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चिदंबरम ही नहीं, उनके पूरे कुनबे पर संकट के बादल

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 अगस्त, 2019 06:40 PM
  • 23 अगस्त, 2019 06:33 PM
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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ़्तारी से उनके घर के सदस्य खासे तनाव में हैं. कहीं न कहीं उनको भी ये डर सताने लग गया है कि आज नहीं तो कल उनका भी हश्र कुछ वैसा ही होगा, जैसा फिलहाल चिदंबरम का है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. INX मीडिया मामले में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार हुए चिदंबरम को दिल्ली स्थित राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने 5 दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंपने का फैसला दिया है. INX मीडिया मामले में चिदंबरम की संलिप्तता पर कोर्ट क्या फैसला लेती है इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है. मगर जैसा सरकार का रुख है, चिदंबरम के घर के सदस्य खासे तनाव में हैं. कहीं न कहीं उनको भी ये डर सताने लग गया है कि आज नहीं तो कल उनका भी हश्र कुछ वैसा ही होगा जैसा फिलहाल चिदंबरम का है. तो आइये जानें कि आखिर वो कौन कौन से मामले हैं जिनके चलते मुसीबत में फंस सकता है चिदंबरम कुनबा.

चिदंबरम के पूरे परिवार के ऊपर अलग अलग मामलों के मद्देनजर जांच चल रही है

पी चिदंबरम

चिदंबरम का विवादों से पुराना नाता है. 2004 में वित्त मंत्री बनने से पहले चिदंबरम वेदांत की लीगल टीम का हिस्सा थे. 2002 में जब यूके के वित्तीय सेवा प्राधिकरण ने स्टरलाइट को वेदांत रिसोर्स पीएलसी के रूप में पुनर्गठित करने की अनुमति दी थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने स्टरलाइट के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के परिवार के तीन सदस्यों को कारण बताओ नोटिस दिया. नोटिस में मांग की गई थी कि स्टरलाइट के निदेशक अपनी होल्डिंग कंपनियों वॉलकन और ट्विनस्टार के जरिये विदेशी मुद्रा लेनदेन पर करों का भुगतान करने से बच रहे हैं इसके लिए वो जवाब दें.

नोटिस में बताया गया था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि, 1993 में हुई मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अग्रवाल दोषी हैं. सात सालों तक ये केस कोर्ट में खिंचता रहा और स्टरलाइट ने हर संभव प्रयास किये कि कैसे मामले पर तारीख पर तारीख मिलती...

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. INX मीडिया मामले में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार हुए चिदंबरम को दिल्ली स्थित राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने 5 दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंपने का फैसला दिया है. INX मीडिया मामले में चिदंबरम की संलिप्तता पर कोर्ट क्या फैसला लेती है इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है. मगर जैसा सरकार का रुख है, चिदंबरम के घर के सदस्य खासे तनाव में हैं. कहीं न कहीं उनको भी ये डर सताने लग गया है कि आज नहीं तो कल उनका भी हश्र कुछ वैसा ही होगा जैसा फिलहाल चिदंबरम का है. तो आइये जानें कि आखिर वो कौन कौन से मामले हैं जिनके चलते मुसीबत में फंस सकता है चिदंबरम कुनबा.

चिदंबरम के पूरे परिवार के ऊपर अलग अलग मामलों के मद्देनजर जांच चल रही है

पी चिदंबरम

चिदंबरम का विवादों से पुराना नाता है. 2004 में वित्त मंत्री बनने से पहले चिदंबरम वेदांत की लीगल टीम का हिस्सा थे. 2002 में जब यूके के वित्तीय सेवा प्राधिकरण ने स्टरलाइट को वेदांत रिसोर्स पीएलसी के रूप में पुनर्गठित करने की अनुमति दी थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने स्टरलाइट के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के परिवार के तीन सदस्यों को कारण बताओ नोटिस दिया. नोटिस में मांग की गई थी कि स्टरलाइट के निदेशक अपनी होल्डिंग कंपनियों वॉलकन और ट्विनस्टार के जरिये विदेशी मुद्रा लेनदेन पर करों का भुगतान करने से बच रहे हैं इसके लिए वो जवाब दें.

नोटिस में बताया गया था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि, 1993 में हुई मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अग्रवाल दोषी हैं. सात सालों तक ये केस कोर्ट में खिंचता रहा और स्टरलाइट ने हर संभव प्रयास किये कि कैसे मामले पर तारीख पर तारीख मिलती रहे.

