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हिजाब विवाद गर जो यूपी, ओडिशा, असम, त्रिपुरा और राजस्थान पहुंचा, परिणाम भयानक होंगे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 फरवरी, 2022 10:36 PM
  • 08 फरवरी, 2022 10:35 PM
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Hijab Controversy in Karnataka Turned Violent : कर्नाटक की हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी पहले सोशल इश्यू थी फिर पॉलिटिकल हुई और अंततः अब धार्मिक हो गई है जैसे हालात हैं यक़ीनन विवाद की आग अन्य राज्यों को भी प्रभावित करेगी. यूं भी यूपी, ओडिशा, असम, त्रिपुरा जैसे राज्य धर्म के नाम पर पहले ही सुलग रहे हैं.

कर्नाटक में हिजाब कंट्रोवर्सी को लेकर जारी नाटक हाई कोर्ट पहुंचने के बाद अपने निर्णायक दौर में पहुंच गया है. विवाद की जड़ भले ही उडुपी का सरकारी स्कूल रहा है. लेकिन वर्तमान में जैसे हालात हैं, चाहे वो उडुपी और शिमोगा हों या दावणगेरे का हरिहर टाउन हिजाब और भगवे की जंग न केवल एक प्रदेश के रूप में कर्नाटक की शांति और आपसी भाईचारे को प्रभावित कर रही है. बल्कि एक ऐसे वक्त में जब सोशल मीडिया की बदौलत नफरत अपने सर्वोच्च स्थान पर हो, हिजाब कंट्रोवर्सी सिर्फ कर्नाटक तक सीमित रहे ये बिल्कुल भी जरूरी है. जिस तरह का माहौल है यक़ीनन विवाद की आग अन्य राज्यों को अपनी चपेट में लेगी और शायद हम ऐसा बहुत कुछ देखें जो एक सेक्युलर देश के रूप में भारत की अनेकता, एकता और अखंडता को प्रभावित करे और एक लोकतंत्र के रूप में भारत शर्मसार हो.

कर्नाटक में हिजाब कंट्रोवर्सी क्योंकि अब धर्म की भेंट चढ़ गयी है और इसके दूरगामी परिणाम डरावने होंगे

जैसा कि हमने अन्य राज्यों का जिक्र किया है और ये बताया है कि आज नहीं तो कल विवाद देश के अन्य हिस्सों में फैलेगा तो ये यूं ही नहीं है. जिक्र अगर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों का हो तो वहां हिंदू- मुस्लिम के बीच आग बहुत पहले से ही जल रही है. ये तमाम राज्य धर्म के नाम पर पहले ही सुलग रहे हैं. ऐसे में ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि यदि हिजाब कंट्रोवर्सी इन राज्यों में पहुंची और उन्हें अपनी चपेट में लिया तो यकीनन अनर्थ ही होगा.

कर्नाटक में जारी हिजाब कंट्रोवर्सी पर यूं यो कहने के लिए बहुत कुछ है लेकिन अगर इस मुद्दे को देखें और इसका अवलोकन करें तो एक...

कर्नाटक में हिजाब कंट्रोवर्सी को लेकर जारी नाटक हाई कोर्ट पहुंचने के बाद अपने निर्णायक दौर में पहुंच गया है. विवाद की जड़ भले ही उडुपी का सरकारी स्कूल रहा है. लेकिन वर्तमान में जैसे हालात हैं, चाहे वो उडुपी और शिमोगा हों या दावणगेरे का हरिहर टाउन हिजाब और भगवे की जंग न केवल एक प्रदेश के रूप में कर्नाटक की शांति और आपसी भाईचारे को प्रभावित कर रही है. बल्कि एक ऐसे वक्त में जब सोशल मीडिया की बदौलत नफरत अपने सर्वोच्च स्थान पर हो, हिजाब कंट्रोवर्सी सिर्फ कर्नाटक तक सीमित रहे ये बिल्कुल भी जरूरी है. जिस तरह का माहौल है यक़ीनन विवाद की आग अन्य राज्यों को अपनी चपेट में लेगी और शायद हम ऐसा बहुत कुछ देखें जो एक सेक्युलर देश के रूप में भारत की अनेकता, एकता और अखंडता को प्रभावित करे और एक लोकतंत्र के रूप में भारत शर्मसार हो.

