• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

गुजरात दंगों पर नानावती कमीशन की रिपोर्ट बेमौसम सार्वजनिक करने का रहस्‍य!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 13 दिसम्बर, 2019 01:38 PM
  • 13 दिसम्बर, 2019 01:38 PM
offline
नानावती कमीशन रिपोर्ट (Nanavati Commission Report) की प्रासंगिकता पहले ही खत्म हो चुकी थी - अब ज्यादातर लोग भूल भी चुके थे. रिपोर्ट की चर्चा इसलिए होने लगी है क्योंकि गुजरात सरकार ने इसे विधानसभा में पेश किया है - सवाल सिर्फ ये है कि अचानक ऐसी जरूरत क्यों आन पड़ी?

2002 गुजरात दंगों (2002 Gujarat riots) पर नानावती कमीशन की रिपोर्ट (Nanavati Commission Report) को गुजरात विधानसभा (Gujarat assembly)में पेश कर दिया गया है. रिपोर्ट पेश किये जाने से कोई नयी जानकारी सामने नहीं आयी है - रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट (Narendra Modi clean chit) दी गयी है. फिर भी गुजरात सरकार की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर जानकारी दी गयी है. नानावती कमीशन रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाने की औपचारिकता बची हो सकती है - लेकिन मीडिया को बुलाकर पूरे देश में फिर से इसे चर्चा का हिस्सा बनाने का मतलब नहीं समझ में आ रहा है - बशर्ते, इसके पीछे नागरिकता संशोधन बिल, NRC और हाल फिलहाल संभावित समान नागरिक संहिता बिल से इसे जोड़ने की कोई सोच न हो?

बड़ा सवाल तो यही है कि गुजरात सरकार को नानावती कमीशन रिपोर्ट अचानक क्यों याद आयी?

प्रेस कांफ्रेंस बुलाने की जरूरत क्या थी?

नानावती आयोग ने तो नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट बहुत पहले ही दे दी थी. नानावती आयोग से जुड़ी तकरीबन सारी जानकारी भी मीडिया में तभी आ गयी थी जब ये रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंपी गयी थी - और ये भी पांच साल पहले की बात है.

सिर्फ गुजरात या देश ही नहीं, पूरी दुनिया को तभी मालूम हो गया था कि 2002 के गुजरात दंगों में तत्तकालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कहीं कोई भूमिका नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो चुके जस्टिस जीटी नानावती और गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अक्षय मेहता ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 2014 में ही सौंप दी थी.

11 दिसंबर को गुजरात विधानसभा में नानावती कमीशन की रिपोर्ट रखी गयी. बाद में गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर विस्तार से जानकारी भी दी, 'आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे. रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई है.'

वो तो ठीक है, लेकिन इसमें नयी बात क्या है? मीडिया के जरिये किसी सरकार का कोई मंत्री इस तरीके से कोई औपचारिक जानकारी देता है तो वो...

2002 गुजरात दंगों (2002 Gujarat riots) पर नानावती कमीशन की रिपोर्ट (Nanavati Commission Report) को गुजरात विधानसभा (Gujarat assembly)में पेश कर दिया गया है. रिपोर्ट पेश किये जाने से कोई नयी जानकारी सामने नहीं आयी है - रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट (Narendra Modi clean chit) दी गयी है. फिर भी गुजरात सरकार की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर जानकारी दी गयी है. नानावती कमीशन रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाने की औपचारिकता बची हो सकती है - लेकिन मीडिया को बुलाकर पूरे देश में फिर से इसे चर्चा का हिस्सा बनाने का मतलब नहीं समझ में आ रहा है - बशर्ते, इसके पीछे नागरिकता संशोधन बिल, NRC और हाल फिलहाल संभावित समान नागरिक संहिता बिल से इसे जोड़ने की कोई सोच न हो?

बड़ा सवाल तो यही है कि गुजरात सरकार को नानावती कमीशन रिपोर्ट अचानक क्यों याद आयी?

प्रेस कांफ्रेंस बुलाने की जरूरत क्या थी?

नानावती आयोग ने तो नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट बहुत पहले ही दे दी थी. नानावती आयोग से जुड़ी तकरीबन सारी जानकारी भी मीडिया में तभी आ गयी थी जब ये रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंपी गयी थी - और ये भी पांच साल पहले की बात है.

सिर्फ गुजरात या देश ही नहीं, पूरी दुनिया को तभी मालूम हो गया था कि 2002 के गुजरात दंगों में तत्तकालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कहीं कोई भूमिका नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो चुके जस्टिस जीटी नानावती और गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अक्षय मेहता ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 2014 में ही सौंप दी थी.

11 दिसंबर को गुजरात विधानसभा में नानावती कमीशन की रिपोर्ट रखी गयी. बाद में गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर विस्तार से जानकारी भी दी, 'आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे. रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई है.'

वो तो ठीक है, लेकिन इसमें नयी बात क्या है? मीडिया के जरिये किसी सरकार का कोई मंत्री इस तरीके से कोई औपचारिक जानकारी देता है तो वो अपनेआम में अहम हो जाती है - लेकिन पांच साल पुरानी बात को ऐसे महत्वपूर्ण अंदाज में अचानक बताये जाने के तुक क्या है भला?

