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राजनीति हो या ट्विटर, कांग्रेस हर जगह स्थितियां बिगड़ने का इंतजार करती है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 13 अगस्त, 2021 12:29 AM
  • 13 अगस्त, 2021 12:29 AM
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मोदी सरकार ने जब सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन जारी की थीं, तो कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था. उस दौरान कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार देते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था. कांग्रेस नेताओं ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर मोदी सरकार का हमला साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी.

कांग्रेस आलाकमान ने कुछ समय पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही सियासी खींचतान को खत्म किया है. राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच चल रही रस्साकसी का अंत भी जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन, इन सभी मामलों में एक बात कॉमन है कि ये सारी सियासी उठापटक लंबे समय से चल रही थी. लेकिन, जब तक स्थितियां पूरी तरह से बिगड़ने की संभावना नहीं बनी कांग्रेस आलाकमान के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल अब ट्विटर को लेकर भी सामने आया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट समेत कुछ अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट 'लॉक' कर दिया गया है. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे 'डिजिटल आपातकाल' करार देते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

ट्विटर ने अपनी पॉलिसी का उल्लंघन बताते हुए राहुल गांधी का अकाउंट लॉक करते हुए उस पोस्ट को प्लेटफॉर्म से हटा दिया था.

सोशल मीडिया गाइडलाइन थीं सरकार की 'तानाशाही'

मोदी सरकार ने जब सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन जारी की थीं, तो कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था. उस दौरान कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार देते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था. कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया गाइडलाइन को अभिव्यक्ति की आजादी पर मोदी सरकार का हमला साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. इस दौरान कांग्रेस टूलकिट विवाद में जांच कर रही दिल्ली पुलिस पर भी पार्टी के कई नेताओं ने सरकार के दबाव में काम करने के आरोप लगाए थे. लेकिन, अब राहुल गांधी और कांग्रेस का आधिकारिक अकाउंट लॉक होने पर कांग्रेस नेताओं के सुर अचानक से बदल गए हैं. हालांकि, इस मामले पर भी कांग्रेस नेताओं ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि इसे सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर की तानाशाही की जगह 'सरकार के दबाव में की गई कार्रवाई' बताया जाए.

कांग्रेस आलाकमान ने कुछ समय पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही सियासी खींचतान को खत्म किया है. राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच चल रही रस्साकसी का अंत भी जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन, इन सभी मामलों में एक बात कॉमन है कि ये सारी सियासी उठापटक लंबे समय से चल रही थी. लेकिन, जब तक स्थितियां पूरी तरह से बिगड़ने की संभावना नहीं बनी कांग्रेस आलाकमान के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल अब ट्विटर को लेकर भी सामने आया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट समेत कुछ अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट 'लॉक' कर दिया गया है. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे 'डिजिटल आपातकाल' करार देते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

ट्विटर ने अपनी पॉलिसी का उल्लंघन बताते हुए राहुल गांधी का अकाउंट लॉक करते हुए उस पोस्ट को प्लेटफॉर्म से हटा दिया था.

सोशल मीडिया गाइडलाइन थीं सरकार की 'तानाशाही'

मोदी सरकार ने जब सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन जारी की थीं, तो कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था. उस दौरान कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार देते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था. कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया गाइडलाइन को अभिव्यक्ति की आजादी पर मोदी सरकार का हमला साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. इस दौरान कांग्रेस टूलकिट विवाद में जांच कर रही दिल्ली पुलिस पर भी पार्टी के कई नेताओं ने सरकार के दबाव में काम करने के आरोप लगाए थे. लेकिन, अब राहुल गांधी और कांग्रेस का आधिकारिक अकाउंट लॉक होने पर कांग्रेस नेताओं के सुर अचानक से बदल गए हैं. हालांकि, इस मामले पर भी कांग्रेस नेताओं ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि इसे सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर की तानाशाही की जगह 'सरकार के दबाव में की गई कार्रवाई' बताया जाए.

दरअसल, कुछ दिनों पहले दिल्ली में दलित बच्ची के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने गलती से पीड़ित परिवार के सदस्यों की तस्वीर को ट्विटर पर साझा कर दिया था. जिसके बाद ट्विटर ने इसे अपनी पॉलिसी का उल्लंघन बताते हुए राहुल गांधी का अकाउंट लॉक करते हुए उस पोस्ट को प्लेटफॉर्म से हटा दिया था. एक हफ्ता बीत जाने पर भी राहुल गांधी का अकाउंट रिस्टोर न होने से कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी बढ़ती जा रही है. ट्विटर की इस कार्रवाई से अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो आईटी मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने अब ट्विटर को अपनी पॉलिसी की समीक्षा करने की सलाह दी है. चौंकाने वाली बात ये है कि अपने नेताओं और पार्टी के ट्विटर अकाउंट पर इतना मुखर होकर बोलने वाली कांग्रेस इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के देशविरोधी इस्तेमाल पर बनाए गए नियम-कानूनों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई दे रही थी.

ट्विटर ने अपनी पॉलिसी के तहत की कार्यवाही

सोशल मीडिया की गाइडलाइंस ने इन प्लेटफॉर्म पर काफी हद तक अंकुश लगाया है. हालांकि, ट्विटर की ओर लगातार इन नियमों की मुखालफत की जाती रही. लेकिन, मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने पर ट्विटर ने सोशल मीडिया गाइडलाइंस को मानने की बात कही. वैसे, राहुल गांधी के इस गलती के लिए भी कांग्रेस नेता मोदी सरकार को ही दोष देने में लगे हुए हैं. हाल ही में राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया टीम इस मसले पर मुखर तरीके से मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. जबकि, नियमानुसार गलती राहुल गांधी की है. अगर ट्विटर नियमों और भारतीय कानून की बात करें, तो दुष्‍कर्म पीड़‍िता या उसके परिजनों की पहचान जाहिर करना अपराध है. राहुल गांधी के खिलाफ इसे लेकर मामला भी दर्ज किया जा चुका है. वहीं, ट्विटर की पॉलिसी के अनुसार, ऐसा करने पर अकाउंट पर्मानेंट बंद किया जा सकता है. हालांकि, ट्विटर ने फिलहाल राहुल गांधी के अकाउंट पर अस्थायी रूप से रोक लगाई है.

छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस संगठन में व्यापक तौर पर सियासी खींचतान मची हुई है. इन सभी राज्यों में 2024 के आम चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान अभी तक इन राज्यों में स्थितियों के और बिगड़ने का ही इंतजार कर रहा है. कहना गलत नही होगा कि राजनीति हो या ट्विटर, कांग्रेस हर जगह स्थितियां बिगड़ने का इंतजार करती है. लेकिन, इसका दोष मोदी सरकार पर जड़ने में कोई कोताही नही बरतती है.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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