• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Delhi का कांग्रेस मुक्‍त होना बीजेपी के लिए घाटे का सौदा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 फरवरी, 2020 06:41 PM
  • 12 फरवरी, 2020 06:41 PM
offline
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे (Delhi Election Results) देखकर आज भाजपा (BJP) खुद को कोस रही होगी कि क्यों उसने कांग्रेस (Congress) मुक्त भारत का नारा दिया. दिल्ली तो कांग्रेस मुक्त हो गई है, लेकिन इसका सारा फायदा आम आदमी पार्टी (AAP) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हो रहा है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे देखकर आम आदमी पार्टी का खुश होना लाजमी है, लेकिन जो हारे हैं उनका क्या? अमूमन तो हारने पर हर किसी को दुख ही होता है. भाजपा को भी हारने का दुख हो रहा है, लेकिन कांग्रेस का हाल थोड़ा अलग है. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट अभी भी खिली दिख रही है. कांग्रेस को यूं लग रहा है कि वह हार कर भी जीत गई है, खुद को बाजीगर समझ रही है. वजह सिर्फ ये है कि भाजपा बुरी तरह से हारी है. कांग्रेस को इस बात का जरा सा भी अफसोस होता नहीं दिख रहा कि एक बार फिर उसकी पूरी टीम जीरो रन पर आउट हो गई है. उल्टा वह खुश होती दिख रही है कि भाजपा का विजय रथ रुक गया है. यानी कांग्रेस वो पार्टी है जो अपने दुख से दुखी नहीं होती, बल्कि भाजपा के सुख से दुखी होती है. यही वजह है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस के 67 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके, लेकिन कलेजा हो तो कांग्रेस जैसा जो इतना बुरा हो जाने पर भी उसके चेहरे की मुस्कान बनी हुई है. वहीं भाजपा 8 सीटें जीत गई है, लेकिन दुखी है क्योंकि सत्ता उसके हाथ से निकल गई. भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का जो नारा दिया, उससे अब भाजपा को ही नुकसान हो रहा है.

भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था, दिल्ली तो कांग्रेस मुक्त हो भी गई, लेकिन भाजपा को ही नुकसान पहुंचा गई.

कांग्रेस मुक्त भारत का नारा BJP को पड़ा भारी !

आज भाजपा खुद को कोस रही होगी कि क्यों उसने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया. दिल्ली तो कांग्रेस मुक्त हो गई है, लेकिन इसका सारा फायदा आम आदमी पार्टी को हो रहा है. ऐसा इसलिए कि अगर दिल्ली में कांग्रेस भी थोड़ा सक्रिय होती तो कुछ सीटें वो भी जीतती, आम आदमी पार्टी के कुछ वोट काटती, इससे भाजपा का सत्ता पाने का सपना पूरा हो जाता. अभी कांग्रेस धराशाई हो गई है, जिससे...

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे देखकर आम आदमी पार्टी का खुश होना लाजमी है, लेकिन जो हारे हैं उनका क्या? अमूमन तो हारने पर हर किसी को दुख ही होता है. भाजपा को भी हारने का दुख हो रहा है, लेकिन कांग्रेस का हाल थोड़ा अलग है. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट अभी भी खिली दिख रही है. कांग्रेस को यूं लग रहा है कि वह हार कर भी जीत गई है, खुद को बाजीगर समझ रही है. वजह सिर्फ ये है कि भाजपा बुरी तरह से हारी है. कांग्रेस को इस बात का जरा सा भी अफसोस होता नहीं दिख रहा कि एक बार फिर उसकी पूरी टीम जीरो रन पर आउट हो गई है. उल्टा वह खुश होती दिख रही है कि भाजपा का विजय रथ रुक गया है. यानी कांग्रेस वो पार्टी है जो अपने दुख से दुखी नहीं होती, बल्कि भाजपा के सुख से दुखी होती है. यही वजह है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस के 67 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके, लेकिन कलेजा हो तो कांग्रेस जैसा जो इतना बुरा हो जाने पर भी उसके चेहरे की मुस्कान बनी हुई है. वहीं भाजपा 8 सीटें जीत गई है, लेकिन दुखी है क्योंकि सत्ता उसके हाथ से निकल गई. भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का जो नारा दिया, उससे अब भाजपा को ही नुकसान हो रहा है.

भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था, दिल्ली तो कांग्रेस मुक्त हो भी गई, लेकिन भाजपा को ही नुकसान पहुंचा गई.

कांग्रेस मुक्त भारत का नारा BJP को पड़ा भारी !

आज भाजपा खुद को कोस रही होगी कि क्यों उसने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया. दिल्ली तो कांग्रेस मुक्त हो गई है, लेकिन इसका सारा फायदा आम आदमी पार्टी को हो रहा है. ऐसा इसलिए कि अगर दिल्ली में कांग्रेस भी थोड़ा सक्रिय होती तो कुछ सीटें वो भी जीतती, आम आदमी पार्टी के कुछ वोट काटती, इससे भाजपा का सत्ता पाने का सपना पूरा हो जाता. अभी कांग्रेस धराशाई हो गई है, जिससे सारा फायदा आम आदमी पार्टी के खाते में जमा होता जा रहा है.

कांग्रेस बन गई जमानत जब्‍त पार्टी

ये वही कांग्रेस है, जिसने 15 साल तक लगातार दिल्ली की सत्ता पर राज किया. मजाल थी किसी की जो कांग्रेस के दिल्ली की गद्दी से टस से मस कर दे. लेकिन आज देखिए. मजाल है किसी की जो कांग्रेस को एक भी सीट जितवा दे. लगातार दो विधानसभा चुनाव और दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीरो सीटें जीत रही है. बल्कि इसे डबल जीरो कहना सही रहेगा. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों की 67 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. सिर्फ 3 ही बलवान हैं जो मुश्किल से अपनी जमानत बचा पाए, जिनमें बादली से देवेन्द्र यादव, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त और गांधी नगर से अरविन्दर सिंह लवली शामिल हैं.

आखिर कांग्रेस के दिमाग में क्या है?

एक होता है इज्जत खराब होना और उससे भी बुरा होता है बेज्जती खराब होना. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों की बेज्जती खराब हुई है. जरा सोचिए, उस विधायक प्रत्याशी पर क्या बीतेगी, जब वो अपने इलाके की गलियों से गुजरते वक्त ये सुनेगा कि यही है वो जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया. यही है वो जो राहुल गांधी को पीएम बनते देखना चाहता है, लेकिन खुद विधायकी के चुनाव में अपनी जमानत जब्त करवा बैठा. इस हार के लिए अगर सिर्फ उस प्रत्याशी को जिम्मेदार ठहराया जाए तो ये गलत होगा. दरअसल, इसके लिए जिम्मेदार है कांग्रेस, जिसके पास सही रणनीति और नेतृत्व की कमी है.

कांग्रेस पार्टी जब लोकसभा चुनाव हारी तो राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया. चलिए आपने हार की जिम्मेदारी ली अच्छा किया, लेकिन पार्टी के भविष्य की कौन सोचेगा. गांधी परिवार से बाहर भी पार्टी का नेतृत्व ना जाए और खुद राहुल गांधी ये जिम्मेदारी भी ना लें. सोनिया गांधी को ही दोबारा अध्यक्ष बनना पड़ा, लेकिन कब तक? ऐसा कब तक चलेगा? दिल्ली में जो फजीहत हुई है, उससे मिलती-जुलती फजीहत तो पहले भी हो ही चुकी है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी की 80 में से 73 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 71 की जमानत जब्त हो गई. खुद राहुल गांधी अपने गढ़ अमेठी से हार गए. ये सब देखकर तो यही लग रहा है कि भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होने की दिशा में जा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि राहुल गांधी और कांग्रेस क्या सोच रहे हैं? ऐसी पार्टी के साथ कोई कार्यकर्ता भी कैसे जुड़ेगा? कोई इसका समर्थन भी कैसे करेगा? खैर, कांग्रेस के इसी आलसीपन भरे रवैये से कम से कम आम आदमी पार्टी को दिल्ली में तो फायदा हो ही गया.

ये भी पढ़ें-

Delhi election result 2020: आखिर 'गद्दार', 'पाकिस्‍तान', 'आतंकवादी' ही जीते!

Delhi Election Results 2020 में पटपड़गंज सीट से मनीष सिसोदिया की दुर्गति के 5 कारण

Delhi election results: अब किस बात की जिम्मेदारी ले रहे हैं मनोज तिवारी?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