• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Emergency 1975: कांग्रेस का एक जख्म जिसमें हर 25 June को पस पड़ जाता है

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 25 जून, 2020 09:41 PM
  • 25 जून, 2020 09:41 PM
offline
आपातकाल (Emergency) का वह एक फैसला जो आज भी कांग्रेस (Congress) को किसी ताजे जख्म के रूप में लगता है. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सरकार का फैसला कांग्रेस को आज तक चैन से जीने नहीं देता है समय समय पर इस फैसले के लिए कांग्रेस को आज तक घेरा जाता है.

आज से ठीक 45 साल पहले की तारीख 25 जून 1975 जिसकी याद रह रहकर ताजा हो ही जाती है. भारतीय राजनीति में इस दिन को काले अध्याय के रूप में जाना जाता है. इस दिन आधी रात को देश भर में आपातकाल (Emergency) लगा दिया गया था. भारतीय संविधान की धारा 352 का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री (Prime Minister) इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने अपनी सरकार की ओर से तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से सिफारिश करके आपातकाल को लागू करवा लिया था. इंदिरा गांधी सरकार का यह फैसला कांग्रेस (Congress) को आज तक चैन की नींद नहीं सोने देता है. हर एक लोकसभा चुनाव में किसी न किसी तरीके से इस फैसले का जिक्र हो ही जाता है. कांग्रेस का लाख दावा हो कि यह फैसला देशहित में था लेकिन इसको मानने को कोई भी तैयार नहीं होता है. कांग्रेस के लिए यह फैसला एक काल साबित हुआ है जो हमेशा से कांग्रेस की सोच और उसके तानाशाही रवैये को सामने लाता है.

आपातकाल के चलते इंदिरा गांधी को जनता और विपक्ष दोनों की आलोचना का सामना करना पड़ा

आखिर क्यों कांग्रेस इसका जवाब नहीं ढ़ूंढ पाती है इसके लिए आप पहले इस पूरे घटनाक्रम को समझ लीजिए. सन 1971 में लोकसभा का आम चुनाव हुआ. इंदिरा गांधी ने इस चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा दिया और एक प्रचण्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज की. लोकसभा की कुल 518 सीटों में से 352 सीटों पर जीत दर्ज करके इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार बना ली. दिसंबर 1971 में इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता दिलावाई. जिसके बाद उन्हें सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.

विपक्षी दल ने उन्हें देवी दुर्गा समान माना. इंदिरा गांधी का जयजयकार हो रहा था. चार साल बीत गए और फिर 1975 की तपती गर्मी से भी ज्यादा गर्माहट राजनीति में देखने को मिली....

आज से ठीक 45 साल पहले की तारीख 25 जून 1975 जिसकी याद रह रहकर ताजा हो ही जाती है. भारतीय राजनीति में इस दिन को काले अध्याय के रूप में जाना जाता है. इस दिन आधी रात को देश भर में आपातकाल (Emergency) लगा दिया गया था. भारतीय संविधान की धारा 352 का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री (Prime Minister) इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने अपनी सरकार की ओर से तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से सिफारिश करके आपातकाल को लागू करवा लिया था. इंदिरा गांधी सरकार का यह फैसला कांग्रेस (Congress) को आज तक चैन की नींद नहीं सोने देता है. हर एक लोकसभा चुनाव में किसी न किसी तरीके से इस फैसले का जिक्र हो ही जाता है. कांग्रेस का लाख दावा हो कि यह फैसला देशहित में था लेकिन इसको मानने को कोई भी तैयार नहीं होता है. कांग्रेस के लिए यह फैसला एक काल साबित हुआ है जो हमेशा से कांग्रेस की सोच और उसके तानाशाही रवैये को सामने लाता है.

आपातकाल के चलते इंदिरा गांधी को जनता और विपक्ष दोनों की आलोचना का सामना करना पड़ा

आखिर क्यों कांग्रेस इसका जवाब नहीं ढ़ूंढ पाती है इसके लिए आप पहले इस पूरे घटनाक्रम को समझ लीजिए. सन 1971 में लोकसभा का आम चुनाव हुआ. इंदिरा गांधी ने इस चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा दिया और एक प्रचण्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज की. लोकसभा की कुल 518 सीटों में से 352 सीटों पर जीत दर्ज करके इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार बना ली. दिसंबर 1971 में इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता दिलावाई. जिसके बाद उन्हें सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.

विपक्षी दल ने उन्हें देवी दुर्गा समान माना. इंदिरा गांधी का जयजयकार हो रहा था. चार साल बीत गए और फिर 1975 की तपती गर्मी से भी ज्यादा गर्माहट राजनीति में देखने को मिली. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव के दौरान धांधली करने का दोषी पाया और उन्हें 6 साल तक किसी भी पद पर रहने लिए प्रतिबंधित कर दिया.

इंदिरा गांधी को किसी भी कीमत पर यह फैसला मंजूर नहीं था. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दिया और देश भर में 26 जून से आपातकाल लगाने का ऐलान कर दिया. आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा क़ानून (मीसा) के तहत विरोधी दलों के नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई.दूसरी ओर जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया था और पूरे देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ एक बहुत बड़ा आंदोलन छिड़ गया.

सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी. जेपी, जार्ज फर्नाडीज, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव जैसे प्रमुख विपक्षी चेहरों को जेल में ठूंस दिया गया था. देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को भी छीन लिया गया था. पत्रकारिता को भी सरकार ने अपने कब्जे में ले रखा था.

प्रेस की स्वत्ंत्रता को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था. यहां तक की देश के न्यायलय के कार्यों में भी सरकार ने पूरी तरह से दखल दे दिया था. इस पूरे घटनाक्रम के बाद देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2011 में अपनी गलती मानी. सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी, 2011 को यह स्वीकार किया कि देश में आपातकाल के दौरान इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था.

विपक्षी दलों की मेहनत और जोश रंग लाई. 26 जून 1975 को लागु हुआ आपातकाल पूरे 21 महीने बाद 21 मार्च 1977 को खत्म हो गया. इंदिरा गांधी ने अपना सिंहासन खाली कर दिया और सारे विपक्षी नेता जेलों से आजाद कर दिए गए. इस आपातकाल के दौरान ही मोरारजी देसाई के अगुआई में जनता पार्टी का गठन हुआ. सन् 1977 में ही देश में लोकसभा का आम चुनाव हुआ और इस चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृव्य वाली कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी.

पिछले चुनाव में 350 से अधिक सीटें जीतने वाली कांग्रेस महज 153 सीटों पर ही सिमट गई, खुद इंदिरा गांधी अपनी परम्पारिक सीट रायबरेली से चुनाव हार गई थी. इस चुनाव में जनता पार्टी ने जमीनी स्तर तक अपनी पहुंच बना ली थी और इंदिरा गांधी को मात देते हुए मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने. यह देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी जिसका जश्न पूरे देश में मनाया गया था.

ये भी पढ़ें - 

Coronyl: बाबा रामदेव ने कोरोना की दवा लाकर अपनी साख भी दांव पर लगा दी है

ighur muslims: चीन के पीड़ित मुसलमानों को दावत देकर कूटनीतिक तमाचा मारे भारत!

Galwan valley को राजनीति में घसीट कर कांग्रेस मदद तो बीजेपी की ही कर रही है!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