बताया जाता है कि 2003 में पी चिदंबरम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्टारलाइट के खिलाफ ईडी द्वारा लगे गए आरोपों से कंपनी का बचाव किया था. इसके बाद अगले साल यानी 2004 में चिदंबरम वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के पद पर नियुक्त किये गए और इसी के बाद वो यूपीए 1 के कार्यकाल में भारत के वित्त मंत्री बने.

आईएनएक्स मीडिया, एयरसेल-मैक्सिस केस

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि 2006 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित एक कंपनी को एयरसेल से पांच प्रतिशत हिस्सा मिला. ध्यान रहे कि इस मामले में एयरसेल के 74 प्रतिशत शेयर हासिल करने के लिए मैक्सिस कम्युनिकेशन ने उसे 4000 करोड़ रुपए दिए थे. स्वामी के अनुसार, चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के सौदे को तब तक के लिए रोक दिया जब तक कि उनके बेटे को शिवा की कंपनी में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी नहीं मिली. इस मुद्दे को कई बार संसद में उठाया गया और चिदंबरम के इस्तीफे की मांग की गई. हालांकि बाद में चिदंबरम और उनकी सरकार ने आरोपों से इनकार किया.

मामले पर द पायनियर और इंडिया टुडे ने तमाम तरह के दस्तावेज पेश किये जिसमें दर्शाया गया कि चिदंबरम ने अपने पद का दुरूपयोग किया और 7 महीने तक सौदे को रोके रखा. आरोप ये भी लगे कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम 2 जी स्पेक्ट्रम मामले के प्रत्यक्ष लाभार्थी थे. कार्ति चिदंबरम की कंपनी एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग की एयरसेल टेलीकॉम कंपनियों में पांच फीसदी हिस्सेदारी थी और पिता पी चिदंबरम ने सुनिश्चित किया कि एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिए एफआईपीबी क्लीयरेंस तभी दिया जाएगा जब उनके बेटे कार्ति की कंपनी एयरसेल वेंचर्स में हिस्सेदारी होगी.

इसके अलावा ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) एयरसेल सौदे में कार्ति की संलिप्तता की जांच कर रहा है. ज्ञात हो कि पहले 2012 और फिर 2016 में मीडिया में खबरें आई कि ऐसे तमाम मौके आए जब कार्ति ने अपने पिता के पद का  इस्तेमाल करते हुए खुद को फायदा पहुंचाया. बताया ये भी गया कि कार्ति की उनके मित्रों द्वारा आंशिक रूप से स्वामित्व वाली छोटी छोटी कम्पनियां जो मॉरीशस और सिंगापुर में हैं उसमें भी उनकी हिस्सेदारी है.

इसके अतिरिक्त कार्ति को यूके और अन्य देशों में अपनी वैध कमाई से अधिक धन के साथ अचल संपत्ति रखने का भी दोषी पाया गया है. इन तमाम बातों के अलावा चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति पर भ्रष्टाचार, पद के दुरूपयोग, इनसाइडर ट्रेडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं. ध्यान रहे कि, 20 अगस्त 2019 को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने INX मीडिया मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

कार्ति चिदंबरम

कार्ति चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और वर्तमान में तमिलनाडु के शिवगंगा से कांग्रेस सांसद हैं. बात अगर कार्ति चिदंबरम के ऊपर चल रहे मामलों की हो तो पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम पर एयरसेल मैक्सिस भ्रष्टाचार मामला और मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है. सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज एयरसेल मैक्सिस मामलों में चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति की जमानत संबंधी याचिकाएं निचली अदालत में लंबित हैं. दोनों को निचली अदालत ने गिरफ्तारी से 23 अगस्त तक अंतरिम राहत प्रदान की है.

गौरतलब है की जुलाई 2018 में सीबीआई द्वारा दाखिल चार्ज शीट में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के नाम सामने आए थे, आपको बताते चलें कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने एक विदेशी कंपनी को एफआईपीबी मंजूरी दी थी जबकि ऐसा करने का अधिकार केवल सीसीईए के पास ही होता है. सीबीआई जांच कर रही है कि आखिर किस आधार पर ये मंजूरी चिदंबरम में विदेशी कंपनी को दी.

इसके अलावा जहां एक तरफ कार्ति पर आय से अधिक संपत्ति और विदेशों में संपत्ति जमा करने के मामले हैं तो वहीं इनपर भ्रष्टाचार, पिता के पद का नाजायज फायदा उठाकर खुद को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं.

