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मुरादनगर केस: दोषियों पर योगी आदित्यनाथ का 'एनकाउंटर' स्टाइल एक्शन

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 जनवरी, 2021 03:51 PM
  • 07 जनवरी, 2021 03:51 PM
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मुरादनगर मामले (Muradnagar Incident) में दोषी इंजीनियर और ठेकेदार पर NSA और मुआवजे के पैसे वसूलने की बात कहकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adutyanath ) ने उस कहावत को चरितार्थ कर दिया जिसमें कहा गया, तू डाल-डाल तो मैं पात-पात.

साल 2017, उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा फेर बदल उस वक़्त देखने को मिला जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे आए. सूबे की जनता ने लचर कानून व्यवस्था का हवाला देकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को सिरे से खारिज किया और भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई. सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए योगी आदित्यनाथ ने इस बात को कहा कि सूबे में किसी प्रकार की अराजकता, गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. शुरुआत में लोगों को ये बातें महज जुमला लगीं लेकिन जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक के बाद एक एनकाउंटर किये लोगों को लगा कि 2017 में मुख्यमंत्री बनते हए जो बातें योगी आदित्यनाथ ने कहीं थीं वो जुमला नहीं थीं.

योगी आदित्यनाथ पर लोगों का विश्वास उस वक़्त भी पुख्ता हुआ जब 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिले दंगों की आग में जल रहे थे. मुख्यमंत्री रहते हुए योगी न केवल इन दंगों के प्रति गंभीर थे बल्कि दंगाइयों के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए उन्होंने आदेश दिया कि हिंसा के दौरान जो भी क्षति सरकारी सम्पतियों को हुई है उसका हर्जाना इन्हीं दंगाइयों से वसूला जाएगा. 2017 में सूबे की कमान संभालने वाले योगी आदित्यनाथ आज भी अपनी बातों पर उतना ही कायम हैं जितना वो पहले थे. सवाल होगा कैसे? तो वजह है गाजियाबाद के मुरादनगर में हुई घटना. मुरादनगर मामले में अब हादसे में मारे गए लोगों को मुआवजा दोषी इंजीनियर और ठेकेदार अपनी जेब से देंगे.

मुरादनगर मामले में जो फैसला यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ नदे किया है वो अपने में ऐतिहासिक है

ध्यान रहे कि, गाजियाबाद में जो कुछ भी हुआ, जिस तरह 25 लोगों की मौत हुई और जैसे 17 लोग घायल हुए उसपर हमारी आपकी तरह सूबे के...

साल 2017, उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा फेर बदल उस वक़्त देखने को मिला जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे आए. सूबे की जनता ने लचर कानून व्यवस्था का हवाला देकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को सिरे से खारिज किया और भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई. सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए योगी आदित्यनाथ ने इस बात को कहा कि सूबे में किसी प्रकार की अराजकता, गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. शुरुआत में लोगों को ये बातें महज जुमला लगीं लेकिन जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक के बाद एक एनकाउंटर किये लोगों को लगा कि 2017 में मुख्यमंत्री बनते हए जो बातें योगी आदित्यनाथ ने कहीं थीं वो जुमला नहीं थीं.

योगी आदित्यनाथ पर लोगों का विश्वास उस वक़्त भी पुख्ता हुआ जब 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिले दंगों की आग में जल रहे थे. मुख्यमंत्री रहते हुए योगी न केवल इन दंगों के प्रति गंभीर थे बल्कि दंगाइयों के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए उन्होंने आदेश दिया कि हिंसा के दौरान जो भी क्षति सरकारी सम्पतियों को हुई है उसका हर्जाना इन्हीं दंगाइयों से वसूला जाएगा. 2017 में सूबे की कमान संभालने वाले योगी आदित्यनाथ आज भी अपनी बातों पर उतना ही कायम हैं जितना वो पहले थे. सवाल होगा कैसे? तो वजह है गाजियाबाद के मुरादनगर में हुई घटना. मुरादनगर मामले में अब हादसे में मारे गए लोगों को मुआवजा दोषी इंजीनियर और ठेकेदार अपनी जेब से देंगे.

मुरादनगर मामले में जो फैसला यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ नदे किया है वो अपने में ऐतिहासिक है

ध्यान रहे कि, गाजियाबाद में जो कुछ भी हुआ, जिस तरह 25 लोगों की मौत हुई और जैसे 17 लोग घायल हुए उसपर हमारी आपकी तरह सूबे के मुखिया न केवल दुखी हैं. बल्कि उन्होंने एक नजीर स्थापित की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माण कार्य मे हुए सरकारी धन के नुकसान के साथ घटना में मारे गए लोगों के परिवार को दी जा रही मुआवजा राशि की भरपाई भी जिम्मेदार ठेकेदार और इंजीनियरों से करने के निर्देश दिए हैं.

दिलचस्प बात ये है कि उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य और इस तरह का निर्देश देने वाले योगी आदित्यनाथ पहले मुख्यमंत्री बने हैं. बताते चलें कि मामला प्रकाश में आने और यूपी सरकार पर विपक्ष के सवाल उठने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक आश्रितों को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान तो किया ही साथ ही उन्होंने उन लोगों को जिनके पास घर नहीं थे आवास उपलब्ध कराने का ऐलान किया है. घटना में जो लोग शामिल हैं उनपर भी योगी सख्त हैं और इस दुर्घटना के आरोपियों के खिलाफ NSA के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.

गौरतलब है कि अभी बीते दिन ही मामले के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के साथ बैठक की है और सख्त लहजे में इस बात को दोहराया है कि यदि किसी भी तरह के सरकारी निर्माण कार्य में गुणवत्ता निर्धारित मानकों से कम मिली तो डीएम और कमिश्नर इसके लिए जिम्मेदार होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसे मामलों में ठेकेदारों और इंजीनियरों के ऊपर तो गाज गिरेगी ही साथ ही डीएम और कमिश्नर भी बख्शे नहीं जाएंगे, उनपर भी सख्त एक्शन लिया जाएगा.

बैठक में योगी ने इस बात का भी ऐलान किया है कि हर जिले में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए टास्क फोर्स गठित की जाएगी. मुख्‍यमंत्री ने हर बड़े प्रोजेक्‍ट की कम से कम 3 बार औचक गुणवत्‍ता जांच कराने और उसकी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश अफसरों को दिए हैं.

ज्ञात हो कि मामला प्रकाश में आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ चौतरफा आलोचना का सामना कर रहे हैं चूंकि मुरादनगर मामला एक बड़ा मुद्दा बन गया है इसलिए मुख्यमंत्री ने ये भी कहा है कि सूबे में किसी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.उन्‍होंने कहा कि मानक से विपरीत गुणवत्‍ता मिली तो ठेकेदार, इंजीनियरों के साथ जिम्‍मेदार प्रशासनिक अफसरों को भी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.

मुरादनगर मामला सामने क्यों आया इसकी एक बड़ी वजह भ्रष्टाचार है. मामले के मद्देनजर सरकार विपक्ष के निशाने पर है इसलिए मृतकों के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा, आवासहीन लोगों को आवास और दोषी इंजीनियर और ठेकेदार पर रासुका के तहत एक्शन लिए जाने की बात सीएम योगी आदित्यनाथ ने कही थी. बाकी जिस तरह इस मामले में दोषी इंजीनियर और ठेकेदारों से जुर्माना वसूलने की बात सीएम ने कही है उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त तमाम अधिकारियों को निर्देशित करते हुए बता दिया है कि यदि वो लोग डाल डाल हैं तो एक मुख्यमंत्री के रूप में वो भी पात पात हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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