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अपनी जुबान से कांग्रेस की जड़े खोदने में माहिर हैं कांग्रेस के नेता !

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 13 जून, 2017 02:13 PM
  • 13 जून, 2017 02:13 PM
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यह पहला अवसर नहीं है जब कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने भारतीय सेना के लिए इस तरह की बदजुबानी का इस्तेमाल किया हो. बदजुबानी के कारण ही आज कांग्रेस अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है.

भारतीय सेना एवं उसके प्रमुख जनरल बिपिन रावत के लिए कल जिस जाहिल भाषा का इस्तेमाल पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे संदीप दीक्षित ने किया उसकी जितनी भर्तस्ना की जाए वह कम ही है. यह पहला अवसर नहीं है जब उन्होंने व कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने इस प्रकार की बदजुबानी का इस्तेमाल किया हो. बदजुबानी के कारण ही आज कांग्रेस अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है. मध्य प्रदेश में किसानो का समर्थन करके उसने जो पुण्य अर्जित किया था, इस बयान ने उनकी थू-थू कर दी है. शायद यही कांग्रेस की नियति है, कि जैसे ही वह होश में आती है, कोई कांग्रेसी ही उसे बेहोशी इन इंजेक्शन दे देता है.

संदीप दीक्षित ने जनरल रावत को कहा 'सड़क का गुंडा'

कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कल थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया. पूर्व सांसद ने सेना प्रमुख को 'सड़क का गुंडा' कह डाला. गलती का अहसास होने पर उन्होंने माफी भी मांग ली. हालांकि पार्टी ने किरकिरी से बचने के लिए बयान से खुद को अलग करने में जरा भी देर नहीं की. पार्टी नेता मीम अफजल ने आर्मी चीफ के लिए इस तरह की बयानबाजी पर अफसोस जताया.

रावत के इस बयान के बाद कांग्रेस में जैसे बयान देने की होड़ लग गई थी

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने 15 फरवरी 2017 को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन्स में बाधा डालने वालों को आतंकवादियों का सहयोगी समझा जाएगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. जनरल रावत के इस बयान पर राज्यसभा में नेता विपक्ष के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पिछले साल 1000 बच्चों को स्प्लिन्टर्स लगे. 100-200 बच्चों की आंखें चली गईं. यह कहना कि हम कश्मीर के बच्चों को पकड़ लेंगे, इसे देश के लोग पसंद नहीं...

भारतीय सेना एवं उसके प्रमुख जनरल बिपिन रावत के लिए कल जिस जाहिल भाषा का इस्तेमाल पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे संदीप दीक्षित ने किया उसकी जितनी भर्तस्ना की जाए वह कम ही है. यह पहला अवसर नहीं है जब उन्होंने व कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने इस प्रकार की बदजुबानी का इस्तेमाल किया हो. बदजुबानी के कारण ही आज कांग्रेस अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है. मध्य प्रदेश में किसानो का समर्थन करके उसने जो पुण्य अर्जित किया था, इस बयान ने उनकी थू-थू कर दी है. शायद यही कांग्रेस की नियति है, कि जैसे ही वह होश में आती है, कोई कांग्रेसी ही उसे बेहोशी इन इंजेक्शन दे देता है.

संदीप दीक्षित ने जनरल रावत को कहा 'सड़क का गुंडा'

कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कल थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया. पूर्व सांसद ने सेना प्रमुख को 'सड़क का गुंडा' कह डाला. गलती का अहसास होने पर उन्होंने माफी भी मांग ली. हालांकि पार्टी ने किरकिरी से बचने के लिए बयान से खुद को अलग करने में जरा भी देर नहीं की. पार्टी नेता मीम अफजल ने आर्मी चीफ के लिए इस तरह की बयानबाजी पर अफसोस जताया.

रावत के इस बयान के बाद कांग्रेस में जैसे बयान देने की होड़ लग गई थी

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने 15 फरवरी 2017 को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन्स में बाधा डालने वालों को आतंकवादियों का सहयोगी समझा जाएगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. जनरल रावत के इस बयान पर राज्यसभा में नेता विपक्ष के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पिछले साल 1000 बच्चों को स्प्लिन्टर्स लगे. 100-200 बच्चों की आंखें चली गईं. यह कहना कि हम कश्मीर के बच्चों को पकड़ लेंगे, इसे देश के लोग पसंद नहीं करेंगे.'

