फौजी कोई भी हो, रिटायर तो हो जाता है - लेकिन उसकी जंग कभी खत्म नहीं होती. कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ ऐसा होता ही रहता है. अमरिंदर के जब फौज में थे तो मोर्चे पर उनके सामने सिर्फ एक दुश्मन होता था - देश का दुश्मन. वैसे पाकिस्तान को तो वो अब भी लगातार मुंहतोड़ जवाब दिये जा रहे हैं.
गुजरते वक्त के साथ जंग के मैदान और दुश्मन दोनों बदलते गये - कैप्टन अमरिंदर के लिए अगर कुछ खत्म नहीं हुआ तो वो रही लड़ाई. करतारपुर को लेकर कैप्टन के कैबिनेट सहयोगी नवजोत सिंह सिद्धू के बागी तेवर ने तो जैसे कांग्रेस में कोहराम ही मचा दी है. दिलचस्प बात ये है कि सिद्धू की लड़ाई में उनकी पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर भी शामिल हो गयी हैं. हालत ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है.
कैप्टन अपने रुख पर शुरू से कायम हैं
करतारपुर कॉरिडोर का मामला जुड़ा तो आस्था से है, लेकिन जितनी कूटनीति नहीं उससे कहीं ज्यादा राजनीति हो रही है. कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का शुरू से ही अलग अलग स्टैंड था - और फिलहाल वो कांग्रेस पर भारी पड़ रहा है, खासकर पंजाब में.
करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का न्योता तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी था, लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तरह उन्होंने भी ठुकरा दिया. सुषमा स्वराज ने तो पंजाब से आने वाले दो मंत्रियों को भेजा भी, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने ही मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को चाह कर भी नहीं रोक पाये.
इमरान से सिद्धू के याराना के चलते कांग्रेस को अपने सियासी दुश्मनों बीजेपी और अकाली दल के सामने डिफेंसिव होना पड़ रहा था. कैप्टन के लिए ये बड़ी चुनौती थी. असल में, इमरान खान के शपथग्रहण में शामिल...
फौजी कोई भी हो, रिटायर तो हो जाता है - लेकिन उसकी जंग कभी खत्म नहीं होती. कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ ऐसा होता ही रहता है. अमरिंदर के जब फौज में थे तो मोर्चे पर उनके सामने सिर्फ एक दुश्मन होता था - देश का दुश्मन. वैसे पाकिस्तान को तो वो अब भी लगातार मुंहतोड़ जवाब दिये जा रहे हैं.
गुजरते वक्त के साथ जंग के मैदान और दुश्मन दोनों बदलते गये - कैप्टन अमरिंदर के लिए अगर कुछ खत्म नहीं हुआ तो वो रही लड़ाई. करतारपुर को लेकर कैप्टन के कैबिनेट सहयोगी नवजोत सिंह सिद्धू के बागी तेवर ने तो जैसे कांग्रेस में कोहराम ही मचा दी है. दिलचस्प बात ये है कि सिद्धू की लड़ाई में उनकी पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर भी शामिल हो गयी हैं. हालत ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है.
कैप्टन अपने रुख पर शुरू से कायम हैं
करतारपुर कॉरिडोर का मामला जुड़ा तो आस्था से है, लेकिन जितनी कूटनीति नहीं उससे कहीं ज्यादा राजनीति हो रही है. कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का शुरू से ही अलग अलग स्टैंड था - और फिलहाल वो कांग्रेस पर भारी पड़ रहा है, खासकर पंजाब में.
करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का न्योता तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी था, लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तरह उन्होंने भी ठुकरा दिया. सुषमा स्वराज ने तो पंजाब से आने वाले दो मंत्रियों को भेजा भी, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने ही मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को चाह कर भी नहीं रोक पाये.
इमरान से सिद्धू के याराना के चलते कांग्रेस को अपने सियासी दुश्मनों बीजेपी और अकाली दल के सामने डिफेंसिव होना पड़ रहा था. कैप्टन के लिए ये बड़ी चुनौती थी. असल में, इमरान खान के शपथग्रहण में शामिल होने के बाज सिद्धू की खूब खिंचाई हो रही थी. सिद्धू खुद को अपने तरीके से डिफेंड करते रहे. जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने सिद्धू के करतारपुर गलियारे के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर सवाल उठा तो उन्होंने इसे सिद्धू का निजी दौरा करार दिया.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने कहा, ‘सिद्धू ने बताया कि वो पहले से ही जाने का मन बना चुके हैं... जब मैंने उन्हें अपना स्टैंड बताया तो उन्होंने कहा कि यह एक निजी यात्रा है... मैं किसी को भी निजी यात्रा पर जाने से नहीं रोकता... ये कोई आधिकारिक यात्रा नहीं है.’
सितंबर में जब सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में गये थे तो पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे. जब गले मिलते तस्वीर वायरल हुई तो सिद्धू विवादों में घिर गये. बीजेपी नेता तो सिद्धू को पाकिस्तान का प्रवक्ता तक बन जाने की सलाहियत देने लगे.
