• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

ऐसी सब्सिडी से तौबा

    • मोहम्मद वक़ास
    • Updated: 24 जनवरी, 2018 07:47 PM
  • 16 जनवरी, 2018 09:07 PM
offline
हज पर सब्सिडी खत्म करने का फैसला सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही कर लिया था. इसके पहले खुद सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 2022 तक हज की सब्सिडी खत्म कर दी जाए. तो लब्बो लुबाब ये कि ये फैसला राजनीतिक नहीं मजबूरी में लिया गया.

सब्सिडी या किसी भी तरह की रियायत सबको अच्छी लगती है. लेकिन हज सब्सिडी के मामले में खुद मुसलमानों का ऐसा नहीं मानना था. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में जब इसे सिलसिलेवार ढंग से 2022 तक खत्म करने का आदेश दिया था. तब भी समुदाय के लोगों का कहना था कि इसे फौरन खत्म कर देना चाहिए.

अभी दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और इस्लामी मामलों के जानकार डॉ. जफरुल इस्लाम खान ने पिछले साल अगस्त में इंडिया टुडे से कहा था, ''2022 तक का इंतजार करने की क्या जरूरत है? इस सब्सिडी को तत्काल बंद कर दिया जाए." ध्यान रहे की अदालत ने भी अंतिम समय 2022 तय की थी. यानी यह काम उससे पहले ही करना था. और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस बाबत पिछले साल नवंबर में ही फैसला कर लिया था.

हज कितना जरूरी:

मुसलमानों के लिए पांच चीजें जरूरी हैं: कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज.

कलमा यानी अल्लाह और उसके नबी पर यकीन की गवाही. नमाज या पांच वक्त की प्रार्थना. रोजा यानी अरबी महीने रमजान में एक महीने तक उपवास. इन तीनों में कोई पैसा खर्च नहीं होता. जकात एक तरह का टैक्स है. यह किसी मुस्लिम पर तभी लागू होता है, जब उसके पास कोई माल हो.

सब्सिडी या किसी भी तरह की रियायत सबको अच्छी लगती है. लेकिन हज सब्सिडी के मामले में खुद मुसलमानों का ऐसा नहीं मानना था. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में जब इसे सिलसिलेवार ढंग से 2022 तक खत्म करने का आदेश दिया था. तब भी समुदाय के लोगों का कहना था कि इसे फौरन खत्म कर देना चाहिए.

अभी दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और इस्लामी मामलों के जानकार डॉ. जफरुल इस्लाम खान ने पिछले साल अगस्त में इंडिया टुडे से कहा था, ''2022 तक का इंतजार करने की क्या जरूरत है? इस सब्सिडी को तत्काल बंद कर दिया जाए." ध्यान रहे की अदालत ने भी अंतिम समय 2022 तय की थी. यानी यह काम उससे पहले ही करना था. और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस बाबत पिछले साल नवंबर में ही फैसला कर लिया था.

हज कितना जरूरी:

मुसलमानों के लिए पांच चीजें जरूरी हैं: कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज.

कलमा यानी अल्लाह और उसके नबी पर यकीन की गवाही. नमाज या पांच वक्त की प्रार्थना. रोजा यानी अरबी महीने रमजान में एक महीने तक उपवास. इन तीनों में कोई पैसा खर्च नहीं होता. जकात एक तरह का टैक्स है. यह किसी मुस्लिम पर तभी लागू होता है, जब उसके पास कोई माल हो.

हज सब्सिडी को खत्म करने के हक में ही हैं कई मुसलमान

और फिर हज. जब व्यक्ति के पास इतना पैसा हो कि वह सालभर में एक बार होने वाले हज के लिए जीवन में कम से कम एक बार मक्के की यात्रा जरूर करे. इसके लिए शर्त है कि व्यक्ति के पास जायज तरीके से कमाया हुआ पैसा हो. सरकारी सब्सिडी का मतलब है कि पैसा, मनोरंजन और आबकारी की मद से आया हो सकता है. कई मुसलमानों को लगता था कि इस तरह का पैसा हराम है. लिहाजा ऐसे पैसे से हज कतई जायज नहीं है.

सब्सिडी हाजियों को या एयर इंडिया को?

