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4 साल में तैयार हुआ भगवा नक्शा बीच से फट गया

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 दिसम्बर, 2018 11:26 AM
  • 13 दिसम्बर, 2018 11:26 AM
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मई 2018 तक की तस्वीर को अगर आज की तस्वीर से तुलना करते हुए देखें तो साफ दिखता है कि कैसे पूरे देश में तेजी से पैर पसार रही भाजपा पहली बार सिकुड़ना शुरू हो गई है.

जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से भाजपा एक के बाद एक कई राज्यों में अपना परचम लहराती रही है. साल-दर-साल भाजपा का कद और ऊंचा होता चला गया. भारत के नक्शे पर एक के बाद एक राज्य भगवा दिखने लगे. इस विधानसभा चुनाव से पहले मई 2018 तक की तस्वीर की आज की तस्वीर से तुलना करते हुए देखें तो साफ दिखता है कि कैसे एक झटके से भाजपा के हाथ से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्य फिसल गए हैं. इस बार 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा एक भी जगह जीत का परचम नहीं लहरा पाई है, जिसने भाजपा का साम्राज्य कम कर दिया है. कुछ महीने पहले तक तो भारत का पूरा नक्शा ही भगवा लगता था, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है. अगर मई 2018 और दिसंबर 2018 के भारत के नक्शे की तुलना की जाए तो तस्वीर कुछ ऐसी दिखेगी.

अगर मई 2018 और दिसंबर 2018 के भारत के नक्शे की तुलना की जाए तो तस्वीर कुछ ऐसी दिखेगी.

गुजरात में भी मुश्किल से जीते थे

पिछले साल दिसंबर में गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए थे. वहां भी कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ी टक्कर दी थी. गुजरात में भाजपा की सत्ता बरकरार रहने की सबसे बड़ी वजह हैं पीएम मोदी और उनका गुजराती होना. गुजरात चुनाव के दौरान बात गुजरात की अस्मिता की आ गई थी, वरना भाजपा को गुजरात चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ता. खैर, गुजरात चुनाव के साथ ही हिमाचल प्रदेश के चुनाव भी हुए थे, जिसमें भी भाजपा ने बाजी मार ली. कांग्रेस ने 79 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा के खाते में 99 सीटें आई थीं. ये आंकड़े 2012 के मुकाबले हैरान करने वाले थे, क्योंकि 2012 में भाजपा 115 सीटों पर जीती थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 61 सीटें जीत सकी थी. 2017 तक कांग्रेस ने गुजरात में अपनी पकड़ मजबूत बना ली थी. दिसंबर 2017 में भारत के नक्शे पर भाजपा और कांग्रेस कुछ इस तरह दिखते थे.

जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से भाजपा एक के बाद एक कई राज्यों में अपना परचम लहराती रही है. साल-दर-साल भाजपा का कद और ऊंचा होता चला गया. भारत के नक्शे पर एक के बाद एक राज्य भगवा दिखने लगे. इस विधानसभा चुनाव से पहले मई 2018 तक की तस्वीर की आज की तस्वीर से तुलना करते हुए देखें तो साफ दिखता है कि कैसे एक झटके से भाजपा के हाथ से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्य फिसल गए हैं. इस बार 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा एक भी जगह जीत का परचम नहीं लहरा पाई है, जिसने भाजपा का साम्राज्य कम कर दिया है. कुछ महीने पहले तक तो भारत का पूरा नक्शा ही भगवा लगता था, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है. अगर मई 2018 और दिसंबर 2018 के भारत के नक्शे की तुलना की जाए तो तस्वीर कुछ ऐसी दिखेगी.

अगर मई 2018 और दिसंबर 2018 के भारत के नक्शे की तुलना की जाए तो तस्वीर कुछ ऐसी दिखेगी.

