'मेरी अपनी जमीन पर, तुम मुझे विदेशी घोषित नहीं कर सकते हो.' ये लाइन लिखी है जामिया टीचर्स एसोसिएशन के बैनर पर, जिसमें आह्वान किया गया है कि नागरिकता संशोधन बिल (Citizen Amendment Bill) के विरोध में अपनी आवाज उठाएं, क्योंकि ये हमारी ड्यूटी है कि हम नागरिकों की और संविधान की रक्षा करें. अगर इस बैनर को पढ़ें तो यूं लगेगा कि नागरिकता कानून (Citizen Amendment Act) के जरिए सभी मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीन कर उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ये कानून सिर्फ घुसपैठियों और उन लोगों को पर लागू होगा जो इस देश के नागरिक नहीं हैं. यानी इस बिल में पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, ना कि नागरिकता छीनने का. यानी बैनर पर जो लिखा है वह सरासर गलत है और नागरिकता कानून को लेकर गलत जानकारी फैला रहा है और लोगों को गुमराह कर रहा है. हैरानी तो इस बात की है कि ये बैनर जामिया टीचर्स एसोसिएशन (Jamia Teachers Association) का है. यानी जिनके कंधों पर छात्रों को सही राह दिखाने का जिम्मा है, वही भटकाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. इस तरह की गलत जानकारी से जामिया के विरोध प्रदर्शन में सबसे अधिक फायदा मिला है हुड़दंगियों को. खैर, जामिया के टीचर्स एसोसिएशन के बैनर पर लिखी छात्रों को गुमराह करने वाली बात के अलावा सोशल मीडिया (Social Media) पर बैठे ऐसे लोगों ने भी हुड़दंगियों और उपद्रवियों की खूब मदद की, जिन्होंने फेक न्यूज (Fake News) फैलाने का ठेका लिया हुआ है.
मनीष सिसोदिया भी इसी कतार में...
'मेरी अपनी जमीन पर, तुम मुझे विदेशी घोषित नहीं कर सकते हो.' ये लाइन लिखी है जामिया टीचर्स एसोसिएशन के बैनर पर, जिसमें आह्वान किया गया है कि नागरिकता संशोधन बिल (Citizen Amendment Bill) के विरोध में अपनी आवाज उठाएं, क्योंकि ये हमारी ड्यूटी है कि हम नागरिकों की और संविधान की रक्षा करें. अगर इस बैनर को पढ़ें तो यूं लगेगा कि नागरिकता कानून (Citizen Amendment Act) के जरिए सभी मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीन कर उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ये कानून सिर्फ घुसपैठियों और उन लोगों को पर लागू होगा जो इस देश के नागरिक नहीं हैं. यानी इस बिल में पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, ना कि नागरिकता छीनने का. यानी बैनर पर जो लिखा है वह सरासर गलत है और नागरिकता कानून को लेकर गलत जानकारी फैला रहा है और लोगों को गुमराह कर रहा है. हैरानी तो इस बात की है कि ये बैनर जामिया टीचर्स एसोसिएशन (Jamia Teachers Association) का है. यानी जिनके कंधों पर छात्रों को सही राह दिखाने का जिम्मा है, वही भटकाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. इस तरह की गलत जानकारी से जामिया के विरोध प्रदर्शन में सबसे अधिक फायदा मिला है हुड़दंगियों को. खैर, जामिया के टीचर्स एसोसिएशन के बैनर पर लिखी छात्रों को गुमराह करने वाली बात के अलावा सोशल मीडिया (Social Media) पर बैठे ऐसे लोगों ने भी हुड़दंगियों और उपद्रवियों की खूब मदद की, जिन्होंने फेक न्यूज (Fake News) फैलाने का ठेका लिया हुआ है.
