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Farmers protest: संवाद के सलीक़े में कमज़ोर पड़ रही मोदी सरकार!

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 12 दिसम्बर, 2020 04:38 PM
  • 12 दिसम्बर, 2020 04:38 PM
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पीएम मोदी भारत की आम जनता, मजदूर, किसान के दिलों में ऐसे ही नहीं उतरे, उनके कम्युनिकेश स्किल्स, संवाद और बात को समझा लेने का हुनर अद्भुत है. लेकिन अब क्या लगातार सफलता, जीत और सत्ता की चकाचौंध में भाजपा के संवाद का सलीका धुंधला पड़ता जा रहा है. नये कृषि कानूनों से नाराज किसानों के साथ केंद्र सरकार के लगातार गतिरोध, कड़वाहट को देखकर तो यही लगता है.

मोदी सरकार (Modi Government) के संवाद का सलीका किसानों को समझा पाने में बार-बार विफल हो रहा है, ये भाजपा के लिए घातक है. सियासत में संवाद सत्ता तक पंहुचाने वाला पुल होता है. जो पार्टी इस पुल को मजबूत नहीं रख पाती वो सत्ता से दूर होती जाती है.सियासत की तमाम नकारत्मकताओं के साथ सकारात्मक पहलू भी होते हैं. छल-कपट, झूठ-फरेब, रिझाना-भड़काना...इन तमाम निगेटिविटी के पहियों से ही नहीं कुछ बेहतर कदमों से भी सियासत की गाड़ी सफलता की राह पर लम्बे समय तक दौड़ पाती है. अब तो इतिहास बन गया है लेकिन एक जमाने में सेवादल कांग्रेस की तरक्की का मूलमंत्र था. कामयाबी दर कामयाबी, सत्ता फिर सत्ता लगातार सत्ता के नशे में कांग्रेस (Congress) की सेवाभावना कम होती रही और एक दिन कांग्रेस का सेवादल भी खत्म हो गया. देश की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा हुकुमत करने वाली ये पार्टी क्यों पिछड़ी? बंगलों से निकलकर लक्जरी गाड़ियों में बैठकर एसी आफिस तक का सफर तय करने वाले नेताओं की हो गई थी ये पार्टी.

देश के किसान पीएम मोदी और उनकी नीतियों से बहुत खफा हैं

जनसरोकार, जमीन संघर्ष और आम जनता से सीधा संवाद एक ऐसा पुल होता है, जो सत्ता का रास्ता तय करता है. ये पुल टूटते ही सत्ता मे बरकरार रहने या सत्ता पाने के सपने भी टूटने लगते हैं. कांग्रेस का ऐसा पुल ही जर्जर हो गया था, जिसकी वजह से ये पार्टी भी जर्जर और लुप्त सी हो गई. और इस बीच जनता से जुड़कर उनके दिलों पर कब्जा जमाने के एक जादूगर ने केंद्र की सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रख कांग्रेस को हाशिये पर ला दिया.

जननायक बनकर नरेंद्र मोदी भारत की आम जनता, मजदूर, किसान के दिलों में ऐसे ही नहीं उतरे, उनके कम्युनिकेश स्किल्स, संवाद और बात को समझा लेने का हुनर अद्भुत है.लेकिन अब क्या लगातार सफलता, जीत और...

मोदी सरकार (Modi Government) के संवाद का सलीका किसानों को समझा पाने में बार-बार विफल हो रहा है, ये भाजपा के लिए घातक है. सियासत में संवाद सत्ता तक पंहुचाने वाला पुल होता है. जो पार्टी इस पुल को मजबूत नहीं रख पाती वो सत्ता से दूर होती जाती है.सियासत की तमाम नकारत्मकताओं के साथ सकारात्मक पहलू भी होते हैं. छल-कपट, झूठ-फरेब, रिझाना-भड़काना...इन तमाम निगेटिविटी के पहियों से ही नहीं कुछ बेहतर कदमों से भी सियासत की गाड़ी सफलता की राह पर लम्बे समय तक दौड़ पाती है. अब तो इतिहास बन गया है लेकिन एक जमाने में सेवादल कांग्रेस की तरक्की का मूलमंत्र था. कामयाबी दर कामयाबी, सत्ता फिर सत्ता लगातार सत्ता के नशे में कांग्रेस (Congress) की सेवाभावना कम होती रही और एक दिन कांग्रेस का सेवादल भी खत्म हो गया. देश की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा हुकुमत करने वाली ये पार्टी क्यों पिछड़ी? बंगलों से निकलकर लक्जरी गाड़ियों में बैठकर एसी आफिस तक का सफर तय करने वाले नेताओं की हो गई थी ये पार्टी.

देश के किसान पीएम मोदी और उनकी नीतियों से बहुत खफा हैं

जनसरोकार, जमीन संघर्ष और आम जनता से सीधा संवाद एक ऐसा पुल होता है, जो सत्ता का रास्ता तय करता है. ये पुल टूटते ही सत्ता मे बरकरार रहने या सत्ता पाने के सपने भी टूटने लगते हैं. कांग्रेस का ऐसा पुल ही जर्जर हो गया था, जिसकी वजह से ये पार्टी भी जर्जर और लुप्त सी हो गई. और इस बीच जनता से जुड़कर उनके दिलों पर कब्जा जमाने के एक जादूगर ने केंद्र की सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रख कांग्रेस को हाशिये पर ला दिया.

जननायक बनकर नरेंद्र मोदी भारत की आम जनता, मजदूर, किसान के दिलों में ऐसे ही नहीं उतरे, उनके कम्युनिकेश स्किल्स, संवाद और बात को समझा लेने का हुनर अद्भुत है.लेकिन अब क्या लगातार सफलता, जीत और सत्ता की चकाचौंध में भाजपा के संवाद का सलीका धुंधला पड़ता जा रहा है. नये कृषि कानूनों से नाराज किसानों के साथ केंद्र सरकार के लगातार गतिरोध, कड़वाहट, असामंजस्य, तनातनी, टकराव, बाचतीच की विफलताओं को देखकर तो यही लगता है.

देश के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी के मन की बात आकाशवाणी, दूरदर्शन, दूरदर्शन का किसान चैनल, किसान यूनियनों से सरकार की वार्ताएं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सैकड़ों करोड़ के सरकारी विज्ञापन, अखबार, न्यूज चैनल्स, प्रेस विज्ञप्तियां, प्रेस वार्ताएं, बयान, बाइट, टीवी डिबेट, आईटी सेल, दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल के मंत्री, सांसद, विधायक, पदाधिकारी, पंद्रह करोड़ से अधिक कार्यकर्ता, प्रचार में माहिर दुनिया का सबसे अनुशासित और सादगी वाला राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ.

इतनी ताकतें, संसाधन और कम्युनिकेशन के माध्यम देश के किसानों को ये क्यों नहीं समझा पा रहे कि नये कृषि कानून से किसानों को लाभ होगा हानि नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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