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सियासत

संकट कैसा भी हो, नेताओं की पहली पसंद बनता जा रहा है 'योगी मॉडल'

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 01 अगस्त, 2022 04:46 PM
  • 01 अगस्त, 2022 04:41 PM
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कर्नाटक (Karnataka) में भाजपा नेता प्रवीण नेत्तारू (Praveen Nettaru) की हत्या के मामले में अब भाजपा की ही मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. प्रवीण नेत्तारू की हत्या के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक के कई हिस्सों में इस्तीफा देने की शुरुआत कर दी है. तो, सीएम बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) को 'योगी मॉडल' (Bulldozer Model) की याद आनी ही थी.

दक्षिण कन्नड़ जिले में भाजपा नेता की हत्या के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि 'अगर जरूरत पड़ी, तो राष्ट्र विरोधी और सांप्रदायिक तत्वों से निपटने के लिए 'योगी आदित्यनाथ मॉडल' अपनाया जा सकता है.' दरअसल, कर्नाटक में भाजपा नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. हालात ये हो गए हैं कि गुस्से से भड़के भाजपा के कार्यकर्ता अब अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध करने लगे हैं. इतना ही नहीं, कर्नाटक के कई हिस्सों में भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जताते हुए बड़ी संख्या में इस्तीफा भी देना शुरू कर दिया है. भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा करने में विफल रही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अगले साल होने वाले कर्नाटक चुनाव से पहले सीएम बसवराज बोम्मई पर भारी दबाव है. और, इस स्थिति में बोम्मई को 'योगी मॉडल' की याद आनी ही थी.

प्रवीण नेत्तारू की हत्या से भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी सातवें आसमान पर है.

क्या है योगी मॉडल?

उत्‍तर प्रदेश के सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ के 'बुलडोजर मॉडल' को ही योगी मॉडल के तौर पर जाना जाता है. प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति के जरिये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को पूर्ववर्ती सरकारों के मुकाबले काफी हद तक मजबूत किया है. इतना ही नहीं, बिना किसी भेदभाव के मंदिर-मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने से लेकर सड़कों पर पढ़ी जाने वाली नमाज को रोकने के लिए भी योगी मॉडल खूब सुर्खियों में रहा है. और, ये योगी मॉडल की खूबी थी कि ये सभी चीजें बिना किसी विवाद या बवाल के आसानी से हो गईं. वहीं, दंगाईयों और बलवाईयों के घरों को बुलडोजर से नेस्तनाबूद करने की कार्रवाई भी योगी मॉडल का ही हिस्सा है.

दक्षिण कन्नड़ जिले में भाजपा नेता की हत्या के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि 'अगर जरूरत पड़ी, तो राष्ट्र विरोधी और सांप्रदायिक तत्वों से निपटने के लिए 'योगी आदित्यनाथ मॉडल' अपनाया जा सकता है.' दरअसल, कर्नाटक में भाजपा नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. हालात ये हो गए हैं कि गुस्से से भड़के भाजपा के कार्यकर्ता अब अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध करने लगे हैं. इतना ही नहीं, कर्नाटक के कई हिस्सों में भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जताते हुए बड़ी संख्या में इस्तीफा भी देना शुरू कर दिया है. भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा करने में विफल रही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अगले साल होने वाले कर्नाटक चुनाव से पहले सीएम बसवराज बोम्मई पर भारी दबाव है. और, इस स्थिति में बोम्मई को 'योगी मॉडल' की याद आनी ही थी.

प्रवीण नेत्तारू की हत्या से भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी सातवें आसमान पर है.

क्या है योगी मॉडल?

उत्‍तर प्रदेश के सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ के 'बुलडोजर मॉडल' को ही योगी मॉडल के तौर पर जाना जाता है. प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति के जरिये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को पूर्ववर्ती सरकारों के मुकाबले काफी हद तक मजबूत किया है. इतना ही नहीं, बिना किसी भेदभाव के मंदिर-मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने से लेकर सड़कों पर पढ़ी जाने वाली नमाज को रोकने के लिए भी योगी मॉडल खूब सुर्खियों में रहा है. और, ये योगी मॉडल की खूबी थी कि ये सभी चीजें बिना किसी विवाद या बवाल के आसानी से हो गईं. वहीं, दंगाईयों और बलवाईयों के घरों को बुलडोजर से नेस्तनाबूद करने की कार्रवाई भी योगी मॉडल का ही हिस्सा है.