कर्नाटक में हिजाब कंट्रोवर्सी क्योंकि अब धर्म की भेंट चढ़ गयी है और इसके दूरगामी परिणाम डरावने होंगे

जैसा कि हमने अन्य राज्यों का जिक्र किया है और ये बताया है कि आज नहीं तो कल विवाद देश के अन्य हिस्सों में फैलेगा तो ये यूं ही नहीं है. जिक्र अगर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों का हो तो वहां हिंदू- मुस्लिम के बीच आग बहुत पहले से ही जल रही है. ये तमाम राज्य धर्म के नाम पर पहले ही सुलग रहे हैं. ऐसे में ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि यदि हिजाब कंट्रोवर्सी इन राज्यों में पहुंची और उन्हें अपनी चपेट में लिया तो यकीनन अनर्थ ही होगा.

कर्नाटक में जारी हिजाब कंट्रोवर्सी पर यूं यो कहने के लिए बहुत कुछ है लेकिन अगर इस मुद्दे को देखें और इसका अवलोकन करें तो एक बात सबसे पहले हमारा ध्यान आकर्षित करती है वो ये कि इस मुद्दे को वक़्त देते हुए धीमी आंच पर पकाया गया और जो डिश तैयार हुई उसको लेकर यही कहा जा सकता है कि वो देश के स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से हानिकारक है.

बात चूंकि कर्नाटक के माहौल को गर्म करती हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी के मद्देनजर हो रही है इसलिए हमारे लिए भी इस पूरे मामले को समझना बहुत जरूरी हो जाता है. ध्यान रहे कि विवाद की शुरुआत उडुपी स्थित सरकारी स्कूल से हुई. हमेशा की तरह मुस्लिम लड़कियां हिजाब में स्कूल आईं जिसे कुछ हिंदूवादी संगठनों ने मुद्दा बनाया.

जैसा रवैया स्कूल का था उसने संगठन और उनकी विचारधारा की तर्ज पर काम किया और लड़कियों के हिजाब में प्रवेश को विद्यालय परिसर में निषेध कर दिया. मुस्लिम लड़कियों ने इसे राइट टू चॉइस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया और कॉलेज गेट पर प्रदर्शन किया.

हिजाब को लेकर अगर कॉलेज उसे उतारने की जिद पर था तो वहीं लड़कियों के इरादे भी लोहा थे. तमाम ऐसे वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुए हैं जिनमें प्रदर्शनकारी लड़कियों का तर्क यही था कि अगर वो स्कूल में एंट्री लेंगी तो हिजाब के साथ ही लेंगी. लड़कियों की इस जिद को देखकर हिजाब के विरोध में उतरे हिंदूवादी संगठन लड़कियों के इन बागी तेवरों को देखकर आग बबूला हो गए फरमान जारी कर दिया गया कि यदि मुस्लिम लड़कियां हिजाब में स्कूल आ रही हैं तो आम हिंदू छात्र भी भगवा शॉल/ अंगोछे में स्कूल आएं.

संगठन का इस बात को कहना भर था आम स्कूली छात्रों ने हिंदूवादी संगठनों के फरमान को हाथों हाथ लिया. इतनी बातों तक उडुपी के सरकारी स्कूल में जारी हिजाब कंट्रोवर्सी एक पूर्णतः सोशल इश्यू थी. चूंकि ये सब स्कूल में शुरू हुआ इसलिए अगर सूझबूझ से काम लिया जाता तो अवश्य ही इसपर अंकुश लगता और बात खत्म हो जाती.

लेकिन हमारे नेता और राजनीतिक दल कहां चाहते हैं कि बात खत्म हो. भाजपा के सामने खुद को हिंदू दिखाने के लिए संघर्ष करते राहुल गांधी को मामले में 'स्कोप' दिखा. राजनीतिक फायदे के लिए एक सोशल इश्यू पर पॉलिटिक्स का तड़का लगाते हुए उन्होंने ट्वीट किया. राहुल गांधी के इस ट्वीट को भाजपा कर्नाटक ने भी गंभीरता से लिया और राहुल को जवाब उसी भाषा में दिया. 

हिजाब कंट्रोवर्सी में राहुल गांधी और भाजपा कर्नाटक की एंट्री अभी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन भी नहीं पाई थी कि मामला कर्नाटक हाई कोर्ट में पहुंच गया और अब जैसे हालत हैं पूर्णतः धार्मिक मुद्दा बन गया है. 

अभी क्या हुआ है?