मनीष सिसोदिया भी इसी कतार में हैं
कभी-कभी राजनीति दिमाग पर इतनी हावी हो जाती है कि पढ़ा-लिखा शख्स भी शून्य बन जाता है और कभी-कभी बनने का नाटक भी करता है. मनीष सिसोदिया भी इनमें से ही एक हैं. सिसोदिया ने कुछ तस्वीरों के साथ एक ट्वीट किया. इनमें पुलिसवाले पीले और सफेद रंग के डिब्बों से बसों में कुछ फेंक रहे थे. सिसोदिया जी ने ना आव देखा ना ताव और ट्वीट दे मारा- 'ये फोटो देखिए... देखिए कौन लगा रहा है बसों और कारों में आग... यह फोटो सबसे बड़ा सबूत है बीजेपी की घटिया राजनीति का... इसका कुछ जवाब देंगे बीजेपी के नेता..'
अब सच भी जान लीजिए
सोशल मीडिया पर मनीष सिसोदिया का ट्वीट और उससे जुड़ा वीडियो खूब वायरल हो रहा है और पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. इस पर दिल्ली पुलिस ने सफाई देते हुए कहा है कि पुलिस ने बस में आग लगाई नहीं, बल्कि उसे लगी छोटी सी आग को बुझाया था. सफेद-पीले डिब्बों में पानी था. हमारी सहयोगी चैनल आज तक ने भी वहां पहुंच कर देखा तो पता चला कि बस जली नहीं हैं. उसकी सिर्फ पीछे की एक सीट पर आग लगी थी, जिसे बुझा दिया गया. यकीनन उन डिब्बों में पानी ही था, क्योंकि जब हमारे संवाददाता वहां पहुंचे तो सीट गीली थी और कुछ जली हुई थी. यानी मनीष सिसोसिया ने सोचे-समझे बिना या फिर किसी साजिश के तहत गलत तस्वीर, वो भी गलत फैक्ट के साथ सोशल मीडिया पर डाल दी.
पुलिस की कार्रवाई में 5 छात्रों की मौत हो गई है !
वैसे ये आंकड़ा बदलता हुआ है. कोई 5 कह रहा है, कोई 3 तो कोई 1. शाकिर कोटा नाम के शख्स की बात करते हुए तो ट्वीट भी वायरल होने लगा कि पुलिस की कार्रवाई में उसकी मौत हो गई है. हालांकि, जामिया प्रदर्शन में पुलिस की कार्रवाई में कोई भी मारा नहीं गया है. हां, ये बात सही है कि 50 से भी अधिक छात्र अस्पताल में भर्ती हैं. किसी की भी मौत ना होने की पुष्टि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एम एस रंधावा ने भी की है और जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वीसी ने भी की है.
पुलिस की बर्बरता में एक छोटी बच्ची बुरी तरह घायल हुई !
जामिया प्रदर्शन से जुड़ी अफवाहों के बीच ही एक अफवाह बंगाल में हो रहे प्रदर्शन से जुड़ी हुई भी खूब वायरल हो रह है. एक छोटी बच्ची की तस्वीर शेयर की जा रही है, जो खून से लथपथ दिख रही है. ट्वीट में लिखा है- 'इससे पहले कि आप प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने बाहर निकलें, ये याद रखें. आपको कुछ इस तरह से जवाब मिलेगा और आप भी उसी जैसे शैतान बन जाएंगे, जिसने ये किया है.'
ऑल्ट न्यूज ने इस खबर की सच्चाई की पड़ताल की है, जिससे पता चला है कि ये बंगाल में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की नहीं है, बल्कि ये तस्वीर बांग्लादेश से है. बांग्लादेश में एक ट्रेन एक्सिडेंट हुआ था, जिसमें ये बच्ची घायल हुई थी. इसकी खबर भी छपी थी.
फायदा सिर्फ हुड़दंगियों का
इस तरह की फेक न्यूज से फायदा सिर्फ और सिर्फ हुड़दंगियों और उपद्रवियों का है. वह तो चाहते ही यही थे कि माहौल बिगड़े. अब इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश है या नहीं, वो तो बाद की बात है, लेकिन फेक न्यूज फैलाने वालों ने ऐसे लोगों की मदद करने का काम किया है. देखा जाए तो जामिया टीचर्स एसोसिएशन का वो बैनर भी उपद्रवियों को ही फायदा फैलाने वाला है, जिससे ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि मुस्लिमों की नागरिकता खतरे में है.
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