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'26/11 जैसा एक और हमला' विशेषज्ञों की नजर में कयामत लेकर आएगा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 27 नवम्बर, 2018 01:56 PM
  • 26 नवम्बर, 2018 06:04 PM
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जिस तरह उरी हमले के बाद सेना के जवानों की मौत का बदला लेते हुए मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, उससे ये तो साफ है कि अगर 26/11 जैसा हमला अभी होता है तो सरकार फिर से कोई बड़ा कदम उठा ही सकती है.

मुंबई आतंकी हमले यानी 26/11 की 10वीं बरसी पर विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की है कि अगर एक और ऐसा हमला पाकिस्तान ने भारत पर किया तो दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आ सकती है. पाकिस्तान की तरफ से आए दिन आतंकी हमलों की कोशिशें तो ही रही हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि एक तो वो हमले इतने बड़े नहीं हैं, दूसरा भारतीय सेना और पुलिस उनसे निपट ले रहे हैं, वरना हो सकता है ये नौबत अब तक आ चुकी होती. आतंकी हमलों में अभी भी यही कोशिशें हो रही हैं कि नागरिकों को बंदी बनाकर भारत की सरकार पर दबाव डाला जाए. पठानकोट हमले का उदाहरण ही ले लीजिए. हमलवार अपने साथ कुछ दिन खाने-पीने का सामान तक लाए थे. लेकिन मुंबई हमले के बाद सुरक्षा काफी सख्त हो चुकी है, जिसके चलते कोई बड़ा हमला नहीं हो पा रहा है. जिस तरह उरी हमले के बाद सेना के जवानों की मौत का बदला लेते हुए मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, उससे ये तो साफ है कि अगर 26/11 जैसा हमला अभी होता है तो सरकार फिर से कोई बड़ा कदम उठा ही सकती है.

26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले में कुछ अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.

26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले में कुछ अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले को पाकिस्तान द्वारा पोषित लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह के 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था. इसमें 9 आतंकियों को तो पुलिस ने मार गिराया था, लेकिन कसाब को पकड़ लिया था, जिसे बाद में फांसी दे दी गई. अब कुछ स्कॉलर, पूर्व डिप्लोमेट और कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर फिर से ऐसा कोई हमला होता है तो भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होना तय है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के एक पूर्व अधिकारी Bruce Riedel ने पीटीआई को बताया कि अभी भी मुंबई...

मुंबई आतंकी हमले यानी 26/11 की 10वीं बरसी पर विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की है कि अगर एक और ऐसा हमला पाकिस्तान ने भारत पर किया तो दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आ सकती है. पाकिस्तान की तरफ से आए दिन आतंकी हमलों की कोशिशें तो ही रही हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि एक तो वो हमले इतने बड़े नहीं हैं, दूसरा भारतीय सेना और पुलिस उनसे निपट ले रहे हैं, वरना हो सकता है ये नौबत अब तक आ चुकी होती. आतंकी हमलों में अभी भी यही कोशिशें हो रही हैं कि नागरिकों को बंदी बनाकर भारत की सरकार पर दबाव डाला जाए. पठानकोट हमले का उदाहरण ही ले लीजिए. हमलवार अपने साथ कुछ दिन खाने-पीने का सामान तक लाए थे. लेकिन मुंबई हमले के बाद सुरक्षा काफी सख्त हो चुकी है, जिसके चलते कोई बड़ा हमला नहीं हो पा रहा है. जिस तरह उरी हमले के बाद सेना के जवानों की मौत का बदला लेते हुए मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, उससे ये तो साफ है कि अगर 26/11 जैसा हमला अभी होता है तो सरकार फिर से कोई बड़ा कदम उठा ही सकती है.

26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले में कुछ अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.