तो अन्य नेता कहां पीछे रहने वाले थे, सो कह डाला अनाप-शनाप

“भारतीय सेना ऐसे ही हमारे 'भाइयों' को नहीं मार सकती”- रंजीत रंजन (एमपी, कांग्रेस)

“आर्मी चीफ बिपिन रावत का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है” – संदीप दीक्षित (कांग्रेस)

"बिपिन रावत ने अपनी सारी सीमायें लांघ दी हैं, लोगों को इनका समर्थन नहीं करना चाहिए” – पी चिदंबरम

जनरल बिपिन रावत

पार्थ चटर्जी (जून 2017)

पत्थरबाज को जीप की बोनट से बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मानित करने के लिए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की तुलना जलियांवाला बाग में निहत्थों पर गोलियां बरसाने का आदेश देनेवाले अंग्रेज अफसर जनरल डायर से कर डाली. पार्थ चटर्जी ने वायर को दिये इंटरव्यू में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सेना वैसे ही नये आइडियाज अपना रही है, जैसे जलियावाला बाग में जनरल डायर ने किया था. उन्होंने कहा कि कश्मीर एक जीती हुई कॉलोनी जैसी हो गयी है. पार्थ ने कहा कि घाटी में हिंसा से निबटने के लिए सेना वही रणनीति अपना रही है, जैसी जनरल डायर ने अपनायी थी. कश्मीर में आज हालात उतने ही खराब हैं, जितने जनरल डायर के समय थे. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द जनरल अयूब के शासन जैसे हालात भी देखने को मिलेंगे.

सीपीएम सचिव कोडियारी बालकृष्णन (27 मई 2017)

केरल सीपीएम सचिव कोडियारी बालकृष्णन ने सेना के खिलाफ बेतुका बयान दिया. अपने बयान में बालकृष्णन ने कहा कि सेना को यदि पूरी शक्ति दे दी जाती है, तो वे कुछ भी कर सकते हैं. सेना के जवान किसी महिला का अपहरण और रेप कर सकते हैं, किसी को भी गोली मार सकते हैं, लेकिन किसी को उनसे सवाल करने का हक नहीं है.

शरद यादव (24 जनवरी 2017)

जेडी(यू) नेता शरद यादव ने पटना में 24 जनवरी 2017 को विवादित बयान दिया. शरद यादव ने कहा,'लोगों को यह बताना बेहद जरूरी है कि बैलट पेपर कैसे काम करता है. वोट की इज्जत आपकी बेटी की इज्जत से ज्यादा बड़ी होती है.'

ममता बनर्जी (2 दिसंबर 2016)

पश्चिम बंगाल में हुए सैन्य अभ्यास को सीएम ममता बनर्जी ने तख्तापलट करने की कोशिश करार दिया था. एक ट्वीट में उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या सेना तख्तापलट की कोशिश कर रही है? ममता ने ट्वीट करके यह भी बताया था कि जबतक सेना नहीं हटाई जाएगी तबतक वह सचिवालय के बाहर नहीं जाएंगी. हालांकि, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सफाई देते हुए कहा था कि ये एक रूटीन अभ्यास था और राज्य प्रशासन को इसके बारे में पहले से सूचित किया गया था.

अभिनेता ओम पूरी (3 अक्टूबर 2016)

एक चैनल में डिबेट के दौरान ओमपुरी ने कहा कि किसने कहा है जवान से कि सेना में भर्ती हो और बंदूक उठाए. सैनिकों की शहादत पर ओमपुरी ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि क्या देश में 15-20 लोग ऐसे हैं, जिन्हें बम बांधकर पाक भेजा जा सके? उन्होंने कहा कि कौन जबरदस्ती लोगों को फौज में भेजता है. किसने उनसे कहा कि वे फौज में जाएं.

कन्हैया कुमार (मार्च 2016)

कन्हैया कुमार ने भी ने भारतीय सेना के खिलाफ विवादित बयान दिया था. कन्हैया ने भारतीय सेना के जवानों पर आरोप लगाया कि कश्मीर में सेना सुरक्षा के नाम पर महिलाओं से बलात्कार करती है. कन्हैया ने कहा कि कश्मीर में सेना महिलाओं पर अत्याचार करती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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