मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं कि उनका रिपोर्ट कार्ड आना शुरू हो गया है. और जब रिपोर्ट कार्ड बीजेपी की बजाए बीएसपी सुप्रीमो मायावती दे रही हों तो बात चिंता की हो सकती है. मायावती ने मध्यप्रदेश चुनाव में अल्पमत में रहने वाली कांग्रेस को अपने दो विधायकों का समर्थन देकर सरकार बनाने में मदद की थी.
लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर मायावती ने मध्यप्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों के साथ लखनऊ में एक बैठक की. बैठक में उनके तेवर जरा तीखे दिखाई दिए. विधान सभा चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन न करने पर एक तरफ पार्टी पदाधिकारियों की फटकार लगी तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की नई सरकार के खिलाफ मायावती नाराज दिखाई दीं.
मायावती ने कहा कि 'भाजपा की सरकार के जाने के बाद मध्यप्रदेश की जनता को राहत तो है लेकिन कांग्रेस की नई बनी सरकार के शुरुआती काम भी जनता को संतुष्ट करने वाले और जनहितैषी नहीं लग रहे हैं. सरकार के जुल्म और ज्यादती अब भी बरकरार है.'
कमलनाथ सरकार पर सीधे तौर पर उंगली उठाने वाली मायावती की ये बातें सीधे तौर पर धमकी समझी जा सकती हैं. क्योंकि मध्यप्रदेश में बसपा कांग्रेस की सरकार को समर्थन दे रही है. मायावती ने कांग्रेस को मध्य प्रदेश और राजस्थान में बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मध्यप्रदेश में 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. और बीजेपी के हिस्से 109 सीटें आई थीं. तब कांग्रेस को बसपा के 2, सपा के 1 और 4 निर्दलीय विधायकों ने सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दिया था. बावजूद इसके, कांग्रेस सरकार में सपा या बसपा के किसी भी विधायक को कोई मंत्री पद नहीं मिला. जाहिर है कांग्रेस की सरकार के खिलाफ खरी-खरी सुनाने के लिए ये वजह काफी है.