• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कर्नाटक HC में Hijab समर्थकों का विवाद में कुरान को घसीटना इल्लॉजिकल हथकंडा है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 फरवरी, 2022 08:02 PM
  • 19 फरवरी, 2022 10:06 PM
offline
Hijab Row पर कर्नाटक हाई कोर्ट में तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं. की जा रही हैं. ऐसे में सुनवाई के दौरान कुरान को घसीटा गया है और वो कह दिया है जिसका सिरा अगर कोई समझदार इंसान भावनाओं और धार्मिक मान्यताओं को दरकिनार कर खोजना भी चाहे, तो वो उसे शायद ही मिले.

कर्नाटक के उडुपी में शुरू हुई हिजाब कंट्रोवर्सी अपने निर्णायक मोड़ पर आ गई है. मामला कर्नाटक हाई कोर्ट की शरण में है. मामले को पहले ही बड़ी बेंच के हवाले कर दिया गया है. इसलिए सुनवाई का दौर जारी है. हिजाब का मुद्दा भले ही मुस्लिम समुदाय और समुदाय की एक धार्मिक प्रैक्टिस से जुड़ा हो, लेकिन कोर्ट हिजाब को लेकर क्या फैसला देता है? उस पर नजर पूरे देश की है. नजर हो भी ही क्यों न? वजह ख़ुद मुस्लिम समुदाय से जुड़ी लड़कियों ने दी है. मुस्लिम लड़कियां इसे 'चॉइस' का मुद्दा बना रही हैं संविधान का हवाला दे रही हैं. लोकतंत्र और अधिकारों की बात कर रही हैं. वहीं जो हाल कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों का है नियम कानूनों का हवाला दिया जा रहा है और ड्रेस कोड पर बातें हो रही हैं. ज़िक्र स्कूल कॉलेजों में नियम कानून का हुआ है तो बता दें कि उडुपी में शुरू हुई हिजाब कंट्रोवर्सी के बाद बीते 5 फरवरी को राज्य सरकार ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया. इसके मुताबिक, सभी छात्र-छात्राओं को तय ड्रेस कोड पहनकर ही आना होगा.

कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान क़ुरान को घसीटना कई मामलों में विचलित करता नजर आता है

जैसा कि हम बता चुके हैं मामला कोर्ट की क्षरण में है और सुनवाई का दौर जारी है. इसलिए दोनों ही पक्षों के तर्क वजनदार हों कर्नाटक हाई कोर्ट में तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं. की जा रही हैं. ऐसे में सुनवाई के दौरान कुरान को घसीटा गया है और वो कह दिया है जिसका सिरा अगर कोई समझदार इंसान भावनाओं और धार्मिक मान्यताओं को दरकिनार कर खोजना भी चाहे तो वो उसे शायद ही मिले.

बताते ;चलें कि हिजाब मामले में एक याचिका और डाली गयी है जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील डॉ विनोद कुलकर्णी ने इस बात पर बल दिया है कि हिजाब पर प्रतिबंध...

कर्नाटक के उडुपी में शुरू हुई हिजाब कंट्रोवर्सी अपने निर्णायक मोड़ पर आ गई है. मामला कर्नाटक हाई कोर्ट की शरण में है. मामले को पहले ही बड़ी बेंच के हवाले कर दिया गया है. इसलिए सुनवाई का दौर जारी है. हिजाब का मुद्दा भले ही मुस्लिम समुदाय और समुदाय की एक धार्मिक प्रैक्टिस से जुड़ा हो, लेकिन कोर्ट हिजाब को लेकर क्या फैसला देता है? उस पर नजर पूरे देश की है. नजर हो भी ही क्यों न? वजह ख़ुद मुस्लिम समुदाय से जुड़ी लड़कियों ने दी है. मुस्लिम लड़कियां इसे 'चॉइस' का मुद्दा बना रही हैं संविधान का हवाला दे रही हैं. लोकतंत्र और अधिकारों की बात कर रही हैं. वहीं जो हाल कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों का है नियम कानूनों का हवाला दिया जा रहा है और ड्रेस कोड पर बातें हो रही हैं. ज़िक्र स्कूल कॉलेजों में नियम कानून का हुआ है तो बता दें कि उडुपी में शुरू हुई हिजाब कंट्रोवर्सी के बाद बीते 5 फरवरी को राज्य सरकार ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया. इसके मुताबिक, सभी छात्र-छात्राओं को तय ड्रेस कोड पहनकर ही आना होगा.

कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान क़ुरान को घसीटना कई मामलों में विचलित करता नजर आता है

जैसा कि हम बता चुके हैं मामला कोर्ट की क्षरण में है और सुनवाई का दौर जारी है. इसलिए दोनों ही पक्षों के तर्क वजनदार हों कर्नाटक हाई कोर्ट में तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं. की जा रही हैं. ऐसे में सुनवाई के दौरान कुरान को घसीटा गया है और वो कह दिया है जिसका सिरा अगर कोई समझदार इंसान भावनाओं और धार्मिक मान्यताओं को दरकिनार कर खोजना भी चाहे तो वो उसे शायद ही मिले.

बताते ;चलें कि हिजाब मामले में एक याचिका और डाली गयी है जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील डॉ विनोद कुलकर्णी ने इस बात पर बल दिया है कि हिजाब पर प्रतिबंध कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान है. बात अटपटी थी इसलिए कोर्ट में भी इसे लेकर खून सवाल जवाब हुए विनोद कुलकर्णी की इस दलील पर आपत्ति जताते हुए जज ने उनसे सवाल किया कि क्या हिजाब और कुरान एक ही चीज है?

सवाल का जवाब देते हुए कुलकर्णी ने कहा, मेरे लिए नहीं, लेकिन पूरी दुनिया के लिए ऐसा ही है. मैं एक हिंदू ब्राह्मण हूं और कुरान पूरी दुनियाभर के मुस्लिम समुदाय के लिए है. बताते चलें कि डॉ. कुलकर्णी के याचिकाकर्ता द्वारा शुक्रवार और क्योंकि जल्द ही रमजान की शुरुआत हो रही है इसलिए इस पवित्र महीने के दौरान छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए एक अंतरिम आदेश की मांग की गई है.

क्योंकि कुरान का मुद्दा हटाकर हिजाब मामले को जबरदस्ती में पेंचीदा किया जा रहा है. इसलिए इस बात को कहीं न कहीं कर्नाटक हाई कोर्ट भी बखूबी समझता है. ध्यान रहे कि कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बहुत साफ़ लहजे में इस बात को कहा है कि हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि सरकारी आदेश में इसका कोई जिक्र नहीं है, लेकिन ड्रेस कोड का है.

जिक्र हिजाब के समर्थन में कोर्ट में दिए गए अजीबोगरीब तर्कों का हुआ है तो ये बताना भी बहुत जरूरी है कि सुनवाई के दौरान विनोद कुलकर्णी ने कोर्ट से ये भी कहा है कि यह मुद्दा उन्माद पैदा कर रहा है और मुस्लिम लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है.

वहीं 5 छात्राओं की नुमाइंदगी कर रहे सीनियर वकील एएम डार ने भी कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है.

डार का कहना है कि हिजाब पर सरकार के आदेश से उनके मुवक्किलों पर असर पड़ेगा जो हिजाब पहनते हैं. उन्होंने कहा कि यह आदेश असंवैधानिक है. डार के मामले में दिलचस्प ते है कि अदालत ने डार से अपनी वर्तमान याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने को कहा है.

चूंकि हिजाब कंट्रोवर्सी के तहत राज्य सरकार को भी घेरा जा रहा है इसलिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार हिजाब विवाद पर उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का अनुपालन करेगी.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सदन में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया के सवाल पर जवाब दे रहे थे जिन्होंने शून्यकाल में उच्च शिक्षा मंत्री अश्वथ नारायण के बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की थी. नारायण ने कहा था कि ड्रेस कोड प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज पर लागू है, डिग्री कॉलेज पर नहीं.

बहरहाल जैसा कि हम ऊपर ही इस बात की बता चुके हैं हिजाब विवाद पर फैसला आना अभी बाकी है. लेकिन बात क्योंकि सुनवाई के दौरान अतरंगे तर्कों और कुरान की है तो इतना तो साफ हो गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा ये सब स्कूल कॉलेजों में हिजाब को जस्टिफाई करने के उद्देश्य से किया जा रहा है और कुरान को यहां सिर्फ इसलिए लाया गया है क्योंकि हिजाब समर्थकों को धर्म की आड़ लेकर अपनी गलत मांग कोर्ट के समक्ष मनवानी है.

ये भी पढ़ें -

Karnataka Hijab Row: हिजाब में ही रहो न, इट्स धार्मिक एंड प्रियॉरिटी!

बुर्के में सती होना च्वाइस कैसे है?

'पंक्चर' बनाने वाली जाहिल क़ौम के लिये सस्ता मनोरंजन नहीं है हिजाब का मुद्दा 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