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Women Marraige Bill: कांग्रेस पार्टी क्‍या फिर 'शाह बानो' मोड में जाने की तैयारी कर रही है?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2021 02:21 PM
  • 21 दिसम्बर, 2021 02:21 PM
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कांग्रेस पार्टी ने उस बिल का विरोध करने के लिए अपनी कमर कस ली है जो सरकार महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र 21 करने के लिए संसद में ला रही है. सरकार द्वारा की गई इस बड़ी पहल का विरोध करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी को सरकार की मंशा पर संदेह है.

महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 साल करके मोदी सरकार ने अपनी तरफ से बड़ा दांव खेल दिया है. सपा, आईयूएमएल और एएआईएमआईएम का रवैया मुस्लिम संगठनों के ऐतराज के साथ जुड़ाव वाला है, जिसमें वे शादी की उम्र को बढ़ाने का फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ के भीतर दखल मान रहे हैं. लेकिन, इस सबसे इतर अब कांग्रेस ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाए जाने का विरोध किया है और उड़ता तीर पकड़ लिया है. इस मामले में उसका रवैया शाह बानो मामले जैसा दिखाई दे रहा है. ध्यान रहे ये गतिरोध ठीक उस वक़्त दिखाई दे रहा है जब उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा जैसे राज्य चुनाव के मुहाने पर खड़े हैं और दिलचस्प ये कि इन राज्यों को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जी जान एक की हुई है. 

ख़बर अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से है जिसने कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से बात की है. महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 साल किये जाने पर केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि शीतकालीन सत्र के आखिरी दिनों में मोदी सरकार का महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल करने के लिए संसद में बिल लाने की जल्दी देख संदेह और राजनीति से प्रेरित कदम लगता है.

उन्होंने ये भी कहा है कि मोदी सरकार के इस प्रस्ताव का पार्टियों और संगठनों की ओर से पहले ही कड़ा विरोध शुरू हो चुका है. वे सरकार के इस कदम को अवैज्ञानिक, यथार्थ से परे और अर्थहीन बताकर खारिज कर रहे हैं. वहीं अपनी बातों को वजन देने के लिए केसी वेणुगोपाल ने ये भी कहा कि खासतौर से ग्रामीण इलाकों की युवा महिलाओं को शिक्षा और उनके आर्थिक उत्थान के लिए कदम उठाने की जरूरत है.

महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 किये जाने का विरोध कर रही कांग्रेस ने बता दिया उसे आम आदमी के मुद्दों सरोकार है

वेणुगोपाल का मानना है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को...

महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 साल करके मोदी सरकार ने अपनी तरफ से बड़ा दांव खेल दिया है. सपा, आईयूएमएल और एएआईएमआईएम का रवैया मुस्लिम संगठनों के ऐतराज के साथ जुड़ाव वाला है, जिसमें वे शादी की उम्र को बढ़ाने का फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ के भीतर दखल मान रहे हैं. लेकिन, इस सबसे इतर अब कांग्रेस ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाए जाने का विरोध किया है और उड़ता तीर पकड़ लिया है. इस मामले में उसका रवैया शाह बानो मामले जैसा दिखाई दे रहा है. ध्यान रहे ये गतिरोध ठीक उस वक़्त दिखाई दे रहा है जब उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा जैसे राज्य चुनाव के मुहाने पर खड़े हैं और दिलचस्प ये कि इन राज्यों को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जी जान एक की हुई है. 

ख़बर अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से है जिसने कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से बात की है. महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 साल किये जाने पर केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि शीतकालीन सत्र के आखिरी दिनों में मोदी सरकार का महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल करने के लिए संसद में बिल लाने की जल्दी देख संदेह और राजनीति से प्रेरित कदम लगता है.

उन्होंने ये भी कहा है कि मोदी सरकार के इस प्रस्ताव का पार्टियों और संगठनों की ओर से पहले ही कड़ा विरोध शुरू हो चुका है. वे सरकार के इस कदम को अवैज्ञानिक, यथार्थ से परे और अर्थहीन बताकर खारिज कर रहे हैं. वहीं अपनी बातों को वजन देने के लिए केसी वेणुगोपाल ने ये भी कहा कि खासतौर से ग्रामीण इलाकों की युवा महिलाओं को शिक्षा और उनके आर्थिक उत्थान के लिए कदम उठाने की जरूरत है.

महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 किये जाने का विरोध कर रही कांग्रेस ने बता दिया उसे आम आदमी के मुद्दों सरोकार है

वेणुगोपाल का मानना है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को लाने से पहले तमाम हितधारकों के साथ उचित चर्चा नहीं की. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ऐसे किसी भी बिल को लाने के सरकार के कदम के खिलाफ है. महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर पीएम मोदी और उनकी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए वेणुगोपाल ने ये भी कहा कि 'सचमुच में, अगर मोदी सरकार गंभीर है और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे लंबे समय से पड़े महिला आरक्षण बिल को फौरन संसद में लाना चाहिए. जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रस्ताव है.'

ध्यान रहे कि यूपीए-2 के दौरान महिला कोटा बिल राज्यसभा में पास हो गया था, उसे लोकसभा की मंजूरी चाहिए थी. वेणुगोपाल का मानना है कि सरकार को महिलाओं के शादी की न्यूनतम आयु 21 साल करने का बिल लाने से पहले विभिन्न महिला जनप्रतिनिधियों और संगठनों के साथ परामर्श करना चाहिए. उन्होंने इस प्रस्ताव को लाने की टाइमिंग और मंशा पर संदेह और सवाल खड़े किए. वेणुगोपाल का मानना है कि महिलाओं की शादी की उम्र को मुद्दा बनाकर सरकार अन्य जरूरी बातों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है.

एक ऐसे समय में जब खुद महिलाओं ने सरकार की मंशा का स्वागत किया हो. साथ ही महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों द्वारा भी इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय पहल कहा जा रहा हो. कांग्रेस का फ्रंट फुट पर आना और सामजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और आईयूएमएल की तर्ज पर इस जरूरी चीज का विरोध करना, इस बात की तस्दीक कर देता है कि इन लोगों ने महिलाओं और उनके हितों को मुद्दा तो बनाया. उसे अपने अपने मेनिफेस्टो में जगह भी दी मगर बात जब उन मुद्दों को अमली जामा पहनाने की आई तो ये लोग दूर हट गए. 

महिलाओं की शादी की उम्र के मद्देनजर आज जब भाजपा और पीएम मोदी एक काबिल ए गौर बात कह रहे हों. कांग्रेस को भी चाहिए था कि वो तमाम तरह के गतिरोध और वैचारिक विरोधाभास को दरकिनार कर बाहें फैलाकर इसका स्वगात करती लेकिन अब जबकि विरोध के स्वर कांग्रेस के खेमे से भी आ रहे हैं साफ़ है कि इसका खामियाजा कांग्रेस 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसलिए भी भुगतेगी क्योंकि जनता भी ये देख रही है कि अहम या ये कहें कि जरूरी चीजों के लिए कांग्रेस कितनी और किस हद तक गंभीर है.

बहरहाल, जिस तरह महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 किये जाने पर विरोध के स्वर केसी वेणुगोपाल के जरिये कांग्रेस के मुंह से फूटे हैं साफ़ है कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने लपककर पकड़ा है जिसके द्वारा मिले घाव लंबे समय तक कांग्रेस को दर्द देंगे. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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