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गुजरात में बीजेपी के काउंटर कैंपेन से बैकफुट पर कांग्रेस

    • आईचौक
    • Updated: 12 नवम्बर, 2017 05:50 PM
  • 12 नवम्बर, 2017 05:50 PM
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राहुल गांधी भले समझाएं कि प्रधानमंत्री पद के सम्मान में कैंपेन वापस लिया गया, असल बात तो ये है कि बीजेपी ने जो चाल चली थी कांग्रेस उसमें फंस गयी और मजबूरन उसे पीछे हटना पड़ा.

क्या बीजेपी का सोशल मीडिया कैंपेन कांग्रेस पर भारी पड़ने लगा है? क्या बीजेपी के काउंटर कैंपेन के चलते ही कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले से बचने का फैसला करना पड़ा है? या फिर हकीकत ये है कि बीजेपी की रणनीति में फंस कर कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा है.

राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए ये फैसला किया. सवाल ये है कि हाल तक जब वो जगह जगह प्रधानमंत्री को झूठा बता रहे थे, उस वक्त गरिमा का ध्यान क्यों नहीं रहा?

गरिमा के ख्याल में इतनी देर क्यों?

राहुल गांधी अक्सर अपनी कई बातें शेयर करते रहते हैं. वो खुद ही बता चुके हैं कि उनका भाषण कोई और लिखता है, अब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल की भी सच्चाई साझा की है. राहुल गांधी का कहना है कि पॉलिटिकल लाइन तो उनकी होती है, बाकी ट्वीट उनकी टीम करती है.

साथ ही, राहुल गांधी ने कांग्रेस के सबसे चर्चित कैंपेन 'विकास गांडो थयो छे' के बारे में भी बताया है - और ये भी कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर निजी हमले से परहेज करने का फैसला क्यों किया.

...ताकि प्रधानमंत्री पद का सम्मान बना रहे!

राहुल गांधी ने बताया ऐसा उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखने के लिए किया. वो हिंदुस्तान की जनता को रिप्रजेंट करते हैं - उनकी रिस्पेक्ट करेंगे.

राहुल ने खुद भी इस बारे में तस्वीर साफ की, 'मैंने प्रधानमंत्री पद का अपमान न करने के निर्देश दिए. मैंने टीम को कहा कि हम वो नहीं करेंगे जो वो (मोदी जी) मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उनके लिए करते थे.' इस बारे में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बताया, 'राहुल गांधी ने मुझे लिखकर निजी हमले नहीं करने के लिए कहा, जिसके बाद हमने अपनी टीम को 'विकास गांडो...

क्या बीजेपी का सोशल मीडिया कैंपेन कांग्रेस पर भारी पड़ने लगा है? क्या बीजेपी के काउंटर कैंपेन के चलते ही कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले से बचने का फैसला करना पड़ा है? या फिर हकीकत ये है कि बीजेपी की रणनीति में फंस कर कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा है.

राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए ये फैसला किया. सवाल ये है कि हाल तक जब वो जगह जगह प्रधानमंत्री को झूठा बता रहे थे, उस वक्त गरिमा का ध्यान क्यों नहीं रहा?

गरिमा के ख्याल में इतनी देर क्यों?

राहुल गांधी अक्सर अपनी कई बातें शेयर करते रहते हैं. वो खुद ही बता चुके हैं कि उनका भाषण कोई और लिखता है, अब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल की भी सच्चाई साझा की है. राहुल गांधी का कहना है कि पॉलिटिकल लाइन तो उनकी होती है, बाकी ट्वीट उनकी टीम करती है.

साथ ही, राहुल गांधी ने कांग्रेस के सबसे चर्चित कैंपेन 'विकास गांडो थयो छे' के बारे में भी बताया है - और ये भी कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर निजी हमले से परहेज करने का फैसला क्यों किया.

...ताकि प्रधानमंत्री पद का सम्मान बना रहे!

राहुल गांधी ने बताया ऐसा उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखने के लिए किया. वो हिंदुस्तान की जनता को रिप्रजेंट करते हैं - उनकी रिस्पेक्ट करेंगे.

राहुल ने खुद भी इस बारे में तस्वीर साफ की, 'मैंने प्रधानमंत्री पद का अपमान न करने के निर्देश दिए. मैंने टीम को कहा कि हम वो नहीं करेंगे जो वो (मोदी जी) मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उनके लिए करते थे.' इस बारे में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बताया, 'राहुल गांधी ने मुझे लिखकर निजी हमले नहीं करने के लिए कहा, जिसके बाद हमने अपनी टीम को 'विकास गांडो थयो छे' नारे का इस्तेमाल न करने के निर्देश दिए.'

राहुल गांधी ने बताया कि ऐसा उन्होंने तब किया जब प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के स्लोगन के जवाब में नया नारा देते हुए कहा - 'मैं विकास हूं'.

अब सवाल ये उठता है कि इसी नारे को लेकर प्रधानमंत्री को बार बार झूठा बताना, पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खून की दलाली की बात करना, क्या प्रधानमंत्री पद का अपमान नहीं था?

यही तो बीजेपी की रणनीति रही

गुजरात के मैदान-ए-जंग में राहुल गांधी के उतरने से पहले ही कांग्रेस ने व्यापक इंतजाम कर दिये थे. कांग्रेस का सबसे चर्चित सोशल मीडिया कैंपेन भी इसी का हिस्सा रहा. दरअसल, कांग्रेस ने बीजेपी के विकास के उसी दावे पर चोट करने का फैसला किया जिसे 2014 के आम चुनाव में जोर शोर से प्रचारित किया गया और पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गयी.

कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम ने गुजराती में ही एक स्लोगन गढ़ा था - 'विकास गांडो थयो छे' यानी 'विकास पागल हो गया है'. इसकी चर्चा पूरे गुजरात में तो रही ही दिल्ली और मीडिया के जरिये ये देश के दूसरों हिस्सों में भी चर्चित हो गया. देखते ही देखते इसका ऐसा असर हुआ कि बीजेपी भी दबाव महसूस करने लगी.

फिर खूब सोच समझ कर बीजेपी ने कांग्रेस के स्लोगन की काट में नया नारा गढ़ा - 'हूं छूं विकास, हूं छूं गुजरात'. इसका मतलब हुआ - 'मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं.' इसी नारे के साथ बीजेपी ने गुजरात गौरव यात्रा निकाली जिसमें पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया. जब प्रधानमंत्री मोदी गुजरात गए तो उन्होंने अपने भाषणों में 'मैं गुजरात हूं, मैं विकास हूं' नारे का भरपूर इस्तेमाल किया.

दरअसल, इसके पीछे बीजेपी की बड़ी होशियारी से चाल चली और कांग्रेस उसमें फंस गयी. एक खास रणनीति के तहत बीजेपी ने विकास को गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया. फिर बीजेपी ने लोगों को समझाना शुरू किया कि विकास ही गुजरात है, गुजरात ही विकास का पर्यायवाची है और एक दूसरे के पूरक भी हैं.

बीजेपी के लिए ये समझाना आसान गया क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ गयीं. ऐसे में विकास को पागल बताना सीधे सीधे गुजराती अस्मिता पर प्रहार था - और यही वजह रही कि मजबूरन कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा. कांग्रेस इसे अपने तरीके से समझा सकती है लेकिन बीजेपी अपने मकसद में कामयाब हो चुकी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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