार करोड़ रुपए का समझौता भी इसमें से एक है.

पीएम मोदी फिलहाल 'हाउडी मोदी' इवेंट के लिए अमेरिका पहुंच हुए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस इवेंट में वह 50 हजार से भी अधिक लोगों को संबोधित करेंगे. वैसे हाउडी मोदी में पीएम मोदी के अलावा डोनाल्ड ट्रंप के भी मौजूद होने की संभावना जताई जा रही है. यूं तो हाउडी मोदी इवेंट के संदर्भ में ये माना जा रहा है कि पीएम मोदी सिर्फ उस कार्यक्रम में गए हैं, लेकिन अभी तक पीएम मोदी वहां जिन-जिन से मिले हैं और जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, वो देखकर ये साफ है कि वह अर्थव्यवस्था के लिए कुछ बड़ा कर रहे हैं. वैसे भी, पीएम मोदी ने 5 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा था, जिसे पूरा करने की कोशिशें अमेरिका में भी दिख रही हैं. यही तो वजह है कि इंडिया की पेट्रोनेट एलएनजी ने अमेरिका की टेल्यूरियन इंक के साथ 50 लाख टन एलएनजी प्रतिवर्ष का समझौता किया है. इसके तहत ही पीएम मोदी ने अमेरिका की लूसियाना स्थित एक सहायक कंपनी ड्रिफ्टवुड होल्डिंग्स में इक्विटी निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.

इंडिया की पेट्रोनेट एलएनजी का टेल्यूरियन इंक के साथ 53 हजार करोड़ रुपए का समझौता पीएम मोदी का सपना पूरा करने में मदद करेगा.

क्या है ये डील?

भारत की पेट्रोनेट एलएनजी ने अमेरिका की एलएनजी यानी तरलीकृत प्राकृतिक गैस का उत्पादन करने वाली कंपनी से एक समझौता किया है, जिससे भारत की प्राकृतिक गैस की जरूरत पूरी होगी. इसके तहत पेट्रोनेट की ओर से लूसियाना में स्थित एक सहायक कंपनी ड्रिफ्टवुड होल्डिंग्स में इक्विटी के जरिए निवेश किया जाएगा. आपको बता दें कि कंपनी इसमें करीब 18 फीसदी निवेश करेगी. इस समझौते के तहत एलएनजी का उत्पादन करने वाली टेल्यूरियन इंक से भारत को हर साल 50 लाख टन एनएनजी खरीदने का अधिकार मिल जाएगा. पेट्रोनेट और टेल्यूरियम के बीच ये समझौता 31...

पीएम मोदी फिलहाल 'हाउडी मोदी' इवेंट के लिए अमेरिका पहुंच हुए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस इवेंट में वह 50 हजार से भी अधिक लोगों को संबोधित करेंगे. वैसे हाउडी मोदी में पीएम मोदी के अलावा डोनाल्ड ट्रंप के भी मौजूद होने की संभावना जताई जा रही है. यूं तो हाउडी मोदी इवेंट के संदर्भ में ये माना जा रहा है कि पीएम मोदी सिर्फ उस कार्यक्रम में गए हैं, लेकिन अभी तक पीएम मोदी वहां जिन-जिन से मिले हैं और जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, वो देखकर ये साफ है कि वह अर्थव्यवस्था के लिए कुछ बड़ा कर रहे हैं. वैसे भी, पीएम मोदी ने 5 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा था, जिसे पूरा करने की कोशिशें अमेरिका में भी दिख रही हैं. यही तो वजह है कि इंडिया की पेट्रोनेट एलएनजी ने अमेरिका की टेल्यूरियन इंक के साथ 50 लाख टन एलएनजी प्रतिवर्ष का समझौता किया है. इसके तहत ही पीएम मोदी ने अमेरिका की लूसियाना स्थित एक सहायक कंपनी ड्रिफ्टवुड होल्डिंग्स में इक्विटी निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.

इंडिया की पेट्रोनेट एलएनजी का टेल्यूरियन इंक के साथ 53 हजार करोड़ रुपए का समझौता पीएम मोदी का सपना पूरा करने में मदद करेगा.

क्या है ये डील?

भारत की पेट्रोनेट एलएनजी ने अमेरिका की एलएनजी यानी तरलीकृत प्राकृतिक गैस का उत्पादन करने वाली कंपनी से एक समझौता किया है, जिससे भारत की प्राकृतिक गैस की जरूरत पूरी होगी. इसके तहत पेट्रोनेट की ओर से लूसियाना में स्थित एक सहायक कंपनी ड्रिफ्टवुड होल्डिंग्स में इक्विटी के जरिए निवेश किया जाएगा. आपको बता दें कि कंपनी इसमें करीब 18 फीसदी निवेश करेगी. इस समझौते के तहत एलएनजी का उत्पादन करने वाली टेल्यूरियन इंक से भारत को हर साल 50 लाख टन एनएनजी खरीदने का अधिकार मिल जाएगा. पेट्रोनेट और टेल्यूरियम के बीच ये समझौता 31 मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा. आपको बता दें जिन देशों तक पाइपलाइन के जरिए गैस भेजना मुश्किल होता है, वहां इस गैस को जहाजों के जरिए तरलीकृत अवस्था में लाने के बाद भेजा जाता है.

