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Coronavirus Pandemic : कोरोना से जुड़ी कुछ अच्छी खबर भी पढ़िए!

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 25 अप्रिल, 2020 11:44 AM
  • 25 अप्रिल, 2020 11:44 AM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) हर दिन लोगों की धड़कन बढ़ा देता है कभी आंकड़ें तेज़ी के साथ बदल जाते हैं तो कभी नए नए लक्षण सामने आ जाते हैं. कोरोना से जुड़ी कुछ अच्छी खबर भी है और कुछ सीख भी है जिसे हमें ज़रूर सीखना चाहिए.

आज कल हर तरफ बस कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चर्चा होती है. महामारी (Pandemic) इतनी बड़ी है कि पूरा विश्व इससे जूझ रहा है. कहीं राहत है तो कहीं आफत है. खौफ और दहशत में हर इंसान है. ज़रा सा भी कोई बीमारी पैदा होती है तो कोरोना की चिंता सताने लगती है. यह शंका स्वभाविक है. लेकिन डर लोगों में एक नई बीमारी को जन्म देता है इसलिए ज़रूरी है कि रात दिन इसी खौफ में न जियें. दिन के शुरू होने से ही बुरी खबरों का सिलसिला शुरू हो जाता है. यह बीमारी ही ऐसी है कि दहशत पैदा करती है, लेकिन इन सबके बीच कुछ राहत की खबरें मिलती हैं तो थोड़ा दिल को सुकून मिलता है. तो कोरोना वायरस से जुड़ी भारत (India) के लिए जो कुछ अच्छी खबरें आई हैं, उनमें सबसे बड़ी खबर यह है कि पिछले 14 दिनों में देश में 78 जिले ऐसे सामने आए हैं जहां कोरोना वायरस का कोई भी नया संक्रमित मरीज नहीं मिला है, और इन्हीं में 12 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 28 दिनों से कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है. यह अपने आप में ही एक बहुत बड़ी राहत है. प्राथना यही है कि अब ऐसी ही खबरें लगातार सामने आती रहें. अब सवाल यह है कि आखिर इन जिलों को कामयाबी मिली कैसे?

कोरोना वायरस के इस दौर में ऐसी भी तमाम ख़बरें हैं जो तनाव के बीच हमें सुकून देती हैं

देश के कई शहर कोरोना मुक्त हो चुके हैं और वह ग्रीन जोन में प्रवेश पा चुके हैं. इसका सेहरा जिला प्रशासन के सिर बांधना चाहिए. प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशों को सख्ती के साथ अमल कराने से ही इन जिलों ने यह मुकाम हासिल किया है. जो जिले कोरोना से मुक्त हुए हैं वहां पर अभी भी सख्ती बरती जा रही है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच जो तालमेल है वह अपना असर दिखा रहा है.

देश के कई शहरों में इसी तेज़ी के...

आज कल हर तरफ बस कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चर्चा होती है. महामारी (Pandemic) इतनी बड़ी है कि पूरा विश्व इससे जूझ रहा है. कहीं राहत है तो कहीं आफत है. खौफ और दहशत में हर इंसान है. ज़रा सा भी कोई बीमारी पैदा होती है तो कोरोना की चिंता सताने लगती है. यह शंका स्वभाविक है. लेकिन डर लोगों में एक नई बीमारी को जन्म देता है इसलिए ज़रूरी है कि रात दिन इसी खौफ में न जियें. दिन के शुरू होने से ही बुरी खबरों का सिलसिला शुरू हो जाता है. यह बीमारी ही ऐसी है कि दहशत पैदा करती है, लेकिन इन सबके बीच कुछ राहत की खबरें मिलती हैं तो थोड़ा दिल को सुकून मिलता है. तो कोरोना वायरस से जुड़ी भारत (India) के लिए जो कुछ अच्छी खबरें आई हैं, उनमें सबसे बड़ी खबर यह है कि पिछले 14 दिनों में देश में 78 जिले ऐसे सामने आए हैं जहां कोरोना वायरस का कोई भी नया संक्रमित मरीज नहीं मिला है, और इन्हीं में 12 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 28 दिनों से कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है. यह अपने आप में ही एक बहुत बड़ी राहत है. प्राथना यही है कि अब ऐसी ही खबरें लगातार सामने आती रहें. अब सवाल यह है कि आखिर इन जिलों को कामयाबी मिली कैसे?

