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2G घोटाले में राहत से मजबूत होगी DMK

    • बिजय कुमार
    • Updated: 23 दिसम्बर, 2017 11:32 AM
  • 23 दिसम्बर, 2017 11:32 AM
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डीएमके को आने वाले चुनावों में उस केस का फायदा मिल सकता है जिसने शुरू से ही पार्टी की नाक में दम कर रखा था. सिर्फ सहानुभूति ही नहीं डीएमके के लिए फायदेमंद एक और बात है..

2जी घोटाले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद इस पूरे घोटाले पर सवाल उठाने लगे हैं. ये वही घोटाला है जो यूपीए सरकार के समय चर्चा में आया और तत्कालीन सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी थीं. विपक्षी बीजेपी ने इसे सरकार के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने में सफल रही. तत्कालीन सरकार में सहयोगी रही डीएमके के लिए भी यह घोटाला घातक सिद्ध हुआ और पार्टी को काफी नुकसान हुआ क्योंकि इस घोटाले में पार्टी के नेता ए राजा और कनीमोई पर भी आरोप लगे थे.

अपने पक्ष में आये फैसले से डीएमके और कांग्रेस में उत्साह देखने को मिला है. कांग्रेस पार्टी के नेता बीजेपी और तत्कालीन कैग विनोद राय पर झूठा प्रचार करने के लिए हमले कर रहे हैं. वहीं डीएमके के नेता इसे सत्य की जीत बता रहे हैं. पार्टी के नेता दुरमु मुरुगन ने कहा कि विजय अब शुरू हुई है. राजनीतिक उद्देश्यों के चलते हम पर ये मामला डाला गया था. हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया लेकिन अब सब खत्म हो गया. अदालत के फैसले के बाद कनीमोई ने कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो मेरे साथ खड़े रहे और मुझे इस घड़ी का इंतजार था. अब सच सामने आ गया है. तो वहीं ऐ राजा ने कहा की मैं फैसले से खुश हूँ.

डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि अब ये साबित हो गया है कि एक पार्टी को बदनाम करने के लिए ये केस राजनीति से प्रेरित था और यह भी साबित हो गया है कि जिन पर बड़ी घूस लेने का आरोप था वो निर्दोष हैं.

जिस समय ये फैसला आया उस दौरान चेन्नई की आरके नगर विधानसभा में उप-चुनाव के लिए मतदान हो रहा था जो कि डीएमके के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि पार्टी को सहानुभूति मिलने कि उम्मीद है. खैर, ये तो वक़्त ही बताएगा कि इस महत्वपूर्ण सीट से कौन जीतता है. पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता इस सीट का...

2जी घोटाले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद इस पूरे घोटाले पर सवाल उठाने लगे हैं. ये वही घोटाला है जो यूपीए सरकार के समय चर्चा में आया और तत्कालीन सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी थीं. विपक्षी बीजेपी ने इसे सरकार के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने में सफल रही. तत्कालीन सरकार में सहयोगी रही डीएमके के लिए भी यह घोटाला घातक सिद्ध हुआ और पार्टी को काफी नुकसान हुआ क्योंकि इस घोटाले में पार्टी के नेता ए राजा और कनीमोई पर भी आरोप लगे थे.

अपने पक्ष में आये फैसले से डीएमके और कांग्रेस में उत्साह देखने को मिला है. कांग्रेस पार्टी के नेता बीजेपी और तत्कालीन कैग विनोद राय पर झूठा प्रचार करने के लिए हमले कर रहे हैं. वहीं डीएमके के नेता इसे सत्य की जीत बता रहे हैं. पार्टी के नेता दुरमु मुरुगन ने कहा कि विजय अब शुरू हुई है. राजनीतिक उद्देश्यों के चलते हम पर ये मामला डाला गया था. हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया लेकिन अब सब खत्म हो गया. अदालत के फैसले के बाद कनीमोई ने कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो मेरे साथ खड़े रहे और मुझे इस घड़ी का इंतजार था. अब सच सामने आ गया है. तो वहीं ऐ राजा ने कहा की मैं फैसले से खुश हूँ.

डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि अब ये साबित हो गया है कि एक पार्टी को बदनाम करने के लिए ये केस राजनीति से प्रेरित था और यह भी साबित हो गया है कि जिन पर बड़ी घूस लेने का आरोप था वो निर्दोष हैं.

जिस समय ये फैसला आया उस दौरान चेन्नई की आरके नगर विधानसभा में उप-चुनाव के लिए मतदान हो रहा था जो कि डीएमके के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि पार्टी को सहानुभूति मिलने कि उम्मीद है. खैर, ये तो वक़्त ही बताएगा कि इस महत्वपूर्ण सीट से कौन जीतता है. पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता इस सीट का प्रतिनिधित्व करती थीं, पिछले वर्ष दिसम्बर में उनके निधन के बाद से ही ये सीट खाली है.

डीएमके की उम्मीदों को एआईएडीएमके पार्टी के अंदर चल रहे राजनीतिक संघर्ष से भी बल मिल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि बिना जयललिता के एआईएडीएमके के लिए डीएमके को टक्कर देना उतना आसान नहीं होगा. लेकिन ऐसा नहीं है कि डीएमके के लिए राह इतनी भी आसान होगी. पिछले कुछ सालों से स्टालिन को पार्टी के उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन उन्हें कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें भाई अलागिरि के साथ की जरुरत होगी. ऐसे में ए राजा और कनीमोई के बरी होने से स्टालिन के नेतृत्व को ताकत मिलेगी और पार्टी राज्य में मजबूत होकर फिर से सत्ता में आ पायेगी.

हमने देखा था कि कैसे स्वर्गीय जयललिता ने चुनावों के दौरान 2जी को मुद्दा बनाया था और लगभग हर रैली में वो इसका जिक्र करती थीं जिसका खामियाजा डीएमके को भुगतना पड़ा और विधानसभा चुनावों में उसे हार मिली. कुछ ऐसा ही प्रचार लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुए थे जिसमे बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हमेशा इस घोटाले को लेकर डीएमके पर हमला करते थे जिसे जनता ने भी मानो सच माना हो यही वजह है कि पार्टी 2014 लोकसभा के चुनाव में खाता भी नहीं खोल पायी थी. लेकिन अब इस घोटाले से पार्टी के नेताओं के बरी होने से मानो पार्टी में एक नया जोश देखने को मिल रहा है जो अच्छे दिनों का संकेत साबित हो सकता है.

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तो ये साबित हुआ कि वो घोटाला ही क्‍या जो साबित हो जाए !


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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