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गुजरात में वोटों के लिए झूठ बोल बैठे डॉ. मनमोहन सिंह ?

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 10 नवम्बर, 2017 03:38 PM
  • 10 नवम्बर, 2017 03:38 PM
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गुजरात में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी पार्टियां इसी कोशिश में हैं कि वो ज्यादा से ज्यादा वोट खींच सकें. इसी क्रम में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने जो किया वो हैरत में डालने वाला था.

कुछ दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के विषय पर, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी कभी उनसे नहीं मिले. दरअसल 6 फ़रवरी 2013 को उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके निवास पर मुलाकात की थी. इस बैठक में नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह को ज्ञापन सौंपा था. इस ज्ञापन में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर करने का आग्रह था. साथ ही नरेंद्र मोदी ने उस बैठक में बांध स्थल पर पुल और फाटकों के निर्माण के लिए मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप की मांग की थी.

मोदी ने कहा था कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई दिसंबर 2006 में 121.92 मीटर तक बढ़ाई गई, जबकि बांध का पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) 138.68 मीटर है. मोदी का तर्क था कि बांध के पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) को बढ़ाने से बांध की भंडारण क्षमता वर्तमान से तीन गुना हो जाएगी. 6.8 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता और लगभग 40% अतिरिक्त बिजली उत्पादन की सुविधा भी हो जाएगी.

गुजरात में वोट लेने के लिए मनमोहन ने कुछ ऐसा कहा कि सभी सकते में आ गए

केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के रहते इस विषय पर कोई काम नहीं हुआ. जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होने अपने कार्यकाल के सत्रहवें दिन ही बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर करने और फाटकों को स्थापित करने की अनुमति दे दी. जो काम राजनीति के चलते सालों से लटका पड़ा था उसे लोगू करने के लिए सिर्फ़ 17 दिन लगे. अपने नींव रखे जाने के करीब 56 साल बाद, सरदार सरोवर बांध का काम पूरा हो पाया, जब नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2017 को इसे देश को समर्पित किया.

मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार यदि राजनीति को पीछे छोड़ गुजरात के विकास के बारे में सोचती तो यह परियोजना उनके कार्यकाल में...

कुछ दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के विषय पर, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी कभी उनसे नहीं मिले. दरअसल 6 फ़रवरी 2013 को उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके निवास पर मुलाकात की थी. इस बैठक में नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह को ज्ञापन सौंपा था. इस ज्ञापन में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर करने का आग्रह था. साथ ही नरेंद्र मोदी ने उस बैठक में बांध स्थल पर पुल और फाटकों के निर्माण के लिए मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप की मांग की थी.

मोदी ने कहा था कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई दिसंबर 2006 में 121.92 मीटर तक बढ़ाई गई, जबकि बांध का पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) 138.68 मीटर है. मोदी का तर्क था कि बांध के पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) को बढ़ाने से बांध की भंडारण क्षमता वर्तमान से तीन गुना हो जाएगी. 6.8 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता और लगभग 40% अतिरिक्त बिजली उत्पादन की सुविधा भी हो जाएगी.

गुजरात में वोट लेने के लिए मनमोहन ने कुछ ऐसा कहा कि सभी सकते में आ गए

केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के रहते इस विषय पर कोई काम नहीं हुआ. जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होने अपने कार्यकाल के सत्रहवें दिन ही बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर करने और फाटकों को स्थापित करने की अनुमति दे दी. जो काम राजनीति के चलते सालों से लटका पड़ा था उसे लोगू करने के लिए सिर्फ़ 17 दिन लगे. अपने नींव रखे जाने के करीब 56 साल बाद, सरदार सरोवर बांध का काम पूरा हो पाया, जब नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2017 को इसे देश को समर्पित किया.

मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार यदि राजनीति को पीछे छोड़ गुजरात के विकास के बारे में सोचती तो यह परियोजना उनके कार्यकाल में ही पूरी हो जाती, लेकिन मनमोहन ने विकास के मुकाबले राजनीति को महत्व दिया. मनमोहन इस बांध का श्रेय नरेंद्र मोदी को नहीं देना चाहते थे शायद तभी इस परियोजना को लटका के रखा गया था.

बात इतने तक ही सीमित रहती तो फिर भी समझ आती, पर मनमोहन सिंह का कहना कि नरेंद्र मोदी मुझ से सरदार सरोवर बांध के विषय पर, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते कभी नहीं मिले. यह बात तो सरासर झूठ है. सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की 5 फ़रवरी 2013 की मुलाकात की खबरों और वीडियों से भरा पड़ा है.

गुजरात चुनाव को सिर पर देख मनमोहन सिंह ने उस मुलाकात से मुकर कर अपना दांव तो चल दिया. लेकिन उनका यही बयान अब सोशल मीडिया पर आलोचना का बायस बन रहा है. उन्हें डर है कि गुजरात की जनता को यह पता न चल जाए कि सरदार सरोवर बांध उनकी राजनीति के कारण इतने सालों तक लटका पड़ा था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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