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अमित शाह की कामयाबियों के विजयी फॉर्मूले, जिन्हें अपनाकर शिखर चूमा जा सकता है

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 22 अक्टूबर, 2020 06:42 PM
  • 22 अक्टूबर, 2020 06:26 PM
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देश के गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) कभी नेताओं के पोस्टर चिपकाया करते थे आज उनका पोस्टर पूरे देश में लगाया जा रहा है, ये ज़िंदगी बड़ी रोचक है इसे इतना ही दिलचस्प बनाना चाहिए. शिखर पर पहुंचने के लिए किसी का साया होना ज़रूरी नहीं है बस लगन और मेहनत की ज़रूरत है.

मौजूदा भारतीय राजनीति में सबसे कद्दावर और मुखर नेता के साथ साथ चाणक्य माने जाने वाले देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) का आज जन्मदिन है. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उनका पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह है और वह मुंबई में पैदा हुए हैं. अमित शाह के जीवन की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. मुंबई में 16 साल पढ़ाई लिखाई करने के बाद उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया जहां अमित शाह ने बीएससी में दाखिला लिया. पढ़ाई लिखाई में होशियार होने के साथ उन्हें राजनीति का भी चस्का लग गया तो कालेज में ही वह अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (ABVP) के साथ जुड़ गए. बीएससी पूरा करने के बाद अमित शाह अपना पारंपरिक व्यापार प्लास्टिक पाइप बेचने का कारोबार करने लगे और साथ ही साथ शेयर बाजार में पैसा लगाने लगे लेकिन उनका पूरा मन राजनीति से जुड़ा हुआ था.

शाह ने राजनीति के मैदान पर मेहनत शुरू की तो वर्ष 1982 में वह एबीवीपी के कार्यकर्ता से सीधे संगठन के गुजरात इकाई के संयुक्त सचिव बना दिए गए. इसी दौरान देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां आरएसएस के अहमदाबाद प्रचारक बना कर भेजे गए थे. देश की राजनीति की नंबर एक जोड़ी मोदी और शाह की मुलाकात का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ और दोनों दोस्त बन गए. वर्ष 1991 में दोनों ने लालकृष्ण आडवाणी के लिए जमकर एक साथ चुनाव प्रचार भी किया.

इस चुनाव में अमित शाह लोकसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के पोस्टर चिपकाया करते थे और लालकृष्ण आडवाणी के कार्यक्रमों को सुनियोजित तरीके से सफल बनाने के लिए मेहनत किया करते थे. अब भला उस वक्त किसने सोचा रहा होगा ये पोस्टर चिपकाने वाला कार्यकर्ता एक दिन ऐसा कामयाबी के शिखर चूमेगा कि देश भऱ में उसके पोस्टर चिपकाए जाएंगे.

गृह मंत्री अमित शाह का शुमार देश के कुशल रणनीतिकारों में है

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मौजूदा भारतीय राजनीति में सबसे कद्दावर और मुखर नेता के साथ साथ चाणक्य माने जाने वाले देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) का आज जन्मदिन है. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उनका पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह है और वह मुंबई में पैदा हुए हैं. अमित शाह के जीवन की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. मुंबई में 16 साल पढ़ाई लिखाई करने के बाद उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया जहां अमित शाह ने बीएससी में दाखिला लिया. पढ़ाई लिखाई में होशियार होने के साथ उन्हें राजनीति का भी चस्का लग गया तो कालेज में ही वह अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (ABVP) के साथ जुड़ गए. बीएससी पूरा करने के बाद अमित शाह अपना पारंपरिक व्यापार प्लास्टिक पाइप बेचने का कारोबार करने लगे और साथ ही साथ शेयर बाजार में पैसा लगाने लगे लेकिन उनका पूरा मन राजनीति से जुड़ा हुआ था.

शाह ने राजनीति के मैदान पर मेहनत शुरू की तो वर्ष 1982 में वह एबीवीपी के कार्यकर्ता से सीधे संगठन के गुजरात इकाई के संयुक्त सचिव बना दिए गए. इसी दौरान देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां आरएसएस के अहमदाबाद प्रचारक बना कर भेजे गए थे. देश की राजनीति की नंबर एक जोड़ी मोदी और शाह की मुलाकात का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ और दोनों दोस्त बन गए. वर्ष 1991 में दोनों ने लालकृष्ण आडवाणी के लिए जमकर एक साथ चुनाव प्रचार भी किया.

