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Delhi election में कैसे Congress ने BJP और AAP दोनों की मदद की

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 12 फरवरी, 2020 10:42 PM
  • 12 फरवरी, 2020 10:42 PM
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दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) में साफ़ तौर पर कांग्रेस (Congress) ने भाजपा (BJP) की टैली सुधारने में उसकी मदद की नतीजा ये हुआ कि दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) अपना किला बचाने में कामयाब रही.

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में कांग्रेस (Congress) का बुरी तरह परफॉर्म करना, पार्टी के लिए शोक का कारण नहीं हो सकता. पार्टी ने वैसा ही परफॉर्म किया है जैसा उसने दिल्ली में 2015 में किया था. अपनी शुरुआती टिप्पणियों में कांग्रेस (Congress) के नेता, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आप (AAP) के हाथों भाजपा (BJP) की हार का जश्न मनाते दिखाई दिए, जबकि उन्हें अपने ख़राब प्रदर्शन पर अफ़सोस होना चाहिए था. कांग्रेस नेताओं की इस आकाशगंगा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) और पी चिदंबरम (P Chidambaram) जैसे दिग्गज भी अपनी पार्टी का प्रदर्शन भूल भाजपा को शिकस्त देने वाले अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) की शान में कसीदे पढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन नेताओं के पास जश्न मनाने का कारण हो सकता है. कम से कम आधा दर्जन निर्वाचन क्षेत्रों में ये वोट कटुवा की भूमिका में रहे हैं जिस कारण भाजपा दो अंकों के आंकड़े को नहीं छू पाई है. हालांकि इन्होंने भाजपा को उसकी 2015 वाली टैली डबल करने में पूरी मदद की है.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने ऐसा बहुत कुछ किया जिससे फायदा भाजपा को तो हुआ ही साथ ही आप ने भी मौके का फायदा उठाया

आइये पहले नजर डालते हैं दिल्ली के उन निर्वाचन क्षेत्रों पर जहां हमें साफ़ तौर पर कांग्रेस भाजपा की मदद करते हुए दिखाई पड़ रही है:

गांधी नगर- अरविंदर सिंह लवली की उपस्थिति - लवली जिन्हें बहुत से लोग शीला दीक्षित की सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में पहचानते हैं इन्होंने इस सीट पर कांग्रेस का होने के बावजूद भाजपा के हित में काम किया. गांधी नगर सीट को भाजपा प्रत्याशी अनिल बाजपाई ने 6000 वोटों के अंतर से जीता है. लवली को इस सीट पर 21,000 से ज्यादा वोट...

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में कांग्रेस (Congress) का बुरी तरह परफॉर्म करना, पार्टी के लिए शोक का कारण नहीं हो सकता. पार्टी ने वैसा ही परफॉर्म किया है जैसा उसने दिल्ली में 2015 में किया था. अपनी शुरुआती टिप्पणियों में कांग्रेस (Congress) के नेता, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आप (AAP) के हाथों भाजपा (BJP) की हार का जश्न मनाते दिखाई दिए, जबकि उन्हें अपने ख़राब प्रदर्शन पर अफ़सोस होना चाहिए था. कांग्रेस नेताओं की इस आकाशगंगा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) और पी चिदंबरम (P Chidambaram) जैसे दिग्गज भी अपनी पार्टी का प्रदर्शन भूल भाजपा को शिकस्त देने वाले अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) की शान में कसीदे पढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन नेताओं के पास जश्न मनाने का कारण हो सकता है. कम से कम आधा दर्जन निर्वाचन क्षेत्रों में ये वोट कटुवा की भूमिका में रहे हैं जिस कारण भाजपा दो अंकों के आंकड़े को नहीं छू पाई है. हालांकि इन्होंने भाजपा को उसकी 2015 वाली टैली डबल करने में पूरी मदद की है.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने ऐसा बहुत कुछ किया जिससे फायदा भाजपा को तो हुआ ही साथ ही आप ने भी मौके का फायदा उठाया

आइये पहले नजर डालते हैं दिल्ली के उन निर्वाचन क्षेत्रों पर जहां हमें साफ़ तौर पर कांग्रेस भाजपा की मदद करते हुए दिखाई पड़ रही है:

गांधी नगर- अरविंदर सिंह लवली की उपस्थिति - लवली जिन्हें बहुत से लोग शीला दीक्षित की सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में पहचानते हैं इन्होंने इस सीट पर कांग्रेस का होने के बावजूद भाजपा के हित में काम किया. गांधी नगर सीट को भाजपा प्रत्याशी अनिल बाजपाई ने 6000 वोटों के अंतर से जीता है. लवली को इस सीट पर 21,000 से ज्यादा वोट मिले.