वैसे, ज्यादातर लोगों का मानना था कि हज सब्सिडी दरअसल छलावा है. हकीकत में उससे हजियों को कोई फायदा नहीं होता. खुद सेंट्रल हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सलामतुल्लाह ने कहा, ''यह सब्सिडी कुछ नहीं है. बस यह समझ लीजिए कि पैसा वित्त मंत्रालय के खाते से निकलकर विदेश मंत्रालय और वहां से एयर इंडिया के खाते में पहुंच जाता है. हाजी के हाथ में तो एक पाई नहीं आती. दरअसल, कई लोग इसे एयर इंडिया को परोक्ष सब्सिडी के तौर पर देखते थे."

हज कमेटी की ओर से जाने वाले यात्रियों को एयर इंडिया या सऊदी अरब की एयरलाइंस सऊदिया से जाना होता था. चूंकि मक्का में कोई हवाई अड्डा नहीं है, लिहाजा सब हज यात्री जद्दा जाते हैं. वहां तक भारत के विभिन्न जगहों से जाने-आने के टिकट की दर, सामान्य से तीन गुना ज्यादा महंगा कर दिया जाता है. इसे कोई समझ नहीं सकता. यही नहीं, हज की फ्लाइट में जद्दा में बहुत मामूली दर पर ईंधन भरा जाता है. इस रियायत के बावजूद अगर कोई व्यक्ति जद्दा घूमने जा रहा है और दूसरा हज के इरादे से जा रहा है, तो दोनों का किराया अलग होगा! जैसा कि सलामतुल्लाह ने कहा, ''यानी सरकार सब्सिडी, हज यात्रियों को नहीं, बल्कि एयर इंडिया को दे रही है."

सब्सिडी की जरूरत नहीं:

ध्यान रहे कि सारे लोग हज कमेटी के जरिए ही यात्रा पर नहीं जाते. पिछले साल 1.70 लाख यात्रियों में से सवा लाख ही कमेटी के जरिए गए थे. बाकी प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के जरिए गए थे. निजी ऑपरेटरों की मदद लेने वालों को किसी तरह की सब्सिडी नहीं मिलती. इसके बावजूद कोई किसी तरह के घाटे का रोना नहीं रोता. हकीकत तो यह है कि वे सब ग्रुप में बुकिंग कराते हैं, जिससे टिकट की कीमत और कम हो जाती है. इसके अलावा, रहने-खाने और वहां यात्रा की भी व्यवस्था सामूहिक रूप से की जाती है.

हज सब्सिडी हाजियों को दी जाती थी या फिर एयर इंडिया को

सब्सिडी का पैसा सरकार चाहे जिस मद में लगाए, लेकिन इसके खत्म होने के साथ ही सेंट्रल हज कमेटी को हज यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकालना चाहिए. इसका ठेका उसी विमान सेवा को दी जानी चाहिए जो सबसे कम किराये पर यात्रियों को ले जाने-लाने के लिए तैयार हो. निश्चित रूप से किराया कम हो जाएगा.

कई धार्मिक लोगों का मानना है कि वैसे भी हज पर सब्सिडी देना इस्लाम के हिसाब से ठीक नहीं है. कर्ज या दान लेकर हज यात्रा करना, किसी मुसलमान के लिए सही नहीं है. सब्सिडी से किया गया हज तो किसी काम का नहीं है.

यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि सेंट्रल हज कमेटी के कर्मचारियों को भी सरकार से वेतन नहीं मिलता था. हज कमेटी के तकरीबन 500 कर्मचारियों के वेतन के लिए केंद्र सरकार अलग से तो कोई पैसा देती नहीं है. यह पैसा भी तो हाजियों से मिले पैसे से ही निकलता है. इसी वजह से कई लोगों का मानना था कि बेहतर होगा सरकार सब्सिडी बंद कर दे. ताकि लोगों को पता चले कि सब्सिडी वाकई मिलती भी थी या नहीं.

हालांकि एयर इंडिया को सरकार से भरपूर सहायता मिलती है और वह कोई अकेले हज यात्रियों से ही नहीं कमाता. फिर भी यह कहा जा सकता है कि सरकार ने एयर इंडिया को बेचने का इरादा बना लिया है, ऐसे में हज सब्सिडी भी खत्म होनी ही चाहिए. वैसे भी सरकार को धार्मिक यात्रा कराने के धंधे से बाहर रहना चाहिए.

ये भी पढ़ें-

हिंदू धर्म में अब रिफॉर्म की जरूरत है

'मन की बात' में मुस्लिम महिलाओं के लिए 'आधी बात' !

हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई.. जानिए, किस धर्म में पैदा हो रहे हैं सबसे ज्यादा बच्चे!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