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अदानी पर लगे आरोपों की ही जांच की मांग हो रही है या मकसद मोदी को घेरना है?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 04 फरवरी, 2023 05:37 PM
  • 04 फरवरी, 2023 05:34 PM
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) के बाद अदानी ग्रुप के खिलाफ जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जांच कराने की मांग हो रही है. ये समझ में नहीं आया है कि ये मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से गौतम अदानी (Gautam Adani) के रिश्तों को लेकर है, या अदानी ग्रुप पर लगे आरोपों को लेकर?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) ने तो जैसे कहर ही बरपा रखा है. विपक्षी दलों के लिए तो ये बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने जैसा ही लगता है. और राहुल गांधी के लिए तो भारत जोड़ो यात्रा पूरा करने के बाद ये सब सोने में सुगंध आ जाने जैसा ही लग रहा होगा - अदानी के साथ साथ केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी तो परेशान है ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए भी ये सब बचाव की मुद्रा में लाने वाला है.

गौतम अदानी (Gautam Adani) तो 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही निशाने पर थे, मुसीबत में अब जाकर फंसे हैं. गौतम अदानी निशाने पर तो रहे देश के विपक्ष के, लेकिन फंसाया है एक विदेशी रिसर्च एजेंसी ने है.

गौतम अदानी को राहुल गांधी लगातार टारगेट करते रहे हैं, लेकिन वो फंसे हैं रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से - दोनों का आपस में कोई कनेक्शन हो सकता है या नहीं अभी किसी को नहीं मालूम.

अमेरिकी एजेंसी हिंडनबर्ग के फाउंडर इजरायल के रहने वाले हैं. पूरे मामले में राहुल गांधी के लिए राहत की बात ये है कि एजेंसी का कोई इटली कनेक्शन नहीं है, वरना पूरी बाजी अब तक पलट चुकी होती.

अदानी ग्रुप कोई पहली कंपनी नहीं है जो हिंडनबर्ग का शिकार हुई है. पहले भी हिंडनबर्ग कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट जारी कर चुका है. हिंडनबर्ग की तरफ से अब तक विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, निकोला, आइडियानॉमिक, एससी रॉक्स, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria जैसी कंपनियों के खिलाफ भी रिपोर्ट जारी की जा चुकी हैं. हिंडनबर्ग का दावा है कि वो एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म है जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स का विश्लेषण करती है - और 'Man-Made Disasters' पर नजर रखती है.

विपक्ष की तरफ से फिलहाल जांच की वैसे ही मांग...

हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) ने तो जैसे कहर ही बरपा रखा है. विपक्षी दलों के लिए तो ये बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने जैसा ही लगता है. और राहुल गांधी के लिए तो भारत जोड़ो यात्रा पूरा करने के बाद ये सब सोने में सुगंध आ जाने जैसा ही लग रहा होगा - अदानी के साथ साथ केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी तो परेशान है ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए भी ये सब बचाव की मुद्रा में लाने वाला है.

गौतम अदानी (Gautam Adani) तो 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही निशाने पर थे, मुसीबत में अब जाकर फंसे हैं. गौतम अदानी निशाने पर तो रहे देश के विपक्ष के, लेकिन फंसाया है एक विदेशी रिसर्च एजेंसी ने है.

गौतम अदानी को राहुल गांधी लगातार टारगेट करते रहे हैं, लेकिन वो फंसे हैं रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से - दोनों का आपस में कोई कनेक्शन हो सकता है या नहीं अभी किसी को नहीं मालूम.

अमेरिकी एजेंसी हिंडनबर्ग के फाउंडर इजरायल के रहने वाले हैं. पूरे मामले में राहुल गांधी के लिए राहत की बात ये है कि एजेंसी का कोई इटली कनेक्शन नहीं है, वरना पूरी बाजी अब तक पलट चुकी होती.

अदानी ग्रुप कोई पहली कंपनी नहीं है जो हिंडनबर्ग का शिकार हुई है. पहले भी हिंडनबर्ग कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट जारी कर चुका है. हिंडनबर्ग की तरफ से अब तक विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, निकोला, आइडियानॉमिक, एससी रॉक्स, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria जैसी कंपनियों के खिलाफ भी रिपोर्ट जारी की जा चुकी हैं. हिंडनबर्ग का दावा है कि वो एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म है जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स का विश्लेषण करती है - और 'Man-Made Disasters' पर नजर रखती है.

विपक्ष की तरफ से फिलहाल जांच की वैसे ही मांग की जा रही है, जैसे 2009 में सत्यम कंप्यूटर्स घोटाले को लेकर हुई थी. तब कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार थी - और बीजेपी विपक्ष में थी.

