भाजपा पार्टी के बारे में सोचते ही सबसे पहले क्या ध्यान आता है? नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, गाय? या फिर कमल का फूल और भगवा रंग? पर क्या कभी आप सोच सकते हैं कि भाजपा भगवा रंग का साथ छोड़ देगी? ये मामला है कश्मीर का जहां पर भाजपा प्रत्याशी ने हरा रंग अपना लिया है. शेख खालिद जहांगीर जो श्रीनगर से भाजपा प्रत्याशी हैं उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में पूरी तरह से हरे रंग का इस्तेमाल किया है. हरे रंग का विज्ञापन देखकर ऐसा लग रहा है जैसे ये भाजपा का कैंपेन हो ही नहीं.
अखबार से लेकर पैम्प्लेट तक हर जगह 'खालिद है तो सॉलिड है' जैसे बोल्ड कैप्शन अंग्रेजी और उर्दू में लिखे हुए हैं. इसी के साथ पीएम मोदी की तस्वीर भी लगी हुई है. कैप्शन लिखा है. 'कश्मीर के विकास के लिए खालिद को वोट करें.'
विज्ञापन पूरा हरे रंग में रंगा हुआ था. भाजपा का कमल जो हमेशा भगवा रंग का दिखता है उसे सफेद और काले रंग में दिखाया गया है. नीचे उर्दू में लिखा हुआ है पामपोश को वोट दो (कमल को वोट दो).
हरा रंग इस्लाम से जोड़कर देखा जाता है हमेशा से ही भाजपा हरे रंग पर अघोषित हमला बोलती रही है. यहां तक कि राहुल गांधी की रैली में IML के झंडो को लेकर भी भाजपा के कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. ऐसे में कश्मीर में भगवा का साथ छोड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी के बारे में आखिर क्यों नहीं कुछ कहा जा रहा है? भाजपा को हमेशा कट्टर हिंदूवादी पार्टी माना जाता है और ऐसे में खालिद का हरा पर्चा कुछ हजम नहीं हो रहा है.
कश्मीर में मुसलमानों को खुश करना है भाजपा की जरूरत..
खालिद कश्मीर में कुछ बेहद भरोसेमंद लोगों में से एक हैं जिन्हें दिल्ली से भी भाजपा का सपोर्ट मिला हुआ है. खालिद सिर्फ हरे रंग पर ही नहीं रुके और वो अलग-अलग तरह के धार्मिक तरीके अपना रहे हैं जिससे कश्मीर में वोटरों को लुभाया जा सके. हाल ही में खालिद सोशल मीडिया के जरिए लोगों को ये बता रहे थे कि वो चरारी शफीफ दरगाह गए थे. ये दरगाह शेख नूर-उद्दीन-नूरानी की है जिन्हें कश्मीर में कई लोग मानते...
भाजपा पार्टी के बारे में सोचते ही सबसे पहले क्या ध्यान आता है? नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, गाय? या फिर कमल का फूल और भगवा रंग? पर क्या कभी आप सोच सकते हैं कि भाजपा भगवा रंग का साथ छोड़ देगी? ये मामला है कश्मीर का जहां पर भाजपा प्रत्याशी ने हरा रंग अपना लिया है. शेख खालिद जहांगीर जो श्रीनगर से भाजपा प्रत्याशी हैं उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में पूरी तरह से हरे रंग का इस्तेमाल किया है. हरे रंग का विज्ञापन देखकर ऐसा लग रहा है जैसे ये भाजपा का कैंपेन हो ही नहीं.
अखबार से लेकर पैम्प्लेट तक हर जगह 'खालिद है तो सॉलिड है' जैसे बोल्ड कैप्शन अंग्रेजी और उर्दू में लिखे हुए हैं. इसी के साथ पीएम मोदी की तस्वीर भी लगी हुई है. कैप्शन लिखा है. 'कश्मीर के विकास के लिए खालिद को वोट करें.'
विज्ञापन पूरा हरे रंग में रंगा हुआ था. भाजपा का कमल जो हमेशा भगवा रंग का दिखता है उसे सफेद और काले रंग में दिखाया गया है. नीचे उर्दू में लिखा हुआ है पामपोश को वोट दो (कमल को वोट दो).
हरा रंग इस्लाम से जोड़कर देखा जाता है हमेशा से ही भाजपा हरे रंग पर अघोषित हमला बोलती रही है. यहां तक कि राहुल गांधी की रैली में IML के झंडो को लेकर भी भाजपा के कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. ऐसे में कश्मीर में भगवा का साथ छोड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी के बारे में आखिर क्यों नहीं कुछ कहा जा रहा है? भाजपा को हमेशा कट्टर हिंदूवादी पार्टी माना जाता है और ऐसे में खालिद का हरा पर्चा कुछ हजम नहीं हो रहा है.
कश्मीर में मुसलमानों को खुश करना है भाजपा की जरूरत..
खालिद कश्मीर में कुछ बेहद भरोसेमंद लोगों में से एक हैं जिन्हें दिल्ली से भी भाजपा का सपोर्ट मिला हुआ है. खालिद सिर्फ हरे रंग पर ही नहीं रुके और वो अलग-अलग तरह के धार्मिक तरीके अपना रहे हैं जिससे कश्मीर में वोटरों को लुभाया जा सके. हाल ही में खालिद सोशल मीडिया के जरिए लोगों को ये बता रहे थे कि वो चरारी शफीफ दरगाह गए थे. ये दरगाह शेख नूर-उद्दीन-नूरानी की है जिन्हें कश्मीर में कई लोग मानते हैं.