हिजाब कंट्रोवर्सी पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी है. फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रखा है लेकिन क्योंकि मुद्दा अब धर्म की गिरफ्त में आ गया है हालात बद से बदतर हैं. बागलकोट में पथराव के बाद विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. वहीं शिमोगा जिले में धारा 144 लागू करने के बाद, कर्नाटक पुलिस ने दावणगेरे जिले के हरिहर शहर में भी धारा 144 लगा दी है. बताया ये भी जा रहा है कि दावणगेरे में हिजाब समर्थकों  और हिजाब के विरोधी प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.

विवाद जारी है जिसपर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का बड़ा बयान आया है. मामले पर अपना पक्ष रखते हुए जोशी ने कहा है कि हर स्कूल का एक ड्रेस कोड होता है और उसका पालन करना चाहिए. कोई भी छात्र राजनीतिक समर्थन के बिना विरोध नहीं कर सकता. राज्य की कानून-व्यवस्था भंग नहीं होनी चाहिए. जोशी ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि छात्रों को ड्रेस कोड का पालन न करने के लिए कौन प्रेरित कर रहा है?

जैसा कि हम पहले ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं मामले में नेताओं को अपने अपने राजनीतिक हित दिख रहे हैं. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शून्यकाल के दौरान हिजाब विवाद को लोकसभा में एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश किया है. चौधरी ने इस संबंध में सरकार से अपना पक्ष रखने की मांग की है. सदन में चौधरी की इस मांग को हावेरी के भाजपा सांसद ने सिरे से ख़ारिज किया और कहा कि मामला विचाराधीन है और यह राज्य का विषय है. इसलिए, यहां इसकी चर्चा नहीं की जानी चाहिए. 

हिजाब कंट्रोवर्सी के तहत कर्नाटक उबल रहा है जिसपर राज्य के मुख्यमंत्री बोम्मई ने अपना पक्ष रखा है और प्रदर्शनकारी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है. मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा है कि हम कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. मैं छात्रों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करता हूं. मैंने स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया है कि वो छात्रों के बीच कोई झड़प न होने दे.

वहीं बाहर से आए व्यक्तियों से अपील करते हुए बोम्मई ने कहा है कि वो मामले पर भड़काऊ बयान न दें. ध्यान रहे विवाद और न बढ़े इसलिए अगले तीन दिनों तक राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों को बंद करने का फरमान राज्य सरकार ने दिया है.

मामले पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी अपना पक्ष रखा है और राज्य की भाजपा सरकार से सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित करने और ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का आग्रह किया है. 

जैसा कि ज्ञात है चाहे वो छात्रों का तिरंगा हटाकर भगवा ध्वज फहराना हो या फिर लड़कों की भीड़ का हिजाब में स्कूल पहुंची लड़की के सामने जय श्री राम के नारे लगाना हो बात अब बढ़ चुकी है जिसके दूरगामी परिणाम इसलिए भी डरावने हैं क्योंकि जिस तरह का माहौल है कोर्ट हिजाब विवाद पर फैसला कुछ भी दे बात पूरे देश तक फैलेगी. खुद सोचिये ये मुद्दा यदि धार्मिक राजनीति के लिए मशहूर राज्यों यूपी, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश पहुंचा तो क्या होगा?

ध्यान रहे कि उपरोक्त राज्यों के मद्देनजर ये सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इन राज्यों में जिस तरह का पॉलिटिकल डिस्कोर्स चल रहा है और जिस तरह यहां धर्म की राजनीति और हर दूसरी बात पर हिंदू मुस्लिम होता है ये उन लोगों के लिए वाक़ई एक बड़ा मुद्दा रहेगा जो धर्म की आंच में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं.

हिजाब कंट्रोवर्सी पर कर्नाटक हाई कोर्ट क्या फैसला देगा? जवाब के लिए हमें कोई बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करना है. बाकी फैसला चाहे हिजाब के पक्ष में हो या विपक्ष में आने वाले समय में लोकतंत्र जरूर शर्मिंदा होगा. चूंकि पूरे विवाद की जड़ शिक्षा और स्कूल है तो कर्नाटक में बच्चों को जितनी पढ़ाई करनी थी उन्होंने कर ली. एग्जाम आते जाते रहेंगे लेकिन अभी वक़्त धर्म और धार्मिक मान्यताएं बचाने का है. अभी सबका पूरा फोकस उसी पर है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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