क्या अदानी ग्रुप पर लगे आरोपों की तुलना सत्यम कंप्यूटर्स स्कैम से की जा सकती है? दोनों मामलों में बुनियादी फर्क ये है कि सत्यम कंप्यूटर्स को लेकर केतन मेहता तब विपक्ष के निशाने पर वैसे नहीं रहे जैसे आज की तारीख में गौतम अदानी हैं.

हालांकि, गौतम अदानी अपनी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपना नाम जोड़े जाने के सवाल पर सफाई भी दे चुके हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में गौतम अदानी ने कहा था कि मोदी के साथ उनको इसलिए भी टारगेट किया जाता है क्योंकि वे दोनों ही एक ही राज्य गुजरात से आते हैं.

गौतम अदानी ने राहुल गांधी की तरफ से लगातार टारगेट किये जाने पर भी सवालों का जवाब दिया था. गौतम अदानी का कहना रहा कि उनके कारोबार की बुनियाद तो कांग्रेस की सरकार में ही बनी - और कांग्रेस सरकारों की नीतियों की बदौलत ही वो लगातार तरक्की भी करते रहे.

लेकिन अदानी ग्रुप को लेकर जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जांच कराने की जो मांग की जा रही है, वो आखिर किन चीजों को लेकर है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गौतम अदानी के रिश्तों को लेकर या फिर अदानी ग्रुप पर लग रहे आरोपों को लेकर?

संसद में हंगामा क्यों?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदानी ग्रुप को लेकर विपक्ष को लगता है कि जो भी गड़बड़ी हुई है या हो रही है, उसके पीछे सरकार का हाथ है - और इसीलिए विपक्ष आगबबूला हो उठा है.

मोदी सरकार को नये सिरे से घेरने का मौका विपक्ष को तो गौतम अदानी ने ही दिया है

जो विपक्ष भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बिखरा हुआ नजर आया, संसद सत्र में एक बार फिर एकजुट नजर आ रहा है. बजट सत्र की तरह शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस अध्यक्ष सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने में सफल देखे गये थे.

अदानी समूह पर क्या आरोप लगे हैं: अमेरिकी एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि अदानी ग्रुप के शेयर ओवरप्राइस्ड हैं. अदानी समूह के खातों में भी गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाये गये हैं.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद अदानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है - और नतीजा ये हुआ है कि गौतम अदानी अमीरों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गये हैं.

FPO रद्द, ब्याज भी मिलेगा क्या: अचानक मची अफरातफरी के बीच अदानी ग्रुप ने अपना FPO वापस लेने की घोषणा की है. हैरानी की बात ये है कि ये गौतम अदानी ने ये फैसला 20 हजार करोड़ के एफपीओ के पूरी तरह सब्सक्राइब हो जाने के बाद लिया है.

FPO रद्द करने के बाद गौतम अदानी ने एक वीडियो मैसेज में निवेशकों का शुक्रिया अदा किया और कहा, 'स्टॉक में हुए उतार-चढ़ाव के बावजूद कंपनी के बिजनेस और उसके मैनेजमेंट में आपका भरोसा हमारे लिए आश्वास्त करने वाला है... मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है... बाकी सब सेकेंडरी है... हमने FPO वापस ले लिया है... बोर्ड ने महसूस किया कि FPO के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा.'

गौतम अदानी ने पैसे वापस करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन ये नहीं मालूम कि ऐसा कब तक हो पाएगा? ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या लोगों को वही रकम लौटायी जाएगी जो निवेश की गयी है या वापस मिलने तक की अवधि के लिए ब्याज भी मिलेगा? आयकर विभाग या पोस्ट ऑफिस की तरफ से तो ऐसा ही किया जाता है.

RBI ने बैंकों से पूरी जानकारी मांगी है: मीडिया में सूत्रों के हवाले से आयी रिपोर्ट के मुताबिक, RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को दिये गये कर्ज की पूरी जानकारी मांगी है.

हाल के इंटरव्यू में गौतम अदानी से बैंको की तरफ से मिले कर्ज को लेकर भी सवाल पूछे गये थे. गौतम अदानी से ऐसी आशंकाओं को खारिज किया था कि अगर उनकी कंपनी को कुछ हुआ तो बैंको के पैसे डूब जाएंगे. जवाब में गौतम अदानी ने अदानी ग्रुप के ग्रोथ का हवाला दिया था - लेकिन अभी जो कुछ हो रहा है, गौतम अदानी के सारे दावे काफी पीछे छूट जाते हैं.

जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जांच की मांग: मुद्दा ऐसा है कि सड़क पर बिखरा हुआ विपक्ष संसद में एकजुट नजर आने लगा है. अदानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर संसद में लगातार हंगामा हो रहा है. विपक्ष की मांग है कि अदानी ग्रुप के वित्तीय लेनदेन की जांच संयुक्त संसदीय समिति या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जांच करायी जाये.

ट्विटर पर ऐसी मांग जाने माने वकील प्रशांत भूषण की तरफ से भी रखी गयी है. प्रशांत भूषण ने लिखा है कि चार साल पहले उनके चेंबर से जाते जाते एक शख्स ने पूछा था, 'नरेंद्र भाई से कुछ करवाना हो तो मुझे बताइये'.

उसी वाकये का जिक्र करते हुए प्रशांत भूषण कहते हैं, अब मैं वो ऑफर स्वीकार करता हूं और उनसे कहना चाहूंगा - 'नरेंद्र भाई से कहिये कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर जेपीसी बैठवायें'

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के मुताबिक ये वाकया चार साल पहले का है. यानी अभी के हिसाब से सोचें तो 2019 की बात है. यानी ये तब की बात है जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में वापसी कर चुकी थी - और नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बन चुके थे.

अदानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाये गये आरोपों को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके, जेडीयू और लेफ्ट सहित 13 विपक्षी पार्टियों की राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में मीटिंग हुई - और फिर उनमें से नौ राजनीतिक दलों की तरफ से राज्य सभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया गया.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने मिलकर एक फैसला किया है कि आर्थिक नजरिये से देश में जो घटनाएं हो रही हैं, सदन में उठाना है. हम देते हैं और उस पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन जब भी हम नोटिस देते हैं तो उसे खारिज कर दिया जाता है.

आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने बताया कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईडी और सीबीआई को पत्र लिख कर गौतम अदानी का पासपोर्ट जब्त करने की मांग कर चुके हैं. संजय सिंह को शक है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो भी बाकियों की तरह देश से भाग जाएंगे - और देश के करोड़ों लोगों के पास कुछ भी नहीं बचेगा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तो आरोप है, 'अपने कुछ नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए बीजेपी, बैंक और एलआईसी के पैसे का इस्तेमाल कर रही है.

सरकार ने तो पल्ला झाड़ लिया है: अदानी ग्रुप पर लगे धोखाधड़ी के आरोपों पर केंद्र सरकार ने किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया है. पहले आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ से पूछे जाने पर मीडिया से बोले, 'हम सरकार में हैं... और किसी निजी कंपनी से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.'

और अब तो संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी बोल दिया है कि सरकार का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. प्रह्लाद जोशी का ये बयान मीडिया के सवालों के जवाब में आया है.

अगर मोदी फैक्टर है तो सिर्फ अदानी ही क्यों?

मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख रखने वाले बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने एक जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें गौतम अदानी का नाम भी शामिल बताया जा रहा है. स्वामी ने ट्विटर पर बताया कि ये याचिका फ्रॉड बैंक लोन से जुड़ी है.

लगे हाथ सुब्रहमण्यन स्वामी ने अपनी तरफ से ये संकेत देने की कोशिश की है कि मोदी सरकार अब गौतम अदानी से पीछा छुड़ा सकती है क्योंकि ये मामला अब एक होपलेस केस रह गया है.

विपक्ष का जो रवैया देखने को मिल रहा है, ये तो साफ है कि विपक्ष के पाले में गेंद भी गौतम अदानी की तरफ से ही डाली गयी है. अपने हालिया इंटरव्यू के जरिये तो गौतम अदानी ने अपने हिसाब से राहुल गांधी के हमलों को भी काउंटर करने की कोशिश की थी. उससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह गौतम अदानी को हाथोंहाथ लिया था, राहुल गांधी को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा था. तब राहुल गांधी ने अपना स्टैंड समझाने के लिए ये तरकीब निकाली कि भला कौन मुख्यमंत्री ऐसे ऑफर ठुकराने की हिम्मत कर सकता है? हालांकि, बाद में राहुल गांधी अपने पुराने ढर्रे पर लौट गये थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी 'हम दो हमारे दो' कह कर भी टारगेट करते रहे हैं. राहुल गांधी का इशारा मोदी के साथ अमित शाह और अदानी-अंबानी से होता है. गौतम अदानी और मुकेश अंबानी को लेकर ही राहुल गांधी 'सूट बूट की सरकार' भी कहते रहे - ऐसे में सवाल ये है कि विपक्ष के ताजा हंगामे का फोकस अगर मोदी फैक्टर ही है तो निशाने पर सिर्फ गौतम अदानी ही क्यों हैं?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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