इस चुनाव में अमित शाह लोकसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के पोस्टर चिपकाया करते थे और लालकृष्ण आडवाणी के कार्यक्रमों को सुनियोजित तरीके से सफल बनाने के लिए मेहनत किया करते थे. अब भला उस वक्त किसने सोचा रहा होगा ये पोस्टर चिपकाने वाला कार्यकर्ता एक दिन ऐसा कामयाबी के शिखर चूमेगा कि देश भऱ में उसके पोस्टर चिपकाए जाएंगे.

गृह मंत्री अमित शाह का शुमार देश के कुशल रणनीतिकारों में है

वर्ष 2002 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए तो अमित शाह को अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसमें वह कामयाब हुए और गुजरात में एक शानदार जीत दर्ज की. नरेंद्र मोदी को वहां का मुख्यमंत्री घोषित किया गया तो शाह को भी गृहमंत्री का पद दिया गया. अपने सीट से शाह तकरीबन डेढ़ लाख वोटों से जीत दर्ज की थी, शाह की इस शानदार जीत को देख बड़े नेता दंग रह गए थे और उन्हें बूथ मैनेजमेंट का मास्टरमाइंड मान लिया था. यहीं से इनकी राजनीतिक सूझबूझ की चर्चाएं शुरू हो गई थी.

यह सिलसिला लगातार चलता ही रहा, वर्ष 2013 में भाजपा ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंप दी, अगले ही वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को शानदार मुनाफा हुआ भाजपा 13 सीट से बढ़कर 73 सीटों पर पहुंच गई और केंद्र में सरकार बना बैठी. इसके बाद शाह का कद बहुत ऊंचा हो गया और उन्हें सीधे भाजपा का अध्यक्ष बना दिया गया.

हालांकि शाह के जीवन में कई पहलू ऐसे भी आए हैं जिसमें उनको कानून का भी सामना करना पड़ा है, उनको गुजरात दंगा, शोहराबुद्दीन, इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर केस में आरोपी बनाया गया. 25 जुलाई 2010 को वह फर्जी एनकाउंटर केस में गिरफ्तार भी हुए और 4 महीने तक जेल में ही रहे. अक्टूबर 2010 में उन्हें जमानत तो मिल गई थी लेकिन गुजरात जाने पर रोक लगा दिया गया था. ये दाग अमित शाह के जीवन में ज़रूर हैं लेकिन उनकी झोली में राजनीतिक जीवन की कई उपलब्धियां भी मौजूद हैं जिनमें सबसे मुख्य घाटे में चल रहे गुजरात वित्त निगम को घाटे से निकाल कर मुनाफे तक का सफर कराया है.

अमित शाह के नाम सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि यह भी है कि वह कभी भी कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं. वर्ष 1989 से लेकर 2019 के बीच शाह ने छोटे-बड़े मिलाकर कुल 43 चुनाव लड़े हैं और हर चुनाव में वह जीते हैं. शायद इसीलिए उनको राजनीति का चाणक्य कहा जाता है.आज उनका 56वां जन्मदिन है जिसके लिए हरेक बड़ा नेता उनको बधाई दे रहा है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जन्मदिन की बधाई दी है.

अमित शाह आज देश में युवा वर्ग से लेकर हर वर्ग तक के लोगों के चहेते हैं लोग उन्हें पसंद करते हैं लेकिन उनसे नफरत रखने वाले भी कम नहीं हैं. बेशक आपकी विचारधारा अमित शाह से न मिलती हो लेकिन देश के गृहमंत्री के लिए एक सम्मान हर किसी के दिल में होना चाहिए. आज शाह के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है जो उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है कि लोग उन्हें राजनीतिक दुश्मनी होने के बावजूद बधाई भेज रहे हैं.

जबकि कट्टर नेता कहलाए जाने वाले अमित शाह के जन्मदिन को कट्टरपंथी विचारधारा के लोगों ने किस तरह मनाया है या कैसी बधाई दी है इसपर चर्चा करने की ज़रूरत ही नहीं है. देश के गृहमंत्री अमित शाह का जीवन बड़ा दिलचस्प है जिससे लोग प्रेरणा ले सकते हैं कि एक कार्यकर्ता के रूप में सफर शुरू करने के बाद भी राजनीति के मैदान में अपना वर्चस्व बनाया जा सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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