• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

क्लीन चिट से अशोक गहलोत बचाए नहीं, निपटा दिए गए हैं

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 28 सितम्बर, 2022 04:04 PM
  • 28 सितम्बर, 2022 04:03 PM
offline
राजस्थान में हुई बगावत के मामले में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को कांग्रेस आलाकमान (Congress) ने क्लीन चिट दे दी है. संभावना है कि अब उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में बना रहेगा. और, अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वो कम से कम अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में कामयाब हो ही जाएंगे. लेकिन, ऐसा ही होगा, अब इसकी गारंटी देना केवल कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के बस में ही है.

राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों पर पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में अशोक गहलोत को 'क्लीन चिट' दी गई है. वहीं, बीते दिन सचिन पायलट ने भी दिल्ली दरबार में अपनी हाजिरी लगा दी थी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी दिल्ली आ सकते हैं. वैसे, अशोक गहलोत को मिली क्लीन चिट के बाद माना जा रहा है कि उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में बना रहेगा. और, अगर ऐसा नहीं होता है, तो वो कम से कम अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में कामयाब हो ही जाएंगे. लेकिन, ऐसा ही होगा, अब इसकी गारंटी देना केवल कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के बस में ही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो क्लीन चिट से अशोक गहलोत बचे नहीं, निपटा दिए गए हैं.

अशोक गहलोत को क्लीन चिट देकर गांधी परिवार ने उन पर अहसान ही किया है.

गहलोत को गांधी परिवार ने कैसे निपटाया

- राहुल गांधी ने जैसे ही साफ किया कि वो कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से दूर रहेंगे. इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि कांग्रेस के ओल्डगार्ड में शामिल अशोक गहलोत अब अगले गैर-गांधी पार्टी अध्यक्ष बनेंगे. इसी बीच राहुल गांधी ने ये 'एक व्यक्ति, एक पद' के फॉर्मूले पर चलने की बात कर दी. तो, अशोक गहलोत को अपने हाथ से सीएम पद जाता दिखने लगा. क्योंकि, कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम सामने आने के बाद राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का चेहरा भी खोजा जाने लगा. और, यहां एंट्री हुई सचिन पायलट की. जिन्होंने 2020 में अशोक गहलोत की सरकार को अस्थिर कर दिया था.

- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश पर दिल्ली से अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षक के तौर पर राजस्थान पहुंचे. लेकिन, माकन-खड़गे के साथ होने वाली मीटिंग से पहले ही विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना...

राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों पर पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में अशोक गहलोत को 'क्लीन चिट' दी गई है. वहीं, बीते दिन सचिन पायलट ने भी दिल्ली दरबार में अपनी हाजिरी लगा दी थी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी दिल्ली आ सकते हैं. वैसे, अशोक गहलोत को मिली क्लीन चिट के बाद माना जा रहा है कि उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में बना रहेगा. और, अगर ऐसा नहीं होता है, तो वो कम से कम अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में कामयाब हो ही जाएंगे. लेकिन, ऐसा ही होगा, अब इसकी गारंटी देना केवल कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के बस में ही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो क्लीन चिट से अशोक गहलोत बचे नहीं, निपटा दिए गए हैं.

अशोक गहलोत को क्लीन चिट देकर गांधी परिवार ने उन पर अहसान ही किया है.

गहलोत को गांधी परिवार ने कैसे निपटाया

- राहुल गांधी ने जैसे ही साफ किया कि वो कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से दूर रहेंगे. इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि कांग्रेस के ओल्डगार्ड में शामिल अशोक गहलोत अब अगले गैर-गांधी पार्टी अध्यक्ष बनेंगे. इसी बीच राहुल गांधी ने ये 'एक व्यक्ति, एक पद' के फॉर्मूले पर चलने की बात कर दी. तो, अशोक गहलोत को अपने हाथ से सीएम पद जाता दिखने लगा. क्योंकि, कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम सामने आने के बाद राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का चेहरा भी खोजा जाने लगा. और, यहां एंट्री हुई सचिन पायलट की. जिन्होंने 2020 में अशोक गहलोत की सरकार को अस्थिर कर दिया था.

- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश पर दिल्ली से अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षक के तौर पर राजस्थान पहुंचे. लेकिन, माकन-खड़गे के साथ होने वाली मीटिंग से पहले ही विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया. और, इसी के साथ विधायकों ने माकन और खड़गे के सामने यानी सीधे तौर पर कांग्रेस आलाकमान के सामने तीन शर्ते रख दीं. जिनमें मुख्यमंत्री के नाम का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद करने, सचिन पायलट या उनके किसी समर्थक विधायक को सीएम न बनाने और वन-टू-वन बातचीत की जगह ग्रुप में आने की शर्त रखी गईं. जिसे अजय माकन ने 'अनुशासनहीनता' करार दिया.

- माना जा रहा था कि राजस्थान का ये सियासी संकट अशोक गहलोत के ही इशारे पर खड़ा किया गया है. क्योंकि, इस्तीफा देने वालों में अशोक गहलोत के करीबी विधायक ही शामिल रहे. और, गहलोत को पता था कि सचिन पायलट का विरोध होने पर यही माना जाएगा कि ये अशोक गहलोत ही इसके कर्ता-धर्ता हैं. तो, खुद को बचाने के लिए उन्होंने माकन और खड़गे से दो बार मुलाकात भी की. वैसे भी प्रताप सिंह खाचरियावास, शांति धारीवाल सरीखे गहलोत के करीबी नेताओं ने ही मुखरता के साथ सचिन पायलट के नाम का विरोध करते हुए सीधे कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ ही बगावत कर दी थी.

- इस पूरे बवाल के बाद अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम ने सोनिया गांधी को इस मामले की रिपोर्ट दी. जिसके बाद कांग्रेस के तीन मंत्रियों समेत कुछ विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. लेकिन, अशोक गहलोत को क्लीन चिट दी गई. कांग्रेस आलाकमान की इस कार्रवाई के साथ ही बगावत करने वाले विधायकों के तेवर नरम पड़ गए. कोई विधायक ये कह रहा था कि उन्हें मिसगाइड किया गया. तो, किसी ने ये कहा कि बिना बताए ही कागज पर साइन कराए गए थे. जो बाद में इस्तीफा निकला. आसान शब्दों में कहें, तो अब कई विधायक कांग्रेस आलाकमान के फैसले के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

- दरअसल, कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को क्लीन चिट देकर साफ कर दिया कि किसी के समर्थन में बगावत करने पर कार्रवाई में नेता अपने राजनीतिक कद की वजह से बच भी सकता है. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान के आदेशों की अवहेलना करने वाले विधायकों को बचाने वाला कोई नहीं होता है. वहीं, अशोक गहलोत को क्लीन चिट देकर भी गांधी परिवार ने ये साबित किया कि कांग्रेस में भले ही गहलोत पार्टी अध्यक्ष बन जाएं. लेकिन, पार्टी में अब भी सारे काम गांधी परिवार के इशारे पर ही चलेंगे.

- वैसे, अशोक गहलोत को मिली क्लीन चिट उनके लिए भी संदेश है कि पार्टी में किसी का राजनीतिक कद कितना भी बड़ा हो, लेकिन कांग्रेस आलाकमान का आदेश ही सर्वोपरि होता है. और, विधायकों के बदले सुर इसका स्पष्ट उदाहरण हैं. खैर, राजस्थान में फिलहाल की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि गहलोत के हाथ से मुख्यमंत्री पद का जाना तय है. और, कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उनके हाथ में कुछ खास रहने वाला नहीं है. क्योंकि, जिन अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे (गांधी परिवार के करीबी) से गहलोत को क्लीन चिट मिली हो. वो उनके खिलाफ शायद ही कभी बोलने की हिम्मत जुटा पाएंगे. एक बात ये भी है कि गहलोत को क्लीन चिट देकर कांग्रेस आलाकमान ने उन पर अहसान ही किया है. वरना पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह उनका भी सियासी करियर खत्म हो जाता.

- राजनीति में वैसे भी कहा ही जाता है कि कोई भी पर्मानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. तो, आज जो विधायक अशोक गहलोत का समर्थन करते नजर आ रहे हैं. कल सचिन पायलट के समर्थन में खड़े हो जाएंगे. क्योंकि, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इन विधायकों को कांग्रेस का टिकट सचिन पायलट की ही अनुशंसा पर मिलेगा. और, भले ही अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं. लेकिन, राज्य की राजनीति में उनका दखल बस रबर स्टांप जैसा ही होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