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भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया गया डोनाल्ड ट्रंप का ये ट्वीट!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 27 नवम्बर, 2018 10:59 PM
  • 27 नवम्बर, 2018 10:59 PM
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पाकिस्तान और हाफिज सईद पर भारत से ज्यादा अमेरिका के दबाव का असर होता है. ऐसे में भारतीयों के साथ खड़े रहने और उन्हें न्याय दिलाने में मदद की बात कहने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति का ये ट्वीट भारत के लोगों को सबसे अधिक पसंद क्यों नहीं आता.

अक्सर ही डोनाल्ड ट्रंप ऐसे बयान दे दिया करते हैं कि वह आलोचनाओं का शिकार हो जाते हैं. उनकी बहुत सी बातें तो भारत के लोगों को भी पसंद नहीं आतीं, लेकिन 166 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले मुंबई हमले यानी 26/11 की 10वीं बरसी पर ट्रंप ने ऐसा ट्वीट किया है, जिसे भारत के लोग सबसे अधिक पसंद कर रहे हैं. ये ट्वीट इस बात का अहसास कराने के लिए काफी है कि इन दिनों जहां हम करतारपुर कॉरिडोर को लेकर खुशियां मना रहे हैं, उससे जरूरी मुद्दा आतंकवादी हाफिज सईद है. जरूरी है आतंकवाद पर बात करना और आतंकी हाफिज सईद से होने वाले खतरे से निपटने की तैयारी करना. विशेषज्ञ पहले ही ये कह चुके हैं कि अगर पाकिस्तान ने मुंबई हमले जैसा एक और हमला कर दिया तो युद्ध की नौबत आ सकती है. ट्रंप का ट्वीट दिखाता है कि अमेरिका तो आतंकवाद और हाफिज सईद को लेकर हमेशा से ही एक राय बनाए हुआ है, भारत ही किसी एक राय पर नहीं टिकता.

करतारपुर कोरिडॉर से जरूरी मुद्दा आतंकवादी हाफिज सईद और उससे भारत को होने वाला खतरा है.

अमेरिका आए दिन किसी न किसी मौके पर यह साफ कर देता है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की पर्याप्त कोशिशें नहीं करेगा, उसे अमेरिका का साथ नहीं मिलेगा. वह पाकिस्तान के आतंकियों पर ईनाम तक रख रहा है, जो काम भारत को करना चाहिए था. भारत में घुसकर आतंकी हमला किया गया था, लेकिन उससे भारत से अधिक दुखी तो अमेरिका को है, तभी तो पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. हाफिज सईद पर ईनाम रख रहा है, मुंबई हमलों के आरोपियों को पकड़वाने में मदद करने वालों को ईनाम देने की बात कर रहा है, लेकिन भारत हाफिज सईद जैसे आतंकी को जैसे भूल गया है और करतारपुर कोरिडोर को लेकर ही खुशियां मना रहा है. यूं लगता है मानो भारत कंफ्यूज हो और यह नहीं समझ पा रहा हो कि पाकिस्तान दोस्त है या दुश्मन, जबकि सीमा पार से आए दिन कोई न कोई गोली किसी जवान या नागरिक को अपना निशाना बना लेती है.

अक्सर ही डोनाल्ड ट्रंप ऐसे बयान दे दिया करते हैं कि वह आलोचनाओं का शिकार हो जाते हैं. उनकी बहुत सी बातें तो भारत के लोगों को भी पसंद नहीं आतीं, लेकिन 166 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले मुंबई हमले यानी 26/11 की 10वीं बरसी पर ट्रंप ने ऐसा ट्वीट किया है, जिसे भारत के लोग सबसे अधिक पसंद कर रहे हैं. ये ट्वीट इस बात का अहसास कराने के लिए काफी है कि इन दिनों जहां हम करतारपुर कॉरिडोर को लेकर खुशियां मना रहे हैं, उससे जरूरी मुद्दा आतंकवादी हाफिज सईद है. जरूरी है आतंकवाद पर बात करना और आतंकी हाफिज सईद से होने वाले खतरे से निपटने की तैयारी करना. विशेषज्ञ पहले ही ये कह चुके हैं कि अगर पाकिस्तान ने मुंबई हमले जैसा एक और हमला कर दिया तो युद्ध की नौबत आ सकती है. ट्रंप का ट्वीट दिखाता है कि अमेरिका तो आतंकवाद और हाफिज सईद को लेकर हमेशा से ही एक राय बनाए हुआ है, भारत ही किसी एक राय पर नहीं टिकता.

करतारपुर कोरिडॉर से जरूरी मुद्दा आतंकवादी हाफिज सईद और उससे भारत को होने वाला खतरा है.

