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DSP Davinder Singh मामले में 5 सवाल जो सीधे कांग्रेस का रुख करते हैं

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 16 जनवरी, 2020 06:19 PM
  • 16 जनवरी, 2020 06:19 PM
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पहले अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने आरएसएस (RSS) और भाजपा (BJP) पर निशाना साधा था और सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने भाजपा को और भी तीखा हमला बोल दिया. लेकिन दविंदर सिंह (Davinder Singh) की गिरफ्तारी के बाद चल पड़ी इस बहस ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं.

कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के डीएसपी दविंदर सिंह (Davinder Singh) को पुलिस (Police) ने आतंकियों से संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी के बाद से ही इस मामले पर खूब राजनीति हो रही है. कांग्रेस (Congress) नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने एक के बाद एक 3 ट्वीट करते हुए भाजपा (BJP) को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. उन्होंने पुलवामा हमले (Pulwama Terrorist Attack) में जांच की मांग की है. उन्होंने शंका जताई है कि पुलवामा हमले में भी दविंदर सिंह का हाथ तो नहीं था या किसी अंदर के आदमी ने आतंकियों की मदद तो नहीं की थी. उनके बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पुलवामा पर कई सवाल उन्होंने मोदी सरकार से पूछे थे, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया था. उन्होंने सवाल उठाया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस घटना में दविंदर सिंह और ऐसे लोग शामिल हों जो जम्मू-कश्मीर के बड़े ओहदों या फिर केंद्र की सत्ता में बैठे हों आतंकियों की मदद कर रहे हों. देखा जाए तो अधीर रंजन चौधरी ने आरएसएस और भाजपा पर निशाना साधा था और सुरजेवाला ने भाजपा को और भी तीखा हमला बोल दिया. लेकिन दविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद चल पड़ी इस बहस ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं.

कांग्रेस ने दविंदर सिंह के बहाने भाजपा के घेरना चाहा, लेकिन खुद ही फंसती नजर आ रही है.

पहले पढ़िए अधीर रंजन चौधरी के 3 ट्वीट

1- अधीर चौधरी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा- 'क्या देवेंद्र सिंह मूल रूप से देवेंद्र खान है. इस बारे में आरएसएस के ट्रोल रेजिमेंट को साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में जवाब देना चाहिए. मजहब, रंग और कर्म को किनारे रखते हुए देश के ऐसे दुश्मनों की एकसुर में आलोचना...

कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के डीएसपी दविंदर सिंह (Davinder Singh) को पुलिस (Police) ने आतंकियों से संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी के बाद से ही इस मामले पर खूब राजनीति हो रही है. कांग्रेस (Congress) नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने एक के बाद एक 3 ट्वीट करते हुए भाजपा (BJP) को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. उन्होंने पुलवामा हमले (Pulwama Terrorist Attack) में जांच की मांग की है. उन्होंने शंका जताई है कि पुलवामा हमले में भी दविंदर सिंह का हाथ तो नहीं था या किसी अंदर के आदमी ने आतंकियों की मदद तो नहीं की थी. उनके बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पुलवामा पर कई सवाल उन्होंने मोदी सरकार से पूछे थे, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया था. उन्होंने सवाल उठाया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस घटना में दविंदर सिंह और ऐसे लोग शामिल हों जो जम्मू-कश्मीर के बड़े ओहदों या फिर केंद्र की सत्ता में बैठे हों आतंकियों की मदद कर रहे हों. देखा जाए तो अधीर रंजन चौधरी ने आरएसएस और भाजपा पर निशाना साधा था और सुरजेवाला ने भाजपा को और भी तीखा हमला बोल दिया. लेकिन दविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद चल पड़ी इस बहस ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं.

कांग्रेस ने दविंदर सिंह के बहाने भाजपा के घेरना चाहा, लेकिन खुद ही फंसती नजर आ रही है.

पहले पढ़िए अधीर रंजन चौधरी के 3 ट्वीट

1- अधीर चौधरी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा- 'क्या देवेंद्र सिंह मूल रूप से देवेंद्र खान है. इस बारे में आरएसएस के ट्रोल रेजिमेंट को साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में जवाब देना चाहिए. मजहब, रंग और कर्म को किनारे रखते हुए देश के ऐसे दुश्मनों की एकसुर में आलोचना की जानी चाहिए.'

2- इसी कड़ी में अधीर चौधरी ने दूसरा ट्वीट कर कहा- 'घाटी में बड़ी कमी उजागर हुई है जो हम पर भारी पड़ती दिख रही है. हम खुद को पाखंडी और मूर्ख नहीं बना सकते.'

3- कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा- 'अब (देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद) यह सवाल उठना लाजमी है कि पुलवामा हमले के पीछे किसका हाथ था. इस पर नए सिरे से गौर करना जरूरी है.'

कांग्रेस के आरोपों ने पैदा कर दिए 5 सवाल:

1- 10 साल तक कांग्रेस ने कुछ क्यों नहीं किया?