लक्ष्मी नगर- इस सीट पर अभय वर्मा ने आप प्रत्याशी नितिन त्यागी को 900 वोटों से हराया. कांग्रेस के प्रत्याशी हरी दत्त शर्मा को इस विधानसभा क्षेत्र पर 4,800 वोट मिले.

अब, हम उन सीटों का आंकलन किया जाएं जिनमें कांग्रेस ने या तो आप की मदद की या फिर उसके वोट शेयर को प्रभावित किया ताकि आप उम्मीदवार जीत जाएं जिसका सीधा नुकसान भाजपा को हो और चीजें भाजपा के खिलाफ चली जाएं.

कृष्णा नगर- इस सीट को लेकर कहा जाता था कि ये सीट मोदी सरकार में मंत्री हर्षवर्धन की जेब में है. ऐसा इसलिए भी कहते हैं क्योंकि उन्होंने खुद इस सीट से 5 बार 1993 से 2013 के बीच चुनाव लड़ा था. 2015 में भाजपा की मुख्यमंत्री प्रत्याशी किरण बेदी को इस सीट पर शिकस्त मिली थी. आम आदमी पार्टी के एसके बग्गा ने बेदी को हराया था.

बग्गा ने 2020 के दिल्ली चुनाव में इस सीट को बरकरार रखा और भाजपा के अनिल गोयल को 4,000 से अधिक मतों से हराया.  बग्गा ने इस सीट को 2020 के चुनाव में बरक़रार रखा है. उन्होंने भाजपा के अनिल गोयल को 4000 वोटों से हराया. एके वालिया जो शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रह चुके हैं उन्होंने 5,000 से ज्यादा वोट हासिल किये.

बिजवासन- इस सीट पर भूपिंदर सिंह जून ने भाजपा प्रत्याशी सत प्रकाश राणा को 800 वोटों से भी कम से हराया है. यहां कांग्रेस के प्रवीण राणा को तकरीबन 6,000 वोट मिले हैं.

आदर्श नगर- इस सीट से आम आदमी पार्टी के पवन शर्मा को 46,800 वोट मिले हैं जिन्होंने भाजपा के राज भाटिया को हटाया है इस सीट से भाजपा को 45,000 वोट मिले हैं. दिलचस्प बात ये है कि यहां विक्ट्री मार्जिन 1600 वोटों से भी कम था. यहां कांग्रेस के प्रत्यासी मुकेश गोएल को तकरीबन 10,000 वोट मिले.

छतरपुर- इस सीट को आम आदमी पार्टी के करतार सिंह तंवर ने भाजपा के सतीश लोहिया को हराकर जीता है. दिलचस्प बात ये है कि यहां जीत मात्र 3700 वोटों से हुई है. वहीं इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी राणा सुजीत सिंह 3800 वोट जुटाने में कामयाब हुए.

कस्तूरबा नगर- इस सीट पर आम आदमी पार्टी के मदन लाल ने भाजपा के रविंदर चौधरी को 3, 200 वोटों से हराया. इस सी पर कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक दत्त को 19, 500 वोट मिले.

पटपड़गंज- इस सीट को भी एक बहुत जरूरी सीट माना जा रहा था जिसपर लड़ाई काफी रोचक रही. सीट पर मुकाबला दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भाजपा के रविंदर सिंह नेगी के बीच था. सिसोसिया ने अंत के राउंड्स में नेगी को 3, 200 वोटों से पराजित किया. इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से लक्ष्मण सिंह रावत मैदान में थे जिन्होंने 2700 के आस पास वोट हासिल किये

शाहदरा-  शाहदरा सीट पर भी बराबरी का मुकाबला देखने को मिला. इस सीट से आम आदमी  पार्टी के राम निवास गोयल ने भाजपा के संजय गोयल को 5, 200 वोटों से शिकस्त दी. यहां कांग्रेस के प्रत्यासी को 4, 800 वोट मिले.

बादली- इस सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. यहां आम आदमी पार्टी ने 29,000 वोटों से जीत दर्ज की है. यहां कांग्रेस की भूमिका इस लिए भी अहम थी क्योंकि विजेता और उपविजेता के बीच 27, 500 वोट हासिल करने वाली कांग्रेस थी.

ये 10 सीटें दिल्ली में कांग्रेस की राजनीतिक संभावनाओं के आसपास मंडराने वाले काले बादलों में चांदी का अस्तर प्रदान करती हैं, जहां 60 से अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी जमानत जब्त करवाई. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की भूमिका को लेकर चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि यही वो पार्टी थी जिसने 15 साओं तक दिल्ली में सत्ता सुख भोगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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