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बीजेपी-जेडीयू में संसद में हुआ टकराव महज धुआं था, आग बिहार में लगी है!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 16 दिसम्बर, 2021 06:38 PM
  • 16 दिसम्बर, 2021 06:38 PM
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बिहार (Bihar Special Package) को लेकर बीजेपी और जेडीयू में तल्खी क्यों बढ़ी हुई है - और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के तेवर ऐसे क्यों नजर आ रहे हैं कि वो बीजेपी की डिप्टी सीएम रेनू देवी (Renu Devi) को लेकर भी कहने लगे हैं कि वो जानती ही क्या हैं? क्या नीतीश कुमार कोई नयी खिचड़ी पका रहे हैं?

'बिहार में बहार है', 2020 का विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद से ही ये नारा बदल चुका है, अब तो लगता है जैसे नारा होना चाहिये - बिहार में बवाल है. नौबत ये आ चुकी है कि एनडीए के भीतर संघर्ष का नया दौर बिहार में शुरू हो चुका है. न जाने ऐसे कितने मुद्दे हो गये हैं जिनको लेकर बीजेपी और जेडीयू आमने सामने होकर दो-दो हाथ करने लगे हैं.

अभी संसद में बिहार सरकार के कामकाज को लेकर बीजेपी और जेडीयू के सांसद आपस में भिड़े ही, जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बीजेपी की तरफ से मोर्चा संभाला तो मुकाबले में जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह खड़े हो गये - हालांकि, ललन सिंह का भी लहजा शिकायती ही था, तेवर भी कोई नरम नहीं थे.

हरियाणा की तरह खुले में नमाज से लेकर बिहार के लिए स्पेशल पैकेज (Bihar Special Package) की डिमांड तक एक जैसी तकरार देखने को मिल रही है - और मौका देख कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बड़े ही सख्त लहजे में रिएक्ट कर रहे हैं - और बीजेपी को घेरने वाले जातीय जनगणना के मुद्दे पर तो लगता है जैसे वो विपक्ष से हाथ मिला चुके हों.

कई मुद्दों पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बयानों से भी लगता है जैसे बीजेपी से पूछे बगैर वो किसी खास मुद्दे पर अकेले फैसला लेने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन बीजेपी कोटे से बने मंत्री तो कहने भर के रह गये हैं - नीतीश कुमार के अफसरों के आगे बीजेपी के मंत्री मन मसोस कर रह जाते हैं - क्योंकि आदेश मानने की कौन कहे, अफसर तो जैसे बीजेपी के मंत्रियों की बात भी नहीं सुनते.

बिहार की डिप्टी सीएम रेनू देवी (Renu Devi) को लेकर नीतीश कुमार का जो रिएक्शन आया है, वो तो काफी अजीब लगता है - क्या नीतीश कुमार किसी नयी रणनीति पर काम कर रहे हैं और फिर से एनडीए छोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं?...

'बिहार में बहार है', 2020 का विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद से ही ये नारा बदल चुका है, अब तो लगता है जैसे नारा होना चाहिये - बिहार में बवाल है. नौबत ये आ चुकी है कि एनडीए के भीतर संघर्ष का नया दौर बिहार में शुरू हो चुका है. न जाने ऐसे कितने मुद्दे हो गये हैं जिनको लेकर बीजेपी और जेडीयू आमने सामने होकर दो-दो हाथ करने लगे हैं.

अभी संसद में बिहार सरकार के कामकाज को लेकर बीजेपी और जेडीयू के सांसद आपस में भिड़े ही, जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बीजेपी की तरफ से मोर्चा संभाला तो मुकाबले में जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह खड़े हो गये - हालांकि, ललन सिंह का भी लहजा शिकायती ही था, तेवर भी कोई नरम नहीं थे.