कोरोना वायरस के इस दौर में ऐसी भी तमाम ख़बरें हैं जो तनाव के बीच हमें सुकून देती हैं

देश के कई शहर कोरोना मुक्त हो चुके हैं और वह ग्रीन जोन में प्रवेश पा चुके हैं. इसका सेहरा जिला प्रशासन के सिर बांधना चाहिए. प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशों को सख्ती के साथ अमल कराने से ही इन जिलों ने यह मुकाम हासिल किया है. जो जिले कोरोना से मुक्त हुए हैं वहां पर अभी भी सख्ती बरती जा रही है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच जो तालमेल है वह अपना असर दिखा रहा है.

देश के कई शहरों में इसी तेज़ी के साथ सख्ती की जा रही है ताकि अन्य जिले भी कोरोना से मुक्त हो सकें. दूसरी राहत की खबर यह है कि भारत में अबतक 5 लाख से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं जिनमें 23 हजार के करीब संक्रमित मरीज पाए गए हैं. अन्य बड़े देशों के मुकाबले यह संख्या कंट्रोल में है स्थिति अभी ज़्यादा नहीं बिग़ड़ी है. कोरोना वायरस की रफ्तार भारत में अन्य देशों के मुकाबले संतोषजनक है, भारत में ठीक होने वाले मरीजों का भी प्रतिशत कई देशों से अधिक है.

भारत की प्लाज्मा थेरेपी भी काफी कारगर साबित हो रही है. देश के कई राज्यों में अब प्लाज्मा थेरेपी की मदद ली जा रही है, और इसके नतीजे भी बेहतर सामने आ रहे हैं जो भारत के लिए बेहद अच्छी खबर है. भारत कोरोना वायरस से लड़ने की हर संभव कोशिश में जुटा हुआ है. टेस्टिंग की रफ्तार लगातार बढ़ाई जा रही है. 23 मार्च तक जहां भारत ने सिर्फ 14,915 टेस्ट किए थे वहीं 22 अप्रैल तक भारत ने 33 गुना ज़्यादा याऩी 5 लाख से अधिक टेस्ट कर लिए हैं.

इससे मालूम चलता है कि भारत लगातार कोरोना से लड़ने के लिए सामानों में बढ़ोतरी कर रहा है. चीन के अलावा भी कई देशों से किट को मंगाया जा रहा है ताकि भारत और तेज़ी के साथ टेस्ट कर सके. भारत न सिर्फ किट बल्कि अन्य सामानों को भी तेजी के साथ जुटा रहा है और किसी भी संकट की स्थिति में जाने से पहले ही पूरी तरह से तैयार रहने की जुगत में जुटा हुआ है.

भारत के लिए कोरोना वायरस एक बहुत बड़ा संकट है मगर इसकी वजह से हुए लॅाकडाउन ने भी जो फायदे दिखाए हैं वह भी हैरतअंगेज हैं. लॅाकडाउन के दौरान भारत में अपराध में काफी कमी आई है पुलिस की मुस्तैदी और लोगों के घरों में रहने से अपराध पर अंकुश लगा है. वहीं दूसरी ओर कई नदियां  स्वच्छ हो चली है जिनमें पवित्र नदी गंगा भी शामिल है. गंगा नदी बेहद साफ नज़र आ रही है.

पर्यावरण में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. जानकार मानते हैं कि पिछले कई दशकों के बाद इतनी स्वच्छ हवा और पानी देखने को मिल रहा है. ये एक बहुत बड़ा अनुभव है कोरोना से जीतने के बाद हैरत नहीं होगी जब बड़े बड़े शहरों से प्रदूषण को कम करने के लिए महीने में 1-2 दिन के लिए इस तरह का लॅाकडाउन किया जाएगा. अभी यह वक्त कोरोना से लड़ने का है इसलिए इसपर कोई चर्चा भी नहीं होनी चाहिए लेकिन कोरोना वायरस जो-जो सबक दे रहा है उससे ज़रूर सीख लेनी चाहिए.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात पर यकीन रखते हैं कि कोरोना से सबक सीखना चाहिए. उन्होनें कहा भी है कि कोरोना वायरस ने यह सिखा दिया है कि हर गांव -शहर और राज्यों को आत्मनिर्भर होना सीखना चाहिए. जब भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा तो इस तरह के बड़े आपदाओं से वह आसानी से पार पा सकेगा.

प्रधानमंत्री के इस सुझाव पर युवा वर्ग के लोगों को ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है देश में ऐसे कारखाने और कारोबार को स्थापित करने की ज़रूरत है जिसपर हम अन्य देशों का मुंह ताकते हैं. कोरोना वायरस से पार पाने के बाद ज़रूरत है कि भारत एक नई तरह से दुनिया में अपना मुकाम हासिल करे इसके लिए कोरोना वायरस की दी हुई हर सीख को अमलीजामा पहनाने की ज़रूरत होगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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