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Kashmir detention: सैफुद्दीन सोज़ ने नज़रबंदी वाला 'साज़' तो उठाया लेकिन जल्दबाजी नजर आ गई

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 जुलाई, 2020 05:54 PM
  • 31 जुलाई, 2020 05:54 PM
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जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में अपने घर में नजरबंद (House Arrest) किये जाने को लेकर कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ (Saifuddin Soz) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौर में केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मगर जो बातें निकल कर सामने आई हैं बता रही हैं कि सोज़ अपने पॉलिटिकल माइलेज के लिए सबको गुमराह कर रहे हैं.

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 (Article 370) और अनुच्छेद 35 a हटे ठीक ठाक वक़्त गुज़र चुका है. मगर कभी आतंकवाद (Terrorissm) के कारण, तो कभी स्थानीय नेताओं की वजह से राज्य सुर्खियों में आ ही जाता है. जम्मू कश्मीर और घाटी की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है. कारण बने हैं कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सैफुद्दीन सोज़ (Saifuddin Soz). सोज़ ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं सोज़ की बातों को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कहा है कि गत वर्ष पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किये जाने के बाद से उन्हें अवैध रूप से नजरबंद (House Arrest) रखने को लेकर वह सरकार पर मुकदमा करेंगे. सोज़ ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार के इस जवाब को ‘झूठ’ बताया कि वह नजरबंद नहीं हैं.

अपने नजरबंद होने को लेकर जो बातें सोज़ ने कहीं हैं उनमें गहरा विरोधाभास दिखाई दे रहा है

बात बीते दिन की है जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज को लेकर राज्य प्रशासन ने कहा था कि सोज़ ना तो गिरफ्तार हैं, ना ही उनके कहीं आने-जाने पर कोई रोक-टोक है. अपने साथ की जा रही ज्यादतियों के खिलाफ सोज़ ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि मैं उच्चतम न्यायालय में सरकार द्वारा अपनाये गये इस रुख पर कड़ा ऐतराज करता हूं कि पांच अगस्त, 2019 से मुझे नजरबंद नहीं किया गया था और न ही मुझ पर पाबंदियां लगायी गयी थीं.'

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ

सोज़ ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने ‘झूठ’ का रास्ता अख्तियार किया जबकि उसने मुझे पांच अगस्त,...

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 (Article 370) और अनुच्छेद 35 a हटे ठीक ठाक वक़्त गुज़र चुका है. मगर कभी आतंकवाद (Terrorissm) के कारण, तो कभी स्थानीय नेताओं की वजह से राज्य सुर्खियों में आ ही जाता है. जम्मू कश्मीर और घाटी की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है. कारण बने हैं कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सैफुद्दीन सोज़ (Saifuddin Soz). सोज़ ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं सोज़ की बातों को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कहा है कि गत वर्ष पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किये जाने के बाद से उन्हें अवैध रूप से नजरबंद (House Arrest) रखने को लेकर वह सरकार पर मुकदमा करेंगे. सोज़ ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार के इस जवाब को ‘झूठ’ बताया कि वह नजरबंद नहीं हैं.

अपने नजरबंद होने को लेकर जो बातें सोज़ ने कहीं हैं उनमें गहरा विरोधाभास दिखाई दे रहा है

बात बीते दिन की है जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज को लेकर राज्य प्रशासन ने कहा था कि सोज़ ना तो गिरफ्तार हैं, ना ही उनके कहीं आने-जाने पर कोई रोक-टोक है. अपने साथ की जा रही ज्यादतियों के खिलाफ सोज़ ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि मैं उच्चतम न्यायालय में सरकार द्वारा अपनाये गये इस रुख पर कड़ा ऐतराज करता हूं कि पांच अगस्त, 2019 से मुझे नजरबंद नहीं किया गया था और न ही मुझ पर पाबंदियां लगायी गयी थीं.'

