• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Modi 2.0 : मोदी की अगली पारी की ताकत बनेगी तीन शपथ

    • आईचौक
    • Updated: 23 मई, 2019 10:47 PM
  • 23 मई, 2019 10:47 PM
offline
Loksabha election results से मिली जीत के बाद राजनेता के रूप में नजर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खुद की पैमाइश के लिए तीन सूत्रीय फॉर्मूला दिया - कहा जब भी कोसना हो उसे ही याद करना.

Loksabha election 2019 की जीत के बाद अपने विजयी भाषण (victory speech) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी बदले बदले नजर आये. मोदी ने खुद को एक स्टेट्समैन के तौर पर प्रोजेक्ट किया जो हर तरह के मतभेदों को भूल कर देश की तरक्की के लिए सबको साथ लेकर चलना चाहता है. एक ऐसा नेता जो देश को सबकी सहमति से चलाना चाहता है.

देशवासियों को दोबारा जनादेश के लिए शुक्रिया अदा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जबकि फकीर की झोली भर दी है तो आखिरी दम तक यूं ही भरोसा करना - तो क्या प्रधानमंत्री मोदी अब सिर्फ दस साल नहीं बल्कि आगे के कई साल तक शासन का सपोर्ट मांग रहे हैं?

स्टेट्समैन के तौर पर पेश किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले बीजेपी मुख्यालय में अमित शाह ने भाषण दिया. अमित शाह और मोदी के भाषण में बड़ा फर्क नजर आया. अमित शाह ने ये तो कहा कि ये सबका साथ, सबका विकास की विजय है - लेकिन कांग्रेस नेतृत्व और एनडीए के पुराने साथी चंद्रबाबू नायडू सहित पूरे विपक्ष को निशाने पर साधने की कोशिश की. एग्जिट पोल के बाद बढ़ी विपक्षी गतिविधियों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने नायडू को नसीहत दी कि अगर वो इतना परिश्रम वोट के लिए करते तो खाता खुल जाता.

प्रधानमंत्री मोदी जब डायस पर आये तो महाभारत का किस्सा सुनाते हुए 2019 के जनादेश को श्रीकृष्ण के एक जवाब से जोड़ा. मोदी बोले, 'तब श्रीकृष्ण ने कहा था मैं तो सिर्फ हस्तिनापुर के पक्ष में खड़ा था.' मोदी ने कहा कि देश का हर नागरिक श्रीकृष्ण की भूमिका में रहा. अगर किसी की विजय हुई है तो वो हिंदुस्तान की विजय हुई है. अगर किसी की विजय हुई है तो लोकतंत्र की विजय हुई है. अगर किसी की विजय हुई है तो वो जनता जनार्दन की विजय हुई है.

"मैं मेरे लिए कुछ नहीं करूंगा"

बातों बातों में मोदी...

Loksabha election 2019 की जीत के बाद अपने विजयी भाषण (victory speech) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी बदले बदले नजर आये. मोदी ने खुद को एक स्टेट्समैन के तौर पर प्रोजेक्ट किया जो हर तरह के मतभेदों को भूल कर देश की तरक्की के लिए सबको साथ लेकर चलना चाहता है. एक ऐसा नेता जो देश को सबकी सहमति से चलाना चाहता है.

देशवासियों को दोबारा जनादेश के लिए शुक्रिया अदा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जबकि फकीर की झोली भर दी है तो आखिरी दम तक यूं ही भरोसा करना - तो क्या प्रधानमंत्री मोदी अब सिर्फ दस साल नहीं बल्कि आगे के कई साल तक शासन का सपोर्ट मांग रहे हैं?