पाकिस्तान के खिलाफ कैप्टन का कड़ा रुख
पाकिस्तान में हुए करतारपुर कार्यक्रम से दो दिन पहले भारतीय छोर पर गलियारे के शिलान्यास के मौके पर कैप्टन ने पाकिस्तान को खूब खरी खोटी सुनायी थी. कैप्टन अमरिंदर ने पाकिस्तान का न्योता ठुकराने की वजह भी बतायी.
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, 'एक सैनिक होने के नाते, वो पाकिस्तान द्वारा भारत के सैनिकों को मारा जाना कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते' - और यही वजह रही उनके पाकिस्तान न जाने की.
पाकिस्तान को ललकारते हुए कैप्टन अमरिंदर बोले, 'मैं पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर बाजवा से एक सिपाही के तौर पर कुछ पूछना चाहता हूं. आखिर कौन सी सेना युद्धविराम का उल्लंघन करने और दूसरी तरफ के जवानों को मारने की सीख देती है? कौन सी सेना पठानकोट और अमृतसर में हमले के लिए सिखाती है? ये कायरता है'.
कैप्टन अमरिंदर ने बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कश्मीरी और पंजाबी आतंकवादी एक साथ पाकिस्तानी सेना की देखरेख में ऑपरेशन कर रहे हैं.
सिद्धू दंपती के बागी रुख से पंजाब कांग्रेस में कोहराम
तेलंगाना में चुनाव प्रचार के सिलसिले में पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू ने ये कह कर हंगामा मचा दिया कि राहुल गांधी ने उन्हें पाकिस्तान भेजा था. ऐसा कहने के पीछे सिद्धू का मकसद कैप्टन अमरिंदर अपनी हद में रहने और अपने मामले में टांग न अड़ाने की चेतावनी देना भी रहा होगा.
सिद्धू ने माना कि कैप्टन अमरिंदर उन्हें पाकिस्तान जाने से रोक रहे थे, '...लेकिन मेरे कैप्टन तो राहुल गांधी हैं... कैप्टन के भी कैप्टन राहुल गांधी ही हैं...' नवजोत सिद्धू ने ये भी कहा कि पाकिस्तान से लौटने पर शशि थरूर, हरीश रावत और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे बड़े नेताओं ने उनकी पीठ भी थपथपाई थी. हालांकि, सिद्धू का ये जोश जल्द ही ठंडा पड़ गया और कुछ ही देर में वो बयान से पलट गये.
मामला ठंडा पड़ता तभी सिद्धू की पत्नी के वीडियो ने आग में घी का काम कर दिया. वीडियो में सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर कहती पायी गयीं कि नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं, बल्कि राहुल गांधी के सिपाही हैं. इतना ही नहीं जिस दावे से सिद्धू पलट चुके हैं उसे सही ठहराते हुए नवजोत कौर ने कहा कि सिद्धू नई पीढ़ी के नेताओं से वास्ता रखते हैं जो सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी की बात मानते हैं.
सिद्धू दंपती का ये बागी रुख पंजाब कांग्रेस के पुराने विवाद की याद दिलाता है जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और उन्हें हटाकर अध्यक्ष बनाये गये प्रताप सिंह बाजवा की तकरार चरम पर हुआ करती रही. ये तब की बात है जब कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के उन नेताओं में शुमार रहे जो नहीं चाहते थे कि सोनिया गांधी अपनी जगह राहुल गांधी को दे दें. आखिरकार, 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर ने न सिर्फ सूबे की कांग्रेस की कमान अपने हाथ में ली बल्कि अपने दम पर चुनाव जीत कर खुद को साबित भी किया.
सिद्धू के पक्ष में जहां सिर्फ उनकी पत्नी नजर आ रही हैं, वहीं कैप्टन अमरिंदर के फेवर में उनके कैबिनेट के दस साथी भी खड़े हो गये हैं. सिद्धू के विरोध में लामबंद मंत्रियों ने साफ कर दिया है कि अगर वो कैप्टन को नेता नहीं मानते तो इस्तीफा दे देना चाहिये. सिद्धू को घिरते और अकेले पड़ते देख पत्नी के भी सुर बदल गये हैं. नवजोत कौर अब कैप्टन अमरिंदर को पिता समान बताने लगी हैं - कह रही हैं कि सिद्धू के बयान के आधे अधूरे हिस्से को गलत तरीके से समझा गया, जबकि उनकी मंशा कभी ऐसी नहीं रही.
समझा जाता है कि 10 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चंडीगढ़ जाने वाले हैं. संभव है ये सारे मुद्दे उनके सामने उठाये जायें. इस बीच खबर ये भी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल में फेरबदल भी होने वाली है - और हालत ये हो चुकी है कि नवजोत सिंह सिद्धू की कुर्सी पर भी तलवार लटक रही है.
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