हरियाणा की तरह खुले में नमाज से लेकर बिहार के लिए स्पेशल पैकेज (Bihar Special Package) की डिमांड तक एक जैसी तकरार देखने को मिल रही है - और मौका देख कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बड़े ही सख्त लहजे में रिएक्ट कर रहे हैं - और बीजेपी को घेरने वाले जातीय जनगणना के मुद्दे पर तो लगता है जैसे वो विपक्ष से हाथ मिला चुके हों.

कई मुद्दों पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बयानों से भी लगता है जैसे बीजेपी से पूछे बगैर वो किसी खास मुद्दे पर अकेले फैसला लेने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन बीजेपी कोटे से बने मंत्री तो कहने भर के रह गये हैं - नीतीश कुमार के अफसरों के आगे बीजेपी के मंत्री मन मसोस कर रह जाते हैं - क्योंकि आदेश मानने की कौन कहे, अफसर तो जैसे बीजेपी के मंत्रियों की बात भी नहीं सुनते.

बिहार की डिप्टी सीएम रेनू देवी (Renu Devi) को लेकर नीतीश कुमार का जो रिएक्शन आया है, वो तो काफी अजीब लगता है - क्या नीतीश कुमार किसी नयी रणनीति पर काम कर रहे हैं और फिर से एनडीए छोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं? आखिर बिहार में ये कौन सी बहार आयी है जो बवाल मचाये हुए है?

बिहार के लिए विशेष दर्जे पर तीखी तकरार

हाल ही में नीति आयोग की एक रिपोर्ट आयी थी, जिसमें विकास के तमाम पैमानों पर फिसड्डी बताया गया था. रिपोर्ट रिपोर्ट का हवाला देते हुए नीतीश सरकार में मंत्री विजेंद्र यादव ने नीति आयोग को पत्र लिख दिया - पत्र के जरिये बिहार को विशेष दर्जा वाले नीतीश कुमार की पुरानी मांग दोहरायी गयी है.

रेनू देवी को लेकर नीतीश कुमार ने जिस लहजे में रिएक्ट किया है, बीजेपी के लिए चैलेंज जैसा है!

लेकिन जेडीयू कोटे के मंत्री विजेंद्र यादव की बात बीजेपी कोटे से डिप्टी सीएम रेनू देवी काट देती हैं - और ये बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बर्दाश्त नहीं होती. रेनू देवी को लेकर नीतीश कुमार ने जो कुछ कहा है, वैसा पहले भी कम ही सुनने को मिला है. चुनावों के दौरान होने वाली बयानबाजी को छोड़े दें तो बीजेपी की कृपा से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद से तो नीतीश कुमार के मुंह से ऐसी बातें सुनने को नहीं मिली हैं.

1. विशेष पैकेज पर तकरार: बिहार के विशेष दर्जे को लेकर लिखी गयी चिट्ठी पर पूछे गये सवाल पर डिप्टी सीएम रेनू देवी खुद ही पूछने लगती हैं, 'बिहार में विशेष राज्य के दर्जे से ज्यादा पैसा आया है कि नहीं आया है? बिहार में जो बड़े-बड़े पुल पुलिया और सड़क बन रहे हैं, उसका पैसा तो केंद्र सरकार ही दे रही है... विशेष दर्जा कहां महत्व रखता है.... विशेष दर्जे के तहत जो पैसा मिलता है उससे ज्यादा पैसा केंद्र सरकार हमें दे रही है.'

रेनू देवी की बातें सुन कर तो लगता है जैसे नीतीश कुमार को आग लग जाती है और भड़ास निकालने का बहाना ढूंढने लगते हैं. रेनू देवी का बयान याद दिलाते ही नीतीश कुमार आपे से बाहर हो जाते हैं, 'उप मुख्यमंत्री को कुछ नहीं पता... वो आएंगी तब हम उनसे पूछेंगे. नीति आयोग को जो पत्र लिखा गया है वो सरकार की तरफ से है... ये किसी मंत्री की तरफ से नहीं बल्कि सरकार की तरफ से लिखा गया है - उनको नहीं पता होगा तो बता देंगे.'