खालिद का कहना है कि वो रंगों से जुड़ी राजनीति का साथ नहीं देते, लेकिन उनके कैंपेनिंग के तरीके कुछ अलग ही कह रहे हैं.
अन्य राज्यों में पाकिस्तान दुश्मन और कश्मीर में दोस्त?
जहां एक ओर भाजपा के वादों में पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने की बात कही जाती है. और पूरे भारत में होने वाली कैंपेनिंग में पाकिस्तान के खिलाफ भाषण दिए जा रहे हैं वहीं भाजपा का कश्मीरी प्रत्याशी कहता है कि उसे पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते बनाने हैं. भाजपा के दक्षिण कश्मीरी प्रत्याशी सोफी यूसुफ जो अनंतनाग से चुनाव लड़ रहे हैं उनका कहना है कि वो पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते चाहते हैं.
दक्षिण कश्मीर में पाकिस्तान को लेकर कश्मीरियों की अलग धारणा है और ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की भी अलग धारणा हो गई है. ये वहां के मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए ही है.
भाजपा हिंदू भाषी राज्यों में जहां भाजपा की एक तय रणनीति रहती है वहीं भाजपा अन्य प्रदेशों में 'रंग' ही बदल लेती है. ये मोदी और शाह की राजनीति से परे वादे हैं.
नॉर्थ ईस्ट में बीफ से कोई आपत्ती नहीं, उत्तर प्रदेश में गाय के कत्ल..
भाजपा के लिए जितना कमल जरूरी है उतनी ही गौ माता. कम से कम हिंदी भाषी क्षेत्रों में तो ऐसा ही है. लेकिन जब यही भाजपा नॉर्थ ईस्ट में जाती है तो बात दूसरी हो जाती है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में मनीपुर के बीरेन सिंह को असली चौकीदार बताया है. अगर नाम याद हो तो ये वही बीरेन सिंह हैं जिन्होंने विधानसभा चुनावों के समय कहा था कि भाजपा को बीफ से समस्या नहीं है. नॉर्थ ईस्ट के लोग बीफ खाते हैं और भाजपा को इससे कोई दिक्कत नहीं है. उनका कहना था कि भाजपा ने कभी बीफ बैन करने की बात नहीं कही.
अब क्या ये दोहरा मापदंड नहीं है पार्टी का जहां उत्तर प्रदेश में गौरक्षक गाय और बीफ के नाम पर हत्या कर देते हैं वहीं भाजपा का नेता नॉर्थ ईस्ट में इसे संस्कृति बताता है.
कांग्रेस को परिवारवाद का ताना देने वाली भाजपा का गोवा में वंशवाद..
भाजपा ने हमेशा ही कांग्रेस को परिवारवाद का ताना दिया है और गोवा में खुद ही वंशवाद का सहारा लिया है. गोवा में भाजपा के पूर्व नेताओं के बच्चे अपने परिवार की सीटों पर हक जता रहे हैं. पूर्व चीफ मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर की सीट से पनजी के लिए भाजपा ने अगला MLA उत्पल पर्रिकर चुना है.
इसी के साथ, भाजपा ने पूर्व डिप्टी सीएम फ्रांसिस डि सूजा के बेटे जॉशुआ को मापुसा उपचुनाव लड़वाया. कांग्रेस के ट्राजानो डिमैलो ने भाजपा पर ये इल्जाम लगाया है कि वो भले ही परिवारवाद के लिए कांग्रेस को दोष दे, लेकिन परिवारवाद तो अन्य पार्टियों में भी है और गोवा में तो भाजपा ने ये साबित कर दिया.
हाजी अली में महिलाओं का आना सही, लेकिन सबरीमला में गलत..
भाजपा का दोहरा मापदंड केरल और महाराष्ट्र में भी दिखा था. 2016 में जब मुंबई हाईकोर्ट ने महिलाओं का हाजी अली में जाना मंजूर कर दिया था तब मुस्लिम समाज के विरोध के बाद भी भाजपा ने इस बात का समर्थन किया था. भाजपा के श्रीकांत शर्मा ने कहा था कि मुस्लिम महिलाएं इस बात के लिए कई सालों से लड़ रही हैं. यही भाजपा तीन तलाक को लेकर भी मुस्लिम महिलाओं की बराबरी की बात कहती है.
अब बात केरल की जहां चुनावों के तुरंत पहले भाजपा ने अपना स्टैंड ही बदल लिया था. भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह का कहना था कि कोर्ट को संस्कृति के मामलों में दख्ल नहीं देना चाहिए क्योंकि ये धर्म का मामला है. सबरीमला में महिलाओं की एंट्री के मामले में अमित शाह ने कड़ा रुख अपनाया था.
भाजपा के ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जो ये बताते हैं कि जैसा देश - वैसा भेष वाला ताना जो भाजपा कांग्रेस को देती आई है वो खुद इस पार्टी पर भी लागू होती है. राम जेठमलानी मुंबई से भाजपा सांसद होते हुए भी भगवान राम को एक खराब पति कह सकते हैं जब्कि राम और राम मंदिर भाजपा का बहुत अहम मुद्दा रहा है. ऐसे मामले ही बताते हैं कि अलग-अलग राज्यों में जाकर भाजपा का रंग बदल जाता है.
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