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गुजरात की बीजेपी पॉलिटिक्‍स का केंद्र बन गया है सौराष्ट्र !

    • गोपी मनियार
    • Updated: 10 अगस्त, 2016 11:06 PM
  • 10 अगस्त, 2016 11:06 PM
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सौराष्ट्र से पहले मुख्यमंत्री और अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह नाराज चल रहे पाटीदारो को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

गुजरात में हाल ही में बने मुख्यमंत्री विजय रुपानी के खास माने जाने वाले और सौराष्ट्र इलाके के पटेल नेता जीतू वघानी को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया.

जीतू वघानी सौराष्ट्र के भावनगर पश्चिम सीट से विधायक हैं और अब वह राज्य में पार्टी के सबसे युवा प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए हैं.

जीतू वघानी शुरू से ही बीजेपी के कार्यकर्ता रहे हैं और पार्टी के युवा मोर्चा में सक्रिय थे. 46 साल के वघानी ने एलएलबी तक कि पढाई कि है. वह सौराष्ट्र के लेउवा पटेल समुदाय से तालुक रखते हे. फिलहाल वह भावनगर पश्चिम से विधायक है.

पहली बार उन्होंने 2007 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडा था लेकिन वह कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल से हार गए थे. हालांकि 2012 के चुनावों में पहली बार उनको सफलता मिली और मनसुख कनाणी को हराकर वह विधानसभा में दाखिल हुए.

इसे भी पढ़ें: क्या विजय रुपानी बन पायेंगे गुजरात के अगले नरेंद्र मोदी!

जीतू वघानी के लिए माना जाता है कि वह युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए नवनियुक्त मुख्यमंत्री विजय रुपानी के साथ-साथ गुजरात से केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के बेहद करीबी हैं.

 जीतू वघानी चुने गए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष

जानकारों कि मानें तो जीतू वघानी के जरीये बीजेपी सौराष्ट्र में खुद को मजबूत करने की कोशिश में है. माना जाता है कि पाटीदार आंदोलन के चलते सौराष्ट्र (जहां सबसे ज्यादा पाटीदार वोटर हैं) का...

गुजरात में हाल ही में बने मुख्यमंत्री विजय रुपानी के खास माने जाने वाले और सौराष्ट्र इलाके के पटेल नेता जीतू वघानी को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया.

जीतू वघानी सौराष्ट्र के भावनगर पश्चिम सीट से विधायक हैं और अब वह राज्य में पार्टी के सबसे युवा प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए हैं.

जीतू वघानी शुरू से ही बीजेपी के कार्यकर्ता रहे हैं और पार्टी के युवा मोर्चा में सक्रिय थे. 46 साल के वघानी ने एलएलबी तक कि पढाई कि है. वह सौराष्ट्र के लेउवा पटेल समुदाय से तालुक रखते हे. फिलहाल वह भावनगर पश्चिम से विधायक है.

पहली बार उन्होंने 2007 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडा था लेकिन वह कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल से हार गए थे. हालांकि 2012 के चुनावों में पहली बार उनको सफलता मिली और मनसुख कनाणी को हराकर वह विधानसभा में दाखिल हुए.

इसे भी पढ़ें: क्या विजय रुपानी बन पायेंगे गुजरात के अगले नरेंद्र मोदी!

जीतू वघानी के लिए माना जाता है कि वह युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए नवनियुक्त मुख्यमंत्री विजय रुपानी के साथ-साथ गुजरात से केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के बेहद करीबी हैं.

 जीतू वघानी चुने गए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष

जानकारों कि मानें तो जीतू वघानी के जरीये बीजेपी सौराष्ट्र में खुद को मजबूत करने की कोशिश में है. माना जाता है कि पाटीदार आंदोलन के चलते सौराष्ट्र (जहां सबसे ज्यादा पाटीदार वोटर हैं) का इलाका बीजेपी से नाराज चल रहा है. लिहाजा, अध्यक्ष बनाने के लिए सौराष्ट्र से आने वाले जीतू वघानी, जो खुद पाटिदार समुदाय से आते हैं, पर पार्टी ने दांव खेला है. अब पार्टी की कोशिश वघानी के माध्यम से नाराज पाटिदारों को मनाने की है.

सौराष्ट्र में पाटीदार समुदाय का 30 से 35 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है. पार्टी का मानना है कि समय रहते इन नाराज पाटिदारों को मनाया नहीं गया तो अगले साल होने वाले चुनावों में पार्टी को इस इलाके में करारी हार का सामना करना पड़ सकता है.

इसे भी पढ़ें: विजय रुपानी को मुख्‍यमंत्री बनाए जाने की इनसाइड स्‍टोरी

जीतू वघानी कई साल से पार्टी में काम करते रहे हैं. जब नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया तब उनकी सर्वाधिक लोकप्रिय सद्भावना यात्रा और स्वामी विवेकानंद यात्रा को सौराष्ट्र में सफल करने की जिम्मेदारी वघानी पर थी. इन यात्राओं का उन्होंने बेहतरीन आयोजन कर मोदी की प्रसंशा भी पाई थी.

जीतू वघानी की प्रासंगिकता का अंदाजा इसी बात से लगता है कि जब 2012 में नरेन्द्र मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उनका नाम मंत्री पद के लिए सुर्खियों में था. वहीं जब 2014 में आनंदीबेन को मुख्यमंत्री का कार्यभार दिया गया तब भी संभावित मंत्रियों की लिस्ट में उनका नाम सबसे ऊपर था. और अब जब नए मुख्यमंत्री रुपानी ने राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो जीतू का पार्टी अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा था.

जानकारों की मानें तो जीतू को 2017 चुनावों के मद्देनजर अपनी युवा ब्रिगेड खड़ी करने का दायित्व दिया गया है. इस ब्रिगेड की मदद से बीजेपी राज्य में पुराने चेहरों को बदलकर नया और युवा चेहरा प्रदेश को देने की रणनीति पर काम करेगी.

बीजेपी के लिए सौराष्ट्र की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते 20 साल से पार्टी अध्यक्ष इसी इलाके से चुने गए हैं. 1995 में सूरत के कांशीराम राना को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद से राज्य में सभी पार्टी अध्यक्ष सौराष्ट्र से ही चुने गए हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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