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2019 के लिए क्या तनाव के घोड़े पर सवार होगी बीजेपी?

    • गिरिजेश वशिष्ठ
    • Updated: 17 फरवरी, 2018 02:48 PM
  • 17 फरवरी, 2018 02:48 PM
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खुद बीजेपी अभी सामने नहीं आ रही है, लेकिन छिटपुट संगठनों के बैनर पर देश भर में यात्राएं निकालने का प्लान है. यात्रा शांति से गुजर जाएगी तो मज़ा कम आएगा, इसलिए थोड़ा मिर्च मसाला होगा और साथ में होगा तनाव, विवाद और बहस मुसाहिबे की राजनीति.

नीरव मोदी मामला सामने आने के बाद इस बात की आशंका बढ़ गई है कि राम मंदिर के लिए आंदोलन और तेज हो जाए. जानकारों का मानना है कि 2019 में मोदी की सरकार को वापस लाना है तो यही एक रास्ता बचा है. खुद बीजेपी अभी सामने नहीं आ रही है, लेकिन छिटपुट संगठनों के बैनर पर देश भर में यात्राएं निकालने का प्लान है. हालात ये हैं कि महाराष्ट्र से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. महाराष्ट्र के एक कथित धार्मिक संगठन श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसायटी और विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों के नेता रथयात्रा शुरू कर चुके हैं.

बीते मंगलवार को अयोध्या में इसका विधिवत उद्घाटन हुआ. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ने झंडी दिखाकर इसे रवाना किया. दिलचस्प बात है कि यह यात्रा कर्नाटक सहित कुछ अन्य राज्य विधानसभाओं के चुनाव से ऐन पहले शुरू की गई है. देश में सन् 2019 की शुरुआत में देश में लोकसभा चुनाव हैं. यात्रा के लिए रास्ता भी वो चुना गया है जो वोट के हिसाब से मुफीद हो. ऐसे राज्यों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक और केरल प्रमुख हैं. जाहिर बात है जब यात्रा शांति से गुजर जाएगी तो मज़ा कम आएगा, इसलिए थोड़ा मिर्च मसाला होगा और साथ में होगा तनाव, विवाद और बहस मुसाहिबे की राजनीति.

2019 के लिए बीजेपी का यही राजनीतिक मंत्र है जो नीरव मोदी से लेकर हर तनाव से राहत दिलाएगा. बवाल हो इसलिए. कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों से गुजरने के लिये यात्रा के आयोजकों ने अभी तक कोई आधिकारिक मंजूरी नहीं ली है. यानी मंजूरी को लेकर भी विवाद का पूरा इंतजाम.

यात्रा निकलती है तो कासगंज भी बनने की पूरी गुंजाइश बनती है. इसलिए कुछ लोग चाहेंगे कि कहीं न कहीं कुछ विवाद हो ही जाए. आपको याद होगा अडवाणी की रथयात्रा जब हुई थी तो जहां-जहां से गुजरी थोड़ा कम या ज्यादा तनाव बिखेरती चली गई.

उसके पहले और बाद में देश के कई हिस्सों में...

नीरव मोदी मामला सामने आने के बाद इस बात की आशंका बढ़ गई है कि राम मंदिर के लिए आंदोलन और तेज हो जाए. जानकारों का मानना है कि 2019 में मोदी की सरकार को वापस लाना है तो यही एक रास्ता बचा है. खुद बीजेपी अभी सामने नहीं आ रही है, लेकिन छिटपुट संगठनों के बैनर पर देश भर में यात्राएं निकालने का प्लान है. हालात ये हैं कि महाराष्ट्र से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. महाराष्ट्र के एक कथित धार्मिक संगठन श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसायटी और विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों के नेता रथयात्रा शुरू कर चुके हैं.

बीते मंगलवार को अयोध्या में इसका विधिवत उद्घाटन हुआ. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ने झंडी दिखाकर इसे रवाना किया. दिलचस्प बात है कि यह यात्रा कर्नाटक सहित कुछ अन्य राज्य विधानसभाओं के चुनाव से ऐन पहले शुरू की गई है. देश में सन् 2019 की शुरुआत में देश में लोकसभा चुनाव हैं. यात्रा के लिए रास्ता भी वो चुना गया है जो वोट के हिसाब से मुफीद हो. ऐसे राज्यों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक और केरल प्रमुख हैं. जाहिर बात है जब यात्रा शांति से गुजर जाएगी तो मज़ा कम आएगा, इसलिए थोड़ा मिर्च मसाला होगा और साथ में होगा तनाव, विवाद और बहस मुसाहिबे की राजनीति.

2019 के लिए बीजेपी का यही राजनीतिक मंत्र है जो नीरव मोदी से लेकर हर तनाव से राहत दिलाएगा. बवाल हो इसलिए. कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों से गुजरने के लिये यात्रा के आयोजकों ने अभी तक कोई आधिकारिक मंजूरी नहीं ली है. यानी मंजूरी को लेकर भी विवाद का पूरा इंतजाम.

यात्रा निकलती है तो कासगंज भी बनने की पूरी गुंजाइश बनती है. इसलिए कुछ लोग चाहेंगे कि कहीं न कहीं कुछ विवाद हो ही जाए. आपको याद होगा अडवाणी की रथयात्रा जब हुई थी तो जहां-जहां से गुजरी थोड़ा कम या ज्यादा तनाव बिखेरती चली गई.

उसके पहले और बाद में देश के कई हिस्सों में भारी तनाव पैदा हुआ. दंगे हुए और कइयों की जान गई. बाद में अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया और सुरक्षा एजेंसियां देखती रह गईं. क्या गारंटी है कि राम मंदिर के नाम पर आयोजित यह नई रामराज्य रथ यात्रा समाज के सद्भाव और शांति-व्यवस्था को नहीं तोड़ेगी?

जाने माने पत्रकार उर्मिलेश लिखते हैं कि सब कुछ खास संकेत दे रहा है. रामराज्य रथ यात्रा सिर्फ अकेली नहीं है. बल्कि बुधवार को दिल्ली से एक और रथयात्रा निकाली गई. हरी झंडी के बजाय भगवा झंडा दिखाकर इसे देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इंडिया गेट से रवाना किया. दूसरी रथ यात्रा का नाम हैः जल-मिट्टी रथ यात्रा. देश के कोने-कोने से यह रथ-यात्रा जल और मिट्टी लेकर फिर दिल्ली आयेगी, जहां 18 से 25 मार्च के बीच लालकिले पर महायज्ञ होगा. महायज्ञ का नाम हैः राष्ट्र रक्षा महायज्ञ. देश की रक्षा करने में पता नहीं क्यों इन लोगों को सेना कमज़ोर लगती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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