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कलह के बीच अर्जुन बन मछली की आंख पर राहुल की एकाग्रता...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 01 अक्टूबर, 2022 11:39 PM
  • 01 अक्टूबर, 2022 11:39 PM
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कांग्रेस पार्टी की जैसी स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है. तमाम चीजों को लेकर पार्टी में अफरातफरी मची है. ऐसे में राहुल अर्जुन की तरह सारी एकाग्रता मछली की आंख के निशाने पर लगाए हुआ हैं। कह सकते हैं ज़मीनी संघर्ष के सिवा राहुल इस समय कुछ नहीं देख रहे हैं.

घर में झगड़ा इतना बढ़ गया कि बाहर वाले बीच-बचाव के लिए घुस आए. झगड़े के शोर के बीच उसी घर के एक बालक को पढ़ते देख लोगों ने कहा शाबाश ! तुम पढ़ते रहो, अपना भविष्य उज्जवल करो. पढ़-लिखकर कुछ बन जाओगे तो घर की वो मुश्किलें दूर हो जाएंगी जिससे कलह और झगड़े जन्म ले रहे हैं. कुछ ऐसे ही कांग्रेस के घरेलू झगड़ों से अलग हट कर पार्टी के फायर ब्रांड राहुल गांधी होनहार बालक की तरह विपक्षी भूमिका का दायित्व निभाते हुए ज़मीनी संघर्ष करते हुए पसीना बहा रहे हैं. एक तरफ उनकी पार्टी में कलह मची है दूसरी तरफ राहुल भारत जोड़ो यात्रा जारी रखें हैं. समाज में जहर घुलने, केंद्र सरकार की नीतियों, मंहगाई और बेरोजगारी के ख़िलाफ़ वो अपनी लम्बी पद यात्रा में जनता के बीच अपना संघर्ष जारी रखें हैं.

राहुल गांधी ने पार्टी के अंदर की सभी चीजों को नकार दिया है उनका सारा ध्यान अपनी यात्रा पर है

कांग्रेस में अफरातफरी के बीच राहुल अर्जुन की तरह सारी एकाग्रता मछली की आंख के निशाने पर लगाए हैं. ज़मीनी संघर्ष के सिवा वो कुछ नहीं देख रहे हैं. लोग इस बात की तारीफ कर रहे हैं. जबकि कुछ लोग मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली के शेर के साथ कांग्रेस की कलह के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज़ कर रहे हैं.

अपना ग़म लेकर कहीं और ना जाया जाए,

घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए.

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें,

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए.

देश को आजादी दिलाने में अग्रणी, देश की सबसे पुरानी पार्टी और सबसे ज्यादा वक्त हुकुमत करने वाली कांग्रेस के हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं. पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर उठापटक हो रही है. राहुल पहले ही अध्यक्ष...

घर में झगड़ा इतना बढ़ गया कि बाहर वाले बीच-बचाव के लिए घुस आए. झगड़े के शोर के बीच उसी घर के एक बालक को पढ़ते देख लोगों ने कहा शाबाश ! तुम पढ़ते रहो, अपना भविष्य उज्जवल करो. पढ़-लिखकर कुछ बन जाओगे तो घर की वो मुश्किलें दूर हो जाएंगी जिससे कलह और झगड़े जन्म ले रहे हैं. कुछ ऐसे ही कांग्रेस के घरेलू झगड़ों से अलग हट कर पार्टी के फायर ब्रांड राहुल गांधी होनहार बालक की तरह विपक्षी भूमिका का दायित्व निभाते हुए ज़मीनी संघर्ष करते हुए पसीना बहा रहे हैं. एक तरफ उनकी पार्टी में कलह मची है दूसरी तरफ राहुल भारत जोड़ो यात्रा जारी रखें हैं. समाज में जहर घुलने, केंद्र सरकार की नीतियों, मंहगाई और बेरोजगारी के ख़िलाफ़ वो अपनी लम्बी पद यात्रा में जनता के बीच अपना संघर्ष जारी रखें हैं.

राहुल गांधी ने पार्टी के अंदर की सभी चीजों को नकार दिया है उनका सारा ध्यान अपनी यात्रा पर है

कांग्रेस में अफरातफरी के बीच राहुल अर्जुन की तरह सारी एकाग्रता मछली की आंख के निशाने पर लगाए हैं. ज़मीनी संघर्ष के सिवा वो कुछ नहीं देख रहे हैं. लोग इस बात की तारीफ कर रहे हैं. जबकि कुछ लोग मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली के शेर के साथ कांग्रेस की कलह के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज़ कर रहे हैं.