शिवराज भी अपना चुके हैं योगी मॉडल

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी 'योगी मॉडल' का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. अप्रैल में रामनवमी जुलूस पर पत्थरबाजी के बाद भड़की हिंसा में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के घरों पर जमकर बुलडोजर गरजा था. जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान को 'बुलडोजर मामा' कहा जाने लगा था. वैसे, शिवराज चौहान की सॉफ्ट स्पोकन इमेज को योगी मॉडल ने पूरी तरह से बदल दिया. 'पांव-पांव वाले भैया' कहलाने वाले शिवराज अब बुलडोजर की सवारी कर रहे हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश में भी अगले साल के अंत तक चुनाव होने हैं. और, शिवराज सिंह चौहान के सामने भाजपा को सत्ता में बनाए रखने की चुनौती है. क्योंकि, 2019 में कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी दे दी थी. अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया बगावत कर भाजपा में न आते, तो मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान के हाथ सत्ता नहीं आती. आसान शब्दों में कहा जाए, तो यही वजह है कि शिवराज अब बुलडोजर मामा बनने की कोशिश कर रहे हैं.

बोम्मई क्यों अपनाना चाह रहे हैं योगी मॉडल?

कर्नाटक में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. तो, माना जा सकता है कि सीएम बसवराज बोम्मई भी अपनी छवि बदलने के लिए योगी मॉडल को अपनाने की बात कर रहे हैं. वैसे भी बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का सीएम बने एक साल ही हुआ है. और, कर्नाटक में भाजपा संगठन पर अभी भी बीएस येदियुरप्पा का अच्छा-खासा प्रभाव है. संभव है कि योगी मॉडल के जरिये बोम्मई खुद की एक मजबूत छवि गढ़ने की कोशिश करें. जो फिलहाल अभी तक नहीं बन पाई है. क्योंकि, कर्नाटक में बीते कुछ महीनों से एक के बाद एक बवाल सामने आ रहे हैं.

इस साल की शुरुआत में हिजाब विवाद ने बसवराज बोम्मई की मुश्किलें बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. वहीं, हिजाब विवाद के कुछ महीने बाद हलाल मीट को लेकर बवाल मच गया था. इन तमाम बवालों के पीछे चरमपंथी संगठन पीएफआई का हाथ सामने आया है. तो, संभव है कि बसवराज बोम्मई इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई के जरिये हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करें. वैसे भी कर्नाटक की सियासत वोक्कालिंगा और लिंगायत समुदाय से लेकर नाथ संप्रदाय के मठों के इर्द-गिर्द ही घूमती है. तो, योगी मॉडल के जरिये इस समुदाय के मतदाताओं पर भी प्रभाव बनाए रखा जा सकता है.

कुमारस्वामी की तिलमिलाहट का कारण ही योगी मॉडल है

सीएम बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक में योगी मॉडल अपनाने की बात की ही थी. और, अब जनता दल (सेक्युलर) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बोम्मई पर पलटवार भी कर दिया है. कुमारस्वामी ने कहा है कि अगर योगी मॉडल को कर्नाटक में लागू किया गया, तो भाजपा को प्रदेश से उखाड़ कर बाहर फेंक दिया जाएगा. अगर एक हजार मोदी भी कर्नाटक आ जाएंगे, तो उनका मॉडल काम नहीं करने वाला.' वैसे, योगी मॉडल पर एचडी कुमारस्वामी की तिलमिलाहट की वजह इससे मिलने वाला सियासी फायदा ही है. अगर योगी मॉडल अपनाने से हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो जाता है, तो जेडीएस की पूरी सियासत पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाएगा. और, पिछले चुनाव की तरह त्रिशंकु स्थिति में कांग्रेस कुमारस्वामी को साइडलाइन भी कर सकती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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