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Corona virus outbreak के खिलाफ जंग में जीत पक्की है - लेकिन 21 दिन में मुश्किल

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 29 मार्च, 2020 02:02 PM
  • 27 मार्च, 2020 12:00 PM
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कोरोना वायरस (Corona Virus) से दुनिया भर में फैली विभीषिका को लेकर WHO और सारे विशेषज्ञ चिंतित हैं. कम ही संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से घोषित 21 दिन के लॉकडाउन (21 days Lockdown) से ही काम चल जाये.

कोरोना (Coronavirus) की महामारी तकरीबन तीसरे विश्व युद्ध की ही तरह है. अच्छी बात ये है कि जंग के मैदान में दुनिया के सारे देश एकजुट होकर लड़ रहे हैं - और भारत में भी इससे युद्ध स्तर पर ही मुकाबले की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस के लोगों से बातचीत में महाभारत के युद्ध का जिक्र किया था जिसे खत्म होने में 18 दिन लगे थे, लेकिन कोरोना से मची व्यापक तबाही के लिए 21 दिन (21 day Lockdown) भी कम लगने लगे हैं - कुछ राज्यों में तैयारियां भी लंबे वक्त के हिसाब से होने लगी हैं.

अच्छी खबर ये है कि मोदी सरकार पर अब तक हमलावर रहा विपक्ष घोषित तौर पर साथ खड़ा हो चुका है, लेकिन जरूरी सुविधाओं की कमी और तैयारियों के लिए ज्यादा वक्त की डिमांड बड़ा चैलेंज लग रहा है.

कोरोना का कहर चीन से ही शुरू हुआ था और वहां उस पर काबू पा लिया गया है. ये तो पक्का है कि कोरोना पर पूरी तरह काबू पाया जा सकता है और इसमें वक्त भी लगेगा - मुश्किल यही है कि कैसे बीमारी को बढ़ने से रोका जाये और जो कोई भी इसकी चपेट में आये उसे सही इलाज मिले और वो पूरी तरह स्वस्थ हो जाये.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुरू में ही कोरोना को काबू में करने के लिए लोगों से सुझाव मांगे थे और बताया भी है कि लोग ऐप के जरिये ऐसा कर रहे हैं - कोरोना से मुकाबले के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था WHO सहित अलग अलग फील्ड के विशेषज्ञों ने भी कई महत्वपूर्ण उपाय सुझाया है - जिन पर अमल कर ये जंग निश्चित तौर पर जीती जा सकती है.

तीन हफ्ते कम हैं

जनता कर्फ्यू से शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से जंग के लिए 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है. प्रधानमंत्री ने इसके लिए महाभारत के युद्ध में लगे 18 दिन से तीन दिन ज्यादा ही वक्त लिया है.

तीन हफ्ते का वक्त वैसे तो कम नहीं होता, लेकिन कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के लिए ज्यादा नहीं लगता. वैसे जेडीयू उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर जैसे लोग भी हैं जिनको तीन हफ्ते का समय भी...

कोरोना (Coronavirus) की महामारी तकरीबन तीसरे विश्व युद्ध की ही तरह है. अच्छी बात ये है कि जंग के मैदान में दुनिया के सारे देश एकजुट होकर लड़ रहे हैं - और भारत में भी इससे युद्ध स्तर पर ही मुकाबले की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस के लोगों से बातचीत में महाभारत के युद्ध का जिक्र किया था जिसे खत्म होने में 18 दिन लगे थे, लेकिन कोरोना से मची व्यापक तबाही के लिए 21 दिन (21 day Lockdown) भी कम लगने लगे हैं - कुछ राज्यों में तैयारियां भी लंबे वक्त के हिसाब से होने लगी हैं.

अच्छी खबर ये है कि मोदी सरकार पर अब तक हमलावर रहा विपक्ष घोषित तौर पर साथ खड़ा हो चुका है, लेकिन जरूरी सुविधाओं की कमी और तैयारियों के लिए ज्यादा वक्त की डिमांड बड़ा चैलेंज लग रहा है.

