साबित हो गया और यहां के तमाम राष्ट्रवादी भी मान लें, अमेरिका के चुनाव हमारे यहां के चुनाव से ज्यादा मजेदार और दिलचस्प होते हैं. ये बात भी समझ में आ गई कि करीब हर तीन साल बाद ये देश कैसे टीवी पर चुनावी डिबेट, नेताओं के भाषण और उनकी रैलियों के लिए खुद को तैयार कर लेता है.
भारत में हम गरीबी, बोरोजगारी, भुखमरी पर ही चर्चा करते रह जाते हैं. अब हमारे यहां मुद्दा ही वही है. अमेरिका वालों को देखिए, ये मुद्दे न भी हैं तो क्या हुआ...चुनाव बोरिंग न बने इसके लिए कितने नायाब नुस्खे खोज लाते हैं. पता नहीं हम अमेरिका कब बनेंगे. पहले ट्रंप और पुतिन की दोस्ती पर चर्चा हुई फिर हिलेरी को कितनी गंभीर बीमारी है उस पर और अब उनके बॉडी डबल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हिलेरी क्लिंटन की 9/11 की बरसी कार्यक्रम में तबियत क्या बिगड़ी, कहानियों का नया सिलसिला चल निकला है. पहले कार में सवार होने के दौरान उनके लड़खड़ाने का वीडियो वायरल हुआ. फिर सोशल मीडिया पर जब उनके स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह की बातें होने लगीं तो हिलेरी कुछ ही घंटों बाद फिर बाहर आईं. हंसते हुए..मुस्कुराते और हाथ हिलाते हुए. ये दिखाने के लिए कि सबकुछ ठीक है.
लेकिन अब एक नई कहानी सामने आ गई है. कहा जा रहा है कि जो हिलेरी बाद में सामने आई, जो मुस्कुरा रही थी, बच्ची के साथ हंसते-बतियाते तस्वीरें खींचा रही थी वो दरअसल हिलेरी क्लिंटन थीं ही नहीं. उनकी जगह कोई और था यानी हमशक्ल!
साबित हो गया और यहां के तमाम राष्ट्रवादी भी मान लें, अमेरिका के चुनाव हमारे यहां के चुनाव से ज्यादा मजेदार और दिलचस्प होते हैं. ये बात भी समझ में आ गई कि करीब हर तीन साल बाद ये देश कैसे टीवी पर चुनावी डिबेट, नेताओं के भाषण और उनकी रैलियों के लिए खुद को तैयार कर लेता है. भारत में हम गरीबी, बोरोजगारी, भुखमरी पर ही चर्चा करते रह जाते हैं. अब हमारे यहां मुद्दा ही वही है. अमेरिका वालों को देखिए, ये मुद्दे न भी हैं तो क्या हुआ...चुनाव बोरिंग न बने इसके लिए कितने नायाब नुस्खे खोज लाते हैं. पता नहीं हम अमेरिका कब बनेंगे. पहले ट्रंप और पुतिन की दोस्ती पर चर्चा हुई फिर हिलेरी को कितनी गंभीर बीमारी है उस पर और अब उनके बॉडी डबल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हिलेरी क्लिंटन की 9/11 की बरसी कार्यक्रम में तबियत क्या बिगड़ी, कहानियों का नया सिलसिला चल निकला है. पहले कार में सवार होने के दौरान उनके लड़खड़ाने का वीडियो वायरल हुआ. फिर सोशल मीडिया पर जब उनके स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह की बातें होने लगीं तो हिलेरी कुछ ही घंटों बाद फिर बाहर आईं. हंसते हुए..मुस्कुराते और हाथ हिलाते हुए. ये दिखाने के लिए कि सबकुछ ठीक है. लेकिन अब एक नई कहानी सामने आ गई है. कहा जा रहा है कि जो हिलेरी बाद में सामने आई, जो मुस्कुरा रही थी, बच्ची के साथ हंसते-बतियाते तस्वीरें खींचा रही थी वो दरअसल हिलेरी क्लिंटन थीं ही नहीं. उनकी जगह कोई और था यानी हमशक्ल!
