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बीजेपी को अगडों पर भरोसा, जेडीयू ने पिछडों पर किया विश्वास...क्या होगी नैय्या पार?

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 23 मार्च, 2019 06:42 PM
  • 23 मार्च, 2019 06:42 PM
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बिहार में एनडीए के उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. बीजेपी ने जहां अपने परम्परागत उंची जाति के उम्मीदवारों पर दाव लगाया है तो जेडीयू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों पर भरोसा किया है.

बिहार में लोकसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प लडाई पटना साहिब में होने वाली है बीजेपी ने वर्तमान सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पर बिना कोई कार्रवाई किए उन्हे बेटिकट कर दिया और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान मे उतारा है. कहा जाता है कि पटना साहिब बीजेपी के लिए सबसे सेफ सीट है लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा यहां से कांग्रेस की टिकट पर रविशंकर प्रसाद के खिलाफ ताल ठोकने की तैयारी में हैं. संभवतः रविवार को वो कांग्रेस ज्वाइन भी कर सकते हैं. शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से दो बार सांसद रहे लेकिन 2014 में चुनाव जीतने के एक साल बाद से ही वो अपनी पार्टी को निशाना बनाते रहे हैं लेकिन पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि दरभंगा से बीजेपी के सांसद रहे कर्ति आजाद पर कार्रवाई करने में जरा भी देरी नहीं की. इसकी वजह है शत्रुघ्न सिन्हा का कद. अगर पार्टी उन्हें शहीद करती तो वो इसका राजनैतिक फायदा ले सकते थे. कायस्थ बहुल पटना साहिब में आमने-सामने दो कायस्थ नेता होंगे- एक बिहारी बाबू हैं तो दूसरे केन्द्रीय मंत्री के रूप में अपनी धाक जमा चुके हैं.

बिहार में एनडीए ने 40 में 39 लोकसभा चुनाव क्षेत्र के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. बीजेपी ने जहां अपने परम्परागत उंची जाति के उम्मीदवारों पर दाव लगाया है तो जेडीयू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों पर भरोसा किया है. पूरे एनडीए की बात करें तो 13 ऊंची जाति के उम्मीदवारों को टिकट से नवाजा गया है. जबकि 20 सीटों पर पिछड़े और अति पिछड़ी जाति के उम्मीदवार मैदान में ताल ठोक रहे हैं. अल्पसंख्यक वोट बैंक पर एनडीए का कम ही भरोसा है. सिर्फ एक टिकट जेडीयू ने किशनगंज से दिया है.

उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल...

बिहार में लोकसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प लडाई पटना साहिब में होने वाली है बीजेपी ने वर्तमान सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पर बिना कोई कार्रवाई किए उन्हे बेटिकट कर दिया और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान मे उतारा है. कहा जाता है कि पटना साहिब बीजेपी के लिए सबसे सेफ सीट है लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा यहां से कांग्रेस की टिकट पर रविशंकर प्रसाद के खिलाफ ताल ठोकने की तैयारी में हैं. संभवतः रविवार को वो कांग्रेस ज्वाइन भी कर सकते हैं. शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से दो बार सांसद रहे लेकिन 2014 में चुनाव जीतने के एक साल बाद से ही वो अपनी पार्टी को निशाना बनाते रहे हैं लेकिन पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि दरभंगा से बीजेपी के सांसद रहे कर्ति आजाद पर कार्रवाई करने में जरा भी देरी नहीं की. इसकी वजह है शत्रुघ्न सिन्हा का कद. अगर पार्टी उन्हें शहीद करती तो वो इसका राजनैतिक फायदा ले सकते थे. कायस्थ बहुल पटना साहिब में आमने-सामने दो कायस्थ नेता होंगे- एक बिहारी बाबू हैं तो दूसरे केन्द्रीय मंत्री के रूप में अपनी धाक जमा चुके हैं.

बिहार में एनडीए ने 40 में 39 लोकसभा चुनाव क्षेत्र के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. बीजेपी ने जहां अपने परम्परागत उंची जाति के उम्मीदवारों पर दाव लगाया है तो जेडीयू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों पर भरोसा किया है. पूरे एनडीए की बात करें तो 13 ऊंची जाति के उम्मीदवारों को टिकट से नवाजा गया है. जबकि 20 सीटों पर पिछड़े और अति पिछड़ी जाति के उम्मीदवार मैदान में ताल ठोक रहे हैं. अल्पसंख्यक वोट बैंक पर एनडीए का कम ही भरोसा है. सिर्फ एक टिकट जेडीयू ने किशनगंज से दिया है.

उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है

महिला आरक्षण की हिमायती एनडीए की तीन पार्टियों ने केवल तीन महिलाओं को टिकट से नवाजा है. 13 उंची जातियों में सबसे ज्यादा 7 सीटें राजपूत कोटे में गई हैं जिसमें से पांच बीजेपी ने तथा जेडीयू और एलजेपी ने एक एक सीट दी है. भूमिहारों को 3 सीटें मिली हैं तीनों पार्टियों ने एक एक सीट दी है. 2 ब्राह्मणों को बीजेपी ने टिकट दिया है. जेडीयू और एलजेपी ने एक भी ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया. एक कायस्थ रविशंकर प्रसाद को बीजेपी ने टिकट दिया है. बिहार में 6 सीटें सुरक्षित हैं जिनपर दलित उम्मीदवार हैं. इनमें से तीन एलजेपी दो पर जेडीयू और बीजेपी और एक सीट पर चुनाव लड रहे हैं.

बिहार में केन्द्रीय मंत्रियों को लेकर कई बार आशंका जताई जाती रही कि उनका टिकट कट सकता है, लेकिन बीजेपी ने सबसे पहले ये क्लियर कर दिया कि जो भी केन्द्रीय मंत्री हैं वो बेटिकट नही होंगे. हां गिरिराज सिंह की सीट जरूर कटी. उन्हें नवादा के बदले बेगूसराय से चुनाव लड़ना होगा. यहां तक कि बीच कार्यकाल में ड्राप किए गए राजीव प्रताप रूडी को भी पार्टी ने फिर से सारण से टिकट दे दिया है. बीजेपी ने सिर्फ तीन परिवर्तन किए हैं जिसमें से एक दरभंगा सीट है जहां से गोपालजी ठाकुर को कीर्ति आजाद के बदले उम्मीदवार बनाया तो दूसरा मधुबनी है जहां से सांसद रहे हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव को पार्टी ने टिकट दिया है और तीसरा क्षेत्र है पटना साहिब जहां रविशंकर प्रसाद और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच लड़ाई होने की पूरी उम्मीद है.

जेडीयू की बात करें तो 2014 के चुनाव में उसके दो सीटिंग सांसद थे. इस बार दोनों को फिर से टिकट मिला है. पार्टी ने दो उंची जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिसमें से एक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नजदीकी रहे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को मुंगेर से उम्मीवार बनाया गया है, तो दूसरी कविता सिंह जिन्हें सीवान से उम्मीदवार बनाया है. मुंगेर सीट पहले एलजेपी के पास थी जहां से वीणा देवी सासंद रहीं, लेकिन जेडीयू को मुगेंर सीट देने के लिए वीणा देवी को नवादा शिफ्ट किया गया. और नवादा के सांसद रहे गिरिराज सिंह को बेगूसराय शिफ्ट होना पडा. लेकिन जब उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई तो उसमें वीणा देवी का नाम नहीं था बल्कि उनकी जगह पर उनके देवर चंदन कुमार को नवादा से एलजेपी से टिकट दिया गया हैं. ये परिवर्तन आखिरी मौके पर किया गया क्योंकि वीणा देवी नवादा में प्रचार भी शुरू कर चूकी थीं. लेकिन आखिरी मौके पर उनका टिकट क्यों कटा ये कहना मुश्किल है.

महागठबंधन ने सीटें तो आपस में बांट ली हैं लेकिन अभी तक कौन कहां से लडेगा इसपर फैसला नहीं किया है. हांलाकि पहले चरण के बिहार के चार लोकसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों की घोषणा महागठबंधन ने कर दी है. जिसमें से नवादा सीट आरजेडी की विभा देवी को दी गई है. विभा देवी आरजेडी के बलात्कार मामले में सजायफ्ता विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं. दो सीट औरंगाबाद और गया हम पार्टी के पास हैं जबकि जमूई पर आरएलएसपी चुनाव लड रहा है. संभवतः रविवार को एनडीए के उम्मीदवारों की सूची देखकर महागठबंधन अपनी सीटों का ऐलान कर सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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