कोरोना का कहर चीन से ही शुरू हुआ था और वहां उस पर काबू पा लिया गया है. ये तो पक्का है कि कोरोना पर पूरी तरह काबू पाया जा सकता है और इसमें वक्त भी लगेगा - मुश्किल यही है कि कैसे बीमारी को बढ़ने से रोका जाये और जो कोई भी इसकी चपेट में आये उसे सही इलाज मिले और वो पूरी तरह स्वस्थ हो जाये.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुरू में ही कोरोना को काबू में करने के लिए लोगों से सुझाव मांगे थे और बताया भी है कि लोग ऐप के जरिये ऐसा कर रहे हैं - कोरोना से मुकाबले के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था WHO सहित अलग अलग फील्ड के विशेषज्ञों ने भी कई महत्वपूर्ण उपाय सुझाया है - जिन पर अमल कर ये जंग निश्चित तौर पर जीती जा सकती है.

तीन हफ्ते कम हैं

जनता कर्फ्यू से शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से जंग के लिए 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है. प्रधानमंत्री ने इसके लिए महाभारत के युद्ध में लगे 18 दिन से तीन दिन ज्यादा ही वक्त लिया है.

तीन हफ्ते का वक्त वैसे तो कम नहीं होता, लेकिन कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के लिए ज्यादा नहीं लगता. वैसे जेडीयू उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर जैसे लोग भी हैं जिनको तीन हफ्ते का समय भी ज्यादा लगता है - और वैज्ञानिक सबूत के नाम पर सवाल भी उठाते हैं. लेकिन ऐसे गिने चुने लोग हैं. ज्यादातर किरण मजूमदार शॉ जैसे लोग हैं जो तपाक से जवाब भी दे देते हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोना के खिलाफ अभियान में जुटे अफसरों से कहा है कि 21 दिन नहीं, बल्कि वे कम से कम दो महिने का बैकअप लेकर काम करें. ये इशारा समझने के लिए काफी है कि सरकारी स्तर पर ये मान कर चला जा रहा है कि तीन हफ्ते में स्थिति पर काबू करना मुश्किल है.

इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में उच्च स्तरीय सूत्रों के हवाले से समझाने की कोशिश की है कि लॉकडाउन की अवधि तीन हफ्ते नहीं बल्कि तीन महीने तक भी हो सकती है. वैसे भी मौजूदा वित्तीय वर्ष तीन महीने तक बढ़ाना, पीएफ खाते में तीन महीने के पैसे देने की घोषणा जैसी बातें भी तो यही संकेत दे रही हैं.

लॉकडाउन अभी तीन हफ्ते का है - और आगे की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना होगा

चीन में कोरोना वायरस का पहला केस 2019 के आखिर में नोटिस किया गया था और अब जाकर काबू पाया जा सका है - तकरीबन तीन महीने तो हो ही चुके हैं. कुछ ज्यादा ही हुए.

मिल कर काम करना जरूरी है

पूर्व राजनयिक विवेक काटजू की सलाह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे मुश्किल दौर में विपक्षी नेताओं को भी साथ लेकर चलने की कोशिश करनी चाहिये. विवेक काटजू का मानना है कि प्रधानमंत्री को उन अर्थशास्त्रियों की भी मदद लेने की कोशिश करनी चाहिये जो विपक्षी खेमे के हैं. ऐसा लगता है कि काटजू का इशारा मनमोहन सिंह जैसे लोगों की तरफ है.

वैसे राहुल गांधी ने तो अब मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज पर खुशी का इजहार कर ही दिया है - बड़े दिनों बाद कोई मौका आया है जब राहुल गांधी की तरफ से ऐसी कोई टिप्पणी आयी है.

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी पत्र लिख कर प्रधानमंत्री मोदी को सुझाव दे चुकी हैं जिनमें कांग्रेस के चुनाव मैनिफेस्टो में शामिल न्याय योजना लागू करना भी है. लॉकडाउन की घोषणा के बाद से कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम भी प्रधानमंत्री मोदी को कमांडर और बाकी जनता को पैदल सेना बता चुके हैं - भला इससे अच्छी बात क्या होगी.

चीन की तरह मेकशिफ्ट अस्पतालों की जरूरत है

WHO ने कोरोना से निबटने में चीन के प्रयासों की सराहना की है. सराहना तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के उपायों की भी की है, लेकिन अभी काफी उपाय किये जाने बाकी हैं. चीन की तारीफ उसके मेकशिफ्ट यानी अस्थाई अस्पतालों को लेकर की जा रही है. चीन ने सिर्फ 10 दिन में जरूरत के हिसाब से मेकशिफ्ट अस्पताल बना लिये थे.

