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CAA Protest: मोदी और अमित शाह की सफाई से कभी बात नहीं बनेगी !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2019 02:18 PM
  • 22 दिसम्बर, 2019 02:18 PM
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नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन (CAA Protest) के बीच भाजपा (BJP) समेत नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) लोगों के कंफ्यूजन को दूर करने के लिए रैलियां (Narendra Modi Dhanyawad Rally) और प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Congress) करेंगे. लेकिन सवाल ये है कि क्या इससे कोई असर पड़ेगा?

तमाम विरोध के बाद मोदी सरकार (Modi Government) नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनाने में कामयाब हुई, लेकिन अब पूरे देश में विरोध प्रदर्शन (CAA Protest) हो रहे हैं. प्रदर्शन भी ऐसे वैसे नहीं, हिंसक प्रदर्शन (Violence). उत्तर प्रदेश में तो हिंसा में 18 लोगों की मौत तक हो चुकी है. तमाम जगहों पर इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है, ताकि उपद्रवी लोग एक दूसरे को मैसेज ना भेज सकें और एक जगह जमा होकर बवाल ना कर पाएं. एक ओर प्रशासन की ओर से इन विरोध प्रदर्शनों को रोकने की हर संभव कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी ओर हर गुजरते दिन के साथ ये विरोध प्रदर्शन उग्र ही होता जा रहा है. यूं लग रहा है कि अब स्थिति सरकार के कंट्रोल से बाहर ना हो जाए. विरोध प्रदर्शनों की सबसे बड़ी वजह अफवाहें और अधूरी जानकारियां हैं. खैर, सरकार ने भी समय रहते अलर्ट होते हुए फैसला किया है कि वह 250 प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Congress) और रैलियों (Narendra Modi Dhanyawad Rally) के जरिए लोगों को समझाएगी कि सीएए और एनआरसी (NRC) का क्या फायदा है. ये काम मोदी सरकार, नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) पूरे देश में करेंगे, ताकि अफवाहों पर लगाम लग सके. हालांकि, ये देखना दिलचस्प रहेगा कि कितने लोगों को बात समझ आती है, क्योंकि सीएए और एनआरसी को तो पहले ही संसद में भी समझाया जा चुका है.

मोदी सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के चलते कंफ्यूजन को दूरे करने के लिए रैलियां और प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी.

क्या कर पाएंगे मोदी और शाह?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह संसद से सड़क तक नागरिकता कानून और NRC पर सिर्फ प्रावधानों को स्पष्ट ही कर सकते हैं. वह इन कानूनों को वापस नहीं ले सकते, क्योंकि ये संसद से पारित होकर आए हैं. अगर किसी भी कानून...

तमाम विरोध के बाद मोदी सरकार (Modi Government) नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनाने में कामयाब हुई, लेकिन अब पूरे देश में विरोध प्रदर्शन (CAA Protest) हो रहे हैं. प्रदर्शन भी ऐसे वैसे नहीं, हिंसक प्रदर्शन (Violence). उत्तर प्रदेश में तो हिंसा में 18 लोगों की मौत तक हो चुकी है. तमाम जगहों पर इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है, ताकि उपद्रवी लोग एक दूसरे को मैसेज ना भेज सकें और एक जगह जमा होकर बवाल ना कर पाएं. एक ओर प्रशासन की ओर से इन विरोध प्रदर्शनों को रोकने की हर संभव कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी ओर हर गुजरते दिन के साथ ये विरोध प्रदर्शन उग्र ही होता जा रहा है. यूं लग रहा है कि अब स्थिति सरकार के कंट्रोल से बाहर ना हो जाए. विरोध प्रदर्शनों की सबसे बड़ी वजह अफवाहें और अधूरी जानकारियां हैं. खैर, सरकार ने भी समय रहते अलर्ट होते हुए फैसला किया है कि वह 250 प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Congress) और रैलियों (Narendra Modi Dhanyawad Rally) के जरिए लोगों को समझाएगी कि सीएए और एनआरसी (NRC) का क्या फायदा है. ये काम मोदी सरकार, नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) पूरे देश में करेंगे, ताकि अफवाहों पर लगाम लग सके. हालांकि, ये देखना दिलचस्प रहेगा कि कितने लोगों को बात समझ आती है, क्योंकि सीएए और एनआरसी को तो पहले ही संसद में भी समझाया जा चुका है.

