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'सबसे बड़ी पार्टी' के दांव में ही बीजेपी को फंसाने में जुटा विपक्ष

    • खुशदीप सहगल
    • Updated: 17 मई, 2018 10:44 PM
  • 17 मई, 2018 10:44 PM
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कर्नाटक चुनाव में जिस तरह बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने उसने भारतीय राजनीति पर सवालिया निशान लगा दिया है और गोवा चुनावों की धूमिल यादें ताजा कर दी हैं.

कर्नाटक के नाटक का पूरे देश पर असर पड़ता दिख रहा है. कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बन चुकी है. हालांकि अब भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की वजह से येदियुरप्पा सरकार पर अनिश्चितता की तलवार लटक रही है. लेकिन अब इसे विपक्ष की रणनीति कहिए या कर्नाटक में दबाव बनाने की कोशिश, अब गोवा और बिहार जैसे राज्यों से विपक्षी दलों की मांग उठने लगी है कि सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया जाए और वहां राज्यपालों की ओर से लिए गए फैसलों को सुधारा जाए. दरअसल गोवा, मणिपुर, मेघालय में राज्यपालों ने सरकार बनाने के लिए वहां नतीजे आने के बाद सबसे बड़ी पार्टी को न्योता नहीं दिया था.

बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि वे भी राजभवन जाकर अपने विधायकों की परेड कराएंगे. तेजस्वी ने ट्वीट मे कहा है कि अगर कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के नाते सरकार बनाने के लिए बीजेपी को आमंत्रित किया गया तो आरजेडी भी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है और उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए.

तमाम अटकलों को दरकिनार करते हुए येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं

गोवा में कांग्रेस के 16 विधायकों ने राजभवन जाने का फैसला किया है. कांग्रेस का कहना है कि गोवा में सबसे बड़ी पार्टी के नाते उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए. गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर इलाज के लिए इन दिनों अमेरिका में हैं.

गोवा में क्या हुआ था?

गोवा में पिछले साल चुनाव के बाद अस्पष्ट जनादेश आया था. 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बहुमत के लिए 21 विधायकों की जरूरत थी. पिछले साल कांग्रेस को 17 सीट मिलने और सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने का मौका नहीं मिला था. बीजेपी को वहां 13 सीट पर जीत मिली थी. लेकिन उसने...

कर्नाटक के नाटक का पूरे देश पर असर पड़ता दिख रहा है. कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बन चुकी है. हालांकि अब भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की वजह से येदियुरप्पा सरकार पर अनिश्चितता की तलवार लटक रही है. लेकिन अब इसे विपक्ष की रणनीति कहिए या कर्नाटक में दबाव बनाने की कोशिश, अब गोवा और बिहार जैसे राज्यों से विपक्षी दलों की मांग उठने लगी है कि सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया जाए और वहां राज्यपालों की ओर से लिए गए फैसलों को सुधारा जाए. दरअसल गोवा, मणिपुर, मेघालय में राज्यपालों ने सरकार बनाने के लिए वहां नतीजे आने के बाद सबसे बड़ी पार्टी को न्योता नहीं दिया था.

बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि वे भी राजभवन जाकर अपने विधायकों की परेड कराएंगे. तेजस्वी ने ट्वीट मे कहा है कि अगर कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के नाते सरकार बनाने के लिए बीजेपी को आमंत्रित किया गया तो आरजेडी भी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है और उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए.

तमाम अटकलों को दरकिनार करते हुए येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं

गोवा में कांग्रेस के 16 विधायकों ने राजभवन जाने का फैसला किया है. कांग्रेस का कहना है कि गोवा में सबसे बड़ी पार्टी के नाते उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए. गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर इलाज के लिए इन दिनों अमेरिका में हैं.

गोवा में क्या हुआ था?

गोवा में पिछले साल चुनाव के बाद अस्पष्ट जनादेश आया था. 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बहुमत के लिए 21 विधायकों की जरूरत थी. पिछले साल कांग्रेस को 17 सीट मिलने और सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने का मौका नहीं मिला था. बीजेपी को वहां 13 सीट पर जीत मिली थी. लेकिन उसने कई छोटे छोटे दलों- निर्दलीय के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाबी पाई थी.

फ्लोर टेस्ट के दिन पर्रिकर के पक्ष में 22 और विरोध में 16 वोट पड़े. पर्रिकर ने कहा कि स्पीकर ने वोट नहीं दिया लेकिन वो भी बीजेपी के साथ यानी उन्हें कुल 23 विधायकों का समर्थन हासिल है. कांग्रेस के विश्वजीत राणे शक्ति परीक्षण के दिन अनुपस्थित रहे और बाद में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. बीजेपी को अपने विधायकों के अलावा बाहर से 10 विधायकों यानी महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के 3, निर्दलीय 3 विधायकों के अलावा NCPके इकलौते विधायक का भी समर्थन मिला. कांग्रेस के 16 विधायकों ने पर्रिकर के विश्वास मत के विरोध में वोट डाला.

सबसे हैरानी वाला केस कांग्रेस के टिकट पर चुन कर आए विश्वजीत सिंह राणे का ही रहा था...उन्होंने पाला बदल शक्ति परीक्षण वाले दिन सदन से अनुपस्थित रहने का फैसला किया. बाद में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस दोनों से इस्तीफा दे दिया. 20 दिन बाद विश्वजीत को पर्रिकर सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. बाद में विश्वजीत ने उपचुनाव जीत लिया. विश्वजीत अब भी गोवा में स्वास्थ्य मंत्री है. कांग्रेस ने विश्वजीत के कृत्य को दल बदल कानून का मखौल बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

कांग्रेस ने विश्वजीत के इस कृत्य को संविधान के साथ धोखाधड़ी बताते हुए और उन्हें अयोग्य करार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इसी साल फरवरी में ये याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए गोवा सरकार, चुनाव आयोग, गोवा विधानसभा के स्पीकर, प्रो टर्म स्पीकर, विश्वजीत राणे और बीजेपी के अन्य नेताओं को नोटिस जारी किए.

चीफ जस्टिस मिश्रा ने तब व्यवस्था में कहा कि लॉ के इस सवाल पर विस्तार से गौर किए जाने की जरूरत है कि क्या स्पीकर (उस वक्त प्रो टर्म स्पीकर) ने बिना जांच कराए एक सदस्य का इस्तीफा स्वीकार किया जिसने अवज्ञा (व्हिप का पालन नहीं कर) के कृत्य से अयोग्यता को निमंत्रित किया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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