दविंदर पर सबसे पहले सवाल उठा था 2004 में. तब अफजल गुरु ने अपने वकील सुशील कुमार को लिखी चिट्ठी में दविंदर सिंह का जिक्र किया था. अफजल गुरु ने दविंदर सिंह पर कई संगीन आरोप लगाए थे, लेकिन बावजूद दविंदर सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अफजल ने आरोप लगाया था कि दविंदर सिंह के नेतृत्व वाली एसटीएफ ने संसद हमले के दोषियों में से एक को दिल्ली ले जाने का दबाव बनाया था. अब कांग्रेस भले ही दविंदर सिंह के पुलवामा में शामिल होने की आशंका जताते हुए कार्रवाई की मांग कर रही है, लेकिन 2004 से 2014 तक कांग्रेस ही सत्ता में थी. उस दौरान कांग्रेस ने खुद क्यों नहीं दविंदर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की?

2- अपनी नाकामी छुपाने के लिए तो कांग्रेस नहीं कर रही ऐसा?

10 साल तक केंद्र में रहने के बावजूद उस दौरान दविंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस ठोस कदम नहीं उठा सकी थी. अब शायद कांग्रेस को ये लग रहा है कि भाजपा आज नहीं तो कल ये मुद्दा उठाकर उसे घेरना जरूर चाहेगी. तो कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस ने दविंदर सिंह के मामले में भाजपा को इसीलिए घेरा है, ताकि जब भाजपा उस पर हमला करे तो कांग्रेस खुद को बचा सके?

3- पुलवामा से नुकसान होने के बावजूद ये मुद्दा कांग्रेस ने क्यों उठाया?

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ पुलवामा हमले को इस्तेमाल करना चाहा था. कांग्रेस ने सवाल उठाए थे कि आखिर इतनी सुरक्षा होने के बावजूद इतना सारा आरडीएक्स कैसे पहुंचा? अंदर का कोई मिला हुआ तो नहीं? कांग्रेस का इशारा सीधे-सीधे इस ओर था कि भाजपा की सरकार ने सुरक्षा में भारी चूक की, जिसकी वजह से पुलवामा हमला हुआ और हमारे 40 जवान शहीद हो गए. हालांकि, बावजूद इसके जनता ने भाजपा पर ही भरोसा दिखाया और पीएम मोदी 2014 से भी अधिक वोटों से विजयी हुए. इतना सब हो गया है, लेकिन इस बार फिर से भाजपा ने पुलवामा का मुद्दा उठाया है. सुरजेवाला ने सवाल उठाते हुए कहा है कि गिरफ्तार DSP दविंदर सिंह की संसद व पुलवामा हमले में क्‍या भूमिका थी? कांग्रेस ने बिना सोचे समझे ऐसा सवाल उठाया है कि उस पर वह खुद ही फंस गई है. पुलवामा में दविंदर सिंह मई 2017 से लेकर 8 अगस्त 2018 तक पोस्टेड था, जबकि पुलवामा हमला हुआ है 14 फरवरी 2019 को. अब जब सवाल उल्टे पड़ रहे हैं तो सुरजेवाला के बयान की वजह से पूरी कांग्रेस को दिक्कत हो रही है.

4- डबल एजेंट तो नहीं था दविंदर?

दविंदर के आतंकियों से कनेक्शन थे ये तो लगभग साफ हो चुका है, लेकिन सवाल ये है कि क्या वह सरकार के लिए भी एजेंट की तरह काम कर रहा था? उनसे ड्रग्स बेचे, रंगदारी ली, आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया, ये सारे काम तो उसके एकतरफा एजेंट होने के ही हैं. उसने ऐसा तो कोई काम नहीं किया जिससे सरकार की मदद की हो, सिवाय अपनी ड्यूटी के. अगर वह डबल एजेंट होता तो बेशक सरकार को फायदा पहुंचाने वाले भी काम करता. सवाल उठ रहा है कि कहीं वह सिर्फ एक मोहरा तो नहीं, या वही सूत्रधार था? आखिर एजेंट का मतलब ही यही होता है, लेकिन उसने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया. खैर, जांच के बाद कई नई बातें सामने आ सकती हैं, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि वह डबल एजेंट निकलता है या नहीं, जिसकी उम्मीद बेहद कम है.

5- कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार ली?

कांग्रेस ने दविंदर सिंह के पकड़े जाने के बाद उसका राजनीतिक फायदा तो उठाना चाहा, लेकिन यूं लग रहा है मानो कांग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली हो. कांग्रेस ने दविंदर सिंह के मुद्दे पर भाजपा को घेरना चाहा, लेकिन घिरती खुद ही नजर आ रही है. वैसे भी, जब-जब दविंदर सिंह पर आरोप लगे तब केंद्र में कांग्रेस थी और इस दौरान जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस ही कभी पीडीपी तो कभी एनसी के साथ समर्थन वाली सरकार का हिस्सा थी. अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी और मुमकिन है कि इसमें कांग्रेस की ही गर्दन फंसे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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