2. नीतीश सरकार पर संसद में तू-तू, मैं-मैं: आरजेडी छोड़ कर बीजेपी में आये और पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहे राम कृपाल यादव भरी संसद में नीतीश सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े कर देते हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कराये जाने वाले काम पर बीजेपी सांसद का सवाल होता है - अब तक काम पूरा क्यों नहीं हुआ है जबकि बाकी राज्य आगे हैं?

सवाल बीजेपी के सांसद पूछते हैं और जवाब भी बीजेपी के वही मंत्री देते हैं जो खुद भी बिहार से आते हैं और नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी रहे हैं - गिरिराज सिंह. आंकड़ों के जरिये साबित करने लगते हैं कि नीतीश सरकार लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम रही है.

काउंटर अटैक के लिए जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार खड़े होते हैं और गिरिराज सिंह से पूछने लगते हैं कि राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ टारगेट पूरे करने को लेकर वो कोई मीटिंग भी किये हैं क्या?

कौशलेंद्र के सवाल पर गिरिराज सिंह के जवाब के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह मोर्चा संभालते हैं, 'केंद्र के साथ-साथ बिहार में भी एनडीए सरकार चला रहा है. आप बिहार से हैं... मैं बिहार से हूं... आपने कभी राज्य सरकार और अधिकारियों के साथ मुद्दे को सुलझाने के लिए कभी बैठक बुलायी क्या?'

ललन सिंह के सवाल का भी गिरिराज सिंह जवाब देते हैं, लेकिन बिहार की 'तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में' वाली स्थिति की भी झलक दिखायी देती है - साफ साफ समझ आ जाता है कि बिहार में सरकार जैसे भी चल रही हो, एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.

बीजेपी मंत्रियों की बातें अफसर सुनते नहीं

हाल ही में बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने नौकरशाही को लेकर कड़ी नाराजगी जतायी थी. हुआ ये कि एक ही समय मंत्री जीवेश मिश्रा और पटना के डीएम की गाड़ी एक चौराहे पर पहुंची और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने जीवेश मिश्रा की गाड़ी को रोक दिया.

अगर सिर्फ मंत्री की गाड़ी को रोका होता तो भी शायद वो गुस्से पर काबू कर लेते, लेकिन तभी वो देखते हैं कि उनकी गाड़ी इसलिए रोक दी जाती है क्योंकि पटना के डीएम को रास्ता देना होता है. मंत्री का प्वाइंट इसलिए भी मजबूत होता है क्योंकि वो विधानसभा ही जा रहे होते हैं - वाकये को लेकर बवाल मच जाता है.

जीवेश मिश्रा को तो सड़क पर सबके सामने हुई एक घटना को लेकर शिकायत का मौका भी मिल जाता है और जोर शोर से वो अपनी बात उठाते हैं, लेकन बीजेपी कोटे के उनके साथी मंत्री तो बस मन मसोस कर रह जाते हैं. अनौपचारिक बातचीत में ऐसे कई मंत्री हैं जिनके दिल की बात यूं ही जबान पर आ जाती है - 'हमारी हैसियत तो एक क्लर्क का ट्रांसफर कराने लायक भी नहीं है.'

खुले में नमाज पढ़े जाने का मुद्दा

हरियाणा की तर्ज पर बीजेपी ने बिहार में भी खुले में नमाज पढ़े जाने पर पाबंदी लगाने की मांग की है. हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बयान आया था कि खुले में नमाज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा - लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार में उठ रही ऐसी मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है.

बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर के साथ साथ मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने भी खुले में नमाज पढ़े जाने पर पाबंदी लगाये जाने की मांग की है. अजय निषाद का कहना है कि कहीं भी कोई खुले में नमाज पढ़े ये अच्छी बात नहीं है - नमाज मस्जिद में या अपने घर में पढ़ी जानी चाहिये.

बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर की तो दलील भी अजीब है, '95 फीसदी मुसलमान भारत के हिंदुओं से कनवर्टेड हैं - चाहें तो डीएनए टेस्ट करवा लें. जैसे कहना चाह रहे हों कि उनको तो ऐसी कोई जरूरत भी नहीं होनी चाहिये. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की तरह पाकिस्तान बनाने की साजिश बताते हुए बीजेपी विधायक कहते हैं, बिहार में अगर खुले में और सड़कों पर नमाज होती है तो इस पर प्रतिबंधन लगना चाहिये.

ये सुनते ही नीतीश कुमार अपने पुराने अंदाज में नजर आने लगते हैं, 'कौन पूजा करते रहता है, कौन गाते रहता है... ये सब कोई मुद्दा है क्या? सबका अपना अपना विचार है, मेरे लिए तो सभी लोग एक समान हैं... सभी लोग तो बाहर ही ये सब करते रहते हैं... पता नहीं क्यों इस सब चीजों को मुद्दा बनाया जाता है... मेरे लिए तो इस चीजों का कोई मतलब नहीं है.'

मुकेश सहनी अंगड़ाई लेने लगे हैं

जेडीयू के साथ ही नहीं, एक और गठबंधन सहयोगी VIP के साथ भी बीजेपी नेताओं की तकरार शुरू हो चुकी है. नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी हाल फिलहाल यूपी चुनाव में खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं और ऐसा लगता है बीजेपी को ये भी नहीं सुहा रहा है, जबकि मुकेश सहनी एनडीए में बीजेपी से जुड़े हैं, जीतनराम मांझी की तरह नीतीश कुमार से नहीं.

मुकेश सहनी ने अजय निषाद के एक बयान पर बोल दिया था कि वो दूसरे के इशारों पर भौंकते हैं. फिर क्या था, अजय निषाद ने कह दिया, भाजपा के कार्यकर्ता भौंकते नहीं दहाड़ते हैं. यूपी चुनावों में मुकेश सहनी की सक्रियता को लेकर दोनों के बीच बयानबाजी के कई दौर हो चुके हैं.

अजय निषाद तो मुकेश सहनी को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माफी मांगने के लिए कह चुके हैं, 'अगर भाजपा में रहना है तो योगी जिंदाबाद बोलना पड़ेगा... नहीं बोलेंगे तो फिर उनको समझ में आ जाएगा.'

बीजेपी सांसद रुकते नहीं, सीधे सीधे धमकी भी दे डालते हैं, 'अगर उनके रवैये में सुधार नहीं हुआ तो अगले चुनाव में भाजपा को उनके बारे में सोचना पड़ेगा.'

ये तकरार क्या रंग लेता है वो तो अगले विधानसभा उपचुनाव में देखने को मिलने वाला है. बोचहां के विधायक मुसाफिर पासवान की लंबी बीमारी के बाद निधन से बोचहां सीट खाली हो गयी है. मुसाफिर पासवान वीआईपी के विधायक थे, इसलिए उस सीट पर आगे भी हक तो मुकेश सहनी का ही बनता है - लेकिन बीजेपी नेता जिस तरीके से हमलावर हैं, लगता नहीं कि मामला शांत होने वाला है.

जातीय जनगणना की मुहिम जारी है

नीतीश कुमार को अच्छी तरह पता है कि जातीय जनगणना को लेकर मोदी सरकार तैयार नहीं होने वाली, लेकिन उनकी मुहिम जारी है. ये ऐसा मुद्दा है कि नीतीश कुमार को राजनीतिक विरोधी आरजेडी का भी सपोर्ट हासिल है.

नीतीश कुमार ने फिर से जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलायी है. इसे लेकर नीतीश कुमार बिहार के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मीटिंग भी कर चुके हैं. मीटिंग में नीतीश कुमार के साथ विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तो थे ही, बीजेपी को भी एक प्रतिनिधि मजबूरन भेजना पड़ा था - बिहार के डीएनए का सवाल जो रहा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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