कितनी बड़ी है ये डील?

इसमें कोई दोराय नहीं है कि ये डील अमेरिका के इतिहास में एलएनजी की सबसे बड़ी डील है. ये डील कुल 7.5 बिलियन डॉलर (करीब 53 हजार करोड़ रुपए) की है, जिसमें 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) का ड्रिफ्टवुड कंपनी में इक्विटी निवेश भी शामिल है.

अब ये भी समझिए कि इससे फायदा क्या होगा

कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के वॉइस प्रेसिडेंट रवि सिंह के अनुसार इस डील से गैस की सप्लाई बढ़ेगी और सरकार को अपना टारगेट पूरा करने में आसानी होगी. प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार तमाम उपाय कर रही है, जिनमें से एक ये भी है कि घर-घर खाना पकाने के लिए गैस पहुंचाई जाए. पर्याप्त गैस होने से सरकार को अपना ये लक्ष्य पूरा करने में भी मदद मिलेगी. वहीं दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल से निर्भरता को कम करने और गाड़ियों के लिए सीएनसी की पर्याप्त सप्लाई में भी मदद मिलेगी.

रवि सिंह बताते हैं कि ये डील अभी तो सरकार का टारगेट पूरा करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से अच्छी है ही, साथ ही भविष्य भी संवारने वाली डील है. पहले भी इस तरह की डील हुआ करती थीं, लेकिन वह अमेरिका से नहीं, बल्कि ओपेक देशों से होती थीं. ओपेक देशों के तमाम प्रतिबंधों के बाद अमेरिका ने भी कच्चे तेल और गैस को लेकर अपने दरवाजे खोले हैं. इस तरह के समझौतों से एक तो भारत की अमेरिका पर राजनीतिक और व्यापारिक लिहाज से पकड़ मजबूत होगी, दूसरा इन रिश्तों का फायदा भारत को हर प्लेटफॉर्म पर मिलेगा. आखिरकार, अमेरिका सुपर पावर जो है.

शेयर बाजार ने अपनी खुशी जता दी है !

पेट्रोनेट एलएनजी और टेल्यूरियन के बीच समझौता क्या हुआ, उसका असर तुरंत ही बाजार पर दिखने लगा. पेट्रोनेट एलएनजी के शेयर करीब 5 फीसदी तक चढ़ गए. अगर निवेशकों के लिहाज से देखें तो उनके लिए भी अच्छा मौका है. अभी जैसे-जैसे इस डील में प्लांट आदि की मंजूरी मिलती जाएगी, वैसे-वैसे शेयर बाजार भी छलांग लगाता हुआ दिखेगा. करीब महीने भर के इसके चार्ट को देखें तो साफ होता है कि इसके शेयर में तेजी आई है. वैसे, ये बढ़त पिछले कुछ दिनों की है, जबकि कुछ दिन पहले तक इसमें गिरावट भी आई. गिरावट में मुख्य वजह मुनाफावसूली हो सकती है. आपको बता दें कि 3-4 सितंबर के करीब ब्लूमबर्ग के हवाले से इस समझौते के कयास लगाने लगे थे, तभी से पेट्रोनेट के शेयर में तगड़ी उछाल देखने को मिल रही थी.

पेट्रोनेट और टेल्यूरियन इंक के बीच समझौता होते ही पेट्रोनेट के शेयर 5 फीसदी तक चढ़ गए, करीब महीने भर का ये चार्ट तेजी को साफ दिखा रहा है.

'5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का सपना होगा पूरा'

टेल्यूरियन कंपनी के प्रेसिडेंट और सीईओ मेग जेंटल ने एक बयान में कहा है कि भारत का सबसे बड़ा एलएनजी आयातक पेट्रोनेट सस्ती और अच्छी गैस डिलिवर कर सकेगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी मिलेगी और पीएम मोदी का 5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी. साथ ही यह प्रदूषण से भी निपटने में मददगार होगा.

आपको बता दें कि अमेरिका और चीन के बाद ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला तीसरा देश है. अब भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है और लक्ष्य है कि 2020 तक 1 करोड़ घरों को पाइपलाइन वाली गैस से जोड़ने की योजना है. भारत 2005 की तुलना में 2030 तक कार्बन गैसों के उत्सर्जन को 33-35 फीसदी कम करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. आपको बता दें कि 2015 में पेरिस में 195 देशों की मीटिंग में भारत ने ये लक्ष्य निर्धारित किया था, जिस पर अमल करने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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