चीन ने ऐसे अस्पताल बनाने में भारत सहित तमाम एशियाई मुल्कों को मदद ऑफर किया है. हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच फोन पर बात हुई थी तब भी चीन की तरफ से हर संभव मदद की पेशकश हुई थी और विदेश मंत्री जयशंकर ने इसके लिए शुक्रिया भी कहा.

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोना की जंग में तमाम संसाधनों के इस्तेमाल का सुझाव दिया है. रघुराम राजन की नजर में कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर इस लड़ाई में बाधा बन सकते हैं लिहाजा उन पर गौर करना सबसे जरूरी है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए राज्य के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग होम और अस्पतालों को तत्काल प्रभाव से टेकओवर कर लिया है - और ये व्यवस्था अगले आदेश तक लागू रहने की जानकारी दी गयी है.

इस बीच ओडिशा से खबर आ रही है कि वहां एक हजार बेड वाला अस्पताल बनाये जाने की तैयारी है जो कोरोना मरीजों के इलाज की सुविधाओं से लैस होगा. निश्चित तौर पर ऐसी कोशिशें कोरोना से मुकाबले में काफी मददगार साबित हो सकती हैं.

बहुत सारे डॉक्टरों की भी आवश्यकता है

कोरोना से निबटने के लिए सरकार की तरफ से वॉलंटियर डॉक्टरों से मदद मांगी गयी है. नीति आयोग की वेबसाइट पर सरकार ने रिटायर हो चुके सरकारी डॉक्टरों, सशस्त्र सेनाओं के डॉक्टर और निजी डॉक्टरों से भी कोरोना के खिलाफ जंग में मदद के लिए आगे आने को कहा है.

देश के जाने माने कार्डिएक सर्जन देवी शेट्टी ने एक ऐसा सुझाव दिया है जिससे एक साथ डेढ़ लाख तक डॉक्टरों की सेवाएं मिलनी शुरू हो सकती हैं. देवी शेट्टी का कहना है कि भारी तादाद में डॉक्टर और स्पेशलिस्ट परीक्षाओं का इंतजार कर रहे हैं. देवी शेट्टी का कहना है कि अमेरिका की तर्ज पर अगर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया नियमों में बदलाव कर चाहे तो ये डॉक्टर ड्यूटी में लगाये जा सकते हैं. हालांकि, इसके लिए डॉक्टरों का इम्तिहान लिये बगैर ही उन्हें 'बोर्ड एलिजिबल' यानी उपचार के योग्य होने की डिग्री देनी होगी.

देवी शेट्टी का कहना है कि 60 साल से ज्यादा उम्र के डॉक्टरों के लिए कोरोना मरीजों का इलाज करना खतरनाक हो सकता है - और अगर नये डॉक्टरों को मोर्चे पर तैनात कर दिया गया तो ये लड़ाई आसान हो सकती है.

WHO के भी कुछ सुझाव हैं

WHO की तरफ से भी कुछ सुझाव आये हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के प्रयासों की सराहना तो की है, लेकिन जरूरत के मुकाबले उसे ये सब कम लग रहा है. संगठन की सलाह है कि लोगों के साथ सख्ती बरतते हुए जरूरी उपायों को लागू करना होगा तभी नतीजे हासिल किये जा सकते हैं.

WHO ने ये 6 सुझाव दिया तो सभी देशों के लिए है लेकिन भारत जिस दौर से गुजर रहा है उसमें ये खासे मददगार साबित हो सकते हैं -

1. स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित तो किया ही जाये, उनकी संख्या भी बढ़ायी जाये.

2. कोरोना से ग्रस्त मरीजों का पता लगाने के लिए सही तरीके अख्तियार कर सख्ती से अमल किया जाये.

3. कोरोना की जांच के इंतजाम किये जायें और उनकी उपकरणों की उपलब्धता बढ़ायी जाये.

4. उन सुविधायों का पता किया जाये जिन्हें कोरोना स्वास्थ्य केंद्र के रूप में तब्दील किया जा सकता है.

5. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को क्वेरंटीन में रखने के उपायों को बढ़ाया जाये.

6. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के हर संभव उपाय हर हाल में लागू हों.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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