स्टेट्समैन के तौर पर पेश किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले बीजेपी मुख्यालय में अमित शाह ने भाषण दिया. अमित शाह और मोदी के भाषण में बड़ा फर्क नजर आया. अमित शाह ने ये तो कहा कि ये सबका साथ, सबका विकास की विजय है - लेकिन कांग्रेस नेतृत्व और एनडीए के पुराने साथी चंद्रबाबू नायडू सहित पूरे विपक्ष को निशाने पर साधने की कोशिश की. एग्जिट पोल के बाद बढ़ी विपक्षी गतिविधियों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने नायडू को नसीहत दी कि अगर वो इतना परिश्रम वोट के लिए करते तो खाता खुल जाता.

प्रधानमंत्री मोदी जब डायस पर आये तो महाभारत का किस्सा सुनाते हुए 2019 के जनादेश को श्रीकृष्ण के एक जवाब से जोड़ा. मोदी बोले, 'तब श्रीकृष्ण ने कहा था मैं तो सिर्फ हस्तिनापुर के पक्ष में खड़ा था.' मोदी ने कहा कि देश का हर नागरिक श्रीकृष्ण की भूमिका में रहा. अगर किसी की विजय हुई है तो वो हिंदुस्तान की विजय हुई है. अगर किसी की विजय हुई है तो लोकतंत्र की विजय हुई है. अगर किसी की विजय हुई है तो वो जनता जनार्दन की विजय हुई है.

"मैं मेरे लिए कुछ नहीं करूंगा"

बातों बातों में मोदी अपनी जीत को आयुष्मान योजना और शौचालय स्कीम से भी जोड़ करते नजर आये - ये जीत शौचालय के लिए तड़पते हुए मां की विजय है. ये जीत इलाज के इंतजार में बैठे गरीब की जीत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह की तरह विरोधियों पर सीधा अटैक तो नहीं किया लेकिन सेक्युलरिज्म और जातीय राजनीति का जिक्र करते हुए उसकी हार बताया. हार क्या बल्कि उनका खात्मा बताया. साथ ही मोदी ने जीते हुए सभी प्रतिनिधियों को भेदभाव से ऊपर उठ कर बधाई दी और साथ मिल कर देश के लिए काम करने का भरोसा दिलाया.

इंडिया टुडे टीवी पर सीनियर पत्रकार जावेद एम. अंसारी की एक टिप्पणी बड़ी सटीक लगी, "मोदी ने खुद की तुलना राहुल गांधी से नहीं की है, बल्कि ऊपर उठते हुए नेहरू की कतार में खड़ा करने की कोशिश की है."

'मेरा सब कुछ है तेरा'

प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से कहा कि अगर भरोसा जताया है तो भरोसा भी करना होगा. इसी भरोसे के लिए मोदी ने तीन बातों का खास तौर पर जिक्र किया.

1. "मैं कोई भी काम बदइरादे से या बदनीयत से नहीं करूंगा. काम करते करते गलती हो सकती है."

2. "मैं मेरे लिए कुछ नहीं करूंगा."

3. "मेरे समय का पल पल... मेरे शरीर का कण कण सिर्फ देश और देशवासियों के लिए है."

देखा जाये तो ये एक तरीके से ये मोदी का हफनामा लगता है - जैसे कोई शपथ पत्र पेश किया हो. देशवासियों से मोदी ने अपील की कि उन्हें इन्ही तीन तराजू पर तौला जाये और इसमें कोई कमी रह जाये तो जी भर कोसा जाये - लेकिन किसी भी सूरत में काम को बदनीयत से न जोड़ा जाये. ऐसा लगता है प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी के फैसले की ओर संकेत के साथ राफेल डील पर विपक्ष के हमले की ओर भी इशारा कर रहे थे.

इन्हें भी पढ़ें :

राजस्थान में भाजपा की महाविजय और कांग्रेस की महा-पराजय की एक ही वजह है

क्यों जरूरी है यूपी की 5 मुस्लिम बाहुल्य सीटों की जीत-हार समझना

Amethi Seat Result: राहुल गांधी के नीचे से स्‍मृति इरानी ने ऐसे छीनी जमीन



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