14वें दलाई लामा की आयु 6 जुलाई 2019 को 84 वर्ष पार कर गयी है. हालिया वर्षों में उनके स्वस्थ्य को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी की खोज ने एक नए मुद्दे और आयाम को जन्म दिया है. तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा पिछले साठ सालों से भारत में निर्वासित जीवन गुजार रहे हैं. 1959 से ही वो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं. हाल के वर्षो में उनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आई है. जिसके चलते वो विदेशी दौरों में भी जाने से अब परहेज कर रहे हैं. और इसी कारण उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज हैं. तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी हमेशा उनके गुणों के आधार पर चुना जाता है. लेकिन इन सब के बीच ऐसी खबर आई है जो भारत और चीन के रिश्तो में फिर से खटास पैदा कर सकती है.
दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन ने एक बार फिर अपना रुतबा दर्शाते हुए भारत के प्रति आंखें तरेरने वाला बयान दिया है. चीन ने स्पष्ट किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर कोई भी निर्णय चीन के अंदर होना चाहिए. और इस मुद्दे पर भारत का दखल स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस संवेदनशील मुद्दे पर चीन की सरकार और वहां के विशेषज्ञों की राय एक है. उनका कहना साफ है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ चीन ही ले सकता है. और किसी भी देश का हस्तक्षेप किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनका मतलब साफ है कि चीन स्पष्ट रूप से चाहता है कि दलाई लामा का चयन उनके देश के भीतर ही 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए.
चीन के इस रुख से एक बात तो बिलकुल साफ हो गई है कि अगर भारत उत्तराधिकारी चुनता है और चीन उसपर अपनी...
14वें दलाई लामा की आयु 6 जुलाई 2019 को 84 वर्ष पार कर गयी है. हालिया वर्षों में उनके स्वस्थ्य को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी की खोज ने एक नए मुद्दे और आयाम को जन्म दिया है. तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा पिछले साठ सालों से भारत में निर्वासित जीवन गुजार रहे हैं. 1959 से ही वो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं. हाल के वर्षो में उनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आई है. जिसके चलते वो विदेशी दौरों में भी जाने से अब परहेज कर रहे हैं. और इसी कारण उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज हैं. तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी हमेशा उनके गुणों के आधार पर चुना जाता है. लेकिन इन सब के बीच ऐसी खबर आई है जो भारत और चीन के रिश्तो में फिर से खटास पैदा कर सकती है.
दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन ने एक बार फिर अपना रुतबा दर्शाते हुए भारत के प्रति आंखें तरेरने वाला बयान दिया है. चीन ने स्पष्ट किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर कोई भी निर्णय चीन के अंदर होना चाहिए. और इस मुद्दे पर भारत का दखल स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस संवेदनशील मुद्दे पर चीन की सरकार और वहां के विशेषज्ञों की राय एक है. उनका कहना साफ है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ चीन ही ले सकता है. और किसी भी देश का हस्तक्षेप किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनका मतलब साफ है कि चीन स्पष्ट रूप से चाहता है कि दलाई लामा का चयन उनके देश के भीतर ही 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए.
चीन के इस रुख से एक बात तो बिलकुल साफ हो गई है कि अगर भारत उत्तराधिकारी चुनता है और चीन उसपर अपनी सहमति नहीं देता है तो दोनों देशों के बीच फिर से गतिरोध उत्पन्न हो सकता है. दो-तीन दिन पहले ही खबर आई थी कि दलाई लामा के जन्मदिन के उपलक्ष में लद्दाख में उत्सव मनाया जा रहा था तो दामचोक इलाके में चीन ने घुसपैठ किया. हालांकि भारतीय सेना ने ऐसी खबरों का खंडन किया है. आज से तक़रीबन दो साल पहले यानी 2017 में भारत और चीन के बीच गंभीर डोकलाम विवाद उत्पन्न हुआ था. इस मुद्दे पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं. बाद में दोनों देशों ने आपसी समझ से इस मसले को सुलझा लिया था.
यहां पर एक बात जानना जरुरी है कि दलाई लामा पर भारत सरकार का रुख बिलकुल साफ है. भारत का शुरू से मानना है कि वो एक सम्मानीय धार्मिक नेता हैं और भारत उनका हमेशा से सम्मान करता आया है. भारत में उनको अपने धार्मिक कार्यो को पूरी तरह संपन्न करने की अनुमति दी गयी हैं. दलाई लामा के मुद्दे पर चीन भारत को घेरने की कोशिश करता रहता है. चीन, दलाई लामा की दूसरे देशों में उपस्थिति को लेकर हमेशा से ऐतराज जताता आया है. तिब्बत पर चीन का कब्जा है और वो इस मुद्दे पर अपने प्रति किसी का विरोध स्वीकार नहीं करना चाहता है.
कैसे होता है दलाई लामा का चयन?
बौद्ध परंपरा के अनुसार अब तक जो दलाई लामा बनते आए हैं. उनका चयन पुनर्जन्म के आधार पर किया गया है. वर्त्तमान दलाई लामा ने पहले अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि वो अपना उत्तधराधिकारी अपनी मौत से पहले या तिब्बत के बाहर रह रहे निर्वासितों से भी चुन सकते हैं. साथ ही साथ चुनाव के जरिये भी लामा चुनने का विकल्प वो अख्तियार कर सकते हैं. चीन चाहता है कि दलाई लामा का चयन उनके देश के भीतर ही 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए.
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