गुजरात में भी मुश्किल से जीते थे

पिछले साल दिसंबर में गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए थे. वहां भी कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ी टक्कर दी थी. गुजरात में भाजपा की सत्ता बरकरार रहने की सबसे बड़ी वजह हैं पीएम मोदी और उनका गुजराती होना. गुजरात चुनाव के दौरान बात गुजरात की अस्मिता की आ गई थी, वरना भाजपा को गुजरात चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ता. खैर, गुजरात चुनाव के साथ ही हिमाचल प्रदेश के चुनाव भी हुए थे, जिसमें भी भाजपा ने बाजी मार ली. कांग्रेस ने 79 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा के खाते में 99 सीटें आई थीं. ये आंकड़े 2012 के मुकाबले हैरान करने वाले थे, क्योंकि 2012 में भाजपा 115 सीटों पर जीती थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 61 सीटें जीत सकी थी. 2017 तक कांग्रेस ने गुजरात में अपनी पकड़ मजबूत बना ली थी. दिसंबर 2017 में भारत के नक्शे पर भाजपा और कांग्रेस कुछ इस तरह दिखते थे.

दिसंबर 2017 में भारत के नक्शे पर भाजपा और कांग्रेस कुछ इस तरह दिखते थे.

फरवरी-मार्च 2017 के दौरान यूपी, उत्तराखंड़, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव हुए थे. पंजाब में तो कांग्रेस जीत गई, लेकिन बाकी चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाने में सफल रही. भारत के नक्शे पर भगवा रंग छाने का वो सबसे अहम मौका था, क्योंकि देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी भाजपा के पाले में चला गया था. इन चुनावों के बाद भारत का नक्शा लगभग वैसा ही था, जैसा गुजरात चुनाव के बाद था, क्योंकि इस बीच सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. हां, गुजरात चुनाव के साथ हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस हार गई थी और भाजपा जीत गई थी.

तुलना तो 2014 से बनती है

अगर 2017 के अहम चुनावों से पहले या फिर यूं कहें की सीधे 2014 से आज की स्थिति की तुलना की जाए तो जो तस्वीर सामने आती है वो भाजपा को डराने के लिए काफी है. 2014 में भाजपा सिर्फ 7 राज्यों में थी, जबकि कांग्रेस का कब्जा 13 राज्यों में था. आज के समय में भाजपा 17 राज्यों में है और कांग्रेस 5 राज्यों में. अधिक राज्यों में सत्ता होने के बावजूद भाजपा के पास बड़े राज्य काफी कम हैं. 27 फरवरी 2018 को मेघायल के चुनाव के बाद तो कांग्रेस की हालत बेहद खराब हो चुकी थी. उस दौरान भाजपा का कब्जा 19 राज्यों पर था, जबकि कांग्रेस सिर्फ तीन राज्यों तक सिमट कर रह गई, जिनमें गठबंधन वाली कर्नाटक सरकार भी थी. तस्वीर के जरिए देखिए 2014 के चुनाव के बाद से आज की तस्वीर की तुलना.

तस्वीर के जरिए देखिए 2014 के चुनाव के बाद से आज की तस्वीर की तुलना.

दिसंबर 2018 आते-आते भारत के नक्शे से भगवा रंग इतना कम हो जाने की वजह सिर्फ कांग्रेस नहीं है. ध्यान से देखिए, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भी भाजपा के हाथ से निकल चुके हैं और वह कांग्रेस के पाले में भी नहीं हैं. मार्च में आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी) ने भाजपा का दामन छोड़ दिया और जून में जम्मू-कश्मीर में पीडीपी नाराज हो गई. इतना सब होने के बावजूद भाजपा के लिए एक खुशखबरी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा जोर-शोर से लगाना शुरू कर दिया था. अब जरा नक्शे को देखिए, भले ही पूरा भारत 'कांग्रेस मुक्त' नहीं हो सका हो, लेकिन पूरा नॉर्थ ईस्ट तो अब 'कांग्रेस मुक्त' हो ही गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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