अमेरिका आए दिन किसी न किसी मौके पर यह साफ कर देता है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की पर्याप्त कोशिशें नहीं करेगा, उसे अमेरिका का साथ नहीं मिलेगा. वह पाकिस्तान के आतंकियों पर ईनाम तक रख रहा है, जो काम भारत को करना चाहिए था. भारत में घुसकर आतंकी हमला किया गया था, लेकिन उससे भारत से अधिक दुखी तो अमेरिका को है, तभी तो पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. हाफिज सईद पर ईनाम रख रहा है, मुंबई हमलों के आरोपियों को पकड़वाने में मदद करने वालों को ईनाम देने की बात कर रहा है, लेकिन भारत हाफिज सईद जैसे आतंकी को जैसे भूल गया है और करतारपुर कोरिडोर को लेकर ही खुशियां मना रहा है. यूं लगता है मानो भारत कंफ्यूज हो और यह नहीं समझ पा रहा हो कि पाकिस्तान दोस्त है या दुश्मन, जबकि सीमा पार से आए दिन कोई न कोई गोली किसी जवान या नागरिक को अपना निशाना बना लेती है.

अपने ट्वीट के जरिए ट्रंप ने ये साफ कर दिया है कि वह मुंबई हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने में भारत के साथ हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि वह आतंकवादियों को कभी जीतने नहीं देंगे, ना ही जीत के करीब आने देंगे. मुंबई हमला भारत के इतिहास की बेहद दर्दनाक याद है. वहीं पाकिस्तान और हाफिज सईद पर भारत से ज्यादा अमेरिका के दबाव का असर होता है. ऐसे में भारतीयों के साथ खड़े रहने और उन्हें न्याय दिलाने में मदद की बात कहने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति का ये ट्वीट भारत के लोगों को पसंद क्यों नहीं आएगा.

आतंकी हमले के दोषियों पर ईनाम

ट्रंप के इस ट्वीट से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोंपियो ने मुंबई हमले के दोषियों को पकड़वाने में मदद करने वाले को 50 लाख डॉलर यानी करीब 35 करोड़ रुपए का ईनाम देने की भी घोषणा कर दी है. वहीं शीर्ष अमेरिकी आतंकवाद विरोधी अधिकारी नाथन सेल्स ने कहा कि अगर कोई एक देश आतंकवाद से पीड़ित है तो हम सभी पीड़ित हैं. मुंबई हमला भारत में हुआ, लेकिन आतंकवादियों ने कई देशों का खून बहाया है. 26/11 के शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी देशों, खासकर पाकिस्तान का आह्वान करते हैं कि वह भारत को न्याय दिलाने के लिए आगे बढ़ें. वहीं दूसरी ओर भारत की ओर से पाकिस्तान पर हाफिज पर कार्रवाई का दबाव बनाने के बजाए, करतारपुर कोरिडोर की खुशियां मनाई जा रही हैं.

इमरान खान को कुछ और ही है मंजूर

जहां एक ओर पूरी दुनिया मान रही है कि पाकिस्तान को अपने देश में आतंकियों के खिलाफ युद्ध करना चाहिए, वहीं दूसरी ओर पाक प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि वह कोई भी थोपा गया युद्ध नहीं करेंगे. पता नहीं क्यों उन्हें यह थोपा गया युद्ध लगता है, जबकि आतंकी हमलों ने पाकिस्तान को भी बार-बार थर्राया है. अप्रत्यक्ष रूप में इमरान खान का बयान डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत की तरफदारी वाले बयानों पर एक प्रतिक्रिया है. इमरान खान कहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान और उसके सशस्त्र बलों ने जितना किया है, उतना किसी देश ने नहीं किया. लेकिन इमरान खान ये सब कहते वक्त शायद ये भूल गए कि मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है. पाकिस्तान को ये नहीं भूलना चाहिए कि हाफिज सईद पर तो अमेरिका ने पहले ही 1 करोड़ डॉलर यानी करीब 70 करोड़ रुपए का ईनाम रखा है. इसके अलावा हाफिज अब्दुल रहमान मक्की पर भी अमेरिका ने 20 लाख डॉलर यानी करीब 14 करोड़ रुपए का ईनाम रखा है.

जब अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को रोका था, तब भी उसने यही कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ नहीं लड़ रहा है. जिस आतंकवाद की वजह से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता रुक गई, इमरान खान उसी आतंकवाद और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पनाह दिए बैठे हैं. अमेरिका भारत का साथ दे रहा है और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है. यहां तक कि मुंबई हमला करने वाले आरोपियों को पकड़वाने वाले को 35 करोड़ रुपए का ईनाम भी देगा. लेकिन भारत की कोशिशें पर्याप्त नहीं लगतीं. भारत में तो इस बात की खुशी दिखाई दे रही है कि पाकिस्तान और भारत के बीच करतारपुर कोरिडोर बनाया जा रहा है. करतारपुर कोरिडोर के कार्यक्रम के लिए सिद्धू पाकिस्तान पहुंचे हुए हैं और भारत में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब कोरिडोर की आधारशिला रख दी है. करतारपुर की खुशी के बीच शायद हम मुंबई हमले के गम को भूल गए हैं, तभी तो जिस देश में इस हमले का मास्टमाइंड पनाह लिए बैठा है, उसी के साथ अच्छे संबंध बनाने के चक्कर में लगे हुए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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