26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले में कुछ अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले को पाकिस्तान द्वारा पोषित लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह के 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था. इसमें 9 आतंकियों को तो पुलिस ने मार गिराया था, लेकिन कसाब को पकड़ लिया था, जिसे बाद में फांसी दे दी गई. अब कुछ स्कॉलर, पूर्व डिप्लोमेट और कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर फिर से ऐसा कोई हमला होता है तो भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होना तय है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के एक पूर्व अधिकारी Bruce Riedel ने पीटीआई को बताया कि अभी भी मुंबई हमलों के पीड़ित इस हमले के सरगना और आईएसआई को कठघरे में खड़ा देखना चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से यह पाकिस्तान में नामुमकिन है. वह मानते हैं कि अगर भारत में एक और इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ तो उसकी वजह से दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है.

अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा है कि जिस तरह अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में कड़वाहट है, उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता कि भारत पर एक और हमला होने की स्थिति में उसे कैसे संभाला जाएगा. उन्होंने यह भी कहा है कि पाकिस्तान को 26/11 हमलों के सरगनों के खिलाफ कार्रवाई का वादा निभाना चाहिए. हक्कानी के अनुसार अमेरिका ने भी मुंबई हमलों के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच स्थितियों को सामान्य बनाने में बड़ा योगदान दिया था.

जिस समय मुंबई हमला हुआ था उस समय नेशनल सिक्योरिटी ऑफ द व्हाइट हाउस में दक्षिण एशिया के निदेशक अनीश गोयल थे. गोयल कहते हैं कि उस समय भारत-पाक के बीच युद्ध के हालात हमारी चिंताओं में सबसे अहम थे, जिसे हम हर हाल में रोकना चाहते ते. उन्होंने बताया कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और विदेश मंत्री कोंडालीजा राइस ने ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों से बातचीत की थी. कुछ अमेरिकी सहयोगियों से भी बात की थी कि ऐसी स्थिति पैदा होने से बचा जा सके. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तुरंत कार्रवाई करने का काफी दबाव था, लेकिन चिंता थी कि ऐसी कोई स्थिति ना पैदा हो. बुश ने तो हमले के तुरंत बाद मनमोहन सिंह को फोन किया था, जबकि विदेश मंत्री राइस तो भारत आए भी थे, ताकि इस मसले पर बात की जा सके.

ओबामा प्रशासन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर ऐसा एक और हमला हो जाता है, तो काफी तेजी से वह एक युद्ध की शक्ल ले लेगा. उनके अनुसार मौजूदा मोदी सरकार पहले ही सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ एक सख्त रवैया अख्तियार कर चुकी है. वह कहते हैं कि किसी आतंकी हमले की स्थिति में मोदी सरकार उसका जवाब देने के लिए तुरंत तैयार हो जाएगी और मुझे नहीं लगता कि ट्रंप प्रशासन भी युद्ध की स्थिति टालने के लिए वैसा कुछ भी करेगा, जैसे बुश प्रशासन ने किया था. उल्टा ट्रंप प्रशासन यही कहेगा कि भारत सही कर रहा है. अमेरिका तो भारत को रोकने के बजाय उल्टा मदद करने के तैयार हो सकता है.

26/11 हमले का मास्टरमाइंड जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद जिस तरह से खुलेआम पाकिस्तान में घूमता नजर आता है, उससे ये तो साफ है कि पाकिस्तान मुंबई हमले के पीड़ितों को न्याय नहीं दिलाना चाहता है. अमेरिका ने तो हाफिज सईद पर इनाम तक रख दिया है. लेकिन बावजूद इन सबके हाफिज सईद को सजा देना तो दूर की बात है, पाकिस्तान तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई तक करने को तैयार नहीं है. इधर आए दिन पाकिस्तान की ओर से भारत में घुसपैठ हो रही है. कश्मीर में आतंक फैलाने के साथ-साथ अब पाकिस्तान ने पंजाब में भी आतंकी घटनाएं शुरू कर दी हैं. ऐसे में, अगर कोई बड़ा हमला करने में पाकिस्तान कामयाब हो गया, तो दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आ सकती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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