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Yogi Adityanath की ठोक-नीति क्या अपराधियों के हौसले तोड़ पाएगी?

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 11 जुलाई, 2020 09:45 PM
  • 11 जुलाई, 2020 09:45 PM
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विकास दुबे के एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) के बाद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सवालों के घेरे में हैं, भले ही इस ठोक-नीति के तहत मुख्यमंत्री आलोचना का सामना कर रहे हों मगर इतना तो साफ़ है कि कि इसके बाद अपराधियों के दिल में कानून का डर बनेगा और क्राइम कम होगा.

कानपुर पुलिस नरसंहार (Kanpur kand) के आरोपी विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत (Vikas Dubey encounter) के बाद उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) की सियासी हलचल नये मोड़ पर आ गयी है. अपराधियों के खिलाफ आक्रामक नीति योगी सरकार की सेहत के लिए विश्वास का अमृत भी साबित हो रही है और एक जाति विशेष की नाराजगी के जहर का संकेत भी दे रही है. सही मायने में राजधर्म निभाने की नीति भी यही है कि जनहित के कार्यों के आगे धर्म और जाति के नफे-नुकसान की ज़रा भी फिक्र ना की जाये. ये सच है कि गुनाहगार का कोई धर्म या जाति नहीं होती, पर इत्तेफाक ये कि एनकाउंटर में मारा गया कुख्यात बदमाश विकास दुबे और इसके जितने भी संगी-साथी मारे गये, या इस प्रकरण में जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई उसमें ज्यादातर ब्राह्मण जाति के थे.

कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद योगी आदित्यनाथ एक बार फिर ठोक नीति के चलते सुर्ख़ियों में हैं

कानपुर प्रकरण पर सोशल मीडिया पर रुझानों को देखें तो तमाम सख्त कार्रवाइयों को लेकर भाजपा का बेस वोट बैंक ब्राह्मण समाज कुछ खफा-खफा सा नजर आ रहा है. कुछ ने तो दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को ब्राह्मण शेर की संज्ञा देते हुए सोशल मीडिया में उसके खिलाफ कथित गैर कानूनी कार्रवाई के विरूद्ध ट्रेंड चलाया. जिसके खिलाफ बिहार के डीजीपी का एक वक्तव्य भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. जिसमें उन्होंने कहा कि अपराधी को किसी धर्म-जाति से जोड़ना गलत है.

दरअसल यूपी की सियासत में दशकों पहले से जाति का ऐसा ज़हर घोल दिया गया था, जिसके कारण आम जनता और विभिन्न धर्म जातियों से जुड़ी आम जनता को जातिगत राजनीति किसी भी मुद्दे पर जातिगत हवा देने पर आमादा रहती है. लेकिन ये शुभ संकेत हैं कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अन्य राजनेताओं की तरह राजनीति...

कानपुर पुलिस नरसंहार (Kanpur kand) के आरोपी विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत (Vikas Dubey encounter) के बाद उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) की सियासी हलचल नये मोड़ पर आ गयी है. अपराधियों के खिलाफ आक्रामक नीति योगी सरकार की सेहत के लिए विश्वास का अमृत भी साबित हो रही है और एक जाति विशेष की नाराजगी के जहर का संकेत भी दे रही है. सही मायने में राजधर्म निभाने की नीति भी यही है कि जनहित के कार्यों के आगे धर्म और जाति के नफे-नुकसान की ज़रा भी फिक्र ना की जाये. ये सच है कि गुनाहगार का कोई धर्म या जाति नहीं होती, पर इत्तेफाक ये कि एनकाउंटर में मारा गया कुख्यात बदमाश विकास दुबे और इसके जितने भी संगी-साथी मारे गये, या इस प्रकरण में जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई उसमें ज्यादातर ब्राह्मण जाति के थे.

कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद योगी आदित्यनाथ एक बार फिर ठोक नीति के चलते सुर्ख़ियों में हैं

कानपुर प्रकरण पर सोशल मीडिया पर रुझानों को देखें तो तमाम सख्त कार्रवाइयों को लेकर भाजपा का बेस वोट बैंक ब्राह्मण समाज कुछ खफा-खफा सा नजर आ रहा है. कुछ ने तो दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को ब्राह्मण शेर की संज्ञा देते हुए सोशल मीडिया में उसके खिलाफ कथित गैर कानूनी कार्रवाई के विरूद्ध ट्रेंड चलाया. जिसके खिलाफ बिहार के डीजीपी का एक वक्तव्य भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. जिसमें उन्होंने कहा कि अपराधी को किसी धर्म-जाति से जोड़ना गलत है.

दरअसल यूपी की सियासत में दशकों पहले से जाति का ऐसा ज़हर घोल दिया गया था, जिसके कारण आम जनता और विभिन्न धर्म जातियों से जुड़ी आम जनता को जातिगत राजनीति किसी भी मुद्दे पर जातिगत हवा देने पर आमादा रहती है. लेकिन ये शुभ संकेत हैं कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अन्य राजनेताओं की तरह राजनीति नफा-नुकसान ना देखकर राजधर्म निभाते जा रहे हैं.

प्रदेश की जनता की बुनियादी जरूरतों में उन्होंने बेहतर कानून व्यवस्था को जरूरी पहलू माना है. तारीख पर तारीख जैसी तकनीकी ख़ामियों को महसूस करते हुए योगी सरकार ने कानून तोड़ने वाले अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को खुली छूट दी है. मुख्यमंत्री योगी का एक जुमला सुर्खियों में रहा है- अपराधी अपराध करेंगे तो ठोक देंगे.

इन शब्दों के भले ही विपक्षियों और विरोधियों ने गलत अर्थ निकाले हों पर ये शब्दवाणी कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों के लिए हंटर है. ये ठोक नीति अपराध पर काबू करने का सख्त आदेश है. आम जनता और व्यापारियों को गुंडों के आतंक से बचाने, महिलाओं की आबरू की हिफाज़त के जज्बे का प्रतीक है.

सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास यहा है कि यहां गुंडे बदमाशों, माफाया सरगनाओं के पेशेवर गैंग इस सूबे की तरक्की की रुकावट बने रहे हैं. जनता का अमन चैन छीनने वाले अपराधियों ने राजनेताओं, चंद स्वार्थी अधिकारियों और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के साथ एक नेक्सस स्थापित करके रखा है. इसे तोड़ना योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता है. जिसके लिए वो हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

व्यापारियों की राहत, रोजगार की संभावनाओं, पर्यटन को बढ़ावा, महिला सुरक्षा और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने का सिलसिला जारी रखा है. इस मकसद से ही प्रदेश की माफियाओं, गुंडे बदमाशों की गुंडागर्दी से मुक्त करने का सफाई अभियान चलाने के लिए सूबे की पुलिस को सख्त निर्देश दे रखे हैं.

वो कई बार अपराधियों को चेतावनी दे चुके हैं कि बदमाशों ने लूट, बलात्कार, फिरोती, हत्याओं के कारनामों का रास्ता नहीं बदला तो उनकी पुलिस समाज विरोधी ऐसे तत्वों को मार गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. जनहित और कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाने की इस मुहिम मे ही योगी सरकार के करीब साढ़े तीन साल के कार्यालय में चार हजार से अधिक एनकाउंटर हो चुके हैं. जिसमें लगभग अस्सी से ज्यादा अपराधियों को मारने का दावा किया गया है. सैकड़ों अपराधियों को सलाखो़ के पीछे किया गया और तमाम गुंडे बदमाश और माफियाओं को प्रदेश छोड़कर भागना पड़ा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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