आप भरोसा करें, चौंके या फिर हंसे. अमेरिका की मीडिया में और खासकर वो भी सोशल मीडिया में हिलेरी की तस्वीरों का खूब पोस्टमॉर्टम हो रहा है. नाक से लेकर बाल और गले तक पर चर्चा हो चुकी है. कई ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि 11 सितंबर को तबीयत खराब होने और फिर कुछ ही घंटों बाहर आने वाली हिलेरी नहीं बल्कि कोई और महिला थी. पहले आप वो वीडियो देखिए, जिसमें बीमारी के कुछ घंटों बाद हिलेरी दोबारा लोगों के सामने नजर आती हैं- इसके कुछ घंटो बाद ट्विटर पर ClintonBodyDouble ट्रेंड करने लगा. एक के बाद एक कई लोगों हिलेरी की तस्वीरों का पोस्टमॉर्टम शुरू कर दिया. जाहिर है, ऐसी कहानियां रचने वालों में ज्यादातर डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक हैं. फिर कई सवाल भी लोगों ने खड़े कर दिए. किसी को लगा कि भला दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार अचानक बिना किसी सुरक्षा के सड़क पर कैसे निकल गई. क्या वो वाकई हिलेरी ही थीं या कोई और. तो किसी को लगा कि अगर हिलेरी निमोनिया से पीड़ित थीं तो उन्होंने एक बच्ची को गले क्यों लगाया? ये सवाल भी उठे कि हिलेरी क्लिंटन ने चश्मा क्यों पहन लिया था. क्या वो कुछ छिपाने की कोशिश कर रही थीं. सोशल मीडिया पर भले ही जितनी तरह की बातें हो रही हैं न तो हिलेरी और न ट्रंप ने ही इसपर कोई प्रतिक्रिया दी है. ट्रंप हिलेरी क्लिंटन के स्वास्थ्य को लेकर तो सवाल उठाते रहे हैं लेकिन 'बॉडी डबल' की जो 'कॉन्सपिरेसी थ्योरी' चल रही है, उस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. अब सवाल है कि अगर सड़क पर घूमती नजर आई वो महिला हिलेरी नहीं थी तो फिर वो कौन है. सोशल मीडिया ने इसका भी जवाब खोज लिया. नाम सामने आया एक टीवी कलाकार टेरसा बर्नवेल का.
टेरसा की शक्ल बहुत हद तक हिलेरी से मिलती है और वे 1990 से कई कार्यक्रमों में हिलेरी की मिमिक्री भी करती रही हैं.
आखिरकार, टेरसा को भी सफाई देनी पड़ी. लेकिन इसे मानता कौन है... अमेरिका है कॉन्सपिरेसी थ्योरी का गढ़! इन कहानियों का कोई अंत नहीं है. वैसे भी अमेरिकी में 'कॉन्सपिरेसी थ्योरी' का फैशन पुराना है. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अटैक खुद करवाने से लेकर अमेरिका के नेवाडा स्टेट में एरिया-51 में एलीयन को बंधक बना कर रखने तक की थ्योरिज के बारे में दुनिया सुन चुकी है. यह भी पढ़ें- अमेरिका में मुस्लिम विरोधी डोनाल्ड ट्रंप जीत गए तो... ओसामा बिन लादेन सच में मारा गया या फिर उसके एनकाउंटर की कहानी गढ़ी गई ताकि बराक ओबामा दोबारा सत्ता में आ सकें! या फिर लादेन आज CIA का मेहमान बना बैठा है. या फिर क्या वााकई नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान थे या नासा ने कोल्ड वॉर के दौरान सोवियत संघ से 'स्पेस रेस' जीतने के लिए पूरा ड्रामा रचा? इन सवालों के जवाब खोजने बैठेंगे तो खुद ही उलझ जाएंगें. इन सबसे मामलों में सबसे दिलचस्प पहलू यही है कि अमेरिका के भीतर से ही ऐसी कल्पनाओं को हवा दी जाती रही है. इसलिए बस इन सवालों को सुनिए क्योंकि जवाब वैसे भी शायद कभी न मिले. लेकिन जो सवाल होते हैं और जिस अंदाज और सबूतों के साथ पेश किए जाते हैं, वो जरूर चौंका देते हैं. यह भी पढ़ें- हिलेरी राष्ट्रपति बनीं तो खुलेगा अमेरिका का सबसे बड़ा राज इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |