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तो ये साबित हुआ कि वो घोटाला ही क्‍या जो साबित हो जाए !

    • आलोक रंजन
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2017 09:29 PM
  • 21 दिसम्बर, 2017 09:29 PM
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जिस 2जी घोटाले ने 2014 में कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी, आज पता चला कि वो घोटाला तो हुआ ही नहीं था. सरकार बैकफुट पर है, कांग्रेस कुलांचे भर रही है और जनता हैरान है कि अदृश्य घोटाला पहली बार देख लिया!

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री, ए राजा और द्रमुक सांसद, कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुख्ता सबूतों के अभाव में सभी अरोपियों को बरी कर दिया गया. फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित नहीं कर पाए. जज ओपी सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर घोटाला हुआ है, तो फिर किसने किया? खबरों की मानें तो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय इस मामले को हाई कोर्ट में चैलेंज करने का मन बना रही हैं.

2जी स्पेक्ट्रम मामला 2010 में काफी गरमाया, जब भारत के तत्कालीन कैग विनोद राय ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल उठाये. स्पेक्ट्रम मामले में कंपनियों को नीलामी के बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे. विनोद राय के अनुसार इसमें सरकारी खजाने को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था. आरोप ये लगा की अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर होती तो सरकारी खजाने को तक़रीबन एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए और प्राप्त हो सकते थे. नुकसान के आंकड़ों पर कई तरह के सफाई दिए गए थे और ये एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी बन गया था. इसका सीधा नुकसान तत्कालीन यूपीए सरकार को हुआ भी था. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसी करप्शन के मुद्दे को भुनाने में सफल रही थी और कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस का पलटवार-

जो घोटाला हुआ नहीं उसने हमारी सरकार गिरा दी

2जी पर फैसला आते ही कांग्रेस के सारे नेता सक्रिय हो गए. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि कोर्ट के फैसले का वे सम्मान करते हैं. साथ में उन्होंने...

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री, ए राजा और द्रमुक सांसद, कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुख्ता सबूतों के अभाव में सभी अरोपियों को बरी कर दिया गया. फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित नहीं कर पाए. जज ओपी सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर घोटाला हुआ है, तो फिर किसने किया? खबरों की मानें तो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय इस मामले को हाई कोर्ट में चैलेंज करने का मन बना रही हैं.

2जी स्पेक्ट्रम मामला 2010 में काफी गरमाया, जब भारत के तत्कालीन कैग विनोद राय ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल उठाये. स्पेक्ट्रम मामले में कंपनियों को नीलामी के बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे. विनोद राय के अनुसार इसमें सरकारी खजाने को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था. आरोप ये लगा की अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर होती तो सरकारी खजाने को तक़रीबन एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए और प्राप्त हो सकते थे. नुकसान के आंकड़ों पर कई तरह के सफाई दिए गए थे और ये एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी बन गया था. इसका सीधा नुकसान तत्कालीन यूपीए सरकार को हुआ भी था. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसी करप्शन के मुद्दे को भुनाने में सफल रही थी और कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस का पलटवार-

जो घोटाला हुआ नहीं उसने हमारी सरकार गिरा दी

2जी पर फैसला आते ही कांग्रेस के सारे नेता सक्रिय हो गए. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि कोर्ट के फैसले का वे सम्मान करते हैं. साथ में उन्होंने ये भी कहा कि प्रसन्नता है कि बड़े पैमाने पर यूपीए के खिलाफ फैलाये गये प्रोपेगंडा के खिलाफ फैसला है. इस मसले पर संसद में भी हंगामा हुआ. कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 2जी के मनगढंत आरोप के कारण हमारी सरकार चली गयी और हमारी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. पूर्व वित्तमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि एक बड़े घोटाले में सरकार के उच्च स्तर के लोगों के शामिल होने के आरोप कभी सही नहीं थे, यह आज के फैसले से साबित हो गया. वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि उनकी जीरो लॉस वाली बात सही साबित हुई है.

सरकार का बयान-

सरकार की तरफ से पहली प्रतिक्रिया में 2जी स्पेक्ट्रम में कोर्ट के फैसले पर बोलते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस मामले में अपनाई गई पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसमें अपनाई गई नीति को अनुचित करार देते हुए, इससे संबंधित सभी लाइसेंस को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने माना था कि अपनाई गई नीति से सरकार को नुकसान हुआ था. जेटली ने ये भी कहा कि बाद में नई सरकार ने आवंटन के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जिसका फायदा भी देखने को मिला है. साथ में उन्होंने ये भी कहा कि कोर्ट के फैसले से कांग्रेस ऐसे खुश है जैसे उसे कोई सम्मान पत्र मिल गया हो. उन्होंने कहा कि इसे कांग्रेस सम्मान पत्र नहीं समझे.

सरकार बैकफुट पर

‘जीरो लॉस’ थ्योरी-

2जी स्पेक्ट्रम मामले में ‘जीरो लॉस’ मतलब कोई राजस्व हानि नहीं होने की बात तत्कालीन दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कही थी. उनका कहना था कि नीलामी के संबंध में जब कोई नीति नहीं थी, तो इसमें नुकसान होने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अपने से पहले की सरकार के नियमों का पालन किया. 2जी स्पेक्ट्रम पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर बांटी गई. यह नीति पूर्ववर्ती एनडीए सरकार की थी.

जाहिर सी बात है, कांग्रेस अब इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगा. गुजरात के चुनाव में बीजेपी को मन मुताबिक जीत नहीं मिली है. 2019 लोकसभा चुनाव  होने में करीब 18 महीने बचे हैं. कांग्रेस अब इस बात पर जोर देगी की जिस करप्शन के मुद्दे पर उनकी सरकार को निशाना बनाया गया था, वो घोटाला हुआ ही नहीं था. सरकार अभी बैकफुट पर है. देखना ये है कि आने वाले समय में वो इस मसले में किस तरह की बैटिंग करती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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