मोदी को दोबारा मैंडेट मिलने के बाद नानावती कमीशन रिपोर्ट में क्लीन चिट को पूछता कौन है?

गुजरात सरकार का ये कदम ही अपनेआप में रहस्यमय लगने लगा है - आखिर ये रिपोर्ट अभी पेश करने की जरूरत ही क्या थी?

नानावती रिपोर्ट अब पेश करने का क्या मकसद है?

नागरिकता संशोधन बिल लोक सभा के बाद राज्य सभा से भी पास हो चुका है. राज्य सभा में विपक्ष के सभी संशोधन और सेलेक्ट कमेटी में भेजने के प्रस्ताव गिर गये - और अब तो राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. यानी यह बिल अब कानून बन चुका है.

नागरिकता संशोधन बिल, सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आये फैसले के ठीक बाद आया है - और अभी NRC को लेकर विरोध और जगह जगह बवाल चल ही रहा है. नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर हो चुकी है.

पूर्वोत्तर के राज्यों में जारी हिंसा और विरोध प्रदर्शन को लेकर झारखंड की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. झारखंड की जमी से असम और आसपास के राज्यों के लोगों को प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के बहकावे में न आने की सलाह दी. बिल को लेकर गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा था कि अगर कांग्रेस ने इसका उपाय पहले ही कर दिया होता तो ये बिल अब लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जिन मुद्दों पर चुनाव जीत कर मोदी सरकार सत्ता में लौटी है, एक एक करके वादे पूरी करने की कोशिश कर रही है. अब इस कड़ी में एक पुराना वादा बचा हुआ है - समान नागरिक संहिता. माना जा रहा है कि अब उसी की बारी है.

ऐसे माहौल में क्या नानावती रिपोर्ट को फिर से चर्चा में लाये जाने के पीछे RSS की कोई सोच रही होगी?

फिर तो ये भी सवाल बनता है कि रिपोर्ट को फिर से चर्चा में लाने के पीछे सोच क्या है - और तात्कालिक या कोई दूरगामी मकसद क्या हो सकता है?

नानावती कमीशन रिपोर्ट की चर्चा मात्र से एक साथ कई बातें याद दिलायी जा सकती हैं. ये कमीशन पहले गोधरा कांड की जांच के लिए बना था और बाद में गुजरात दंगों की जांच भी आयोग के हवाले कर दी गयी थी.

रिपोर्ट याद दिलाती है कि 2002 में गुजरात में क्या हुआ था? रिपोर्ट याद दिलाती है कि 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे और काफी सारे लोग मारे गये थे. रिपोर्ट याद दिलाती है कि दंगों के वक्त कौन मुख्यमंत्री था? रिपोर्ट याद दिलाती है कि दंगों को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री पर किस तरह के आरोप लगे थे?

सवाल ये है कि ये सब याद दिलाने में गलत क्या है?

जवाब है - कुछ भी गलत नहीं है.

ऐसा ही एक सवाल है कि श्मशान और कब्रिस्तान को लेकर विमर्श बढ़ाने में गलत क्या है?

जवाब है - कुछ भी गलत नहीं है.

अगर कुछ भी गलत नहीं है तो इससे फर्क क्या पड़ता है?

फर्क इतना ही पड़ता है कि ये किसी खास अलर्ट की तरह असर करता है - और किसी खास वोट बैंक के दिमाग पर सीधा असर पड़ता है. फर्क ये पड़ता है कि जो बातें याद रखनी हैं - वो भूली तो नहीं हैं?

क्या नानावती कमीशन रिपोर्ट के साथ भी ऐसा ही कुछ कुछ है? ये रिपोर्ट पांच साल से पड़ी हुई थी. कभी भी टेबल की जा सकती थी. पहले भी की जा सकती थी. बाद में भी, कभी भी विधानसभा में पेश की जा सकती थी.

सवाल है - लेकिन अभी क्यों?

जवाब भी है - अभी क्यों नहीं?

अभी तो नागरिकता संशोधन बिल को लेकर ताजा ताजा माहौल बना हुआ है. NRC का मुद्दा भी गर्मागर्म है - झारखंड में चुनाव चल रहा है और आने वाले कम से कम तीन चुनावों में तो जोरदार बहस होनी ही है.

अगर ये संघ की किसी दूरगामी सोच और तात्कालिक रणनीति का हिस्सा है, फिर तो कोई बात नहीं - लेकिन ये विनोद रुपाणी सरकार का फैसला है तो सवाल बनता है - नानावती कमीशन रिपोर्ट अचानक क्यों याद आयी?

जब देश की जनता ने पांच साल अच्छी तरह देखने, सुनने और समझने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता सौंप दी, पहले के मुकाबले बड़ा मैंडेट दे दिया - फिर नानावती कमीशन की रिपोर्ट में क्लीन चिट की कोई अहमियत रह जाती है क्या?

इन्हें भी पढ़ें :

Citizenship Amendment Bill नतीजा है नेहरू-लियाकत समझौता की नाकामी का

Citizenship Amendment Bill: हमारी संसद ने बंटवारे के जुर्म से जिन्ना को बरी कर दिया!

BJP के बढ़ते दबदबे के आगे महाराष्ट्र एपिसोड बड़ा स्पीडब्रेकर



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