मोदी सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के चलते कंफ्यूजन को दूरे करने के लिए रैलियां और प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी.

क्या कर पाएंगे मोदी और शाह?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह संसद से सड़क तक नागरिकता कानून और NRC पर सिर्फ प्रावधानों को स्पष्ट ही कर सकते हैं. वह इन कानूनों को वापस नहीं ले सकते, क्योंकि ये संसद से पारित होकर आए हैं. अगर किसी भी कानून को वापस लेना है तो उसका रास्ता संसद से होकर ही गुजरेगा. हां, अगर कोई आपात स्थिति होती है तो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कोई तरीका निकालने पर विचार कर सकते हैं. सबसे अहम बात ये है कि इन रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस से मोदी-शाह लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश कर सकते हैं, जिसमें वो सफल होंगे या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा.

शंका मोदी-शाह के इरादों को लेकर है !

विरोध प्रदर्शनों में भले ही कानूनी प्रावधानों को अस्पष्ट या गलत बताने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन हकीकत इससे परे है. जिन भी इलाकों में प्रदर्शन हो रहे हैं, उनमें अधिकतर इलाके मुस्लिम बहुल हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मुस्लिमों के मन में मोदी-शाह के इरादों को लेकर शंका है. उन्होंने डर है कि कहीं कल को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एनआरसी और सीएए मुस्लिमों को देश से बाहर निकलने का जरिया ना बन जाएं. कुछ के मन में ये शंका है और बाकियों के मन में ये शंका पैदा कर दी गई है. कुछ नेताओं के बहकावे में आकर हिंसा करने पर उतारी हैं, तो कुछ को आगजनी करने के लिए अफवाहों ने उकसाया है.

क्या रैली या प्रेस कॉन्फ्रेंस से जवाब मिलेगा?

आखिर कंफ्यूजन किस बात का है? किन सवालों के जवाब देने के लिए मोदी सरकार रैलियां और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही है? बता दें कि ये वही सवाल हैं, जिनके जवाब अमित शाह पहले ही संसद में दे चुके हैं. सवाल उठ रहे हैं कि सीएए से देश के मुस्लिमों की नागरिकता को खतरा है, जबकि अमित शाह ने पहले ही संसद में ये साफ कह दिया था कि इससे देश के मुस्लिमों की नागिरकता को कोई खतरा नहीं. ये कानून देश के नागरिकों नहीं, बल्कि विदेशी या यूं कहें कि शरणार्थियों पर लागू होगा. कंफ्यूजन इसलिए भी फैला है क्योंकि इस नए कानून में मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है. मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने ने विरोध की आग को भड़काने के लिए घी का काम किया है. हालांकि, मोदी सरकार का तर्क है कि ये कानून सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर लागू होता है, जो इस्लामिक देश है और किसी इस्लामिक देश में एक मुस्लिम का धर्म के आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता.

लोगों से कहा जा रहा है कि सबसे नागरिकता का प्रमाण मांगा जाएगा. सारे कागज मांगे जाएंगे. जो लोग कागज नहीं दे पाएंगे, उन्हें एनआरसी के तहत देश से बाहर निकाल दिया जाएगा. यही वजह है कि अब इस विरोध प्रदर्शन में मुस्लिमों के साथ-साथ कई जगहों से हिंदू और बाकी धर्मों के लोग भी शामिल हो रहे हैं. गुमराह तो ये कहते हुए भी किया जा रहा है कि जो गैर मुस्लिम हैं, उन्हें तो नागरिकता कानून के तहत भारत की नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन मुस्लिमों को देश से निकाल दिया जाएगा. वैसे इन्हीं सारे कंफ्यूजन को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मोदी सरकार को विज्ञापन देने का आदेश दिया था, जिसके बाद सरकार अखबारों में विज्ञापन दे भी रही है और अब उसी जागरुकता को फैलाने के लिए मोदी सरकार रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस का सहारा लेगी. जो बातें मोदी सरकार की ओर से संसद में कही जा चुकी हैं, उन्हें ही फिर से दोहराया जाएगा. विरोध करने वाले सब जानते हैं कि संसद में क्या कहा गया था. ऐसे में ये मुमकिन नहीं लगता कि मोदी सरकार की रैली या प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी बात बनेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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