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ

सोज़ ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने ‘झूठ’ का रास्ता अख्तियार किया जबकि उसने मुझे पांच अगस्त, 2019 से गैर कानूनी तरीके से बंदी बना लिया था. इस दौरान मुझे अपने परिसर से बाहर नहीं जाने दिया गया. मैं दो बार परिसर से बाहर गया जब मुझे 17 सितंबर-21 सितंबर 2019 के बीच अपनी बीमार बहन को देखने दिल्ली जाना पड़ा, और 15 दिसंबर-21 दिसंबर, 2019 के बीच मुझे चिकित्सकीय सलाह के लिए बाहर जाना पड़ा. पांच अगस्त, 2019 के बाद मैं जब भी बाहर गया तो मुझे सरकार से इजाजत लेनी पड़ी.

सोज़ करेंगे सरकार पर मुकदमा

अपने साथ हुए बर्ताव पर सोज़ काफ़ी नाराज़ हैं इसलिए 5 अगस्त 2019 से गैर कानूनी रूप से नजरबंद किये जाने के सरकार के फ़ैसले पर उन्होंने मुकदमा करने की सोची है. अपनी बात को वजन देने के लिए सोज़ ने संविधान का हवाला दिया है और कहा है कि संविधान के तहत मैं जिन नागरिक अधिकारों का हकदार हूं, उन्हें निलंबित रखने और मुझे बंदी बनाने को लेकर मैं क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर करूंगा.’

कितनी सच्ची है सोज़ की बातें

आज भले ही सोज़ मीडिया के सामने आकर बड़ी बड़ी बातें कर रहे हों और अपने को बेचारा दिखा रहे हों. मगर उनकी बातों में कितनी सच्चाई है इसके लिए हमें उस अवधि का अवलोकन करना होगा जिसमें सोज़ ने अपने को नजरबंद बताया है. जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालती है वो ये है कि एक तरफ तो सोज़ अपने को नजरबंद बता रहे हैं. दूसरी तरफ उन्होंने लगभग सभी बड़े मीडिया चैनल को अलग अलग एंगल से बाइट दी है और बताया है कि उन्हें घर से बाहर निकलने या बात करने नहीं दिया जा रहा. कितना विरोधाभास है. कितने आश्चर्य में डालती हैं ये तमाम बातें. सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि सोज़ के एक एक करके तमाम पुराने वीडियो तब सामने आए हैं जब उनकी पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है.

सोशल मीडिया पर शुरू हुआ प्रतिक्रियाओं का दौर 

सैफुद्दीन सोज़ ने बातें ही कुछ ऐसी कह दी हैं जिनके बाद बवाल होना स्वाभाविक था. सोज़ मामले में जब हम सोशल मीडिया का रुख करते हैं तो वहां हमें दो धड़े दिखाई देते हैं जिनमें एक सोज़ के साथ है तो दूसरा उनके खिलाफ.

सोशल मीडिया एक्टिविस्ट साकेत गोखले हमें सोज़ के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं और जैसी उनकी बातें हैं साफ़ तौर पर वो सोज़ को फायदा पहुंचा रही हैं.

कांग्रेस नेता और पीएम मोदी और भाजपा के प्रबल आलोचक शशि थरूर भी सोज़ के साथ आ गए हैं और कह रहे हैं कि सरकार ने सोज़ के साथ ज्यादती की है.

पत्रकार आदित्य राज कॉल ने एक ट्वीट का जवाब देते हुए पूछा है कि क्या सोज़ झूठ बोल रहे हैं.

@irtizaaa_m नाम की यूजर ने भी इस मामले में एक दिलचस्प ट्वीट किया है और सोज़ को आईना दिखाया है.

खैर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोज़ के मामले में कौन सच्चा है कौन झूठा आज नहीं तो कल कोर्ट में पता चल ही जाएगा। लेकिन जो वीडियो हमारे सामने आए हैं वो सोज़ का पक्ष कमज़ोर कर रहे हैं और बता रहे हैं कि झूठ केंद्र सरकार ने नहीं बोला है बल्कि ये सोज़ ही हैं जो अपने पॉलिटिकल माइलेज के लिए अदालत और जनता दोनों को गुमराह कर रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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