अपना ग़म लेकर कहीं और ना जाया जाए,

घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए.

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें,

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए.

देश को आजादी दिलाने में अग्रणी, देश की सबसे पुरानी पार्टी और सबसे ज्यादा वक्त हुकुमत करने वाली कांग्रेस के हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं. पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर उठापटक हो रही है. राहुल पहले ही अध्यक्ष पद की दावेदारी से इंकार कर चुके हैं. कौन इस सबसे बड़े पद की जिम्मेदारी निभाए! कुछ वरिष्ठों ने इंकार कर दिया. कई दिग्गजों ने पार्टी हाईकमान तक की बात मानने को तैयार नहीं हुए. तनातनी और इन हलचलों में राजस्थान की कांग्रेस सरकार खतरे में पड़ गई. गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के साथ काम कर रहे अशोक गहलोत कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश के खिलाफ मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर राजी नहीं हुए.

यहां तक कि गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफा देने तक की धमकी देकर सरकार अस्थिर करने के भी संकेत दे दिए थे. हांलांकि बाद में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने हाईकमान ने माफी भी मांगी. अभी तक तो शशि थरूर और दिग्विजय सिंह अध्यक्ष पद की दावेदारी में नजर आ रहे हैं. हो सकता है एक दो दिन में कोई और भी बड़ा नाम पर्चा दाखिल करके सबको चौका दे. फिलहाल तो दिग्विजय सिंह को सबसे मजबूत दावेदार माना गया क्योंकि शशि थरूर असंतुलित खेमे में रहे हैं.

लेकिन यदि दिग्विजय कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए तो भाजपा के लिए ये मुफीद (फायदेमंद)रहेगा. भाजपा दिग्गज के तमाम विवादित बयान याद दिलाएगी. हिन्दू आतंकवाद का जुमले की स्मृतियों को भाजपा जनता के सामने रखेगी. इस बात में सच्चाई भी है कि यूपीए टू सरकार में कांग्रेस ने दिग्गी राजा को बड़ी ताकत और आज़ादी दे रखी थी. इस अति आत्मविश्वास में वो भाजपा पर हमले करते हुए कुछ ऐसी बातें बोलने लगते थे कि कांग्रेस पर विश्वास करने वाला हिन्दू समाज भी कांग्रेस से नाराज़ होने लगता था.

'हिन्दू आतंकवाद' भी कांग्रेस को कमजोर करने वाला जुमला था. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि कांग्रेस के डाउनफॉल की एक बड़ी वजह दिग्विजय सिंह के हिन्दू विरोधी बयान भी थे. आठ-नौ बरस पहले से कांग्रेस का जनाधार कुछ ऐसा कम हुआ कि अब कम होता ही जा रहा है. शायद यही कारण हो कि खबरें आने लगीं कि दिग्विजय और शशि थरूर डमी दावेदार होंगे जबकि हाई कमान की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने का आदेश हो गया है.

अध्यक्ष पद को लेकर कलह और टूट के इन हालात से पहले ही जतिन प्रसाद ,ग़ुलाम नबी आज़ाद और कपिल सिब्बल जैसे न जाने कितने दिग्गज पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. यूपी कांग्रेस भी 6 महीने से अध्यक्ष विहीन है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तो कम से कम हलचलें तो मची हैं लेकिन यूपी के लिए अध्यक्ष ढूंढना भी बड़ी चुनौती बन गई है. बताया जाता है कि कई कांग्रेसी यूपी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का आफर ठुकरा चुके हैं.

कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा शायद यूपी का रास्ता भूल गईं हैं. वो बरसों से यहां आईं तक नहीं. एक जमाना था कि कहा जाता था कि कांग्रेस हाईकमान कठपुतली की तरह अपने दिग्गज नेताओं को नचाता है. ये भी सच है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए देश की वो हस्तियां लालायित रहती थीं जिसको भारत का पर्याय कहा जाता है.

और आज वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली कि तीन पीढ़ियों के वफादार कहे जाने वाले अशोक गहलोत और कमलनाथ जैसे वरिष्ठ सोनिया गांधी की नाफरमानी कर रहे हैं. उधर रेत के इन बियाबानों में राहुल पानी की तलाश में यात्रा निकाल रहे हैं.‌ शायद वो कांग्रेस को भारत और भारत को कांग्रेस समझते हों. वो सोच रहे हों कि भारत जुड़ गया तो कांग्रेस का बिखराव शायद बंद हो जाएगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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