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India-China Border dispute: मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस खुद अकेली पड़ गयी है!

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 21 जून, 2020 01:17 PM
  • 21 जून, 2020 01:16 PM
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चीन और भारत (India-China Border Dispute) के बीच चल रहे तनाव के बीच सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) में मोदी सरकार (Modi Government) पर हमलावर कांग्रेस (Congress) एक बार फिर विपक्षी दलों को एकजुट में नाकाम साबित हो गई, कांग्रेस को इस बार अपनी गलतियों से सबक ले ही लेना चाहिए.

भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद (India-China Border Dispute in Ladakh) को लेकर जिस तरह तनाव लगातार बना हुआ है. उस तनाव को कम करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. भारत हमेशा से ही सभी देशों के साथ शांति चाहता है और बातचीत के माध्यम से ही विवाद का निपटारा भी चाहता है. भारत और चीन के बीच लगातार बैठकें हो रहीं हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही यह तनाव कम हो जाएगा. सीमा पर तनाव और रस्साकसी के बीच भारत में राजनीति का पारा भी तेज हो उठा है. कांग्रेस पार्टी (Congress) इसका पूरा ठीकरा मोदी सरकार (Modi Government) पर फोड़ रही है और मोदी सरकार पर सवाल पर सवाल दागे जा रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) बुला कर कांग्रेस को जो जवाब दिया है वह कांग्रेस को बिल्कुल भी रास नहीं आया होगा. कांग्रेस एक आक्रमण रुख के साथ इस बैठक में पहुंची थी जिसकी कमान खुद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संभाल रखी थी. बैठक से एक दिन पहले ही यह साबित हो गया था कि कांग्रेस, नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर सवालों के बौछार करने वाली है. हुआ भी वही कांग्रेस ने इस बैठक में नरेंद्र मोदी की नीति और उनकी अगली रणनीति पर जवाब मांगा. कांग्रेस की पहली चूक यही रही कि वह इस बार भी अकेले ही मैदान में कूदी थी, इस पूरे मामले पर उसे विपक्ष के नेताओं का समर्थन नहीं मिला. विपक्षी दल की एकजुटता को कांग्रेस एक बार फिर से नहीं संभाल पायी. जिससे कांग्रेस अकेले पड़ गयी.

चीन के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेती सोनिया गांधी

विरोधी दलों ने कांग्रेस से हटकर अपनी राय रखी. कांग्रेस को भले यह नागवार गुजरा हो लेकिन हकीकत तो यही है कि वह इस बार भी अपनी आधी तैयारी के साथ नरेंद्र मोदी पर हमलावर थी. कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते यह बैठक...

भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद (India-China Border Dispute in Ladakh) को लेकर जिस तरह तनाव लगातार बना हुआ है. उस तनाव को कम करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. भारत हमेशा से ही सभी देशों के साथ शांति चाहता है और बातचीत के माध्यम से ही विवाद का निपटारा भी चाहता है. भारत और चीन के बीच लगातार बैठकें हो रहीं हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही यह तनाव कम हो जाएगा. सीमा पर तनाव और रस्साकसी के बीच भारत में राजनीति का पारा भी तेज हो उठा है. कांग्रेस पार्टी (Congress) इसका पूरा ठीकरा मोदी सरकार (Modi Government) पर फोड़ रही है और मोदी सरकार पर सवाल पर सवाल दागे जा रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) बुला कर कांग्रेस को जो जवाब दिया है वह कांग्रेस को बिल्कुल भी रास नहीं आया होगा. कांग्रेस एक आक्रमण रुख के साथ इस बैठक में पहुंची थी जिसकी कमान खुद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संभाल रखी थी. बैठक से एक दिन पहले ही यह साबित हो गया था कि कांग्रेस, नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर सवालों के बौछार करने वाली है. हुआ भी वही कांग्रेस ने इस बैठक में नरेंद्र मोदी की नीति और उनकी अगली रणनीति पर जवाब मांगा. कांग्रेस की पहली चूक यही रही कि वह इस बार भी अकेले ही मैदान में कूदी थी, इस पूरे मामले पर उसे विपक्ष के नेताओं का समर्थन नहीं मिला. विपक्षी दल की एकजुटता को कांग्रेस एक बार फिर से नहीं संभाल पायी. जिससे कांग्रेस अकेले पड़ गयी.

चीन के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेती सोनिया गांधी

विरोधी दलों ने कांग्रेस से हटकर अपनी राय रखी. कांग्रेस को भले यह नागवार गुजरा हो लेकिन हकीकत तो यही है कि वह इस बार भी अपनी आधी तैयारी के साथ नरेंद्र मोदी पर हमलावर थी. कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुयी थी. इस सर्वदलीय बैठक में सबसे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पूरी स्थिति को समझाया और भारत की जवाबी कार्यवायी पर भी स्थिति स्पष्ट कर दी.

इसके बाद एक के बाद एक सभी ने ही सरकार के साथ होने का भरोसा दिया. कांग्रेस भी सरकार के साथ ही रही लेकिन सरकार से आगे की रणनीति को लेकर भी स्पष्ट जवाब मांगा, हालांकि कांग्रेस को किसी भी दल का इस पर पूरी तरह से समर्थन नहीं मिला. कांग्रेस के सवाल के बदले में महाराष्ट्र में उनके खुद के सहयोगी एऩसीपी नेता शरद पवार ने ही सवाल खड़े कर दिए.

शरद पवार ने कहा कि भारतीय सैनिकों का हथियार के साथ होना या न होना पर जो सवाल उठ रहे हैं वह संवेदनशील मुद्दा है, इसको नहीं उठाना चाहिए. शरद पवार का सीधा इशारा राहुल गांधी के उस बयान पर था जिसमें उन्होंने सैनिकों के बिना हथियार के होने की बात कही थी. विपक्षी दल की एक और कद्दावर नेता बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सरकार को सही ठहराया और पूरी तरह से साथ होने का भरोसा दे दिया.

कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब सरकार कि धुर विरोधी ममता बनर्जी ने भी सरकार पर बिना किसी सवाल को दागे अपना समर्थन दे दिया. साथ ही उन्होनें यह भी कहा कि सर्वदलीय बैठक एक अच्छा संकेत है इससे दुश्मनों को साफ और स्पष्ट संदेश मिल रहा है कि हम सभी भारतीय दल एक साथ है.

बैठक में अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने भी कांग्रेस की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए और कांग्रेस को साफतौर पर कह दिया कि उन्हें ऐसे मौकों पर सरकार से सवाल नहीं करने चाहिए बल्कि पूरी तरह से सरकार के साथ होना चाहिए.

कांग्रेस को पूरो भरोसा था कि वह मोदी सरकार को घेरने में कामयाब हो जाएगी और इसपर उसको विपक्षी दलों का भी सहयोग मिलेगा लेकिन राजनाथ सिंह ने बैठक शुरू होने के बाद ही जो तस्वीर साफ की तो सभी दल सरकार के साथ आ गए और कांग्रेस के सारे सवाल उसके खुद के सवाल साबित हो गए.

कांग्रेस पार्टी इस पूरे बैठक के दौरान मास्टर के रूप में नज़र आना चाह रही थी लेकिन विपक्षी एकजुटता को जुटाने में कांग्रेस एक बार फिर धाराशाई हो गई है. कांग्रेस को अब समझना होगा कि बिना विपक्षी दलों के एकजुटता के उसके सारी रणनीतियों का यही हाल हो जाने वाला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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