नलिनी चिदंबरम

चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई शारदा चिटफंड घोटाले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. उन पर 1.4 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत लेने का आरोप है. इस साल फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी. आपको बताते चलें कि इसी साल फ़रवरी में, सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम जो खुद एक वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट के जज पीएस कैलासम की बेटी हैं, के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दावा किया था कि चिट फंड घोटाले में घिरे शारदा ग्रुप की कंपनियों से उन्हें 1.4 करोड़ रूपये प्राप्त हुए.

इस मामले पर जानकारी देते हुए सीबीआई ने दलील दी थी कि नलिनी पर आरोप है कि उन्होंने शारदा समूह की कंपनियों की धनराशि के गबन और फर्जीवाड़े के मकसद से शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन और अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश की.

सीबीआई का आरोप था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की पत्नी मनोरंजना सिंह ने सेन का परिचय नलिनी चिदंबरम से कराया ताकि वह सेबी, आरओसी जैसी विभिन्न एजेंसियों की जांच को प्रभावित कर सकें. दिलचस्प बात ये थी कि इसके लिए उनकी कंपनियों को 2010-12 के दौरान कथित तौर पर 1.4 करोड़ रूपये  हासिल हुए.

इस साल फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी. ज्ञात हो कि शारदा समूह ने आकर्षक ब्याज दर का झांसा देकर लोगों से 2,500 करोड़ रूपये लिए थे और बाद में लोगों को उनके पैसे नहीं लौटाए गए.

आपको बताते चलें कि कोलकाता हाई कोर्ट ने साल 2014 में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था. इस मामले के मद्देनजर फ़िलहाल नलिनी सिंह बेल पर हैं.

श्रीनिधि कार्ति चिदंबरम

श्रीनिधि कार्ति चिदंबरम कार्ति चिदंबरम की पत्नी और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पुत्रवधु हैं, जो पेशे से डॉक्टर और अपोलो हॉस्पिटल में एक फिजिशियन के पद पर कार्यरत हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम, नलिनी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, कार्ति की पत्नी श्रीनिधि कार्ति चिदंबरम पर काला धन और कर अधिनियम-2015 के आरोपों के तहत मुकदमा चलाने के लिए पिछले साल नवंबर में आयकर विभाग की मंजूरी वाले आदेश को रद कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. फ‍िलहाल यह मामला भी लंबित है.

चिदंबरम परिवार पर आयकर विभाग के आरोप

बीते दिनों आयकर विभाग ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके परिवार के सदस्यों - कार्ति चिदंबरम, नलिनी चिदंबरम, श्रीनिधि चिदंबरम के खिलाफ चार अभियोजन शिकायतें विदेशी संपत्ति में निवेश करने और अपने कर रिटर्न में इसका खुलासा नहीं करने के लिए दर्ज की हैं. इन शिकायतों पर जानकारी देते हुए कर अधिकारियों ने बताया कि चार्जशीट चेन्नई में एक विशेष अदालत के समक्ष ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 की धारा के तहत आई-टी विभाग द्वारा दायर की गई हैं.

नलिनी चिदंबरम, कार्ति और श्रीनिधि पर आरोप है कि उन्होंने ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में 5.37 करोड़ रुपये की संपत्ति, ब्रिटेन में ही 80 लाख की संपत्ति और अमेरिका में 3.28 करोड़ रुपए की संपत्ति का पूरा खुलासा जांच एजेंसियों के सामने नहीं किया है.

चार्जशीट में आरोप है कि चिदंबरम परिवार ने टैक्स अथॉरिटी को इनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. साथ ही कार्ति की फर्म चेस ग्लोबल एडवाइजरी जिसने काले धन पर बने कानून का उल्लंघन किया है उसके विषय में भी कोई जानकारी जांच अधिकारियों को नहीं दी है. ज्ञात हो कि इस कानून को 2015 में मोदी सरकार द्वारा लाया गया था. इस कानून के अंतर्गत उन भारतीयों पर मुकदमा चलाने की बात थी जिन्होंने विदेशों में संपत्ति अर्जित कर रखी है.

विभाग ने हाल ही में कार्ति और उनके परिवार के सदस्यों को उस मामले में नोटिस जारी किया था, जिसे उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के सामने चुनौती दी थी. आपको बताते चलें की बीते महीने ही टैक्स अथॉरिटी ने कार्ति को ब्लैक मनी एक्ट के आपराधिक धाराओं के तहत नए सिरे से समन जारी किया था और इस समन में उनकी ब्रिटेन की संपत्ति का ब्योरा था. कार्ति को चेन्नई में काले धन और 2015 के कर अधिनियम के प्रावधान के तहत मामले के जांच अधिकारी के सामने हाजिर करने के लिए कहा गया था जो विदेशों में अघोषित संपत्ति से संबंधित हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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