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कांग्रेस ने कैसे तोड़ा भाजपा का चक्रव्यूह

    • अशोक उपाध्याय
    • Updated: 19 मई, 2018 10:20 PM
  • 19 मई, 2018 10:20 PM
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कर्नाटक चुनाव काफी दिलचस्प रहा ऐसे में उन बिन्दुओं पर नजर डालना बेहद जरूरी है जिन्होंने कांग्रेस के पक्ष में काम किया और पूरे कर्नाटक चुनाव को ट्विस्ट किया.

गोवा, मणिपुर एवं मेघालय में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे बड़ा दल न होने के बावजूद भी सरकार बना ली थी. अन्य दलों का सहयोग मिला और सरकार बनाने में कोई बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा. पर इसके ठीक विपरीत कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी, सरकार बनाने के लिए कुछ ही नंबरों की जरूरत थी फिर भी भाजपा की सरकार चंद घंटों में गिर गई. आखिर क्या कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो एक्सपेरिमेंट गोवा, मणिपुर एवं मेघालय जैसे राज्यों में किया था वह कर्नाटक में नहीं कर पाई. आखिर क्यों इसकी सरकार कुछ ही घंटों में भरभराकर गिर पड़ी.

कर्नाटक के सियासी घमासान को देखें तो इसमें डीके शिवकुमार की भी अहम भूमिका थी

कांग्रेस पार्टी का आक्रामक रुख

गोवा, मणिपुर एवं मेघालय के ठीक विपरीत कांग्रेस पार्टी  चुनाव के नतीजे आने से पहले से ही सरकार बनाने की जद्दोजहद में लग गई. नतीजा आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं को बेंगलुरु भेज दिया. जब नतीजे आ रहे थे तभी सोनिया गांधी ने आनन-फानन में पूर्व प्रधान मंत्री देवगौडा को फोन करके मुख्यमंत्री पद का ऑफर दे दिया और राजभवन में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. सारी परंपराओं एवं मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनवा दिया एवं राज्यपाल ने उनको बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का समय दे दिया तो कांग्रेस पार्टी तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चली गई.

शायद ये पहली बार हुआ कि रात को 2:00 बजे सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को 24 घंटे के अंदर बहुमत सिद्ध करने को कहा. फिर जब राज्यपाल ने एक विवादास्पद व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर बना दिया...

गोवा, मणिपुर एवं मेघालय में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे बड़ा दल न होने के बावजूद भी सरकार बना ली थी. अन्य दलों का सहयोग मिला और सरकार बनाने में कोई बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा. पर इसके ठीक विपरीत कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी, सरकार बनाने के लिए कुछ ही नंबरों की जरूरत थी फिर भी भाजपा की सरकार चंद घंटों में गिर गई. आखिर क्या कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो एक्सपेरिमेंट गोवा, मणिपुर एवं मेघालय जैसे राज्यों में किया था वह कर्नाटक में नहीं कर पाई. आखिर क्यों इसकी सरकार कुछ ही घंटों में भरभराकर गिर पड़ी.

कर्नाटक के सियासी घमासान को देखें तो इसमें डीके शिवकुमार की भी अहम भूमिका थी

कांग्रेस पार्टी का आक्रामक रुख

गोवा, मणिपुर एवं मेघालय के ठीक विपरीत कांग्रेस पार्टी  चुनाव के नतीजे आने से पहले से ही सरकार बनाने की जद्दोजहद में लग गई. नतीजा आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं को बेंगलुरु भेज दिया. जब नतीजे आ रहे थे तभी सोनिया गांधी ने आनन-फानन में पूर्व प्रधान मंत्री देवगौडा को फोन करके मुख्यमंत्री पद का ऑफर दे दिया और राजभवन में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. सारी परंपराओं एवं मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनवा दिया एवं राज्यपाल ने उनको बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का समय दे दिया तो कांग्रेस पार्टी तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चली गई.

शायद ये पहली बार हुआ कि रात को 2:00 बजे सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को 24 घंटे के अंदर बहुमत सिद्ध करने को कहा. फिर जब राज्यपाल ने एक विवादास्पद व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर बना दिया तो कांग्रेस पार्टी पुणे सुप्रीम कोर्ट में गई इस बार सुप्रीम कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर को तो बरकरार रखा पर भाजपा के इस आश्वासन देने के बाद की पूरे  मामले को लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा.

भाजपा की पोल खोलने में सफल

भाजपा के बड़े-बड़े नेता कांग्रेस के विधायकों को अपने खेमे में करने के लिए डोरे डाल रहे थे . फोन करके उनको तरह-तरह का ऑफर दे रहे थे. कांग्रेस के कई विधायकों ने फोन कॉल को रिकॉर्ड कर लिया और इस को सार्वजनिक कर दिया. इसके चलते भाजपा के नेताओं की बहुत भद पीटी. जब मुख्यमंत्री से लेकर होने वाले उपमुख्यमंत्री तक खुलेआम विधायकों को पद एवं पैसे का लालच दे रहे हों और यह सारा कारनामा जनता के सामने आ जाए तो भाजपा की बेइज्जती होनी लाजिमी थी.

कांग्रेस के अमित शाह का कमाल

राजनीतिक हलकों में यह माना जाता है कि भाजपा के अमित शाह चुनाव जीतने और सरकार बनाने के लिए हर राजनीतिक हथकंडे का इस्तेमाल करते हैं. कर्नाटक में भाजपा के डीके शिवकुमार ने भाजपा की सारी चालों को विफल करते हुए ना केवल अपने दल  बल्कि सहयोगी जनता दल सेकुलर के विधायकों को भी भाजपा खेमे में जाने से रोके रखा. उन्होंने भाजपा के हर दाव को विफल कर दिया.

सिंघवी के तर्क और सुप्रीम कोर्ट का साथ

अगर कर्नाटक में डीके शिवकुमार भाजपा की हर शह को मात दे रहे थे तो दिल्ली में अभिषेक मनु सिंघवी भाजपा को सुप्रीम कोर्ट में घेरने के चक्रव्यूह की रचना कर रहे थे. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को अपना केस रात को सुनने के लिए राजी कर लिया. फिर अपने तर्कों से भाजपा एवं सरकार के सारे तर्कों को तार-तार कर दिया. उनके तर्कों को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का आदेश दिया. विवादास्पद भाजपा के विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के मामले में भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से बहुत राहत ले ली जो कि कांग्रेस के फायदे में रही.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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